राजस्थान की राजनीति में राजेंद्र गुढ़ा की ‘लाल डायरी’: जिसके सहारे बीजेपी शिकस्त दे पायेगी गहलोत को?

राजस्थान के बर्खास्त कांग्रेसी मंत्री की तथा कथित लाल डायरी को लेकर बीजेपी गहलोत सरकार पर हमलावर :- बीजेपी के पास अन्य मुद्दे नही

By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में अभी समय है लेकिन उससे पहले ही प्रदेश की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है। कांग्रेस के ही पूर्व मत्री और पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा के आरोपों से सरकार की जबरदस्त किरकिरी हो रही है। गुढ़ा के आरोपों के सहारे भारतीय जनता पार्टी भी गहलोत सरकार पर हमलावर है। इस पूरे बवाल में लाल डायरी का नाम बार-बार लिया जा रहा है। बकौल राजेंद्र गुढ़ा इस लाल डायरी में कई राज लिखे हुए हैं।

राजस्थान की राजनीति में ‘लाल डायरी’ का राज़ तूल पकड़ता जा रहा है, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) इसे मुद्दा बनाने में जुटी हुई है. अब एक बहुत बड़े-से आकार की, यानी लाइफ़साइज़ ‘लाल डायरी’ तैयार की गई है, जिसका नाम ‘भ्रष्टाचार कृत लाल किताब’ रखा गया है. इस किताब को लेकर BJP अब सड़कों पर उतरेगी, और प्रदर्शन करेगी. सूबे की कांग्रेस सरकार की विफलताओं को उजागर करने के उद्देश्य से 1 अगस्त को ‘नहीं सहेगा राजस्थान’ नाम से बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है, जहां यह लाल डायरी भी होगी.

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार से बर्ख़ास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के आरोपों ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है.

राजेंद्र गुढ़ा राजस्थान विधानसभा में लाल डायरी लेकर पहुँचे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे. राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि ‘लाल डायरी’ में कांग्रेस सरकार द्वारा अपने बचाव के लिए उठाए गए हर उस कदम का लेखाजोखा है, जिन्हें गुढ़ा ने ‘काले कारनामे’ करार दिया है..

राजेंद्र गुढ़ा की मानें तो इस लाल डायरी में कई ऐसे राज लिखे हुए हैं जिससे गहलोत सरकार आफत में आ सकती है। इसके अंदर कई ऐसे कारनामे दर्ज हैं जो गहलोत सरकार के लिए फंदा साबित हो सकते हैं।

उनका कहना है, राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को जिताने और सचिन पायलट के विद्रोह के समय सरकार को बचाने के लिए किसे क्या भुगतान किया गया.

उन्होंने कहा कि विधानसभा के अंदर मुझसे लाल डायरी का आधा हिस्सा छीन लिया गया, लेकिन इसका आधा हिस्सा अभी भी मेरे पास है। उन्होंने कहा कि इस हिस्से में गहलोत सरकार के सारे काले कारनामे हैं, जो आपने विधायकों को क्या दिया, राज्यसभा चुनाव में आपने उन विधायकों को क्या दिया, किस-किस को प्रलोभन दिया, क्रिकेट के चुनाव में आपने किस-किसको पैसे दिए, उसका खुलासा मैं आगे भी करूंगा।

उन्होंने कहा था, “धर्मेंद्र राठौड़ के घर पर ईडी और इनकम टैक्स ने छापा मारा था। मैंने सीएम गहलोत के आदेश पर जहां रेड चल रही थी, वहां से लाल डायरी निकाल ली थी। अगर मैं लाल डायरी नहीं निकालता तो सीएम गहलोत जेल में होते।

राजेंद्र गुढ़ा राजनैतिक रूप से अवसरवादी ही रहे हैं, और जिस तरफ़ हवा का रुख होता है, वहीं वह पहुंच जाते हैं. हाल ही में वह सचिन पायलट के पक्ष में बोलने लगे थे, और उनके साथ दिखने भी लगे थे. सो, साफ़ कहा जा सकता है, गुढ़ा मौसम विज्ञानी हैं. दिलचस्प तथ्य यह है कि कुछ ही दिन पहले राजेंद्र गुढ़ा ने ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल- मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी से भी मुलाकात की, सो, हो सकता है. वह राजस्थान चुनाव के बाद बनने वाली नई विधानसभा में प्रवेश का नया रास्ता तलाश कर रहे हों.

सूबे में राजेंद्र गुढ़ा ने दो बार चुनाव लड़ा है, लेकिन हमेशा बहुजन समाज पार्टी (BSP) की टिकट से, लेकिन वह हर बार BSP छोड़ कांग्रेस में शामिल होते रहे हैं, और उन्हें मंत्रिपद भी मिल जाता है.

यह है कि उस लाल डायरी में क्या है? इसका सटीक उत्तर किसी के पास नहीं है.

गुढ़ा सार्वजनिक रूप से दावा कर रहे हैं कि डायरी में विधायकों की खरीद-फरोख्त और अन्य तरह के भ्रष्टाचार की खबरें हैं। हालांकि गुढ़ा अभी तक केवल दिखावा कर रहे हैं, उन्होंने एक भी सबूत सार्वजनिक नहीं किया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अब तक सरकार ने भी उनके दावे का जोरदार खंडन नहीं किया है। यहां तक ​​कि इस पूरे मामले की धुरी आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ भी चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि राठौड़ ने कल रात एक बयान जारी कर स्वीकार किया कि गुढ़ा कार्यवाही के दौरान मेरे घर आये थे, लेकिन तब से लेकर आज तक उन्होंने लाल की डायरी के बारे में मुझसे कोई चर्चा नहीं की है. राठौड़ ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि गुढ़ा उनके घर से कोई डायरी ले गया है या नहीं। गुढ़ा का यह भी दावा है कि डायरी उठाते समय साथी मंत्री रामलाल जाट भी उनके साथ थे। इस मामले पर रामलाल भी चुप हैं.

प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भी अभी तक गुढ़ा की लाल डायरी जब्त नहीं कर सका है, जो छापे के दौरान ली गई थी. क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर केंद्रीय एजेंसी की कार्यवाही के बीच भ्रष्टाचार के सबूत मिटाने और महत्वपूर्ण दस्तावेज चुराने का है. ईडी और आयकर विभाग भी गुढ़ा की डायरी बरामद कर भ्रष्टाचार के सबूत जुटाने की पहल करने में विफल रहे. दोनों भी चुप हैं.कुल मिलाकर, अभी तक किसी ने भी लाल की डायरी के अस्तित्व से इनकार नहीं किया है, न ही उसमें दर्ज कथित भ्रष्टाचार के विवरण का किसी ने खंडन किया है। सिर्फ राजनीति अपने उफान पर है.

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