कर्मचारियों को सरकार द्वारा कोई पेंषन इत्यादि का लाभ नहीं- रघुनाथ सिंह नेगी

कर्मचारियों को सरकार द्वारा कोई पेंषन इत्यादि का लाभ नहीं

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सुप्रीम कोर्ट के आदेषों का अनुपालन कराये जाने को लेकर मुख्य सचिव से मिला मोर्चा ……………नेगी

देहरादून- जनसंघर्श मोर्चा प्रतिनिधिमण्डल ने सेवानिवृत्त सिंचाई कर्मचारियों को पेंषन/ सेवानिवृत्त लाभ इत्यादि मामले में मा० उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेषों का अनुपालन कराये जाने को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार से भेंट की तथा ज्ञापन सौंपा। मुख्य सचिव ने तत्काल कार्यवाही का आष्वासन दिया।

नेगी ने कहा कि सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ३०-३५ वर्श की वर्क चार्ज (कार्य प्रभारित) सेवा, जिसमें १० वर्श से कम स्थायी सेवा करने से पूर्व अधिवर्शिता आयु पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को सरकार द्वारा कोई पेंषन इत्यादि का लाभ नहीं दिया जाता है।

उक्त मामले में कर्मचारियों द्वारा मा० उच्च न्यायालय में योजित वाद Pet No. – (SIS) 1658/2007 जिसमें दिनांक २८.०८.२०१० के द्वारा सरकार को आदेष दिये गये थे कि कर्मचारियों द्वारा १० वर्श की स्थायी व अस्थायी सेवा पूर्णकर चुके सभी कर्मचारी पेंषन इत्यादि के पात्र हैं, लेकिन सरकार द्वारा मा० उच्च न्यायालय के समक्ष अपील योजित की गयी जिसको मा० उच्च न्यायालय अपने आदेष दिनांक २२.०४.२०१३ के द्वारा खारिज कर चुका है उक्त के उपरान्त सरकार द्वारा मा० सुप्रिम कोर्ट में ैS.L.P सख्या ७६३४ दृ ७६३५ध् २०१४ दाखिल की गयी, जिसको मा० सुप्रिम कोर्ट अपने आदेष दिनांक ०३.११.२०१४ के द्वारा खारिज कर चुका है।

नेगी ने कहा कि मा० सुप्रिम कोर्ट में ैS.L.P. खारिज होने के पश्चात् सरकार द्वारा पुनः मा० उच्च न्यायालय में विषेश अपील योजित की गयी, जिसको मा० उच्च न्यायालय अपने आदेष दिनांक १७.१०.२०१६ के द्वारा खारिज कर चुका है। उक्त के उपरान्त सरकार द्वारा पुनः माननीय सुप्रीम कोर्ट में ैS.L.P. 6736/2017  दाखिल की गयी जिसको माननीय सुप्रीम कोर्ट अपने आदेष दिनांक ०७.०४.२०१७ के द्वारा खारिज कर चुका है,

जिसमें माननीय सुप्रीम कार्ट ने स्पश्ट निर्देष जारी किये है कि ॅWe find no reason to entertain this  S.L.P, which is, accordingly dismissed. Pending application(s) if any, shall stand dismissed

इसी क्रम में मा० उच्च न्यायालय में लम्बित सैकडों याचिकाओं को संयुक्त रूप से मा० उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक ०५.०६.२०१७ के द्वारा स्वीकार किया गया तथा निर्देष दिये गये कि 

^^Accordingly, all the writ petitions are allowed, orders, under challenge theirein, are quashed and set aside. Regulatoin 370(ii) of the Civil Service Regulations is struck down being ultra vires to Articles 14 and 16 of the Constitution of India. The respondents are directed to count the entire service of the petitioners /workmen rendered in work-charge capacity followed by their regularazation for the purpose of pensionary and other retiral benefits including gratuity and thereafter to release their pension and other retiral benefits including gratuity within a period of three months from today. Pending applications, in all the petitions, also stand disposed of accordingly.**

मा० उच्च न्यायालय के निर्णय के उपरान्त सरकार ने फिर मा० उच्चतम न्यायालय में पुर्नविचार याचिका ३८६८८/२०१७ दाखिल की जिसको मा० उच्चतम न्यायालय अपने आदेष दिनांक १६.०१.२०१८ के द्वारा सिरे से खारिज कर चुका है। षासन द्वारा बार-बार मा० उच्चतम न्यायालय में ैण्स्ण्च्ण् को लेकर न्याय विभाग भी आपत्ति जता चुका है तथा अधिकारी इन कर्मचारियों की राह में रोडा अटकाने के लिए सरकार का लाखों रूपया खर्च कर चुके हैं। 

प्रतिनिधिमण्डल में ः- मोर्चा महासचिव आकाष पंवार, दिलबाग सिंह, ब्रह्मपाल सिंह, रवि भट्नागर, हयात अली खाँ, प्रभाकर जोषी आदि थे।

 

 

 

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