वाह सीएम! लंच और डिनर- हर स्कूल में 500 लोगों को खाना खिलाया जाएगा & Top National News 27 Mar

बिना किसी पूर्व तैयारी के किए गए लॉकडाउन यानी तालाबंदी ने लाखों लोगों को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था और हर तरफ़ अनिश्चितता बनी हुई थी कि उनका क्या होगा। ये लोग रोज़ कमाकर खाने वाले लोग हैं न कि घर में तीन-चार महीनों का राशन भरकर सुकून से घरबंदी काटने वाले। हालाँकि कुछ राज्य सरकारों ने ज़रूर इंतज़ाम किए हैं, मगर असली मदद तो केंद्र के खज़ाने से ही संभव थी, इसलिए सब लोगों की निगाहें उसी पर लगी हुई थीं। तालाबंदी के दौरान खाने-पीने का इंतज़ाम फौरी उपाय है उससे बात नहीं बनेगी। भारत पर इसका क्या असर होगा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना संक्रमण का इससे अधिक बुरा असर होगा। हाल ख़राब हैं, ये देखने के लिए दरअसल ऐसे किसी एलान की ज़रूरत भी नहीं थी। अपने चारों तरफ़ दिख तो रहा है। सब कुछ बंद है। न कमाई, न ख़र्च। ऐसे में अर्थव्यवस्था का चक्का कैसे घूमेगा? यह कहना भी मुश्किल है कि किस क़दम का कितना असर होगा। लेकिन यह तो साफ़ दिख रहा है कि सबको मदद की ज़रूरत है। ग़रीब से लेकर अमीर तक। ग़रीबों के लिए वित्तमंत्री ने कई क़दमों का एलान एक ही दिन पहले किया है।

कोरोना वायरस के कारण किये गये संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकार की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनकी सरकार कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिये तैयार है। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में अब तक 224 रैन बसेरों में हम लोगों को खाना खिला रहे थे। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। दिल्ली सरकार आज से 325 स्कूलों में लंच और डिनर शुरू करवा रही है और हर स्कूल में 500 लोगों को खाना खिलाया जाएगा।’ 

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अब तक कोरोना संक्रमण के 39 मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘अब तक हम 20 हज़ार लोगों को खाना खिला रहे थे लेकिन अब हम 2 लाख से लेकर 4 लाख लोगों को खाना खिलाएंगे। मैंने अपनी पार्टी के विधायकों से कहा है कि एक भी आदमी भूखा न सोये।’ उन्होंने कहा कि सभी विधायक और कार्यकर्ता इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ज़रूर ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी राज्य का व्यक्ति दिल्ली में हो, उसे भूखे नहीं रहने दिया जायेगा और राज्य सरकार पूरी मदद करेगी। 

तालाबंदी की सबसे ख़तरनाक़ बात यह है कि छोटे-मोटे काम करके गुज़ारा करने वाले करोड़ों लोग इस बंदी से बेरोज़गार हो गए हैं। हमारी कुल वर्कफोर्स यानी कामगारों के नब्बे फ़ीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इसकी संख्या क़रीब चालीस करोड़ है। तालाबंदी ख़त्म होने के बाद इन चालीस करोड़ लोगों का क्या होगा, यह सोचना मुश्किल नहीं है। बंदी के बाद कोई ज़रूरी नहीं है कि इन चालीस करोड़ लोगों को वापस रोज़गार मिल ही जाएँ। बंदी की चोट बहुत सारे उद्योग-धंधों पर ऐसी पड़ेगी कि वे उबर ही न पाएँ। याद कीजिए कि नोटबंदी के बाद क्या हालात बने थे। उस समय बहुत सारे छोटे-मोटे उद्योग इस तरह बैठ गए कि कभी उठ ही नहीं पाए। उन्हें सरकार की ओर से कोई सहारा नहीं मिला और उनमें काम करने वाले जो बेराज़गार हुए तो फिर कभी उन्हें ठीक से काम मिल नहीं पाया।

कृषि क्षेत्र भी भयानक संकट से गुज़र रहा है। किसान और खेतिहर मज़दूर, दोनों इस संकट से त्रस्त हैं। कोरोना की वज़ह से उन पर और भी दबाव पड़ रहा है। एक तो ख़राब मौसम के चलते खरीफ़ की फ़सल बर्बाद हो गई है। फिर कोरोना का हमला ठीक ऐसे समय में हुआ है जब फ़सल काटी जाती है। और अब तो तालाबंदी के कारण अनाज को मंडी में ले जाकर बेचना भी संभव नहीं होगा।

वही दूसरी ओर कोरोना की चपेट में आए अमेरिका में बीते हफ़्ते भर में 33 लाख लोगों ने बेरोज़गार होने का दावा किया है। अमेरिका के रोज़गार दफ़्तर में 32 लाख 80 हज़ार लोगों ने बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए दावा पेश कर सबको चौंका दिया है।

रोज़गार दफ़्तर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि 21 मार्च को ख़त्म हुए सप्ताह में पूरे अमेरिका में 33 लाख लोग बेरोज़गार हुए, जो एक रिकॉर्ड है। अमेरिका में एक हफ़्ते में सबसे ज़्यादा बेरोज़गार होने का रिकॉर्ड 6,95,000 लोगों का है। ये लोग 2 अक्टूबर,1982 को ख़त्म हुए सप्ताह में बेरोज़गार हुए थे। अमेरिका के श्रम क़ानूनों के अनुसार कोई आदमी बेरोज़गार होने के बाद के पहले हफ्ते में ख़ास सुविधाओं का दावा कर सकता है।  अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका में आर्थिक मंदी शुरू हो चुकी है। यह मंदी वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में और साफ़ दिखेगी, लेकिन बाद में जब कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होगा, स्थिति थोड़ी सुधरेगी। 

अमेरिकी श्रम विभाग की पूर्व अर्थशास्त्री हेडी बशीरहॉल्ज़ ने सीएनएन को बताया कि हमारा अनुमान है कि इस साल गर्मियों तक कोरोना संक्रमण की वजह से लगभग 1 करोड़ 40 लाख लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।’

गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *