जहां हनुमान जी मनोकामना पूरी करते हैं.

सावन में सुन्दर पाठ करने का बडा महात्म विद्वानों द्वांरा बताया गया है- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल कार्यालय में 31 जुलाई17 10am  से सुन्दर काण्ड का आयोजन परम आदरणीय प्रकाण्ड ज्योतिष प0 परमानंद मैदुली जी द्वारा किया जायेगा- इस अवसर पर रामभक्त भी उपस्थि्त होगे

श्री राम की रक्षा के लिए हनुमान जी ने धरा पंचमुखी रूप

भक्तों का कल्याण करने के लिए ही पंचमुखीहनुमान का अवतार हुआ। पंचमुखीहनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना का फल मिलता है। हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुडाने वाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं। शत्रुओं का नाश करने वाले हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए।

ऊ रामदूताय नम:, ऊ रामदूताय नम: , ऊ रामदूताय नम: , ऊ रामदूताय नम: ऊ रामदूताय नम: ऊ रामदूताय नम:
राम रामेति रामेती, रमे रामे मनोरमे
सहस्र नाम ततुन्यं राम नाम वरानमे

Execlusive Report by Chandra Shekhar Joshi-Editor: (Himalaya Gaurav Uttrakhand) 
मत्कारिक हनुमान मंदिर – ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान मिला था इसलिए वो कलयुग में हम सबके बीच मौजूद हैं. हनुमान जी एकमात्र ऐसे देव हैं जो भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से खुश होकर उनकी हर मन्नत पूरी करते हैं और उन्हें हर मुसीबत से बचाते हैं.
आज हम आपको देश के चमत्कारिक हनुमान मंदिर की महिमा के बारे में बताएंगे, जहां हनुमान जी अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. इन 10 चमत्कारिक मंदिरों में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए देशभर से लोग आते हैं और अपने सभी कष्टों से मुक्ति पाकर अपनी मुरादों की झोली भरकर वापस जाते हैं.

माउंटआबू के बारे में चंद पुराणों में ऐसा वर्णन है कि उसकी रक्षा हनुमान जी करते हैं #माउंटआबू की पहरेदारी कर रहे है।  

राजस्‍थान के माउंट आबू के जंगलों में चमत्‍कारी महात्‍माओं के अलावा विलक्ष्‍ण साधक तपस्‍या में लीन है-*जिनके सामने कुदरत भी नतमस्‍तक होती है- उनके मुंह से निकला शब्‍द कुदरत भी मानने को विवश होती है-  हिमालयायूके सम्‍पादक को माउंट आबू का निमंत्रण प्रसिद्व साधक श्री व्‍यास जी द्वारा दिया गया है- ईश्‍वर ने चाहा, वहां यात्रा हुर्इ, उसका सजीव वर्णन सुनकर दांतो तले उंगली दबा लेगे आप  ; प्रस्‍तुत आलेख में- पढिये- हनुमान महिमा-  बोल- सिया वर रामचन्‍द्र जी की जय

हिंदू धर्म में हनुमान जी की महिमा अपरंपार है। हनुमान जी को कलियुग के देवता के रुप में जाना जाता है जिनकी अराधना का विशेष फल माना जाता है। माउंटआबू के बारे में चंद पुराणों में ऐसा वर्णन है कि उसकी रक्षा हनुमान जी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान माउंटआबू की चारों दिशाओं में स्थित है और उसकी रक्षा करते है। माउंटआबू में कई सड़क हादसे होते है। भीषण सड़क हादसों में भी लोग बाल-बाल बच निकलते है और इसके पीछे लोग यही तर्क देते कि ऐसा हनुमान जी की वजह से होता है क्योंकि वो सदियों से माउंटआबू की पहरेदारी कर रहे है। सदियों से यहां के लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि हनुमान यहां के कण-कण में विराजमान हैं। उनकी पूजा माउंटआबू के रक्षक देव के रुप में सदियों से की जाती है।
राजस्थान का माउंटआबू एक हिल स्टेशन होने के अलावा एक ऐसा शहर है जो जर्रे-जर्रे से अपनी आध्यात्मिकता का एहसास कराता है। यह एक हिल स्टेशन जरूर है लेकिन किसी धर्मनगरी से कम नहीं जहां भगवान शंकर, भगवान राम, भगवान विष्षु, भगवान कृष्ण और भगवान दत्तात्रेय से जुड़े कई प्राचीन मंदिर है। यहां भगवान हनुमान जी भी शहर की हर दिशाओं में विराजमान है और उनके प्रति यहां के लोगों की ऐसी आस्था है कि वह पूरे माउंटआबू की रक्षा करते है और शहर को किसी अनहोनी से बचाते है।
पौराणिक परंपराओं के मुताबिक भगवान हनुमान माउंटआबू के पहरेदार है। वो यहां सभी दिशाओं में स्थित है। हनुमान माउंटआबू के उत्तर में भी विराजते है, पूरब दिशा से भी शहर की रक्षा करते है, वो दक्षिणोमुखी होकर शहर की देखभाल करते है और पश्चिम दिशा में भी उनका वास है। इस प्रकार हनुमान माउंटआबू के हर दिशाओं में विराजमान या स्थित होकर सदियों से उसकी रक्षा कर रहे है। लोगों में ऐसा विश्वास है कि भगवान राम ने हनुमान को शहर की रक्षा करने के लिए कहा था और कहा था कि तुम शहर की पहरेदारी करो। माउंटआबू के लोगों की हिफाजत करों। तभी से ये मान्यता चली आ रही है कि भगवान राम के आदेश का पालन करते हुए हनुमान जी माउंटआबू की सभी दिशाओं में विराजमान है।
यहां दक्षिणुखी हनुमान मंदिर है । इस जगह के बारे में मान्यता है कि यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान हनुमान की पूजा की थी। मंगलवार के दिन यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। ये जगह माउंटआबू से कुछ किलोमीटर दूर कन्याकुमारी में स्थत है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है यहां भगवान से आप जो कुछ भी मांगे भगवान आपकी मुराद पूरी करते है। श्रद्धालुओं के मन में विश्वास है कि हनुमान जी आपके मन की हर मुराद पूरी करते है।
यहां दक्षिणमुख हनुमान मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है। हनुमान जी का मुख यहां दक्षिण की ओर इसलिए इसे दक्षिणमुख हनुमान मंदिर कहा जाता है। हनुमान जी के दक्षिणमुख मंदिर को काफी शुभ और प्रभावकारी माना जाता है। पुराणों में ये कहा गया है कि ऐसे मंदिरों में हनुमान जी का अराधना सर्वविघ्नहर्ता और सर्वफलदायक होती है। इस मंदिर के पास ही गणेश मंदिर भी है गायत्री मंदिर भी है। रघुनाथ मंदिर के ठीक नीचे भगवान हनुमान जी की पूजा होती है और वही उनकी मूर्ति भी है। रघुनाथ मंदिर में तो भगवान राम अकेले रहे थे और यही भगवान राम ने हनुमान जी को शक्ति देकर माउंटआबू की पहरेदारी करने को कहा था।
माउंटआबू में ज्ञानगुफा हनुमान मंदिर में सदियों से हनुमान जी की पूजा होती है और इस जगह के बारे में ये मान्यता है कि भगवान अपने श्रद्धालुओं को यहां दर्शन भी देते है। मंदिर को यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बनवाया गया था। मंदिर में हनुमान जी की भव्य मूर्ति है और ऐसा माना जाता है कि ज्ञानगुफा में भगवान भक्तों के हर दुख को हर लेते है और यहां से रहकर वो चारों दिशाओं की पहरेदारी करते है। भगवान अपने भक्तों को यहां ज्ञान के साथ उसकी मांगी हुई हर मुराद पूरी कर देते है।
शहर में ही आर्ना हनुमान मंदिर भगवान के भक्तों के बीच श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र है। आर्ना मंदिर त्रेतायुग से ही माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की आधारशिला भगवान राम ने रखी थी। हनुमान यहां भी माउंटआबू के रक्षक के रुप में यानि पहरेदार के रुप मे जाने जाते है।
गोमुख हनुमान मंदिर से सटा भगवान राम की पाठशाला भी है। भगवान राम ने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में ही अपने भाई लक्ष्मण के साथ रहकर शिक्षा प्राप्त की थी। यहां भगवान राम और लक्ष्मण की मूर्ति हनुमान जी अपने कंधे पर लिया हुआ है। भगवान राम की इस पाठशाला के बारे में भी ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का यहां चौबीसों घंटे पहरा रहता है और ऐसी कोई भी चीज़ नहीं हो सकती जो हनुमान जी नहीं चाहते हो। यहां स्थापित भगवान राम के साथ हनुमान जी की मूर्ति बड़ी मनोहारी है जिसे देखने पर भक्ति भाव उमड़ते है।

हैरानी तब होती है जब मंदिर की मूर्तियों से निकलती हुई यह श्रद्धा और आस्था लोगों के हृदय तक पहुंचती है। लोगों में अपने उपासक के प्रति आस्था पल-पल तब दृढ होती चली जाती है जब वो देखते है कि उत्तर-पूर्व हो या फिर पश्चिम और दक्षिण हर दिशा में वो अपने उपासक को देखते हैं। ये आस्था तब और प्रगाढ़ होती है जब एक साधक को इन बातों का वर्णन हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

इसके अलावा देश के अन्‍य चमत्‍कारिक हनुमान मंदिर,
मनोकामना हनुमान मंदिर, दरभंगा
बिहार के दरभंगा जिले में स्थित इस प्राचीन और सिद्ध हनुमान मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से हनुमान जी से जो भी मांगो वो मिलता है. इसलिए इस मंदिर का नाम मनोकामना मंदिर पड़ गया.
इस मंदिर में आनेवाले सभी भक्त अपनी मनोकामना लिखकर मंदिर की परिक्रमा करते हैं और मन ही मन प्रार्थना करते हैं कि उनकी मुराद पूरी हो जाए.
लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर, प्रयाग
लेटे हुए हनुमान जी का ये मंदिर प्रयाग की पावन भूमि पर संगम के किनारे स्थित है. इस मंदिर में हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा स्थित है जो पूरे भारत में कहीं और नहीं है.
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति पर केसरिया सिंदूर का लेप करने से वो भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं.
सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के चुरु जिले में स्थित सालासर बालाजी हनुमान मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर में विराजनेवाले हनुमान जी की प्रतिमा दाढी और मूंछों से सुशोभित है.
इस मंदिर में एक पेड़ है जिसपर भक्त नारियल और ध्वजा अर्पित करते हैं और लाल धागा बांधकर अपने मन की मुराद को पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं.
अखंड ज्योति बजरंगबली मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित अखंड ज्योति बजरंगबली मंदिर हनुमान जी के प्राचीन और चमत्कारिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में जलनेवाली ज्योति कभी नहीं बुझती है.
कहते हैं कि जो भी भक्त आटे से बना दीप जलाकर हनुमान जी के पास रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
पंचमुखी हनुमान मंदिर, कानपुर उत्तर प्रदेश के कानपुर में पंचमुखी हनुमान जी का प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर स्थित है. यहां हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाने की परंपरा है.
इस मंदिर में स्थित हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
उल्टे हनुमान जी का मंदिर, इंदौर इंदौर स्थित उल्टे हनुमान जी का मंदिर अपने आप में अनोखा और दिव्य है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां हनुमान जी का सिर नीचे और पैर ऊपर है.
ऐसी मान्यता है कि अहिरावण से भगवान राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी ने यहीं से पाताल में प्रवेश किया. इसलिए उनका सिर जमीन की तरफ है. इस मंदिर में तीन या पांच मंगलवार हनुमान जी के दर्शन करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती है.
स्त्री रुपी हनुमान जी का मंदिर, झांसी स्त्री रुपी हनुमान जी का ये अनोखा मंदिर झांसी के ग्वालियर रोड़ पर स्थित है. ये इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी स्त्री रुप में विराजमान हैं. लहंगा-चोली पहनकर, फूल-मालाओं से लदे बजरंगबली का यह स्वरुप वाकई मनमोहक है.
यहां आनेवाले भक्तों में जो लोग कन्या संतान की इच्छा रखते हैं उन्हें हनुमान जी कभी निराश नहीं करते हैं और अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं.
हनुमान धारा मंदिर, चित्रकूट
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हनुमान जी का ये प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर माना जाता है. यहां पहाड़ के सहारे हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर के पास दो जल कुंड स्थित हैं जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से लगातार पानी बहता रहता है.
इस धारा का जल हनुमान जी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं. इस मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों के सारे क्लेश मिट जाते हैं.
कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर
गुजरात के अहमदाबाद-भावनगर रेल्वे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है. यहां स्थित कष्टभंजन हनुमान मंदिर में मारुति की एक प्रसिद्ध प्रतिमा विराजमान है.
मान्यता है कि कष्टभंजन हनुमान मंदिर में आनेवाले भक्तों के जीवन के सारे कष्ट भगवान हर लेते हैं और उनकी झोली मन्नतों से भर देते हैं.
गिरजाबंध हनुमान मंदिर, बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित गिरजाबंध हनुमान मंदिर पूरे भारत में सबसे अलग और चमत्कारिक मंदिर है.
इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमान जी का मंदिर है. इस मंदिर में विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा नारी स्वरुप में है, जिसके दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

हनुमान जी का एक रूप है पंचमुखी हनुमान; भक्तों का कल्याण करने के लिए ही पंचमुखीहनुमान का अवतार हुआ।

:::::::::श्री राम के प्रत्येक कष्टï को दूर करने में उनकी प्रमुख भूमिका है। इन्हीं हनुमान जी का एक रूप है पंचमुखी हनुमान। यह रूप उन्होंने कब क्यों और किस उद्देश्य से धारण किया इसके संदर्भ में पुराणों में एक अद्भुत कथा वर्णित है।

श्रीराम-रावण युद्ध के मध्य एक समय ऐसा आया जब रावण को अपनी सहायता के लिए अपने भाई अहिरावण का स्मरण करना पड़ा। वह तंत्र-मंत्र का प्रकांड पंडित एवं मां भवानी का अनन्य भक्त था। अपने भाई रावण के संकट को दूर करने का उसने एक सहज उपाय निकाल लिया। यदि श्रीराम एवं लक्ष्मण का ही अपहरण कर लिया जाए तो युद्ध तो स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। उसने ऐसी माया रची कि सारी सेना प्रगाढ़ निद्रा में निमग्न हो गयी और वह श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण करके उन्हें निद्रावस्था में ही पाताल-लोक ले गया।

जागने पर जब इस संकट का भान हुआ और विभीषण ने यह रहस्य खोला कि ऐसा दु:साहस केवल अहिरावण ही कर सकता है तो सदा की भांति सबकी आंखें संकट मोचन हनुमानजी पर ही जा टिकीं। हनुमान जी तत्काल पाताल लोक पहुंचे। द्वार पर रक्षक के रूप में मकरध्वज से युद्ध कर और उसे हराकर जब वह पातालपुरी के महल में पहुंचे तो श्रीराम एवं लक्ष्मण जी को बंधक-अवस्था में पाया। वहां भिन्न-भिन्न दिशाओं में  पांच दीपक जल रहे थे और मां भवानी के सम्मुख श्रीराम एवं लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी थी। अहिरावण का अंत करना है तो इन पांच दीपकों को एक साथ एक ही समय में बुझाना होगा। यह रहस्य ज्ञात होते ही हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिम्ह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन पांच मुखों को धारण कर उन्होंने एक साथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया और श्रीराम-लक्ष्मण को मुक्त किया। सागर पार करते समय एक मछली ने उनके स्वेद की एक बूंद ग्रहण कर लेने से गर्भ धारण कर मकरध्वज को जन्म दिया था अत: मकरध्वज हनुमान जी का पुत्र है, ऐसा जानकर श्रीराम ने मकरध्वज को पातालपुरी का राज्य सौंपने का हनुमान जी को आदेश दिया। हनुमान जी ने उनकी आज्ञा का पालन किया और वापस उन दोनों को लेकर सागर तट पर युद्धस्थल पर लौट आये।

हनुमान जी के इस अद्भुत स्वरूप के विग्रह देश में कई स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। इनमें रामेश्वर में स्थापित पंचमुखी हनुमान मंदिर में इनके भव्य विग्रह के संबंध में एक भिन्न कथा है। पुराण में ही वर्णित इस कथा के अनुसार एकार एक असुर, जिसका नाम मायिल-रावण था, भगवान विष्णु का चक्र ही चुरा ले गया। जब आंजनेय हनुमान जी को यह ज्ञात हुआ तो उनके हृदय में सुदर्शन चक्र को वापस लाकर विष्णु जी को सौंपने की इच्छा जाग्रत हुई। मायिल अपना रूप बदलने में माहिर था। हनुमान जी के संकल्प को जानकर भगवान विष्णु ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया, साथ ही इच्छानुसार वायुगमन की शक्ति के साथ गरुड़-मुख, भय उत्पन्न करने वाला नरसिम्ह-मुख तथा हयग्रीव एवं वराह मुख प्रदान किया। पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं यम-धर्मराज ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया। यह आशीर्वाद एवं इन सबकी शक्तियों के साथ हनुमान जी मायिल पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। तभी से उनके इस पंचमुखी स्वरूप को भी मान्यता प्राप्त हुई। ऐसा विश्वास किया जाता है कि उनके इस पंचमुखी विग्रह की आराधना से कोई भी व्यक्ति नरसिम्ह मुख की सहायता से शत्रु पर विजय, गुरुड़  मुख की सहायता से सभी दोषों पर विजय वराहमुख की सहायता से समस्त प्रकार की समृद्धि एवं संपत्ति तथा हयग्रीव मुख की सहायता से ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। हनुमान स्वयं साहस एवं आत्मविश्वास पैदा करते हैं।

पंचमुखीहनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता है। शंकर के अवतार हनुमान ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढती है। आनंद रामायण के अनुसार, विराट स्वरूप वाले हनुमान पांच मुख, पंद्रह नेत्र और दस भुजाओं से सुशोभित हैं। हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित हैं।

पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर का मुख वानर का है। जिसकी प्रभा करोडों सूर्यो के समान है। पूर्व मुख वाले हनुमान का स्मरण करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड का है। ये विघ्न निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं। हनुमानजी का उत्तर की ओर मुख शूकर का है। इनकी आराधना करने से सकल सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।

भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हनुमान भगवान नृसिंह के रूप में स्तंभ से प्रकट हुए और हिरण्यकश्यपुका वध किया। यही उनका दक्षिणमुखहै। उनका यह रूप भक्तों के भय को दूर करता है।

श्री हनुमान का ऊ‌र्ध्वमुख घोडे के समान है। ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर उनका यह रूप प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए। कष्ट में पडे भक्तों को वे शरण देते हैं। ऐसे पांच मुंह वाले रुद्र कहलाने वाले हनुमान बडे दयालु हैं।

हनुमतमहाकाव्य में पंचमुखीहनुमान के बारे में एक कथा है। एक बार पांच मुंह वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान पाया कि मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके। ऐसा वरदान प्राप्त करके वह भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की। तब प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड, अश्व और शूकर का पंचमुख स्वरूप धारण किया।

मान्यता है कि पंचमुखीहनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना का फल मिलता है। हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुडाने वाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं। शत्रुओं का नाश करने वाले हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए।

www.himalayau.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND)  By CHANDRA SHEKHAR JOSHUI- EDITOR mail; csjoshi_editor@yahoo.in Mob. 9412932030

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