2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष से PM के लिए आफर दिया

29 DEC. 20; बडी खबर, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन करेगी, अगर यह नेता तैयार हो गये, कौन है वो, बडी खबर- हिमालयायूके न्‍यूजपोर्टल की एक्‍सक्‍लूसिव प्रस्‍तुति-

बिहार में नई सरकार का गठन हो चुका है, लेकिन अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में सत्ता चला रहे एनडीए गठबंधन में चीजें ठीक नहीं चल रही हैं। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को सीएम बना दें, तो पार्टी उनको 2024 में प्रधानमंत्री के लिए समर्थन देगी। साथ ही कहा कि नीतीश को विपक्ष का नेतृत्व करना चाहिए।

जदयू फिर से अपने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के पुराने एजेंडे पर लौटेगा- BIG NEWS नीतीश नई रणनीति पर काम कर रहे हैं

बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बंगाल चुनाव के बाद जेडीयू में भारी राजनीतिक उथल-पुथल होगी और कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर बीजेपी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। 

HIGH LIGHT; ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर आप जेडीयू में किसी से पूछेंगे तो वे आपको बताएंगे कि एलजेपी मुखिया चिराग पासवान बीजेपी के प्रतिनिधि थे और उनकी वजह से हम कई सीटों पर चुनाव हारे।’

HIGH LIGHT # नीतीश कुमार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार भी एक सिरदर्द बना हुआ है जो सरकार गठन के लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद नहीं हो पाया है। कहा जा रहा है कि बीजेपी गृह मंत्रालय की भी मांग कर रही है लेकिन नीतीश इसके लिए तैयार नहीं हैं। 

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार को महागठबंधन से बाहर आना चाहिए, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए और केंद्र की राजनीति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतीश को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का नेता बनना चाहिए और सभी दल उन्हें समर्थन दे देंगे। 

अरुणाचल में जेडीयू के छह विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद से बिहार का राजनीतिक माहौल गर्म है। कहा जा रहा है कि बीजेपी नीतीश कुमारको लंबे वक़्त तक मुख्यमंत्री नहीं बने रहने देगी। जेडीयू में भी खलबली जोरों पर है और पार्टी ने अरुणाचल की घटना को गठबंधन धर्म के ख़िलाफ़ बताया है। कुल मिलाकर बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। 

अनिश्चितता के इस माहौल के बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार को महागठबंधन से बाहर आना चाहिए, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए और केंद्र की राजनीति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतीश को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का नेता बनना चाहिए और सभी दल उन्हें समर्थन दे देंगे। 

हालांकि तेजस्वी यादव ने इसे चौधरी का निजी बयान बताया है और कहा है कि नीतीश को क्या करना है और क्या नहीं, यह वे खुद ही तय करें। 

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी नीतीश को दबाव में रखना चाहती है। बीजेपी ने सबसे पहले नीतीश के सबसे प्रबल समर्थक माने जाने वाले सुशील मोदी को दिल्ली भेज दिया, संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले दो लोगों को डिप्टी सीएम बना दिया और फिर जेडीयू के कोटे से मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा लेने को नीतीश को मजबूर कर दिया। 

इसके अलावा लव जिहाद के लिए क़ानून बनाने को लेकर बीजेपी के नेता नीतीश कुमार पर दबाव बनाते रहते हैं। बीजेपी और जेडीयू के बीच विचारधारा को लेकर भी जबरदस्त टकराव है। 

बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बंगाल चुनाव के बाद जेडीयू में भारी राजनीतिक उथल-पुथल होगी और कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर बीजेपी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। 

इस बीच, नीतीश कुमार का वह बयान भी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह मुख्यमंत्री नहीं बने रहना चाहते। इस बात का बीजेपी के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने भी समर्थन किया है और कहा है कि नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन एनडीए चाहता था कि वे इस पद पर फिर से बैठें क्योंकि हमने उन्हें एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया था। 

 ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर आप जेडीयू में किसी से पूछेंगे तो वे आपको बताएंगे कि एलजेपी मुखिया चिराग पासवान बीजेपी के प्रतिनिधि थे और उनकी वजह से हम कई सीटों पर चुनाव हारे।’ इस नेता ने आगे कहा कि अरुणाचल की घटना के बाद विश्वास और घटा है, हालांकि सरकार को कोई ख़तरा नहीं है लेकिन सब कुछ ठीक नहीं है। 

बिहार में भाजपा ने ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी पर जरूर बैठा दिया है, लेकिन नीतीश को अरुणाचल में हुए घटनाक्रम के बाद इस बात की आहट होना शुरू हो गया है कि कहीं भाजपा उन्हें पीछे का दरवाजा ना दिखा दे। भाजपा ने ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। इसके पीछे की वजह नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ना था। हालांकि, अब भाजपा चाहती है कि ज्यादा सीटों की वजह से कैबिनेट में उसकी भागीदारी अधिक हो, इस बात को लेकर भी विवाद है। 

बिहार की सियासत में जो मौजूदा हालात हैं, उसमें बीजेपी और जेडीयू दोनों अपना जोर दिखाना चाहते हैं। बीजेपी की सीटें ज़्यादा हैं, इसलिए वह सरकार में अपना ज़्यादा अधिकार समझती है जबकि जेडीयू का कहना है कि एनडीए को वोट नीतीश के चेहरे पर मिला है और उसके ख़राब प्रदर्शन के लिए चिराग पासवान जिम्मेदार हैं।

नीतीश कुमार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार भी एक सिरदर्द बना हुआ है जो सरकार गठन के लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद नहीं हो पाया है। कहा जा रहा है कि बीजेपी गृह मंत्रालय की भी मांग कर रही है लेकिन नीतीश इसके लिए तैयार नहीं हैं। 

राजद को अब सरकार बनाने की संभावना नजर आने लगी है। इस कारण ही पूर्व विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने मुख्यंमत्री नीतीश कुमार को बड़ा ऑफर दिया और कहा कि अगर नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बना दें, तो उनको 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन कर सकती हैं।  

कुल मिलाकर देखना होगा कि बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन में कौन कितना दबाव बर्दाश्त कर पाता है। जेडीयू जानती है कि पिछले छह सालों में ऑपरेशन लोटस के कारण विपक्षी दलों की सरकारें गिरी हैं और बीजेपी की नज़र बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए संघ से आने वाले दो डिप्टी सीएम के साथ सेक्युलर एजेंडे पर सरकार चलाना बेहद कठिन काम है। 

जदयू फिर से अपने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के पुराने एजेंडे पर लौटेगा

जदयू फिर से अपने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के पुराने एजेंडे पर लौटेगा। रविवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में आम राय थी कि गठबंधन में भाजपा के मूल मुद्दे हावी रहने का पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी ने भविष्य में पिछड़े मुसलमानों को फिर से साधने और भाजपा के हिंदूवादी एजेंडे से अपना अलग रुख तय करने का फैसला किया है। जदयू के रुख के बाद हिंदूवादी एजेंडे पर भाजपा से खींचतान तय है। जदयू ने धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ स्वर बुलंद करने की रणनीति बनाई है। रविवार की बैठक में पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने इसे समाज में घृणा फैलाने वाला कानून बताया। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सहित प्रदेश भाजपा के कई नेता ऐसा ही कानून बिहार में बनाने की मांग कर रहे हैं। जबकि जदयू इस मुद्दे पर सख्त रुख अपना कर मुसलमानों को सकारात्मक संदेश देना चाहता है।

नीतीश नई रणनीति पर काम कर रहे हैं

जदयू की चिंता का कारण विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन है। नीतीश को लगता है कि भविष्य में अनुकूल परिस्थितियां आते ही भाजपा राज्य में अपना मुख्यमंत्री बना लेगी। भाजपा की इस रणनीति की काट के लिए नीतीश नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। कम सीट हासिल करने के बावजूद नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने के बाद भाजपा अब मंत्रिमंडल में आनुपातिक आधार पर ज्यादा हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन नीतीश ऐसा नहीं चाहते। नीतीश पहले की तरह बराबर की भागीदारी चाहते हैं। चूंकि भाजपा गठबंधन में खुद को बड़ा भाई बनने का सियासी संदेश देना चाहती है, लेकिन पार्टी इस मामले में समझौता नहीं करना चाहती। ऐसे में नीतीश अपने नेतृत्व में सरकार चलाने के लिए भाजपा पर दबाव बना रहे हैं।

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