ममता बनर्जी को चुनौती देने के लिए “बंगाल गौरव” को सामने लाया गया

29 DEC. 20 (Himalayauk Newsportal) दिवंगत मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बाद पश्चिम बंगाल राज्य की सबसे लोकप्रिय नेता ममता बनर्जी ही हैं। उनकी बराबरी राज्य का कोई नेता नहीं कर सकता, सीपीआईएम में भी नहीं। कांग्रेस और बीजेपी की तो कोई बात ही नहीं है। क्या पश्चिम बंगाल के गौरव के प्रतीक माने जाने वाले क्रिकेटर सौरव गांगुली जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे? क्या बीजेपी ममता बनर्जी की लोकप्रियता की काट के रूप में उन्हें विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी? एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट

बंगाल में बीजेपी के पास चेहरा नही; यह सवाल उठ रहे थे
बंगाल में Mamata के खिलाफ BJP से कौन? बोलपुर में रोडशो से पहले ममता ने बीजेपी को घेरा था बंगाल में विधानसभा चुनाव भले ही अगले साल हैं

इसका जवाब दिया बीजेपी ने—पश्चिम बंगाल के गौरव के प्रतीक माने जाने वाले क्रिकेटर सौरव गांगुली

-पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष Sourav Ganguly (सौरव गांगुली) सोमवार को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक मंच नजर आए। इससे पहले रविवार शाम को उन्होंने कोलकाता में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से लंबी मुलाकात की थी। इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है क्या दादा BJP का दामन थामने जा रहे हैं?

अटकलें ही जारी हैं, भाजपा सौरव गांगुली को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव मैदान में उतारेगी और इस तरह ममता बनर्जी को चुनौती दी जाएगी। बीती रात सौरव गांगुली  ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। आज सौरव गांगुली  दिल्ली में थे और फिरोजशाह कोटला मैदान में होने वाले एक कार्यक्रम में अमित शाह के साथ मंच साझा किया। सौरव गांगुली के अलावा शिखर धवन, गौतम गंभीर भी यहां पहुंचे हैं। 

पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के हालिया बयान से ये सवाल उठे हैं। घोष ने कहा, “सौरव गांगुली जैसे कामयाब लोगों को राजनीति में आना चाहिए।” उन्होंने कहा, “हम तमाम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे आएं और बीजेपी में शामल हों। सौरव गांगुली जैसे सफल लोगों को राजनीति में आना चाहिए। बीजेपी हर किसी को स्वीकार करने और राज्य सरकार से संघर्ष करने को तैयार हैं।”

  तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत राय ने कहा था कि गांगुली राजनीति में नहीं चल पाएंगे क्योंकि उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं है।  उन्होंने कहा था, “सौरव गांगुली को ग़रीबों और देश की समस्याओं की जानकारी नहीं हैं, वे ग़रीबों की दिक्क़तें नहीं जानते क्योंकि उन्होंने ग़रीबी नहीं देखी है।” इसके साथ ही सौगत राय ने यह भी कहा कि बीजेपी को अब तक मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार नहीं मिला है, लिहाज़ा, वह इस तरह के अफ़वाह फैला रही है। 

‘देशेर गौरव, आमादेर सौरव’ (यानी ‘देश का गौरव हमारा सौरव’)

पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष प्रमुख दिलीप घोष का कोई बड़ा जनाधार नहीं है। मुख्यमंत्री पद की होड़ में शामिल होने के लिए मेघालय के पूर्व राज्यपाल और बीजेपी के पुराने नेता तथागत राय बड़े नेता समझे जाते हैं, पर उनका जनाधार भी बहुत बड़ा नहीं है। टीएमसी से गए मुकुल राय तो सारदा चिटफंड स्कैम में शामिल होने के आरोपों से इस तरह घिरे हैं कि वे कहीं नहीं हैं। ऐसे में पार्टी कोई यदि बांग्ला गौरव सौरव गांगुली की याद आती है तो अचरज नहीं। ‘देशेर गौरव, आमादेर सौरव’ (यानी ‘देश का गौरव हमारा सौरव’) का नारा उस समय दिया जाता था जब सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे। 

इसके एक दिन पहले ही बीसीसीआई के अध्यक्ष गांगुली ने राज्यपाल जगदीप धनकड़ से मुलाक़ात की थी। इस पर कई तरह के कयास लगाए गए थे। राज्यपाल से गांगुली की मुलाक़ात इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जगदीप धनकड़ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पर निजी हमले कर उन्हें लगातार परेशान करने के लिए शुरू से ही विवादों में हैं। कई बार ममता बनर्जी ने उन पर पलटवार किया है और राज्यपाल-सरकार के बीच की लड़ाई पर सवाल उठाए गए हैं। 

सौरव गांगुली ने राज्यपाल से मुलाक़ात पर उठी चर्चा के बाद बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि “यदि राज्यपाल आपको बुलाते है तो आपको जाना ही होता है।”

बीसीसीआई प्रमुख ने राज्यपाल को कोलकाता स्थिति ईडन गार्डन स्टेडियम आने का न्योता दिया। लेकिन क्या मामला इतना भर है, सवाल यह है। सौरव गांगुली के बीजेपी में शामिल होने की अफ़वाह नई नहीं है। पहले भी इस पर काफी चर्चा हुई है और वे इस पर चुप रहे हैं। 

बंगाल के शेर दादा सौरव गांगुली को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने की कवायद उनको बीसीसीआई का अध्यक्ष बनाने के साथ ही शुरू हो गई थी।

बीते कुछ समय से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ख़ास कर अमित शाह से उनकी नज़दीकी साफ दिख रही थी। उनके बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने पर भी सवाल उठा था कि यह इस नज़दीकी के कारण हुआ। क्रिकेट की पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद अमित शाह के बेटे जय शाह के बीसीसाई में चुने जाने से इस तरह की अटकलों को बल मिला।  जब सौरव गांगुली को बीसीसीआई का अध्यक्ष बना दिया गया था तभी आम जन की समझ में आ गया था कि बंगाल में चुनाव है अब बंगाल में सौरव गांगुली को भाजपा शामिल करेगी।

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