धर्मशास्त्रों में जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं के अचूक उपाय अचूक मंत्र हैं

भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने “हिन्दुस्थान” नाम दिया था, जिसका अपभ्रंश “हिन्दुस्तान” है। “बृहस्पति आगम” के अनुसार:   हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।   तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥ अर्थात् हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

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HIGH LIGHT# लौंग के तेल का प्रयोग करने से संक्रमण का खतरा कम रहता है।

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।

  हिन्दू धर्मशास्त्रों में मनुष्य जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं के अचूक उपाय वर्णित हैं। अगर आप उन उपायों को श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रयोग में लाए तो निश्चित ही आपकी उस समस्या का निदान हो जाएगा। वर्तमान में भागदौड़ भरी जिन्दगी और व्यस्त जीवनशैली में अकसर युवकों की आयु इतनी अधिक हो जाती है कि किसी भी कन्या के परिजन और कोई भी युवती उससे शादी नहीं करना चाहती है।

धर्मशास्त्रों में मनुष्य जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं के अचूक उपाय वर्णित हैं। अगर आप उन उपायों को श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रयोग में लाए तो निश्चित ही आपकी उस समस्या का निदान हो जाएगा। वर्तमान में भागदौड़ भरी जिन्दगी और व्यस्त जीवनशैली में अकसर युवकों की आयु इतनी अधिक हो जाती है कि किसी भी कन्या के परिजन और कोई भी युवती उससे शादी नहीं करना चाहती है। और ऐसी स्थिति से युवक और उसके परिवार के लोग परेशान हो जाते हैं। शादी के अनेक प्रस्ताव आते हैं लेकिन अधिक उम्र के युवक को देखते ही कन्या के परिवार के लोग उसके साथ अपनी कन्या की शादी करने से इंकार कर देते हैं। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो आइए जानते हैं सुन्दर और सुशील कन्या से शीघ्र विवाह कराने का मंत्र और अचूक उपाय के बारे में जिसको विधि विधान से प्रयोग करने पर आपकी अति शीघ्र ही शादी हो जाएगी और आपका जीवन सुखमय हो जाएगा।

शीघ्र शादी कराने का मंत्र –

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।

इस मंत्र का विधि विधान से जप करने पर युवाओं का खुबसूरत और गुणवान कन्या के साथ शीघ्र ही विवाह हो जाता है।इस मंत्र का जप मां दुर्गा का ध्यान करते हुए प्रारंभ करें।यह मंत्र अचूक है, इस मंत्र के प्रभाव से शादी में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसलिए जब मंत्र का जप प्रारंभ करें तो मां दुर्गा के प्रति पूर्ण समर्पित भाव से उनका ध्यान करते हुए ही मंत्र का जप करें।इस मंत्र का जप शादी से पहले ही करें, शादी के बाद इस मंत्र का कोई प्रभाव नहीं होता।

इसके अलावा लौंग से वशीकरण एक ऐसा वशीकरण टोटका है जिसकी मदद से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि तांत्रिक क्रियाओं में लौंग से वशीकरण जैसी चीजों को प्राथमिकता दी गई है। कुछ लोग लौंग से वशीकरण को मानते भी हैं और कुछ इसे अंधविश्वास का नाम देते हैं। लेकिन कभी न कभी कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जो आपको यह उस प्रक्रिया में विश्वास करने पर मजबूर कर देती है जिसे लौंग वशीकरण टोटका कहा जाता है। “ऊं तत भार्वय् नमो नम, या रुद्र या मोहिनी कर, मैं अमन   सिद्ध नमो स्वाहा” मंत्र  

लौंग (Clove) गठिया रोग की बीमारी के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। लौंग (Clove Benefits) के सेवन से गठिया रोग में काफी हद तक आराम मिलता है। इतना ही नहीं यह एक आयुर्वेदिक उपचार है, जिससे और भी कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। लौंग के फायदे (Clove Benefits) लौंग के सेवन से दर्द दूर हो जाता है। इसमें मौजूद यूजेनॉल ऑयल दांतों के दर्द में आराम पहुंचाता है। लौंग गठिया रोग में जोड़ों में होने वाले दर्द व सूजन के लिए कारगर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें फ्लेवोनॉयड्स ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। लौंग के तेल को सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में जल्द आराम मिलता है।

लौंग के तेल को सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में जल्द आराम मिलता है।

लौंग के नियमति इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर का खतरा कम रहता है। 

लौंग के नियमति इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर का खतरा कम रहता है।  बस या ट्रेन में सफर करते समय मुंह में लौंग रखने से फायदा होता है। लौंग को पानी में उबाल कर पानी पीने से गैस और पेट दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। लौंग के तेल से सिर की मालिश करने से दर्द कम होता है। लौंग के तेल का प्रयोग करने से संक्रमण का खतरा कम रहता है।

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) से विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे ‘वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म’ भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है।  यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है।  सनातन धर्म अपने मूल रूप हिंदु धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है। सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं। हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था।

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