कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द;हैदराबाद यूनिवर्सिटी & बंद के नियमों का पालन करे दो सप्ताह में गुड न्‍यूज

HIGH LIGHT #कोविड 19 संक्रमण से बचने का यही तरीका # इम्यून रेसपॉन्स को मजबूत रखे # आप सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाएं # साफ-सफाई का ध्यान रखें#दिल्ली पुलिस बहुत बड़ा रोल निभा रही है  #बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मजदूरों के लिए की गई बसों की व्यवस्था पर सवाल उठाए # योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली, यूपी बॉर्डर पर जमा लोगों को घर पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था का ऐलान किया है. जाहिर है, यूपी की व्यवस्था से हज़ारों बिहार के लोग भी अपने गांव पहुंचने की कोशिश करेंगे. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है#  विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि लोगों को कोरोना वायरस के खतरे को कम करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करना होगा. अब लोगों ने घरों में ही रहने के नियमों का पालन नहीं किया तो सामुदायिक स्तर  पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा# अगर लोग पूरी शिद्दत से बंद के नियमों का पालन करते हैं तो दो सप्ताह या कुछ अधिक समय बाद प्रभाव दिखने लगेगा.

 आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने मिलकर पलायन कर रहे मजदूरों के लिए चलाया एक विशेष अभियान; उत्‍तराखण्‍ड,यूपी,बिहार,हिमाचल भी इसी तर्ज पर चलाये अभियान

. # गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) ब्‍यूरो रिपोर्ट

हैदराबाद:हैदराबाद यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट, स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की डॉ. सीमा मिश्रा कोरोना वायरस (coronavirus) की वैक्सीन को लेकर प्रयोग कर रही हैं. सीमा का कहना है कि वह कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द ढूंढ लेंगी. उन्होंने एक पोटेंशियल वैक्सीन कैंडीडेट्स डिजाइन किए हैं, जिन्हें टी सेल एपिटोप्स नाम दिया गया है. ये नोवल कोरोना वायरस 2 के स्ट्रक्चरल और नॉन स्ट्रक्चरल सभी प्रोटीन्स को खत्म करने के लिए तैयार किया जा रहा है, जिसकी फिलहाल एक्सपेरिमेंटल टेस्टिंग की जा रही है.  ये वैक्सीन कैंडीडेट्स स्मॉल कोरोना वायरल पेपटाइड्स, मॉलेक्यूल्स हैं, जिनका इस्तेमाल कोशिकाएं द्वारा इम्यून रेसपॉन्स को ट्रिगर करने के लिए किया जाता है, जिससे वो कोशिकाएं खत्म हो जाएं जो इन वायरल पेप्टाइड्स को आश्रय दे रही हैं. 

इस नई खोज को लेकर यूनिवर्सिटी की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि कम्प्यूटेशनल सॉफ्टवेयर के साथ पावरफुल इम्यूनोफॉर्मेटिक्स एप्रोचेज के इस्तेमाल से डॉ. सीमा मिश्रा ने इन पोटेंशियल एपिटोप्स को तैयार किया है. इन्हें इस तरह तैयार किया गया है, जिससे इनका इस्तेमाल पूरी जनसंख्या को वैक्सीनेट करने के लिए किया जा सके.

सामान्य तौर पर वैक्सीन की खोज में 15 साल लगते हैं, लेकिन पावरफुल कम्प्यूटनेशनल टूल्स की मदद से इन वैक्सीन कैंडीडेट्स को जल्दी इनलिस्ट किया जा सकता है. इसमें सिर्फ 10 दिन का समय लगता है. 

पोटेंशियल कैंडीडेट वैक्सीन्स की रैंक्ड लिस्ट इस पर निर्भर करती है कि वायरस को रोकने के लिए ह्यूमन सेल्स इनका इस्तेमाल कितने प्रभावित ढंग से करते हैं. ये कोरोना वायरल एपिटोप्स ह्यूमन सेल्स और ह्यूमन प्रोटीन्स पर कोई क्रॉस रिएक्टि​विटी नहीं करते और इसलिए इसलिए इम्यून रेस्पॉन्स वायरल प्रोटीन्स के खिलाफ काम करता है, ह्यूमन प्रोटीन्स के खिलाफ नहीं. हालांकि कन्क्लूजिव इविडेंस उपलब्ध करवाने के लिए इसके परिणामों की प्रायोगिक जांच होने की जरूरत है.  

nCoV vaccine को लेकर भारत से ये इस तरह का पहला शोध है. हालांकि इसे बनने में अभी समय लग सकता है. इसलिए फिलहाल कोविड 19 संक्रमण से बचने का यही तरीका है कि आप सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाएं और साफ-सफाई का ध्यान रखें. 

दिल्ली में लॉकडाउन को सफल बनाने में दिल्ली पुलिस बहुत बड़ा रोल निभा रही है

संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में लॉकडाउन को सफल बनाने में दिल्ली पुलिस बहुत बड़ा रोल निभा रही है और अब बेघर लोगों को जिंदगी का जिम्मा दिल्ली पुलिस संभाल रही है. दिल्ली पुलिस इलाके में घूम-घूमकर बेघर लोगों को खाना दे रही है.  सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के एडिशनल डीसीपी रोहित मीणा ने बताया, “हम लोगों को जहां-जहां ऐसे लोगों के बारें में जानकारी मिल रही है, हमारी पुलिस की टीम वहां पहुंचकर गरीब लोगों को खाना को बंटवा रही है ताकि ये लोग ठीक से रहें.” बता दें कि प्रसाद नगर के एसएचओ धीरज कुमार और एएसआई अम्बरीष त्यागी ने इंसानियत की मिसाल पेश की. जिनको देखकर अब कई लोग इनको फोन करके मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं.

गौरतलब है कि पुलिस अब बेघर लोगों को खाना देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रख रही है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस COVID-19 से बचाव को लेकर जागरूक कर रही है और हाथों को सैनिटाइज करने के साथ-साथ अब नहाने का साबुन भी दे रही है. ये काम पुलिस तब तक करेगी जब तक लॉकडाउन की स्थिति रहेगी.

देश में लॉकडाउन के बाद लोगों में घर जाने की होड़ लगी है. जिसके बाद दिल्ली की सड़कों पर तमाम लोग अपने सामान और परिवार के साथ निकल पड़े हैं. अगर कोरोना वायरस को हराना है तो आपका घर पर रहना जरूरी है लेकिन अगर ऐसे ही लोग बाहर निकलेंगे तो COVID-19 की ये बीमारी एक बड़ा रूप ले सकती है.

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर मुंडका के एसएचओ सुरेंद्र संधू लाउड स्पीकर के जरिए लोगों को समझाने लगे कि आप लोग ऐसे बाहर न आएं अगर आप ऐसे ही बाहर निकलेंगे तो ये आपके लिए खतरनाक हो सकता है. एसएचओ ने ये भी कहा कि हमने आपके लिए रहने खाने का इतंजाम किया है. आप वहां रुक सकते हैं.

मजदूरों के पलायन पर बोले नीतीश- पीएम का लॉकडाउन फेल हो जाएगा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मजदूरों के लिए की गई बसों की व्यवस्था पर सवाल उठाए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मजदूरों के लिए की गई बसों की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि दिल्ली से या कहीं और से लोगों को बुलाने से समस्या और बढ़ेगी. बिहार सरकार चाहती है कि जो जहां है वहीं उनके रहने खाने की व्यवस्था की जाए. बसों से लोगों को बुलाने से लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. नीतीश कुमार लॉकडाउन में फंसे लोगों को बुलाने के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि इससे प्रधानमंत्री का लॉकडाउन फेल हो जाएगा. 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली, यूपी बॉर्डर पर जमा लोगों को घर पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था का ऐलान किया है. जाहिर है, यूपी की व्यवस्था से हज़ारों बिहार के लोग भी अपने गांव पहुंचने की कोशिश करेंगे. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है.

गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report..

घरों में ही रहने के नियमों का पालन नहीं किया तो सामुदायिक स्तर  पर संक्रमण का खतरा

 नई दिल्ली: स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि लोगों को कोरोना वायरस के खतरे को कम करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करना होगा. अब लोगों ने घरों में ही रहने के नियमों का पालन नहीं किया तो सामुदायिक स्तर  पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा.   देश के प्रमुख अस्पताल समूहों के डॉक्टरों ने यह चेतावनी भी दी है कि बंद केवल वायरस के संक्रमण को फैलने की रफ्तार कम करेगा और इस अवधि में भारत को कोविड-19 की जांच समेत दूसरी चुनौतियों से निपटने के लिए अपने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत कर लेना चाहिए.

सर गंगाराम अस्पताल के डॉ अरविंद कुमार ने कहा, ‘‘ हजारों लोग हाल ही में दूसरे देशों से लौटे हैं और इनमें कई का अभी पता चलना है. कई स्क्रीनिंग नहीं करा रहे और कई घर में पृथक रहते हुए भी घूम रहे हैं. उसके बाद गरीब लोग एक दूसरे से दूसरी जगह जा रहे हैं तो ऐसे में भी संक्रमण का खतरा है. क्या सरकार इन सभी लोगों के घरों के बाहर पहरा लगा सकती है? डेढ़ अरब आबादी वाला देश है!’’ अरविंद कुमार ने कहा कि भारत की जनसांख्यिकी और भूगोल अमेरिका, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे दूसरे देशों से बहुत अलग है, ऐसे में चिकित्सक बिरादरी में आशंका है कि लोग अगर बंद के नियमों को लगातार तोड़ते रहे तो ज्ञात संपर्कों से परे संक्रमण फैलना शुरु हो सकता

फोर्टिस अस्पताल के डॉ विवेक नांगिया ने भी कहा, ‘‘यह महामारी युद्ध के हालात से भी ज्यादा खतरनाक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘और युद्ध में लोगों को अपने जनरल के आदेश का पालन करना चाहिए जो अभी सरकार है. लोगों को घर में रहना चाहिए और बहुत आपात स्थिति नहीं हो तो नहीं निकलना चाहिए. हम अभी सरकार के मुताबिक संक्रमण के दूसरे चरण में है और यह बंद मामलों की संख्या कम करने में काफी कारगर हो सकता है.’’ डॉ नांगिया ने कहा कि अगर लोग पूरी शिद्दत से बंद के नियमों का पालन करते हैं तो दो सप्ताह या कुछ अधिक समय बाद प्रभाव दिखने लगेगा.

 आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने मिलकर पलायन कर रहे मजदूरों के लिए चलाया एक विशेष अभियान; उत्‍तराखण्‍ड,यूपी,बिहार,हिमाचल भी इसी तर्ज पर चलाये अभियान

कोरोना के खतरे को देखते हुए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 21 दिन तक अपने अपने घरों में रहें तभी कोरोना से निपटा जा सकता है. लेकिन इस खतरे के बीच पूरे देश में मजदूरों का बुरा हाल है. देश के हर राज्य से मजदूर पलायन कर रहे हैं. वजह है कि काम नहीं है. काम नहीं है तो खाने और पीने में दिक्कत हो रही है. दरअसल ये जो भी मजदूर हैं वो सभी रोज कमा कर खाने वाले मजदूर हैं. ये ही वजह है कि हर कोई अपने-अपने घर लौटना चाहता है लेकिन घर जाने के लिए साधन नहीं मिल रहे हैं तो लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ जा रहे हैं.

आंध्र प्रदेश प्रशासन को जानकारी मिली कि शुक्रवार को कुछ मजदूर मंगलोर में नंगिली टोल प्लाजा से पैदल आगे की तरफ बढ़ रहे हैं. ये आंध्र प्रदेश और कर्नाटका का बॉर्डर है. जानकारी मिलते ही आंध्र प्रदेश और कर्नाटका प्रशासन के लोग वहां पर पहुंचे और मजदूरों को समझाया गया कि देश में लॉकडाउन है आप आगे नहीं जा सकते हैं. जब सभी की गिनती की गई तो वो 1334 मजदूर थे. दोनों राज्यों की सरकारों ने फैसला लिया कि इन मजदूरों की देखभाल करनी चाहिए. दोनों ने मिलकर एक ज्वाइंट क्वारंटाइन सेंटर बनाने का फैसला लिया और सभी को वहां शिफ्ट किया गया.

दोनों राज्यों की सरकारों ने ये सुनिश्चित किया कि सभी का कोरोना का टेस्ट करवाया जाएगा, सेंटर में डॉक्टर को उपलब्ध करवाया जाएगा, 12 डॉक्टर और 22 सुपरवाइजर को कैम्प में पहुंचने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं सभी के खाने पीने का ध्यान रखा जाएगा.

लॉकडाउन के कारण यूपी बॉर्डर पर फंसे लोगों के लिए यूपी सरकार ने रुकने और उनको सुरक्षित तरीके से घर पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा इस भारी भीड़ को प्रवेश के समय ही चेक करने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उनके खाने-पीने का भी उचित ध्यान रखा जाएगा। योगी सरकार के द्वारा प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि उन लोगों की अच्छे से चेकिंग की जाए। जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके। साथ ही जब तक वो बॉर्डर पर मौजूद हैं, उनके खाने पीने की भी व्यवस्था की जाए। साथ ही उनके रहने के इंतजाम के साथ उनको घर पहुंचाने के लिए भी उचित कदम उठाए जाए।

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