लॉकडाउन के बीच घर लौटने की जंग! रिक्शेे से दिल्ली टू कोलकाता -तस्वीरें बेहद मार्मिक

न तो सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता है और ना ही कोरोना का डर #इस सड़क की तस्वीरें बेहद मार्मिक है. सिर पर बोझ उठाए बच्चे, ठेले पर सवार महिलाएं, रिक्शा खींचते मजदूर लगातार चले जा रहे हैं. बस कहीं कुछ पानी मिल जाता है, तो कहीं कुछ रोटियां. इसी तरह से ये सफर पूरा करना है. दिल्ली से सटे नेशनल हाईवे 24 पर मजदूरों की श्रृंखला सी बन गई है. इस सड़क पर मजदूर अपने बच्चों के साथ पैदल ही गांव के लिए निकल चुके हैं.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे अपने घरों के आस-पास से गुजर रहे मजदूरों को भोजन-पानी देकर मदद करें.

; विनय कुमार नई दिल्‍ली ब्‍यूरो चीफ#  Mob. 9811092717 www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper)

दिल्ली में कोरोना के प्रकोप ने दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. लॉकडाउन के कारण उनकी रोजी-रोटी पर ब्रेक तो लग गया है. पब्लिक ट्रांस्पोर्ट बंद होने के कारण मजदूरों ने अपने घरों की ओर पैदल ही कूच कर दिया है. ऐसे में आनंद विहार में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर भीड़ इकट्ठा हो गई है. बॉर्डर सील होने के कारण पुलिस मजदूरों को आगे नहीं बढ़ने दे रही है. मजदूर भी बॉर्डर पर ही बैठ गए हैं. 

दिल्ली में लॉकडाउन के बाद यहां से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जाने वाले मजदूरों की बाढ़ सी आ गई है. दिल्ली से यूपी के लिए निकलने वाली सड़कों पर सैकड़ों मजदूर हैं. ये मजदूर अपनी जरूरत के सामान सिर पर उठाकर बच्चों और महिलाओं समेत अपने घर की यात्रा पर निकल पड़े हैं. राजधानी दिल्ली में कोरोना के प्रकोप ने दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. उनकी रोजी-रोटी पर ब्रेक तो लग ही गया है, दिल्ली में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा भी उन्हें सता रहा है.

लिहाजा कई मजदूर, रिक्शा चालक हड़बड़ी में अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. ऐसे ही दो शख्स दिल्ली में अक्षरधाम के पास दिखे. आवागमन के साधनों की कमी में ये दोनों रिक्शा चलाकर ही दिल्ली से कोलकाता जाना चाहते हैं. पश्चिम बंगाल के रहने वाले पंचू मंडल और उनके एक साथी दिल्ली में रिक्शा चलाकर गुजारा करते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से न सिर्फ इन्हें काम मिलना बंद हो गया है बल्कि यहां कोरोना से संक्रमित होने का खतरा भी सता रहा है. इनका कहना है कि दिल्ली में इनके पास न रहने के लिए जगह है, न ही सवारियां मिल रही है, इसलिए ये लोग अब अपने घर जा रहे हैं. ये दोनों रिक्शा लेकर पश्चिम बंगाल की लगभग असंभव यात्रा पर निकल तो पड़े थे, लेकिन अक्षरधाम में पुलिस ने इन्हें रोककर वापस कर दिया.

पंचू मंडल ने कहा कि पुलिस हमें आगे नहीं जाने दे रही है. पुलिस का कहना है कि हमें बसों के जरिए घर भेजा जाएगा. हालांकि पंचू मंडल अभी भी रिक्शा से ही जाना चाहते हैं. पंचू मंडल ने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल जा रहा था, लेकिन पुलिस ने हमें लौटा दिया, वे कह रहे हैं कि हमें बस से भेजा जाएगा, हम रिक्शा चलाने वाले दो लोग थे, हम बारी बारी से रिक्शा खींचते और पश्चिम बंगाल पहुंच जाते, हमें सात दिन लगता.” पंचू मंडल ने कहा कि अब यहां हमें कोई काम नहीं मिल रहा है. कोई सवारी नहीं है, हमारे लिए बहुत मुश्किल वक्त है.

दिल्ली समेत देश भर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद दिल्ली एनसीआर में रहने वाले हजारों मजदूर बिहार-झारखंड, यूपी और बंगाल के लिए पैदल ही निकल चुके हैं. दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने वाली खाली सड़कों पर इन मजदूरों का रेला देखने को मिल रहा है. सरकार इन मजदूरों को फिलहाल जहां है वहीं रहने को कह रही है लेकिन अनिश्चितता, रोजी-रोटी की किल्लत और बीमारी के खौफ की वजह से ये मजदूर रुकने को तैयार नहीं हैं.

दिल्ली के आनंद विहार और यूपी के कौशांबी बस अड्डे पर हजारों लोग अपने घर जाने को मौजूद हैं. दिल्ली में इनके लिए जिंदगी इतनी मुश्किल है कि इन्हें हर हाल में अपना गांव पहुंचना है. अपनी गृहस्थी सिर पर संभाले इन मजदूरों को न तो सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता है और ना ही कोरोना का डर.

दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से डीटीसी की बसें इन मजदूरों को ऐटा, इटावा, झांसी, आगरा, बुलंदशहर, गोरखपुर, लखनऊ लेकर जा रही है. बिहार और झारखंड जाने वाले मजदूरों के पास तो कोई विकल्प ही नहीं है. दिल्ली पुलिस के जवान इन मजदूरों को लाइन में लगवाकर बसों में चढ़ा रहे हैं. दिल्ली के गाजीपुर में भी मजदूरों की भारी भीड़ मौजूद है. यहां कोई इंतजाम नहीं है. दिल्ली पुलिस के कुछ जवान इन्हें लगातार समझा रहे हैं, लेकिन मजदूर गुजरते वक्त के साथ व्यग्र हो रहे हैं. मजदूरों के पास कुछ घंटे के लिए खाने पीने का इंतजाम है, लेकिन पानी-दवा की भारी किल्लत है. आस-पास के रिहायशी इलाकों के कुछ लोग घर से खाना बनाकर इन्हें दे रहे हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के मंत्री गरीबी की मार से बेजार इन मजदूरों से बार बार अपील कर रहे हैं कि इनके लिए सभी इंतजाम दिल्ली में ही किए जाएंगे. ये अभी जहां हैं वहं ही रहें, लेकिन हुक्मरानों की बातें मजदूरों का भरोसा जीत पाने में नाकाम है. मजदूर हर संकट और हर समस्या की चुनौती को समझकर शहर से गांव के लिए निकल पड़े हैं. ये शहर कभी उसके आसरे का ठिकाना था. यहां से सिर्फ उसकी ही नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार का पेट भरता था, लेकिन कोरोना के संक्रमण ने एक झटके में सारे बने-बनाए चक्र को तोड़ दिया है. मजदूरों को अब एक ही यकीन है कि गांव में ही पहुंचकर वे सुरक्षित हो सकते हैं.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे अपने घरों के आस-पास से गुजर रहे मजदूरों को भोजन-पानी देकर मदद करें.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “आज हमारे सैकड़ों भाई-बहनों को भूखे-प्यासे परिवार सहित अपने गांवों की ओर पैदल जाना पड़ रहा है. इस कठिन रास्ते पर आप में से जो भी उन्हें खाना-पानी-आसरा-सहारा दे सके, कृपा करके दे! कांग्रेस कार्यकर्ताओं-नेताओं से मदद की ख़ास अपील करता हूं.” बीजेपी ने भी अपने कार्यकर्ताओं से ऐसे लोगों की मदद करने को कहा है.

कुछ ही दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा था कि बीजेपी के कार्यकर्ता काम-धंधे बंद होने के कारण बेरोज़गार हो चुके 5 करोड़ ग़रीब लोगों को हर दिन खाना खिलायेंगे। लेकिन दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर 10 से 15 किमी. तक कहीं भी बीजेपी का कोई कार्यकर्ता इन मजदूरों की मदद करता नज़र नहीं आया। 

गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (National Leading Newsportal) Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report.

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