सूर्य उत्तरायण -सभी राशियों पर बेहद खास प्रभाव

सूर्य उत्तरायण होने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का उत्तरायण होना बेहद खास महत्व रखता है। सूर्य उत्तरायण का राशिचक्र की सभी राशियों पर बेहद खास प्रभाव पड़ने वाला है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य 15 जनवरी को उत्तरायण होने वाले हैं।

सूर्य साल 2019 में मकर संक्रांति की रात यानी कि 14 जनवरी 2018 को 8:08 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जो 15 जनवरी की दोपहर 12 बजे तक मकर राशि में रहेंगे। इस लिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी 2019 दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजे से पूर्व है। मकर संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष योग 15 जनवरी 2019 को बन रहा है। 

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) हिंदू मान्यता के मुताबिक, कहा जाता है कि मकर संक्रांति का नाम सूर्य और मकर के मिलन से बना है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब इन दोनों के मिलक को संक्रांति कहा जाता है। वहीं मकर एक राशि है। जब इन दोनों का मिलन हुआ तब मकर संक्रांति बना। 

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) कहते हैं कि सिर्फ मकर संक्रांति का महत्व तिल के पकवान और पतंग उड़ाने से नहीं बनाता है। इस दिन गंगा में स्नान कर आस्था के नाम की डुबकी लगाने के बाद त्योहार की शुरूआत होती है। 

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) मकर संक्रांति ही ऐसा त्योहार है जो हर साल एक ही तारीख पर आता है। जिसकी तारीख कभी नहीं बदलती है। जबकि दूसरें सभी त्योहारों को चंद्र कैलेंडर के आधार पर बनाया जाता है। कहते हैं कि हर आठ साल में ये बदल जाता है। साल 2050 से ये त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा और फिर आठ साल बाद 16 जनवरी को मनाया जाएगा। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) मकर संक्रांति पर क्या है तिल गुड़ का महत्व- हिंदू रिति रिवाज के मुताबिक, इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं। इसके पीछे कहावत है कि बीती कड़वी बातों को भूलकर मीठा खिलाया जाता है ताकि मिठास से रिशतों को और मजबूती मिले।

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) वहीं मकर संक्रांति का वैज्ञानिक आधार भी है। कहते हैं कि तिल गर्म होता है और इसका सेवन करने से शरीर गर्म भी रहता है। जिससे शरीर को भरपूर नमी भी मिलती है। स्वास्थ को देखते हुए तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है।

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) मकर संक्रांति का सिर्फ एक नाम नहीं है। इस त्योहार को कई नामों के बुलाया जाता है। इस त्योहार को गुजरात में उत्तरायन, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में माघी, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और असम में बीहू कहते हैं। अलग प्रदेश अलग नाम है इस त्योहार का।

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) इस दिन पतंग उड़ाने की प्रथा भी है। लेकिन इसको भी वैज्ञानिक महत्व है। कहते हैं कि पतंग उड़ाने से शरीर पर धूप लगत है। जिससे शरीर को विटामिन भी मिलती है। इससे शरीर की त्वचा भी अच्छी रहती है।

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) मकर संक्रांति पर तीर्थ की शुरुआत भी होती है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में कुंभ मेला लगता है। वहीं केरल में शबरीमाल जाते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदी में आस्था के नाम की डुबकी लगाते हैं। 

मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) मकर संक्रांति पर एक विशेष दिन होता है। कहते हैं कि इस दिन दिन और रात बराबर होते हैं। इसी दिन से मौसम और दिन में फर्क आने लगता है। सर्दी के मौसम में ठंड कम होती रहती है और गर्म मौसम की शुरुआत होने लगती है। इस दिन से बसंत के मौसम के आगमन माना जाता है। 

मकर संक्रांति के पुण्य काल का मुहूर्त 

पुण्य काल- 07:19 सुबह से 12:30 बजे तक

पुण्य काल की अवधि- 5 घंटे 11 मिनट

संक्रांति आरंभ- 14 जनवरी 2019 की रात 08:05 बजे से

महापुण्यकाल- 1 घंटा 43 मिनट की अवधि 07:19 से 09:02 बजे तक चलेगा

मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने खाने और दान करने का खास महत्व है। इसी लिए कई जगहों पर इस त्योहार को खिचड़ी भी कहा जाता है। इस मान्यता में चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। काली उड़द दाल को शनि और हरी सब्जी को बुध का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होगी। इसलिए इस मौके पर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां डालकर खिचड़ी बनाती है।

सूर्य का राशि परिवर्तन मुख्य तौर पर उन राशियों के लिए बेहद खास है जिनके स्वामी ग्रह सूर्य हैं। साथ ही उत्तरायण से वे राशियां भी प्रभावित होंगी जो सूर्य से प्रभावित हैं। राशिफल 2019 के अनुसार इस सप्ताह सूर्य के उत्तरायण होने से नैकरी-पेशे के लिए कुछ राशि के जातकों के लिए भाग्योदय का समय है। साथ ही कुछ राशियों के लिए आंशिक तौर पर आर्थिक परेशानी के भी योग बन रहे हैं। इसके अलावे कागजी मामले में भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) लगभग हर साल 14 जनवरी को आती है. लेकिन इस बार 2019 में यह 15 जनवरी (15 January, Makar Sankranti) को पड़ रही है. इसी कारण प्रयागराज में हो रहा कुंभ (Kumbh) भी इस साल 15 जनवरी से शुरू हो रहे हैं. साथ ही पहला स्नान भी 14 नहीं बल्कि 15 जनवरी को होगा. 

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस साल राशि में ये परिवर्तन 14 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. राशि बदलने के साथ ही मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है. वहीं, मकर संक्रांति के दिन से ही खरमास (Kharmas) की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.  मकर संक्रांति में सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण तक का सफर महत्व रखता है. मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण काल में ही शुभ कार्य किए जाते हैं. सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में रहता है तब इसे उत्तरायण कहते हैं. वहीं, जब सूर्य बाकी राशियों सिंह, कन्या, कर्क, तुला, वृच्छिक और धनु राशि में रहता है, तब इसे दक्षिणायन कहते हैं.

Lohri 2019: लोहड़ी (Lohri) का त्योहार 13 जनवरी को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. पंजाब और हिमाचल प्रदेश में खास तौर से मनाए जाने वाले लोहड़ी के त्योहर को अब पूरे उत्तर भारत में जोर-शोर के साथ मनाया जाता है. लोहड़ी का जश्न (Lohri Celebration) नाच-गाकर और ढोल बजाकर मनाया जाता है. लोहड़ी के मौके पर मूंगफली, रेवड़ी और भूने हुए मक्की के दाने खाए जाते हैं और रात को आग के चारों ओर चक्कर लगाकर पूजा भी की जाती है.   

नया साल 2019 की शुरूआत हो चुकी है, हर वर्ष की तरह इस साल 2019 मीठा त्योहार ‘मकर संक्रांति’ (Makar Sankranti) लेकर आता है। मकर संक्रांति 2019 (Makar Sankranti 2019) साल का सबसे पहला त्यौहार होता है। मकर संक्रांति पर्व (Makar Sankranti Festival) हर वर्ष 14 जनवरी (14 January) को देशभर में मनाया जाता है। लेकिन हरियाणा और पंजाब में 14 जनवरी से एक दिन पूर्व यह पर्व ‘लोहिड़ी’ के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। 

किसानों के लिए यह पर्व प्रतीकात्मक रूप से अहम है। इसी दौरान दक्षिण भारत का खास पर्व पोंगल भी मनाया जाएगा है। इस समय सूर्य की दिशा उत्तरायण हो जाती है जिस कारण सर्दी का प्रभाव कम होने लग जाता है। यानी सर्दी धीरे धीरे कम होने लगती है।

स मीहने में संकष्टी चतुर्थी भी आएगी। यह संकष्टी चतुर्थी चार सबसे बड़ी चतुर्थियों में से एक मानी जाती है। संकष्टी चतुर्थी को उत्तर भारत में ‘तिल चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है। वहीं इसी महीने में भी प्रयागराज अर्द्ध कुंभ भी आरंभ हो जाएगा। नए साल यानी एक जनवरी 2019 को सफला एकादशी थी। जनवरी में और कौन से त्योहार हैं?

Makar Sankranti 2019 Hindu Calendar Festival List 

*14 जनवरी: मकर संक्रांति- मकर संक्रांति पर्व के दिन तिल के लेप से स्नान किया जाता है। स्नान के बाद सूर्य की पूजा की जाती है।

*15 जनवरी:  पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी पर्व- पोंगल मूल रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। 

* 17 जनवरी: पौष पुत्रदा एकादशी

* 18 जनवरी: प्रदोष व्रत (शुक्ल)- भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं।

* 21 जनवरी: पौष पूर्णिमा व्रत- मकर संक्रांति को उत्तर भारत में पूनम के नाम से भी जाना जाता है।

* 24 जनवरी: संकष्टी चतुर्थी- संकष्टी चतुर्थी चार सबसे बड़ी चतुर्थियों में से एक मानी जाती है। संकष्टी चतुर्थी को तिल चतुर्थी भी कहते हैं।

* 26 जनवरी: गणतंत्र दिवस- गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय गौरव और सम्मान का दिवस है।

* 31 जनवरी: षटशिला एकादशी- षटशिला एकादशी लगभग देश के हर हिस्से में बनाई जाती है।

लोहड़ी और गुरु गोविंद सिंह जयंती सिखों के प्रमुख त्योहार है। इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी वहीं इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जयंती भी पड़ रही है। इन दोनों त्योहारों पर वीरता को नमन किया जाता है। गुरु गोविंद सिंह सीखों के दसवें गुरु थे। उन्होने खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होने पंज प्यारे और 5 ककार शुरू किए थे। इसके साथ ही गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। वहीं लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी जैसे वीर को याद कर के गीत गाए जाते हैं। 

कौन था दुल्ला भट्टी

दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था क्योंकि पहले बड़े और अमीर व्यापारी लड़कियां खरीदते थे। तब  इस वीर ने लड़कियों को छुड़वाया और उनकी शादी भी करवाई। इस तरह महिलाओं का सम्मान करने वाले वीर को लोहड़ी पर याद किया जाता है। दुल्ला भट्टी अत्याचारी अमीरों को लूटकर, निर्धनों में धन बाँट देता था। एक बार उसने एक गाँव की निर्धन कन्या का विवाह स्वयं अपनी बहन के रूप में करवाया था।

लोहड़ी क्यों मनाई जाती है

मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन लोहड़ी की अग्नि में तिल, रेवड़ियां, मूंगफली, गुड़ और गजक आदि भी समर्पित किया जाता है।

ऐसा करने से यह माना जाता है कि देवताओं तक भी फसल का कुछ अंश पहुंचता है। साथ ही मान्यता ऐसी भी है कि अग्नि देव और सूर्य को फसल समर्पित करने से उनके प्रति श्रद्धापूर्वक आभार प्रकट होता है। ताकि उनकी कृपा से कृषि उन्नत और लहलहाता रहे।

लोहड़ी कैसे मानते हैं

लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है। इसे ‘चर्खा चढ़ाना’ कहते हैं। 

गुरु गोबिंद सिंह की वीरता को याद किया जाता है

गुरु गोविंद सिंह जयंती पर गुरुद्वारों में विशेष साज-सज्जा की जाती है। इस दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू होकर देर रात तक चलता है। इस दिन गुरुवाणी का पाठ, शबद कीर्तन किया जाता है। खालसा पंथ के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म का सबसे वीर योद्धा और गुरु माना जाता है। गुरुजी ने निर्बलों को अमृतपान करवा कर शस्त्रधारी कर उनमें वीर रस भरा। उन्होंने ही खालसा पंथ में ‘सिंह’ उपनाम लगाने की शुरुआत की। इस तरह उनकी वीरता को याद किया जाता है। साथ ही जिस तरह से उन्होंने अपने धर्म को आगे बढ़ाया और कुर्बानी दी वैसे ही आगे बढ़ाने का संकल्प भी लिया जाता है।

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