आरएसएस के मुख्यपत्र पांचजन्य ने इस फिल्म की तीखी आलोचना

राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘संजू’ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है, लेकिन आरएसएस के मुख्यपत्र पांचजन्य ने इस फिल्म की तीखी आलोचना की है और कहा है कि इस फिल्म के आने से फिल्म उद्योग की साथ पर सवाल लग गया है. पांचजन्य ने लिखा है कि माफिया के मोहजाल में घिरा मुंबई फिल्म उद्योग ऐसे किरदारों को महिमामंडित कर रहा है जो देश के अपराधी हैं.

पांचजन्य ने लिखा है, ‘संजू या रईस के आदर्श सामने रखने वालों की मंशा क्या है!’ पत्रिका की कवर स्टोरी में राजकुमार हीरानी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है, ‘संजू फिल्म बनाने के पीछे निर्देशक राजकुमार हीरानी का मकसद क्या संजय दत्त की छवि को चार-चांद लगाना है? या फिर उन्हें संजय की जिंदगी ऐसी लगती है जिसमें युवाओं को लिए सीखने को बहुत कुछ है?’

पांचजन्य ने लिखा है, ‘संजू या रईस के आदर्श सामने रखने वालों की मंशा क्या है!’ पत्रिका की कवर स्टोरी में राजकुमार हीरानी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है, ‘संजू फिल्म बनाने के पीछे निर्देशक राजकुमार हीरानी का मकसद क्या संजय दत्त की छवि को चार-चांद लगाना है? या फिर उन्हें संजय की जिंदगी ऐसी लगती है जिसमें युवाओं को लिए सीखने को बहुत कुछ है?’

अंडरवर्ल्ड का महिमामंडन
बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड को महिमामंडित करने वाली फिल्मों के लेकर आलोचना हमेशा से होती रही है. पांचजन्य ने भी इस पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि बॉलीवुड माफियाओं और अंडरवर्ल्ड को महिमामंडित करने वाली फिल्में बना रहा है. ऐसी फिल्मों से परहेज करना चाहिए.

संजय दत्त के जीवन पर बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए उनके बारे में लिखा गया है, ‘1993 के बंबई बम धमाकों में मजहबी उन्मादियों से याराना रखने वाले, अपने घर में धाकत हथियार छुपाकर रखने वाले, बम धमाके की साजिश का पता होने के बावजूद उसे पुलिस से छुपाए रखने वाले, अपराधों के लिए कई बार जेल की हवा खाने वाले, रंगीनमिजाज होने के कारण तीन शादियां रचाने वाले, अपनी पहली पत्नी को कैंसर की हालत में बेसहारा छोड़ देने वाले’ संजय दत्त की इन्हीं खूबियों से प्रभावित होकर हीरानी ने उनकी कहानी पर्दे पर उतारी है. पांचजन्य ने सवाल किया है कि क्या संजय दत्त में ऐसी खूबियां हैं जिन्हें बड़े पर्दे पर आदर्श के रूप में परोसा जाए.

निशाने पर हीरानी
संजू फिल्म के निदेशक राजकुमार हीमानी इससे पहले हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर तब आए थे, जब उन पर पीके फिल्म में हिंदू देवताओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगा. पांचजन्य ने आपने आलेख में भी इस बात का ये जिक्र किया है. पत्र लिखता है, ‘राजकुमार हीरानी ने 2014 में अपनी फिल्म पीके में एक छुपे अंदाज में हिंदू धर्म, उसके प्रतीकों और मान-बिंदुओं को उपहास का विषय बनाया था.’

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