मोदी की पिच पर राहुल की बैटिंग? क़ष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर राहुल भोलेनाथ के दरबार में

HIGH LIGHT #मोदी की पिच पर राहुल की बैटिंग? क़ष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर राहुल भोलेनाथ के दरबार में – बहुुत ही सुखद संयोग# बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के बहाने काठमांडू पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी#  राहुल इस यात्रा के बाद पूरी तरह से 2019 के चुनाव माहौल में उतरेंगे. देश के अलग-अलग राज्यों का दौरा करके हिंदू वाली छवि और अपने आपको शिवभक्त के रूप में लोकसभा चुनाव में पेश करने की कोशिश करेंगे, क्योंकि उनका मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. मोदी को हिंदुत्व की सियासत में महारत हासिल है. मोदी पशुपतिनाथ के दर्शन से लेकर केदारनाथ तक अपने आपको हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे को तौर पर पेश करते रहे हैं #बीजेपी के लिए राहुल को हिंदुत्व के सवाल पर घेरना मुश्किल होगा. राहुल की कैलाश मानसरोवर यात्रा का जवाब ढूंढना मुश्किल होगा, क्योंकि हिंदू धर्म में इससे बड़ी कोई धार्मिक यात्रा नहीं है. राहुल इस यात्रा के जरिए उन्हें भी जवाब देना चाहते हैं जो आए दिन उनके धर्म को लेकर सवाल खड़े करते हैं.  # राहुल को भगवान भोले का भक्त बताकर कांग्रेस ने किया पलटवार #.कहा- पाप और श्राप की भागीदार बनेगी अड़ंगा डालने वाली बीजेपी # कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तिब्बत में कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा पर नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंच गए हैं. नेपाली मीडिया के मुताबिक कांग्रेस प्रमुख दोपहर करीब दो बजे काठमांडू हवाई अड्डे पर उतरे और एक होटल में चले गए# राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नेपाल के जरिए मानसरोवर जाएंगे. राहुल गांधी उस दिन यहां पहुंचे हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथे बिम्सटेक सम्मेलन में भाग लेने के बाद स्वदेश लौट गए हैं.:इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है. #2019 का लोकसभा चुनाव हिंदुत्व की बिसात पर लड़ा जाएगा. बीजेपी राम मंदिर सहित तमाम मुद्दों के साथ हिंदुत्व की राजनीति को धार दे रही है. मौजूदा सियासी मिजाज को समझते हुए विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व की राह अपना रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भगवान विष्णु का मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस राहुल गांधी लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलाश मानसरोवर पर जा रहे हैं. #गांधी की यह धार्मिक यात्रा 12 दिनों की होगी. वो 12 सितंबर को वापसी करेंगे. 

सियासत की पिच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाइमिंग की अहमियत समझने वाले खिलाड़ी हैं. बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के बहाने काठमांडू पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने बहुपक्षीय कूटनीति साधने के साथ ही जहां नेपाल के साथ संबंधों की सिलवटें दूर करने पर ज़ोर दिया तो वहीं घरेलू मोर्चे पर शिवभक्ति की राजनीति में भी खुद को भारी दिखाने का मौका नहीं गंवाया. बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की तो साथ ही भारत की मदद से बनी धर्मशाला का उद्घाटन करते हुए अपनी शिव आस्था का इतिहास भी गिनाया. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही खुद को सोमनाथ की धरती से निकला और विश्वनाथ की नगरी से पशुपतिनाथ की धरती पर आया बेटा बताते हुए की. भाषण में अनेक बार उन्होंने पशुपतिनाथ से भारत के अटूट सम्बन्ध और आस्था का हवाला दिया. इतना ही नहीं पीएम ने अपने संबोधन का समापन भी दोनों देशों के सम्बन्धों पर पशुपतिनाथ की कृपा की प्रार्थना के साथ किया. पीएम मोदी थोड़ी देर बाद काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले हैं. इससे पहले पीएम मोदी ने पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन किया है. पीएम मोदी पिछ्ले बार पशुपतिनाथ मंदिर 12 मई को आए थे जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा था.

बीते तीन महीनों में दूसरी बार पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा करने पहुंचे पीएम मोदी ने एक बार फिर भगवान शिव के दर्शन की शुरुआत दक्षिण मुख प्रवेशद्वार से की जो शत्रुसंहार का दर्शन माना जाता है. ऐसे में जबकि कांग्रेस पार्टी अपने अध्यक्ष की कैलाश मानसरोवर को निजी आस्था का विषय बताते नहीं थक रही, पीएम मोदी ने अपनी पशुपतिनाथ यात्रा के बहाने कूटनीतिक संबंध साधने की भी कोशिश की. मोदी ने पशुपतिनाथ धर्मशाला का लोकार्पण करते हुए इसे नेपाल के विकास में भारत का सहयोग करार दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार 1 SEPTEMBER 2018 को मानसरोवर यात्रा पर निकल रहे हैं. कैलाश मानसरोवर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में एक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ यहीं निवास करते हैं और उनके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से कठिन रास्ता तय करते हुए यहां चले आते हैं. कैलाश मानसरोवर तिब्बत की पर्वत श्रेणी कैलाश पर है. कैलाश के पश्चिमी हिस्से में मानसरोवर है और दक्षिणी हिस्से में रक्षातल झील. यहां तक पहुंचने का रास्ता हिमालय की चोटियों के बीच से होकर निकलता है. वहां पहुंचने का एक रास्ता उत्तराखंड से होकर जाता है और दूसरा नेपाल की राजधानी काठमांडू से. उत्तराखंड से जाने वाला रास्ता थोड़ा ज्यादा कठिन है, क्योंकि यह रास्ता पैदल का है और बहुत ज्यादा चलना पड़ता है. काठमांडू से रास्ता थोड़ा आसान है. शिव भक्तों के लिए जून से सितंबर तक यह रास्ता खुला रहता है.

पशुपतिनाथ मंदिर में पीएम मोदी ने दर्शन करने के बाद पीएम मोदी ने कहा है कि नेपाल ही नहीं भारत में करोड़ों लोगों की इच्छा होती है कि एक बार पशुपतिनाथ के दर्शन करें. भारत-नेपाल का पुराना संबंध रहा है.आज नेपाल भारत मैत्री पशुपतिनाथ धर्मशाला को विश्वभर के यात्रिओं और शिवभक्तों के लिए समर्पित करते हुए मेरी प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं है बाबा पशुपतिनाथ के आशीर्वाद से दोनों देशों का रिश्ता मजबूत हो रहा है. मैं नेपाल के प्रधानमंत्री और जनता को विश्वास दिलाता हूं कि आपके जीवन को मंगलमय बनाने के लिये हमेशा साथ हूं. बाबा पशुपतिनाथ की कृपा भारत-नेपाल पर बनी रही. यही मेरी कामना है.

कर्नाटक चुनावों के लिए प्रचार के दौरान जब राहुल गांधी हवाई यात्रा कर रहे थे तो उस समय उनका विमान आकाश में अचानक सैकड़ों फुट नीचे की तरफ उतर आया था जिसके बाद अप्रैल में उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा करने की इच्छा जताई थी.गौरतलब है कि 26 अप्रैल को दिल्ली से कर्नाटक के हुबली हवाईअड्डे की ओर जा रहे विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी और वह बायीं ओर झुक गया था. इस विमान में राहुल गांधी तथा कुछ अन्य लोग सवार थे. विमान अचानक तेजी से नीचे की तरफ जाने लगा था. हालांकि बाद में वह संभल गया और उसकी सुरक्षित लैंडिंग कराई गई.तीन दिन बाद 29 अप्रैल को राहुल गांधी ने एक रैली के दौरान घोषणा की, कि वह मानसरोवर तीर्थयात्रा करना चाहते हैं. कैलाश पर्वत की यह दुर्गम तीर्थयात्रा हर साल जून और सितंबर के बीच आयोजित की जाती है. इसे हिंदू पुराण में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और यह तिब्बत के हिमालय में स्थित है.

इतना ही नहीं नेपाल का साथ बीते कुछ वक्त में उभरी दरारों को पीएम मोदी ने पाटने का प्रयास भी किया. इस मौके पर पीएम मोदी और नेपाली प्रधानमंत्री ने बेहतर तालमेल दिखाने की कोशिश भी की. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने यह कहते हुए नेपाली में अपना भाषण दिया कि उनकी भाषा गुजराती के काफी करीब है जो पीएम मोदी की मातृभाषा है. इतना ही नहीं ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के काव्यसंकलन के नेपाली अनुवाद और उसे प्रसारित करने का भी ऐलान किया. जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने ओली का धन्यवाद जताते हुए पुरजोर तरीके से कहा कि नेपाल के विकास में एक सच्चे दोस्त की तरह भारत हर मोर्चे पर साथ खड़ा होगा.

दोनों प्रधानमंत्री भारत और नेपाल के बीच रक्सौल-काठमांडू रेल मार्ग के लिए प्रारंभिक सर्वे पर सामझौते के भी गवाह बने. इस बाबत 7 अप्रैल 2018 को दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी. बीए कुछ वक्त में नए संविधान और मधेसी आंदोलन के चलते नेपाल-भारत संबंधों में आई खटास डोर करने के लिए दोनों तरफ से उच्च स्तरीय प्रयास हुए. इसी कड़ी में गत चार महीनों में दोनों प्रधानमंत्री तीन बार एक दूसरे के मुल्क का टूर कर सीधी मुलकातें कर चुके हैं. वहीं विकास परियोजनाओं को भी नई रफ्तार देने की कोशिश हुई है.

जिस पर्वत ‘कैलाश मानसरोवर’ चीन में स्थित है. दरअसल, यह पर्वत तिब्बत में है और तिब्बत चीन के अधीन है. कैलाश मानसरोवर सिर्फ हिन्दुओं का तीर्थ नही है यह चार धर्मों तिब्बती बौद्ध और सभी देश के बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केन्द्र है. जिस तरह भारतीय मानते हैं कि कैलाश मानसरोवर में भगवान शंकर का निवास है उसी तरह तिब्बत के लोग मानते हैं कि यहां बौद्ध भगवान बुद्ध तथा मणिपद्मा का निवास करते हैं. वहीं जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल ‘अष्टपद’ है. कहते हैं ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश की यात्रा की थी.  हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है. यह पर्वत ही इस ब्राह्मंड की धूरी है. यही भोलेनाथ निवास करते हैं. यहां देवी सती का दाहिना हाथ गिरा था. यहां शक्तिपीठ है. वहीं सिख धर्म के अनुयायी मानते हैं कि गुरु नानक देव ने यहां रुककर ध्यान किया था. इसलिए सिखों के लिए भी यह पवित्र स्थान है. इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है.कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है. एक मान्यता यह भी कहती है कि यह कुबेर नगरी है. यहीं से विष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं. कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है ब्रह्मपुत्र, सिंधू, सतलज व करनाली. इन नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली है.

 

@RahulGandhi जी भगवान शिव के महाधाम पर जा रहे हैं, उनको ढेर सारी शुभकामनाएं। इंदिरा गांधी जी के प्रयासों से जब कैलाश मानसरोवर यात्रा पुनः प्रारंभ हुई थी, तो मुझको भी पहले दल के यात्री के रूप में वहां जाने का सौभाग्य मिला था.; हरीश्‍ा रावत

राहुल गांधी आज कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकल रहे हैं. इस यात्रा पर जाने का जिक्र उन्होंने इसी साल अप्रैल में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की ‘जन-आक्रोश रैली’ में किया था. राहुल ने कहा था, ‘मैं दो-तीन दिन पहले कर्नाटक जा रहा था, मैं प्लेन में सवार था. प्लेन अचानक 8 हजार फीट नीचे आ गया. मैं अंदर से हिल गया और लगा कि अब गाड़ी गई. तभी मुझे कैलाश मानसरोवर याद आया. अब मैं आपसे 10 से 15 दिन के लिए छुट्टी चाहता हूं ताकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकूं.  राहुल ने कहा कि वो यह यात्रा भगवान शिव को धन्यवाद देने के लिए करेंगे. हालांकि विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने यात्रा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. चूंकि यह यात्रा चीन से होकर गुजरती है इसलिए यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होता है.

राहुल गांधी लगातार जनता में ये संदेश देना चाहते हैं कि वो समर्पित हिंदू हैं. पूरे गुजरात और कर्नाटक चुनाव के दौरान वो मंदिरों में जाते हुए पाए गए. उन्हें रुद्राक्ष पहने हुए भी देखा गया. पार्टी ने ये भी कहा कि वो और उनका पूरा परिवार जनेऊधारी है.

राहुल गांधी अपने आप को सार्वजनिक तौर पर कई बार ‘शिवभक्त’ बता चुके हैं. उनकी कैलाश मानसरोवर की यात्रा भले ही धार्मिक हो, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की वजह उसकी ‘हिंदू विरोधी छवि’ मानी गई थी. आजतक के कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने भी कहा था कि 2014 में हमारी हार की वजह थी कि लोगों को बहकाया गया कि कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है.

बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड की काट में राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति अपना रहे हैं. इसका नमूना गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला था. राहुल ने गुजरात के 28 मंदिरों के दर्शन किए थे. कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के बीच तस्वीर जारी कर कहा था कि राहुल गांधी जनेऊधारी ब्राह्मण हैं. इसके बाद कर्नाटक चुनाव के दौरान भी राहुल के मंदिर जाने का सिलसिला जारी रहा. इतना ही नहीं जब राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी का दौरा किया तो भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला.

2019 का लोकसभा चुनाव हिंदुत्व की बिसात पर लड़ा जाएगा. बीजेपी राम मंदिर सहित तमाम मुद्दों के साथ हिंदुत्व की राजनीति को धार दे रही है. मौजूदा सियासी मिजाज को समझते हुए विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व की राह अपना रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भगवान विष्णु का मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस राहुल गांधी लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलाश मानसरोवर पर जा रहे हैं. 

राहुल के कैलास मानसरोवर यात्रा चीन के रास्ते करने पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने कहा आखिर उन्हें चीन से इतना प्यार क्यों है। यहीं नहीं बीजेपी ने राहुल को ‘चाइनीज’ गांधी तक बता डाला। बीजेपी ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर राहुल हर बात में भारत की तुलना चीन से क्यों करते हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस पूरे मामले को नॉन इशू बताते हुए कहा है कि संबित पात्रा कौन होते हैं ये सब कहने वाले। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने ट्वीट कर इसे बीजेपी की घटिया सोच बताया। उन्होंने बीजेपी पर राहुल की यात्रा पर राजनीति का भी आरोप लगा डाला।  पात्रा ने कहा कि राहुल नेपाल के रास्ते कैलास यात्रा के लिए चीन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि राहुल चीन में किन-किन नेताओं से मिलेंगे। राहुल बताएं कि वह चीनी प्रवक्ता की तरह क्यों बर्ताव कर रहे हैं, भारत के नागरिक के तौर पर क्यों नहीं चर्चा करते हैं। राहुल जी आप चीन में किनसे-किसने मिलेंगे, क्या-क्या चर्चा करने वाले हैं। उम्मीद है कांग्रेस इसपर जवाब देगी।’

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