ये मुझे छू नहीं सकते, हां, गोली से मार सकते हैं– किसने दिया यह बडा बयान

सांसद राहुल ने कहा, ‘मैं न नरेंद्र मोदी से और न इन लोगों से डरता हूं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं साफ-सुथरा आदमी हूं, ये मुझे छू नहीं सकते। हां, गोली से मार सकते हैं, वो अलग बात है। मैं देशभक्त हूं। मैं अपने देश की रक्षा करता हूं और मैं करता जाऊंगा। मैं अकेला खड़ा हो जाऊंगा। ये मेरा धर्म है।’

मुखर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश की अर्थव्यवस्था को पूंजीपतियों को सौंपने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि वह किसानों के आंदोलन का 100 फ़ीसदी समर्थन करते हैं और देश के हर नागरिक को उनका समर्थन करना चाहिए और इसके पीछे कारण यह है कि वे हमारे लिए लड़ रहे हैं न कि ख़ुद के लिए। 

राहुल ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से पूछे गए सवालों को लेकर बेहद आक्रामक अंदाज दिखाया। नड्डा ने कहा था, ‘राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं कि एपीएमसी मंडियां बंद हो जाएंगी। क्या उन्होंने इस बात का वादा कांग्रेस के घोषणा पत्र में नहीं किया था।’ नड्डा ने पूछा था कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान दशकों तक किसान ग़रीब क्यों रहे। क्या उन्हें किसानों के साथ तभी सहानुभूति होती है, जब वे विपक्ष में होते हैं।’  राहुल गांधी ने कहा, ‘राहुल गांधी कौन है, क्या करता है, हिंदुस्तान का हर किसान जानता है। किसान जानता है कि भट्टा परसौल में नड्डा जी नहीं खड़े थे, मैंने तो उनको नहीं देखा। ज़मीन अधिग्रहण के वक़्त नड्डा जी, मोदी जी नहीं खड़े थे, राहुल गांधी खड़ा था। जब किसान की ज़मीन का मामला था, जब किसानों के कर्ज माफ़ करने की बात आई थी, वहां कांग्रेस खड़ी थी। नड्डा जी कहां थे, मुझे तो नहीं दिखे।’

राहुल ने कहा, ‘वह कौन हैं जो मैं उन्हें जवाब दूं। क्या वह मेरे प्रोफ़ेसर हैं। मैं देश को जवाब दूंगा।’

केरल के वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, ‘मैं न नरेंद्र मोदी से और न इन लोगों से डरता हूं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं साफ-सुथरा आदमी हूं, ये मुझे छू नहीं सकते। हां, गोली से मार सकते हैं, वो अलग बात है। मैं देशभक्त हूं। मैं अपने देश की रक्षा करता हूं और मैं करता जाऊंगा। मैं अकेला खड़ा हो जाऊंगा। ये मेरा धर्म है।’

राहुल ने कहा, ‘अगर आप पिछले 6-7 सालों को देखें तो हर इंडस्ट्री में उन्हीं 4-5 लोगों की मोनोपॉली बन रही है। पावर देखिए, टेलीकॉम देखिए, एयरपोर्ट्स देखिए, पोर्ट्स देखिए, मतलब इस देश के 4-5 नए मालिक हैं।’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘आज तक खेती में मोनोपॉली नहीं थी, आज तक हिंदुस्तान के खेतों का फ़ायदा किसानों को, मजदूरों को, मिडिल क्लास को और ग़रीबों को जाता था। एक पूरा ढांचा था, जो इन लोगों की रक्षा करता था। लेकिन इन तीन क़ानून खेती में आज़ादी से पहले की हालत करने जा रहे हैं।’ 

किसानों के लगातार बढ़ते जा रहे आंदोलन से निपट पाने में परेशान मोदी सरकार को विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों में कांग्रेस ज़्यादा हमलावर है। राहुल गांधी इस मसले पर पंजाब में ट्रैक्टर यात्रा निकालने से लेकर लगातार ट्वीट कर सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं। 

15 जनवरी को कांग्रेस ने देश भर में राज्यपालों के आवास (राजभवन) का घेराव किया था। दिल्ली में इसकी अगुवाई राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने की थी। कांग्रेस ने 15 जनवरी को किसान अधिकार दिवस के रूप में मनाया था। 

राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही होंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कुछ दिन पहले कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात कर उन्हें दो करोड़ हस्ताक्षर और एक ज्ञापन भी सौंपा था।

दूसरी ओर, किसानों के आंदोलन को 50 से ज़्यादा दिन हो चुके हैं। सिंघु, टिकरी, ग़ाज़ीपुर और हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान भयंकर सर्दी के बीच भी धरने पर बैठे हुए हैं। 

इस साल असम में कांग्रेस पांच पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस ने मंगलवार को इसका एलान किया. पार्टी ने कहा कि वह 2021 असम विधानसभा चुनाव में एआईयूडीएफ, सीपीआई, सीपीआईएम, सीपीआई (एमएल) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. फिलहाल असम में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी 2016 के चुनाव में 89 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 60 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस समय सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस 122 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 26 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी. एजीपी 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 14 पर सफलता हासिल की थी. वहीं बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ ने 74 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई और 13 सीटों पर सफलता मिली. बीओपीएफ ने 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 12 पर उसके उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे. विधानसभा चुनाव में सीपीआई 15 सीटों पर चुनाव लड़ी था लेकिन खाता नहीं खुला. सीपीएम और सीपीआई (एमल) भी अपना खाता नहीं खोल सकी थी. राज्य में विधानसभा की कुल 126 सीटें हैं. ABP Opinion Poll के मुताबिक, बीजेपी असम में एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है. बीजेपी गठबंधन (एनडीए) को 73 से 81 सीटें मिल सकती है. वहीं कांग्रेस गठबंधन (यूपीए) को 36 से 44 सीटों पर जीत मिल सकती है. बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को पांच से नौ सीटों पर सफलता हासिल कर सकती है. अन्य को 0 से चार सीटें मिल सकती है. वोट प्रतिशत की बात करें तो एनडीए को 43 फीसदी, यूपीए को 35 फीसदी, एआईयूडीएफ को 8 फीसदी और अन्य को 14 फीसदी वोट मिल सकते हैं ।

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