राहुल FB Live & सर्वे के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस- 96% दाने-दाने को मुँहताज & Top News 16 April 20
16 April 20: High Light #मृत्यु दर अगर 3.3 प्रतिशत है तो जो लोग अब तक ठीक हुए हैं उसका प्रतिशत 12.02 के आसपास ; केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय # राहुल ने कहा, ‘बेरोज़गारी आ गई है, # इंडियन एक्सप्रेस सर्वे के हवाले से कहा- 96 प्रतिशत दाने-दाने को मुँहताज है, सरकार माने या न माने।# भारतीय रेल ने सिर्फ दो विशेष ट्रेनें चलाने का फ़ैसला किया है, पर ये ट्रेनें सिर्फ सेना के जवानों और अफ़सरों को लेकर जाएगी # पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद हड़कंप #वीडियो कॉलिग ऐप जूम (Zoom App) ‘सुरक्षित नहीं- सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को चेताया#वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन बनाने के लिए आवेदन ; 1 करोड़ रुपये इस ऐप के डेवेलपमेंट के लिए दिया जाएगा. इसके बाद हर साल डेवेलपमेंट के लिए 10 लाख रुपये एडिशनल दिए जाएंगे. # जंग में भारत दूसरे देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है. # चेतन भगत (Chetan Bhagat) ने एक ट्वीट किया है और इसमें बताया है कि अमेरिकी सरकार किस तरह से अपने नागरिकों की आर्थिक सहायता कर रही है.# सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) लगाई गई है, जिसमें गरीबों को मुफ्त मोबाइट डाटा, टीवी सर्विस, डीटीएच और सैटेलाइट टीवी की सेवा मुहैया कराने की मांग # रामायण महाभारत के बहुत सी ऐसे कलाकार हैं, जो काफी समय पहले दुनिया छोड़ चुके हैं #महापंडित दशानन ने जीवन में कई ग्रंथों को लिखा :##Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 Mail; himalayauk@gmail.com
मृत्यु दर अगर 3.3 प्रतिशत है तो जो लोग अब तक ठीक हुए हैं उसका प्रतिशत 12.02 के आसपास ; केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी है कि देश में अबतक कोरोना वायरस के 2 लाख 90 हजार से ज्यादा टेस्ट हुए हैं। जबकि 15 अप्रैल को 30,043 टेस्ट किए गए थे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि हमारी इस लड़ाई में अब तक फील्ड स्तर पर किए गए एक्शन के तहत 325 जिले ऐसे हैं जहां पर कोई भी केस नहीं आया है। हमारी मृत्यु दर अगर 3.3 प्रतिशत है तो जो लोग अब तक ठीक हुए हैं उसका प्रतिशत 12.02 के आसपास है।
17 राज्यों के 27 जिलों में नहीं मिला कोई मरीज उन्होंने आगे कहा कि ऐसे जिले जहां पहले केस आए थे लेकिन फील्ड एक्शन के द्वारा उनके नियंत्रण और कंटेनमेंट से संबंधित जो काम हुआ है उसके तहत पुडुचेरी में माहे एक ऐसा जिला है जहां पिछले 28 दिनों से कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 17 राज्यों में ऐसे 27 जिले हैं जहां पिछले 14 दिनों से कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है।
3 मई तक प्रतिबंध रहेंगी ये सेवाएं गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन के अंतर्गत पूरे देश में 3 मई तक हवाई, रेल और सड़कों से यात्रियों का आवागमन बंद रहेगा। टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा सहित कैब की सेवाए प्रतिबंधित रहेंगी। सभी शैक्षणिक और संबंधित संस्थान बंद रहेंगे। सभी सिनेमा हॉल्स, मॉल्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तथा इस प्रकार के अन्य संस्थान बंद रहेंगे। सभी सामाजिक,राजनीतिक,खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक समारोह और अन्य सभाओं के आयोजन पर रोक रहेगी। 20 अप्रैल से दी जा सकती है अनुमति उन्होंने आगे कहा कि जो क्षेत्र हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन्स नहीं हैं। वहां पर 20 अप्रैल से कुछ चुनिंदा गतिविधियों की अनुमति दी जा सकेगी। बशर्ते वहां मौजूदा दिशा निर्देशों और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो। 2,90,401 लोगों का टेस्ट किया गया ICMR के डॉ. रमन आर. गंगाखेड़कर ने कहा कि आज तक हमने 2,90,401 लोगों का टेस्ट किया है। इनमें से 30,043 लोग जिनका टेस्ट कल हुआ, उसमें 26,331 का टेस्ट ICMR नेटवर्क के 176 लैब में हुआ और 3,712 टेस्ट निजी लैब में हुए जिनकी संख्या 78 है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट हर इलाके में इस्तेमाल का फायदा नहीं है। इसे हॉटस्पॉट में इस्तेमाल से ही फायदा होगा। भारत में अबतक कोरोना वायरस (कोविड-19) के 2 लाख 90 हजार से अधिक टेस्ट हुए हैं। इसमें से 30, 043 टेस्ट बुधवार को किए गए थे। इसमें से 26,331 टेस्ट आईसीएमआर लैब और 3,712 टेस्ट प्राइवेट लैब में किए गए हैं। हमारे पास आठ हफ्ते तक टेस्ट करने के लिए किट मौजूद है। इसके अलावा वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर ने बताया कि जापान में, एक सकारात्मक मामले को खोजने के लिए, 11.7 व्यक्तियों की जांच की जाती है। वहीं इटली में यह संख्या 6.7 है, अमेरिका में यह 5.3 है, ब्रिटेन में यह 3.4 है। भारत में, हम एक सकारात्मक मामले के लिए 24 परीक्षण करते हैं। भारत में संक्रमितों का आंकड़ा 12799 पहुंचा बता दें कि देश में लगातार दूसरे दिन कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या कम हुई है। जिसके बाद संक्रमितों का आंकड़ा 12799 पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र में तीन हजार से अधिक लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। भारत में 13 अप्रैल को कोरोना वायरस के नए 1243 मामले आए थे। जिसके बाद 14 अप्रैल को 1035 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी। लेकिन 15 अप्रैल को संक्रमितों की संख्या 1 हजार से कम होकर 881 पर आ गई है।
राहुल ने कहा, ‘बेरोज़गारी आ गई है- छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए पैकेज तैयार करे — राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिए लाइव हुए
राहुल ने कहा, ‘बेरोज़गारी आ गई है, केंद्र सरकार छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए पैकेज तैयार करे। सरकार को कंपनियों को सुरक्षा देने का काम करना चाहिए।’
कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को लाइव वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेन्स की। इस दौरान उन्होंने कई मीडिया संस्थानों के पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। राहुल ने कहा कि एक्शन लेने में देरी नहीं होनी चाहिए, तुरंत एक्शन होना चाहिए।
राहुल ने कहा, ‘केंद्र सरकार जिलों के साथ खुलकर बात करे और उनकी मांगों को पूरा करे। जिस रफ़्तार से लोगों तक राशन पहुंचना चाहिए, वह नहीं पहुंच रहा है। हमारे पास गोदाम में जो खाद्यान्न की जो सप्लाई है, उसे आप लोगों को दीजिए। बिना राशन कार्ड वाले लोगों को भी राशन दीजिए। लोगों के खातों में पैसा डालिए।’ राहुल ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि गोदाम में रखा अनाज लोगों तक नहीं पहुंच रहा है।
राहुल ने कहा कि हमारे पास बड़ी संख्या में प्रवासी लोग हैं और वे कई जगहों पर फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों को इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें दुनिया के बाक़ी देशों से ज़्यादा चिंता भारत की है। उन्होंने कहा, ‘किसानों को सुरक्षा की ज़रूरत है, केंद्र उनके लिए योजना बनाए और उस पर अमल करे। कोरोना संकट के कारण देश के सामने बहुत बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है।’
उन्होंने कहा, ”मेरी बातों को आलोचना न समझें, इसे एक सुझाव के तौर पर लें. मैं कुछ रचनात्मक सुझाव देना चाहता हूं. मैं पिछले कुछ महीने से विशेषज्ञों से बात कर रहा हूं. उस आधार पर कह रहा हूं कि लॉकडाउन रेड बटन है. ये कोरोना का पूरा इलाज नहीं है. लॉकडाउन ख़त्म होते ही वायरस अपना काम करने लगेगा. इस समय का उपयोग बड़े पैमाने पर टेस्टिंग के लिए करना चाहिए.”
राहुल गांधी ने कहा, ”टेस्टिंग जिस पैमाने पर होना चाहिये नहीं हो रहा है. कोविड-19 के ख़िलाफ लड़ाई टॉप डाउन न हो. पीएम मुख्यमंत्रियों को इम्पावर करें. जिला स्तर, ब्लॉक स्तर पर लड़ाई ज़्यादा कारगर है. मेरे क्षेत्र केरल के वायनाड में भी यही कारगर हुआ. टेस्टिंग पर जो हो गया हो गया. मैं उस पर कुछ नहीं कह रहा. आगे देखना चाहिए.”
उन्होंने कहा, ”कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल और इकोनॉमी दोनों मोर्चे पर लड़ना होगा. खाद्य क्षेत्र को मजबूत कीजिए. ज़रूरतमंदों को राशन कार्ड दीजिए. बेरोजगारी आने वाली है. उससे लड़ने की तैयारी कीजिए. सिर्फ लॉकडाउन के जरिए वायरस खत्म करते-करते कहीं इकॉनॉमी न पूरी तरह चौपट कर लें. कोविड महामारी मैनेज हो सकता है खत्म नहीं हो सकता. इसे बेहतर तरीके से मैनेज करना है.”
राहुल गांधी ने आगे कहा, ”टेस्ट नहीं किए तो लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद फिर उसी हालत में पहुंचने का ख़तरा है. फिर लॉकडाउन करना पड़ेगा. ये लड़ाई अभी शुरू हुई है. अभी जीत का ऐलान करना जल्दबाज़ी होगी. धीरे धीरे लड़ना होगा. सारे हथियार अभी नहीं ख़त्म करने होंगे क्योंकि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था पर बड़ा बैक्लैश होने जा रहा है.”
इंडियन एक्सप्रेस सर्वे के हवाले से कहा- 96 प्रतिशत दाने-दाने को मुँहताज है, सरकार माने या न माने।
अपने घर-परिवार से दूर लॉकडाउन में फँसे हुए प्रवासी मज़दूरों में से लगभग 96 प्रतिशत लोगों को सरकार की ओर से खाने-पीने की चीजें नहीं दी गई हैं। ग़ैर सरकारी संगठन स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (एसडब्लूएएन यानी ‘स्वैन’) ने 13 अप्रैल को किए गए एक सर्वे में यह पाया है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस सर्वे के हवाले से यह कहा है कि लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों की स्थिति का जो अनुमान लगाया गया था, उनकी हालत उससे बदतर है।
अपने घर-परिवार से दूर लॉकडाउन में फँसे हुए प्रवासी मज़दूरों में से लगभग 96 प्रतिशत लोगों को सरकार की ओर से खाने-पीने की चीजें नहीं दी गई हैं। ग़ैर सरकारी संगठन स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (एसडब्लूएएन यानी ‘स्वैन’) ने 13 अप्रैल को किए गए एक सर्वे में यह पाया है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस सर्वे के हवाले से यह कहा है कि लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों की स्थिति का जो अनुमान लगाया गया था, उनकी हालत उससे बदतर है।
अख़बार ने एक खबर में कहा है कि लॉकडाउन की घोषणा होने के दो दिन बाद यानी 27 मार्च से ही भोजन के अधिकार (राइट टू फ़ूड) आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं और भूख पर शोध करने वाले लोगों को जगह-जगह फँसे मज़दूरों की ओर से गुहार आने लगी थी। इस तरह के ज़्यादातर कॉल महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा से आए थे। बेंगलुरू स्थिति अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर राजेंद्रन नारायणन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘पहले हमने कुछ नक़द पैसे देने की सोची, पर हमने महसूस किया कि अभाव बहुत ही ज़्यादा है।’ स्वैन ने इन मज़दूरों को कुल मिला कर 3.80 लाख रुपए नकद दिए। इसके अलावा नेटवर्क ने इन मज़दूरों को स्थानीय संगठनों से जुड़ने और सरकारी सुविधाएँ पाने में मदद की।
जिन मज़दूरों ने नेटवर्क से संपर्क किया था, उनमें से अधिकतर वे लोग थे, जो काम की तलाश में जिस शहर को गए थे, वहीं फँस गए थे, वे सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने का फ़ैसला नहीं ले सके। जिन लोगों ने 13 अप्रैल तक नेटवर्क को फ़ोन किया था, उनमें से 44 प्रतिशत लोग खाने-पीने की चीजें और नक़द पैसे के लिए परेशान थे। लॉकडाउन के दूसरे हफ़्ते तक ऐसे लोगों की संख्या 36 प्रतिशत हो गई।
जिस महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण सबसे ज़्यादा है, वहाँ 1 प्रतिशत से कम लोगों को राशन मिला है। सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि दो दिन बाद उनके पास खाने को कुछ नहीं रहेगा। सर्वे में यह भी कहा गया है कि मुंबई के एन्टॉप हिल्स इलाक़े में फँसे हुए 300 मज़दूरों ने कहा कि वे खाने की चीजों के लिए परेशान हैं, जहाँ खाने के पैकेट बाँटे गए, वहाँ से खबरें आईं कि पैकेट का खाना खाने से बच्चे बीमार पड़ गए।
इसमें यह भी कहा गया कि तलोजा-पनवेल इलाक़े में 600 मज़दूर फँसे हुए हैं, उनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं, उनके पास खाने की चीजें नहीं हैं और स्थानीय ग़ैर सरकारी संगठनों ने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में लोगों के वे खाने-पीने की चीजें देने की स्थिति में नहीं है, सरकार को ही कुछ करना चाहिए। पर सरकार के लोग वहाँ तक नहीं पहुँच सके हैं। अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के नारायणन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि असंगठित क्षेत्र के इन मज़दूरों की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है।
उन्होंने कहा, ‘इन्टरस्टेट माइग्रेंट वर्कर्स एक्ट, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट और दूसरे कई क़ानूनों के मुताबिक़, राज्यों को इन मज़दूरों का हिसाब किताब रखना चाहिए, पर प्रशासन को इन लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसका नतीजा यह है कि अब ज़रूरत पड़ने पर प्रशासन के लोग उन मज़दूरों तक पहुँच नहीं पा रहे हैं।’ इनमें से ज़्यादातर कामगारों को उन कंपनियों या उनके मालिकों के नाम-पता नहीं मालूम है, जहाँ वे काम करते हैं। ये मज़दूर बस उन ठेकेदारों को जानते हैं, जो उन्हें वहाँ तक ले जाते हैं और इन ठेकेदारों ने फ़ोन स्विच ऑफ़ कर दिया है। यदि सरकार ने इन मज़दूरों का रिकॉर्ड रखा होता तो आज वह उन तक पहुँच सकती थी, पर सरकार के पास तो कोई रिकॉर्ड है ही नहीं। ये मज़दूर बुरी स्थिति में फँसे हुए हैं, उन तक मदद नहीं पहुँच रही है और वे दाने-दाने को मुँहताज है, स्थिति यही है, सरकार माने या न माने।
भारतीय रेल ने सिर्फ दो विशेष ट्रेनें चलाने का फ़ैसला किया है, पर ये ट्रेनें सिर्फ सेना के जवानों और अफ़सरों को लेकर जाएगी
लाकडाउन की वजह से हो सकता है कि आपकी ट्रेन टिकट रद्द कर दी गई हो, या आपको स्टेशन से लौट आना पड़ा हो। फ़िलहाल 3 मई तक कोई ट्रेन नहीं चलेगी। भारतीय रेल ने सिर्फ दो विशेष ट्रेनें चलाने का फ़ैसला किया है, पर सावधान, ये ट्रेनें सिर्फ सेना के जवानों और अफ़सरों को लेकर जाएगी। ये ट्रेनें बेंगलुरू से सेना के 1200 अफ़सरों और जवानों को लेकर चलेगी। ये वे सैनिक होंगे जो 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से इस शहर में फँसे हुए हैं जबकि उनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगहों पर की जा चुकी है। लॉकडाउन को सख़्ती से लागू करने के लिए भारतीय रेल ने सभी ट्रेनें रद्द कर दीं, लिहाज़ा, रेल, रक्षा और गृह मंत्रालय ने मिल कर यह फ़ैसला किया कि इन सैनिकों को उनकी पोस्टिंग की जगह पहुँचाने के लिये विशेष ट्रेन चलाई जाए। दक्षिणी कमान के ये अफ़सर और जवान बेंगलुरू, बेलगाम और सिकंदराबाद में अलग-अलग तरह का प्रशिक्षण ले रहे थे। इन स्टेशनों पर 300-500 लोग ट्रेनिंग ले रहे थे और उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है। इन ट्रेनों से सैनिक पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान और उत्तरी कमान में अपनी पोस्टिंग पर ज्वाइन कर सकेंगे। ख़बर में यह भी कहा है कि पूर्वी और उत्तरी कमान में ड्यूटी पर ज्वाइन करने वाले उन्हीं सैनिकों को इस ट्रेन में जगह मिलेगी, जिनका क्वरेन्टाइन किया जा चुका है और जिन्हें फिट क़रार दिया गया है। इन ट्रेनों में एक डिब्बे में 72 की जगह 40 लोगों की ही जगह होगी।
पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद हड़कंप
दिल्ली में एक पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद हड़कंप मच गया है। इसके बाद दक्षिणी दिल्ली के एक इलाक़े के 72 घरों में रहने वाले सभी परिवारों को सेल्फ़-क्वरेंटीन होने का आदेश जिला प्रशासन की ओर से दिया गया है। यह डिलीवरी ब्वॉय मालवीय नगर इलाक़े में स्थित एक प्रसिद्ध पिज्जा कंपनी के आउटलेट में काम करता है। जिलाधिकारी ने कहा, ‘हमें ऐसे 72 घर मिले हैं, जिन्होंने इस पिज्जा आउटलेट से बीते कुछ दिनों में ऑर्डर मंगवाए थे। इसलिए हमने इन घरों में रहने वाले लोगों से सावधानी बरतने और सेल्फ़-क्वरेंटीन में रहने के लिए कहा है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि घबराने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि जिला प्रशासन ने सभी डिलीवरी ब्वॉयज़ से मास्क पहनने और ऑर्डर डिलीवर करने के दौरान सुरक्षा संबंधी बातों का ध्यान रखने के लिए कहा था। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से क्वरेंटीन के आदेश का पालन करना ज़रूरी है।
जिलाधिकारी ने कहा, ‘हमें ऐसे 72 घर मिले हैं, जिन्होंने इस पिज्जा आउटलेट से बीते कुछ दिनों में ऑर्डर मंगवाए थे। इसलिए हमने इन घरों में रहने वाले लोगों से सावधानी बरतने और सेल्फ़-क्वरेंटीन में रहने के लिए कहा है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि घबराने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि जिला प्रशासन ने सभी डिलीवरी ब्वॉयज़ से मास्क पहनने और ऑर्डर डिलीवर करने के दौरान सुरक्षा संबंधी बातों का ध्यान रखने के लिए कहा था। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से क्वरेंटीन के आदेश का पालन करना ज़रूरी है।
दक्षिणी दिल्ली जिले के जिलाधिकारी बी.एम.मिश्रा ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस को बताया, ‘इस पिज्जा आउटलेट में काम करने वाले 16 लोगों को भी क्वरेंटीन किया गया है। ऐसे सभी घरों के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है, जहां इस आउटलेट के जरिये डिलीवरी की गई थी।’ कोरोना पॉजिटिव आये डिलीवरी ब्वॉय का अस्पताल में इलाज चल रहा है और उसके संपर्क में आये लोगों की मॉनिटरिंग की जा रही है। इस आउटलेट के द्वारा ज़ोमेटो के जरिये भी फ़ूड डिलीवरी की गई है। ज़ोमेटो का कहना है कि इस इलाक़े में उसके साथ काम करने वाले सभी डिलीवरी ब्वॉय का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है।
वीडियो कॉलिग ऐप जूम (Zoom App) ‘सुरक्षित नहीं- सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को चेताया
नई दिल्ली:कोरोना संकट (Coronavirus) की वजह से देश में लॉकडाउन जारी है. इस दौरान लोग एक दूसरे से जुड़ने के लिए वीडियो कॉलिग ऐप जूम (Zoom App) का इस्तेमाल कर रहे हैं. अधिकांश दफ्तरों में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस बीच सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को चेताया है कि यह ‘सुरक्षित नहीं है.
जूम मीटिंग एप वीडियो कांफ्रेंस के लिए सुरक्षित प्लेटफार्म नहीं है. सरकार ने इस बाबत गाइडलाइन जारी की हैं. जो उपयोगकर्ता जूम एप का इस्तेमाल निजी कार्यों के लिए करते हैं उनके लिए गाइडलाइंस जारी की गई हैं. बता दें कि लॉकडाउन के दौरान लोग इस एप का काफी ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. गृह मंत्रालय ने एक नई एडवाइजरी जारी कर कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए जूम एप एक सुरक्षित प्लेटफार्म नहीं है.
गाइडलाइन की मदद से किसी गैर अधिकृत व्यक्ति का कॉन्फ्रेंस में हस्तक्षेप और अवांछित गतिविधि को रोका जा सकेगा. गाइडलान का पालन किया जाए तो उपयोगकर्ताओं के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति उनकी गतिविधि को प्रभावित नहीं कर सकता है. पासवर्ड और यूजर एक्सेस के जरिए डीओएस अटैक को भी रोका जा सकता है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक ज्यादातर सेटिंग लॉगिन करके की जा सकती है या फिर अपने लैपटॉप फोन में एप्लीकेशन डाउनलोड करके की जा सकती है. कांफ्रेंस के दौरान भी यह बदलाव किए जा सकते हैं. हालांकि कुछ सेटिंग एक खास चैनल पर ही की जा सकती है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जूम एप से निजता की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे हैं. टिक टॉक और जूम के ज्यादातर सरवर चीन में हैं और इनमें कुछ कमजोरियां हैं. तकनीकी विश्लेषण कहता है कि इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप से मीटिंग का डाटा लीक हो सकता है. एक अधिकारी ने कहा कि कारोबारी हों या सरकारी अधिकारी कृपया इसका इस्तेमाल ना करें. भारत की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने पहले ही उपयोगकर्ताओं को इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप में लगाई जाने वाली सेंध को लेकर जागरूक किया था. पासवर्ड लीक होने और हैकर्स द्वारा वीडियो कॉल कांफ्रेंस के दौरान हाईजैक किए जाने की शिकायतों के बाद गाइडलाइन जारी की गई
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन बनाने के लिए आवेदन ; 1 करोड़ रुपये इस ऐप के डेवेलपमेंट के लिए दिया जाएगा. इसके बाद हर साल डेवेलपमेंट के लिए 10 लाख रुपये एडिशनल दिए जाएंगे.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. Zoom पर भरोसा किया नहीं जा सकता है. ऐसे में सरकार ने एक इनोवेशन चैलेंज शुरू किया है जिसके तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन बनाने के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं. हालांकि यहां एंड टु एंड एन्क्रिप्शन का जिक्र नहीं है. भारत सरकार चाहती है कि Zoom जैसा वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म भारतीय कंपनियां बनाएं और इसके लिए उन्हें फंड किया जाएगा. सरकार ने इसके लिए आवेदन लेने शुरू कर दिए हैं जिसकी आखिरी तारीख 30 अप्रैल तक है. कोरोना वायरस से मची दुनिया भर में तबाही के बाद लगभग हर देश में लॉकडाउन की स्थिति है. भारत में लॉकडाउन बढ़ा कर अब 3 मई कर दिया गया है. वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म Zoom इन दिनों दुनिया भर में पॉपुलर हो रहा है.
ताजा डेवेलपमेंट ये है कि गृह मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके लोगों को Zoom सावधानी से यूज करने को कहा है. गृह मंत्रालय द्वारा ये भी कहा गया है कि ये ऐप सुरक्षित नहीं है. इस एडवाइजरी में पासवर्ड बदलने से लेकर इस ऐप को यूज करने के सुरक्षित तरीकों के बारे में बताया गया है. Zoom प्राइवेसी के मामले में काफी कमजोर साबित हुआ है. आलम ये है कि हाल ही में लगभग 5 लाख जूम यूजर्स का डेटा 10 पैसे से भी कम में डार्क वेब पर बेचा जा रहा था. हालांकि कंपनी लगातार इसे सिक्योर और प्राइवेसी फोकस्ड बनाने का काम कर रही है.
10 टीम को पहले फेज में प्रोटोटाइप बनाने के लिए दिए जाएंगे 5 लाख रुपये
केंद्र सरकार ने एक नया प्रोग्राम लॉन्च किया है. ये दरअसल भारत की टेक कंपनियों के लिए जो इसमें हिस्सा ले सकती हैं. सरकार चाहती है कि भारत में ही एन्क्रिप्टेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जो कंप्यूटर, लैपटॉप से लेकर सभी प्लेटफॉर्म पर काम करे. इस प्रोजेक्ट में रजिस्टर करने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल है. ये तीन चरणों में होगा और प्रक्रिया पूरी होने पर एक टीम को 1 करोड़ रुपये इस ऐप के डेवेलपमेंट के लिए दिया जाएगा. इसके बाद हर साल डेवेलपमेंट के लिए 10 लाख रुपये एडिशनल दिए जाएंगे. इसमें हिस्सा लेने के लिए Mygov.in पर जा सकते हैं. या आप इस दिए गए लिंक को क्लिक करके डायरेक्ट इस पेज पर जा सकते हैं.
यहां सबसे पहले आपको लॉगइन करना होगा, इसके बाद इस ऐप बनाने के बारे में विस्तार से बाताया गया है. https://startups.meitystartuphub.in/public/application/inc/5e92ec1269e3401cd7bc6db7
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सल्यूशन बनाने के लिए सरकार ने कुछ प्वॉइंट्स बताए हैं. यानी जो टीम ये कंपनी इस वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म तैयार करेंगे उन्हें अपने ऐप या सॉफ्टवेयर में ये फीचर्स देने होंगे.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर में ये फीचर्स होने जरूरी हैं, एंड टु एंड एन्क्रिप्शन का नहीं है जिक्र.
— हर तरह का वीडियो रेज्योलुशन का सपोर्ट, लो और हाई नेटवर्क की स्थिति में भी काम करने लायक हो. — पावर और प्रोसेसर का इस्तेमाल कम होना चाहिए. — इसके लिए किसी एक्स्टर्लन यानी अगल से हार्डवेयर लगाने की जरूरत न हो. — ये वीडियो कॉलिंग सॉफ्टवेयर किसी भी डिवाइस में काम करने लायक हो. — वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान चैट ऑप्शन होना चाहिए, अगर एक साथ कई लोग हों तो भी. — कॉन्फ्रेंस ज्वॉइन करने के लिए साइन इन और बिना साइन इन का ऑप्शन होना चाहिए. — इस वीडियो कॉलिंग सल्यूशन ब्राउजर और ऐप बेस्ड होना चाहिए. — नेटवर्क कम्यूनिकेशन एन्क्रिप्टेड होना चाहिए. — इसमें ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग फीचर भी होना चाहिए. — इसमें स्क्रीन और फाइल शेयरिंग फीचर का भी होना जरूरी है. — वीडियो चैट के दौरान अलग अलग भाषाओं में कैप्शन का ऑप्शन होना चाहिए. —अलग अलग वीडियो कॉन्फ्रेंस को होस्ट करने की क्षमता हो जिसमें एक से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स हों.
जंग में भारत दूसरे देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.
नई दिल्ली:अमेरिका, इटली, जर्मनी, स्पेन जैसे विकसित देशों की तुलना में भारत में कोरोना के मामले काफी कम हैं. विश्व महाशक्ति अमेरिका में ही कोरोना के कारण अब तक 22 हजार से अधिक लोगों की जान गई और वहां दो लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं.Coronavirus Pandemic: देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के बढ़कर 12 हजार के पार पहुंच गए हैं. कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में देश के 414 लोगों को अब तक जान गंवानी पड़ी है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)ने कैबिनेट के साथ बैठक की और कोरोना के खिलाफ जंग में किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी की. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, पीएम ने कल (बुधवार को) कैबिनेट की बैठक में कहा कि भारत में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस महामारी से लड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के नियमों का पालन सही ढंग से किया गया, तब कोरोना के संक्रमण पर जल्द ही भारत नियंत्रण कर सकता है. इस दौरान पीएम ने दावा किया कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में भारत दूसरे देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.
कोराना के खिलाफ इस वैश्विक जंग के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो अमेरिका, इटली, जर्मनी, स्पेन जैसे विकसित देशों की तुलना में भारत में कोरोना के मामले काफी कम हैं. विश्व महाशक्ति अमेरिका में ही कोरोना के कारण अब तक 22 हजार से अधिक लोगों की जान गई और वहां दो लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं.
इन आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में जहां प्रति दस लाख (मिलियन) पर औसतन 17.3 मौतें हुई हैं जबकि भारत में यह औसत इससे काफी नीचे 0.3 है. सुपरपावर अमेरिका में हर 10 लाख लोगों पर औसत 86 लोगों को जान गंवानी पड़ी है जबकि स्पेन में यह संख्या 402, इटली में 358 और फ्रांस में 261 है. हर एक मिलियन यानी 10 लाख लोगों पर कोरोना के सामने आए केसों के मामले में भी भारत की स्थिति दूसरे देशों की तुलना में काफी बेहतर है. विश्व में 10 लाख लोगों पर 267 केस सामने आए हैं जबकि भारत में आश्चर्यजनक रूप से यहं संख्या 7 जी हां केवल सात है.
अमेरिका में 10 लाख लोगों पर 1496 केस सामने आए हैं जबकि स्पेन में यह संख्या 10 लाख लोगों पर 3864, इटली में 2732 और फ्रांस में 2265 है. इन आंकड़ों की तुलना करें तो साफ पता चलता है कि अमेरिका, स्पेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे दूसरे देशों की तुलना में भारत काफी बेहतर स्थिति में है. भारत की कोशिश अब लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों का पालन कर कोराना के खिलाफ यह कठिन लड़ाई जीतने पर है. लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा के दौरान भी पीएम ने कहा था कि कोरोना की चुनौती केे मुकाबला करने में विकासशील देश, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में विकसित स्थिति में हैं
चेतन भगत (Chetan Bhagat) ने एक ट्वीट किया है और इसमें बताया है कि अमेरिकी सरकार किस तरह से अपने नागरिकों की आर्थिक सहायता कर रही है.
नई दिल्ली:मशहूर राइटर चेतन भगत (Chetan Bhagat) सोशल मीडिया पर अपने बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाते हैं. चेतन भगत लगातार कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पैदा हुए हालात को लेकर ट्वीट कर रहे हैं. चेतन भगत (Chetan Bhagat) ने हाल ही में कुछ ट्वीट किए हैं जिनमें उन्होंने न सिर्फ कोरोना वायरस के दुनिया भर में असर की बात कही है बल्कि यह भी बताया है कि अमेरिका किस तरह बहुत ही मजबूती के साथ अपने नागरिकों की मदद कर रहा है.
चेतन भगत (Chetan Bhagat) ने एक ट्वीट किया है और इसमें बताया है कि अमेरिकी सरकार किस तरह से अपने नागरिकों की आर्थिक सहायता कर रही है. चेतन भगत ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘इस हफ्ते आठ करोड़ अमेरिकियों को 1200 डॉलर प्रति व्यस्क डायरेक्ट कैश ट्रांसफर हुए हैं. प्रत्येक बच्चे के लिए 500 डॉलर अलग से भी मिले हैं. चार सदस्यों के एक परिवार को 3,400 डॉलर मिल रहे हैं, यानी लगभग 2.61 लाख रुपये. जो भी देश इस खर्चे को उठा सगता है, उसे अपने नागरिकों की मदद इसी तरह के सपोर्ट के जरिये करनी चाहिए.’
चेतन भगत (Chetan Bhagat) ने इससे पहले भी एक ट्वीट किया था, ‘दुनिया भर में कारोबार पर असर पड़ेगा. हालांकि बाद में अमीर देशों की कंपनियां बच जाएंगी या उन्हें बचा लिया जाएगा. भारत जैसे गरीब देश ऐसा करने में सक्षम नहीं होंगे. इसलिए जब हालात सुधरेंगे तो विदेशी कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. अमीर, हमेशा अमीर ही रहेगा.’
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) लगाई गई है, जिसमें गरीबों को मुफ्त मोबाइट डाटा, टीवी सर्विस, डीटीएच और सैटेलाइट टीवी की सेवा मुहैया कराने की मांग
याचिका में इसको लेकर केंद्र सरकार और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को निर्देश देने की अपील की गई है. कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. स्कूल, कॉलेज, मॉल, मंदिर, मस्जिद, क्लब समेत सभी सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया गया है. सड़कें और गलियां वीरान हो गई हैं. लॉकडाउन के बावजूद भारत समेत विश्वभर में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है.
रामायण महाभारत के बहुत सी ऐसे कलाकार हैं, जो काफी समय पहले दुनिया छोड़ चुके हैं
रामायण सीरियल के कलाकार अपने शो को टीवी पर देख भावुक हो रहे हैं वहीं रामायण महाभारत के बहुत सी ऐसे कलाकार हैं, जो काफी समय पहले दुनिया छोड़ चुके हैं. आइए आपको इनके बारे में बताएं:
एक्टर धर्मेश तिवारी ने महाभारत में कृपाचार्य की भूमिका निभाई थी. इसके साथ ही उन्होंने महाभारत और बर्बरीक नाम के शो का लेखन और निर्देशन भी किया था. वे 2001 में Cine and TV Artistes Association के जनरल सेक्रेटरी रहे और 2003 में FWICE यानी Federation of Western India Cine Employees के प्रेसिडेंट भी रहे. साथ ही उन्होंने ABP न्यूज चैनल पर प्रधानमंत्री नाम के शो में जसवंत सिंह का किरदार भी निभाया था. साल 2014 में उनकी डायबिटीज की वजह से मौत हो गई. वे 63 साल के थे. रामायण और फिर महाभारत में हनुमान का किरदार निभाने वाले एक्टर दारा सिंह बेहद फेमस थे. उन्होंने ना सिर्फ टीवी बल्कि बॉलीवुड की फिल्मों में भी बढ़िया काम करके दिखाया था. उनकी फेमस फिल्मों में जब वी मेट, कल हो न हो संग कई नए और पुराने जमाने की फिल्में शामिल हैं. एक्टिंग के अलावा दारा सिंह डायरेक्टर भी थे. साल 2012 में उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. डॉक्टर्स ने बताया था कि उनका दिमाग खून ना पहुंचने की वजह से डैमेज हो गया है. 11 जुलाई 2012 को उन्होंने अपने मुम्बई वाले घर में दम तोड़ दिया था. सीरियल महाभारत में गोगा कपूर ने कंस की भूमिका निभाई थी. गोगा कपूर बॉलीवुड के फेमस विलेन्स में से एक थे. उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्मों तूफ़ान और अग्निपथ के साथ-साथ कई और फ़िल्मों में विलेन का रोल निभाया था. इसके अलावा उन्होंने कयामत से कयामत तक, रजा को रानी से प्यार हो गया और रिफ्यूजी जैसी फिल्मों में भी काम किया था. साल 2011 में 70 वर्षीय गोगा कपूर ने लंबी बीमारी की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया. सीरियल महाभारत में गोगा कपूर ने कंस की भूमिका निभाई थी. गोगा कपूर बॉलीवुड के फेमस विलेन्स में से एक थे. उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्मों तूफ़ान और अग्निपथ के साथ-साथ कई और फ़िल्मों में विलेन का रोल निभाया था. इसके अलावा उन्होंने कयामत से कयामत तक, रजा को रानी से प्यार हो गया और रिफ्यूजी जैसी फिल्मों में भी काम किया था. साल 2011 में 70 वर्षीय गोगा कपूर ने लंबी बीमारी की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया. सीरियल महाभारत में गोगा कपूर ने कंस की भूमिका निभाई थी. गोगा कपूर बॉलीवुड के फेमस विलेन्स में से एक थे. उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्मों तूफ़ान और अग्निपथ के साथ-साथ कई और फ़िल्मों में विलेन का रोल निभाया था. इसके अलावा उन्होंने कयामत से कयामत तक, रजा को रानी से प्यार हो गया और रिफ्यूजी जैसी फिल्मों में भी काम किया था. साल 2011 में 70 वर्षीय गोगा कपूर ने लंबी बीमारी की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया.
महापंडित दशानन ने जीवन में कई ग्रंथों का लिखा
रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा थे. जिन्होंन ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था. जिनसे कुबेर का जन्म हुआ. विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम कैकसी था.
रावण की तो उसके पिता ऋषि विश्वश्रवा थे. जिन्होंन ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था. जिनसे कुबेर का जन्म हुआ. विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम कैकसी था. जिनसे रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा ने जन्म लिया. पौराणिक कथाओं में इनके अतिरिक्त, अहिरावण, खर और दूषण भी रावण के भाई थे. यही नहीं सूर्पनखा के अतिरिक्त उसकी एक ओर बहन थी जिसका नाम कुम्भिनी था. कुंभिनी का विवाह मथुरा के राजा मधु राक्षस से हुआ था. कुंभिनी राक्षस लवणासुर की मां थी. रावण को दशानन भी कहा गया है माना गया है कि रावण के दस सिर थे और वह प्रकांड पंडित था. बताया जाता है उसे वास्तु और विज्ञान विद्या और ज्योतिष का भी ज्ञान है. रावण में अपने जीवन में कई ग्रंथों का लिखा जिसे आज भी याद किया जाता है. आइए जानत उन ग्रंथों के बारे में…
महापंडित दशानन ने जीवन में कई ग्रंथों का लिखा
रावण संहिता: ज्योतिष के स्तर पर रावण ने अपने जीवन अन्य विद्याओं के समागम करते हुए रावण ने रावण संहिता लिखा है.
शिव तांडव स्त्रोत: रावण को भगवान शिव बहुत बड़ा भक्त था. बताया जाता है कि एक बार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस श्लोक का निर्माण किया था. तब से शिव की हर उपासना में इस मंत्र का विशेष स्थान रहता है.
दस शतकात्मक अर्कप्रकाश: रावण द्वारा रचित इस ग्रंथ में उपचार और तंत्र विद्या के बारे में वर्णन है.
दस पटलात्मक: इस ग्रंथ में चिकित्सा और तंत्र विद्या को लेकर रावण ने जानकारी दी है.
कुमारतंत्र: आयुर्वेद के रहस्य, ज्योतिष और तंत्र विद्या के बारे में रावण ने इस ग्रंथ में संकलन किया है.
नाड़ी परीक्षा: नाड़ी चिकित्सा के क्षेत्र में रावण ने अपने ज्ञान इस ग्रंथ में प्रकाशित किया है.
उड्डीशतंत्र: चिकित्सा और तंत्र विद्या के साथ साथ वशीकरण और विशिष्ट तंत्र ज्ञान और साधनाओं का रहस्य इस ग्रंथ में रावण ने उद्घाटित किया है.
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