पतंजलि कोरोना दवा लाइसेंस विवाद में भी फँसी & Top News 24 June 20

24 June 20: High Light# पतंजलि कोरोना दवा लाइसेंस विवाद में भी फँस #भारतीय जनता पार्टी के महासचिव ‘जबरिया क़ब्ज़े’ को लेकर उलझ गये #, जुलाई में भारत में कोरोना बढ़ा तो सीमा पर भारत तनाव बढ़ा सकता है- सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कुछ विश्लेषकों के हवाले से लिखा है #कोरोना संक्रमण के 70 फ़ीसदी मामले  महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश # पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर बनने जा रहा है. # बीजेपी की सांसद रुपा गांगुली ने भी सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अपने विचार व्यक्त किये Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

पतंजलि कोरोना दवा लाइसेंस विवाद में भी फँस

अब बाबा रामदेव की पतंजलि कोरोना दवा लाइसेंस विवाद में भी फँस गई है। उत्तराखंड के एक लाइसेंसिंग अधिकारी ने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद ने कभी यह खुलासा नहीं किया कि यह नयी दवा किट कोरोना वायरस के लिए थी। अधिकारी ने कहा कि पतंजलि ने ‘प्रतिरक्षा बूस्टर और खाँसी और बुखार के इलाज’ के लिए लाइसेंस माँगा था और उसमें कोरोना का कहीं ज़िक्र नहीं था। इसके साथ ही दवा को लेकर पहले से ही विवादों में रही पतंजलि की मुश्किल बढ़ गई है।

राजस्थान सरकार ने बाबा रामदेव के कोरोना की दवा कोरोनिल खोजने के दावे को फ्रॉड करार दिया है. राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि महामारी के समय बाबा रामदेव ने इस तरह से कोरोना की दवा बेचने की कोशिश की है, जो अच्छी बात नहीं है. 

एक दिन पहले ही पतंजलि ने कोरोना की दवा को लॉन्च किया था। बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने मंगलवार को ही कोरोनिल दवा से कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि कोरोनिल के साथ श्वासारी वटी भी लेनी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, जयपुर ने मिलकर इस दवा को तैयार किया है। उनके मुताबिक़, दवा के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के लिए सीटीआरआई की मंजूरी ली गई थी। 

रामदेव ने कहा था कि सात दिनों के भीतर यह दवा लोगों को मिलनी शुरू हो जाएगी। रामदेव के मुताबिक़, कोरोनिल में गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा को शामिल किया गया है जो हमारी इम्यूनिटी को मज़बूत बनाता है। उन्होंने कहा था कि एलोपैथिक दवाओं को लेना ज़रूरी नहीं है। लेकिन इस घोषणा के साथ ही वह दवा और कंपनी, ट्रायल प्रक्रियाओं को पालन किया या नहीं, इसको लेकर विवादों में फँस गयी थी।

आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को जारी नोटिफ़िकेशन में पतंजलि से कहा कि वह इस दवा से जुड़ी जानकारियों के बारे में जानकारी दे। इसमें वह दवा का नाम और संयोजन, शोध के अध्ययन का विवरण, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी की स्वीकृति, क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री- इंडिया (सीटीआरआई) पंजीकरण और परिणाम के डेटा के बारे में बताए। 

नोटिफ़िकेशन में कहा गया है, ‘आयुष मंत्रालय ने मीडिया में पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना के इलाज के लिए बनाई गई दवा के बारे में आ रही ख़बरों का संज्ञान लिया है। इस दावे के पीछे जो तथ्य और विवरण है, इस बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं है।’

सरकार ने उत्तराखंड सरकार के लाइसेंसिंग प्राधिकरण को दवाओं के लाइसेंस और उत्पाद अनुमोदन के विवरण की प्रतियाँ देने के लिए भी कहा था। इसी के बाद आज उत्तराखंड के एक लाइसेंसिंग अधिकारी ने कहा कि बाबा रामदेव ने उत्तराखंड सरकार से यह कहकर लाइसेंस लिया कि ये दवाई कफ और बुखार ठीक करेगी, इम्यूनिटी बढ़ाएगी।

राजस्थान के जिस अस्पताल से क्लिनिकल ट्रायल का दावा किया जा रहा है उसकी राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी।कहा तो यह जा रहा है कि इसकी सूचना तक नहीं दी गई थी। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि अनुमति की छोड़िए हमसे से तो किसी ने पूछा तक नहीं। उन्होंने कोरोना की दवा ईजाद करने के मामले में बाबा रामदेव के दावे पर गंभीर सवाल उठाते हुए भारत सरकार से उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग की है। 

राजस्थान सरकार द्वारा कार्रवाई के सवाल पर रघु शर्मा ने कहा कि हमारे डॉक्टर ने एफ़आईआर दर्ज करवाई है। हम देखेंगे कि क्या कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन करके 9 बिंदु में निर्देश दिए हैं जिनका किसी भी दवा के ट्रायल में पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने सभी प्रावधानों का उल्लंघन किया है। रघु शर्मा ने कहा कि क़ानून के हिसाब से यह ट्रायल अवैध है और क़ानून के दायरे में लाकर इन्हें सज़ा देनी चाहिए। 

भारतीय जनता पार्टी के महासचिव ‘जबरिया क़ब्ज़े’ को लेकर उलझ गये

भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और मध्य प्रदेश के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के एक सरकारी घर पर कथित तौर पर ‘जबरिया क़ब्ज़े’ को लेकर उलझ गये हैं। बंगला उन्हें लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहते अलाॅट हुआ था। बाद में बाला-बाला इस घर को उस आशा फ़ाउंडेशन के नाम आवंटित कर दिया गया था, जिसकी मुखिया विजयवर्गीय की पत्नी आशा विजयवर्गीय हैं। सामने आया है कि फ़ाउंडेशन ने पिछले 10 सालों से बंगले का किराया नहीं भरा है। इंदौर के पलासिया क्षेत्र स्थित सरकारी घर से जुड़ा पूरा मामला बेहद दिलचस्प है। क्षेत्र में कई बंगले हैं। बंगला नंबर 2 और 3 लोक निर्माण विभाग के पुल में हैं। साल 2003 में बीजेपी सत्ता में आयी थी। कैलाश विजयवर्गीय मंत्री बनाये गये थे। विजयर्गीय के पास लोक निर्माण महकमे का ज़िम्मा आया था।

इंदौर से आने वाले विजयवर्गीय को लोक निर्माण मंत्री के नाते पलासिया क्षेत्र में बंगला नंबर 3 अलाॅट किया गया था। साल 2008 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विजयवर्गीय को अलाॅट यह बंगला ‘आशा फ़ाउंडेशन’ के नाम आवंटित हो गया था। फ़ाउंडेशन की संचालक कैलाश विजयवर्गीय की आशा विजयवर्गीय हैं।

वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में निज़ाम बदला। पन्द्रह सालों तक सत्ता में रही बीजेपी की सरकार चली गई। कांग्रेस का राज आया। इंदौर के कांग्रेसी नेता सज्जन सिंह वर्मा लोक निर्माण मंत्री बने। पलासिया क्षेत्र का बंगला नंबर 2 वर्मा को अलाॅट किया गया। पन्द्रह महीनों बाद कमलनाथ की सरकार चली गई। शिवराज सरकार आ गई। शिवराज फिर मुख्यमंत्री हो गये। सरकार बदलते ही नाथ सरकार में मंत्री रहे नेताओं से भोपाल समेत मध्य प्रदेश भर में सरकारी आवास खाली कराने का सिलसिला आरंभ हुआ। भोपाल में तो कई पूर्व मंत्रियों के सरकारी घरों को सील तक किया गया।

उन्होंने कहा, ‘पूर्व हो जाने की वजह से जब उनसे सरकारी घर खाली कराया जा रहा है तो बरसों पहले मंत्री नहीं रहे कैलाश विजयवर्गीय से वक़्त रहते घर खाली कराने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’ वर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि कैलाश विजयवर्गीय के नाम अलाॅट बंगला बाला-बाला उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय के फ़ाउंडेशन के नाम आख़िर कैसे और क्यों हो गया? बंगले को लेकर विवाद गहराने के बीच पलासिया क्षेत्र के बंगले की देखरेख के लिए अधिकृत कार्यपालन यंत्री राजेन्द्र कुमार जोशी से मीडिया ने सवाल किये तो उनके बयान ने पूरे मामले को नया रंग दे दिया। जोशी ने मीडिया को दी गई अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह बंगला आशा फ़ाउंडेशन के नाम आख़िर कैसे ट्रांसफर हो गया।’ मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा, ‘इंदौर के भाई के इस कृत्य से जुड़े पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए।’ भूपेन्द्र गुप्ता ने यह भी कहा, ‘बीजेपी की कथनी और करनी में भारी फर्क है। प्रतिपक्ष के लिए कुछ नियम होते हैं और सत्तापक्ष से जुड़े लोगों के लिए कुछ और होते हैं।’ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता गुप्ता ने कैलाश विजयवर्गीय से बंगले का  दस सालों का बकाया किराया ब्याज समेत वसूले जाने की माँग भी की। 

जुलाई में भारत में कोरोना बढ़ा तो सीमा पर भारत तनाव बढ़ा सकता है- सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कुछ विश्लेषकों के हवाले से लिखा है

  भारत सरकार महामारी को नियंत्रित करने में विफल रहती है तो भारत सीमा क्षेत्रों में और अधिक परेशानी पैदा कर सकता है, इसके साथ ही नेपाल और पाकिस्तान सहित दूसरे देशों के साथ सीमा क्षेत्रों में भी तनाव पैदा कर सकता है– चीन के सरकारी अख़बार ने कुछ विश्लेषकों के हवाले से लिखा है

भारत चीन सीमा तनाव के बीच चीन एक तरफ़ तो भारत के साथ सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की बात कर रहा है और दूसरी तरफ़ धमकी और नये सिरे से तनाव की बात भी कह रहा है। यानी दोतरफ़ा बातें! चीन के सरकारी मीडिया और सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अब एक नया राग छेड़ा है। दो दिन पहले ही 1962 से भी बुरे हाल होने की धमकी देने वाले इस अख़बार ने कहा है कि जुलाई में भारत में कोरोना बढ़ा तो सीमा पर भारत तनाव बढ़ा सकता है। चीन का यह कहना, सीधे-सीधे भारत पर उकसावे का आरोप मढ़ने जैसा है।  हालाँकि ग्लोबल टाइम्स ने लेख में भारत चीन सीमा तनाव को कम करने की बात से शुरुआत की है और कहा है कि दोनों पक्ष तनाव को कम करने के पक्ष में हैं।

इसने लिखा है, ‘चीनी विश्लेषकों ने कहा कि सैन्य और राजनयिक दोनों माध्यमों से चीन और भारत के बीच लगातार संवाद बताते हैं कि सीमा विवादों को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के पास एक परिपक्व तंत्र है, जो 15 जून के टकराव के बाद तनाव को कम करने के लिए तैयार हैं।’ चीन के सरकारी अख़बार ने कुछ विश्लेषकों के हवाले से लिखा है, ‘यह संभव है कि भारत जुलाई में सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक परेशानी पैदा कर सकता है, क्योंकि इसने एक बार अपने वादों को तोड़ दिया है और ऐसा दूसरी बार भी कर सकता है।’ हालाँकि इसने यह भी कहा है कि युद्ध की सरगर्मी की संभावना नहीं है, लेकिन चीनी सीमा सैनिकों को सबसे ख़राब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

जुलाई में संघर्ष बढ़ने को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने अजीब तर्क दिया है। ग्लोबल टाइम्स ने शंघाई एकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज के इंटरनेशनल रिलेशंस इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता हू झियोंग के हवाले से लिखा है, ‘भारत, जिसने COVID-19 और आर्थिक स्थिति से निपटने में सरकार की अक्षमता से घरेलू ध्यान हटाने की कोशिश की, ने अपने वादों को तोड़ दिया और पहली बैठक के 10 दिनों के बाद ही एकतरफ़ा मामले को भड़का दिया।’

अख़बार ने हू झियोंग के हवाले से लिखा, ‘अगर जुलाई में भारत सरकार महामारी को नियंत्रित करने में विफल रहती है तो भारतीय पक्ष अगले महीने चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में और अधिक परेशानी पैदा कर सकता है, इसके साथ ही नेपाल और पाकिस्तान सहित दूसरे देशों के साथ सीमा क्षेत्रों में भी तनाव पैदा कर सकता है।’

ग्लोबल टाइम्स ने जो दावे किए हैं कि भारत ने एकतरफ़ा मामले को भड़का दिया वह दरअसल, उलटा आरोप लगा रहा है। चीन ही वह देश है जिसने पहले मामले को उकसाया। चीन गलवान और पूरे लद्दाख क्षेत्र में पहले विवादित जगह की ओर बढ़ा और फिर भारत की सीमा में घुस आया। चीनी सैनिक भारते के पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 यानी PP14 और PP19 तक आ गए और गलवान घाटी पर दावे करने लगे। जब भारतीय जवानों ने उन्हें टोका तो झड़प हो गई।

कोरोना संक्रमण के 70 फ़ीसदी मामले  महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश

दुनिया भर में अब तक 92,64,569 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 4,77,601 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 15,968 मामले सामने आए हैं और 465 लोगों की मौत हुई है।  भारत में अब तक 4,56,183 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 14,476 लोगों की मौत हो चुकी है।  संक्रमण के मामलों में महाराष्ट्र सबसे आगे है। संक्रमण के 3,214 नए मामले आने के साथ ही संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा बढ़कर 1,39,010 हो गया है। 

दिल्ली: कोरोना मरीजों की संख्या 70 हजार के पार, अबतक 2365 लोगों की मौत

कोरोना वायरस के मामले तेजी से पांच लाख की तरफ बढ़ रहे हैं। देश में 23 जून को 15 हजार से अधिक संक्रमित मिले हैं। इसके बाद अभी तक 4.57 लाख लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। जबकि साढ़े 14 हजार के करीब लोगों की महामारी से मौत हो चुकी है। भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 23 जून को रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली में रिकॉर्ड 3947 लोग महामारी से सिर्फ एक दिन में संक्रमित हुए हैं। जबकि महाराष्ट्र में 3214 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। देश में ऐसा पहली बार हुआ हैं महाराष्ट्र से ज्यादा दिल्ली में संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा इसके अलावा तमिलनाडु में 2516, तेलंगाना में 879, गुजरात में 549, हरियाणा में 495, आंध्र प्रदेश में 462 संक्रमित हुए हैं। दूसरी तरफ पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 15656 मामले आए हैं। इसके बाद भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 4,57,656 हो चुकी है। इनमें से 2,59,411 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। जबकि 1,83,685 मरीज अभी तक अस्पतालों में भर्ती है। देश में आज 24 जून को 812 मरीज ठीक हुए हैं। 22 जून को रिकॉर्ड 10879 मरीज ठीक हुए थे। भारत में अभी तक 14,505 लोगों की मौत हो चुकी है।

दिल्ली में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 3947 मामले सामने आए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना से संक्रमित होने वालों का आंकड़ा 66,602 पहुंच गया है।  भारत में संक्रमण के कुल मामलों में से 70 फ़ीसदी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश से आए हैं।  अमेरिका में कोरोना वायरस से अब तक 1,21,228 और ब्राज़ील में 52,645 लोगों की मौत हो चुकी है।  ब्रिटेन में कोरोना वायरस से 43,011 जबकि इटली में 34,675 लोगों की जान गई है।  फ़्रांस में अब तक 29,723 और स्पेन में 28,325 लोगों को कोरोना वायरस के कारण जान गंवानी पड़ी है। 

अब भारत में कोरोना अपने उरुज पर है और आँकड़े ख़तरनाक होते जा रहे हैं तो एक नयी बहस कि क्या हिंदुस्तान पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा कोरोना वाला देश बन सकता है यानी कोरोना प्रभावित देशों में पहले पायदान पर पहुँच सकता है? अगर यह सवाल किसी ने तीन महीने पहले पूछा होता तो शायद कभी नहीं कह पाता, पर आज की स्थिति में यह संभव है। 10 जुलाई तक भारत के रूस को पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुँच जाने की संभावना है। फिर हमारी प्रतिस्पर्धा डोनल्ड ट्रंप और बोसोनारो से है।

इन तीनों देशों के यहाँ एक बात समान है कि तीनों ही राजनेता अपनी आक्रामक शैलियों और बड़बोलेपन के कारण जाने जाते हैं और कोविड मामलों में तीनों का रवैया शुरुआत में एक जैसा ही था। बस हमारे लिए अच्छा यह हुआ कि हमारा ज़्यादा नुक़सान होने से पहले दुनिया के तमाम देशों में यह बढ़ चुका था तो हम उतने विलंब से नहीं थे जितना अमेरिका और ब्राज़ील थे। डोनल्ड ट्रंप ने शुरुआत में तो यहाँ तक कहा कि अमेरिका में सामान्य फ्लू से सालाना 30-35 हज़ार सालाना मौतें होती हैं तो ये कोई आपदा नहीं है लेकिन समय के साथ उन्हें इस रोग की भयावहता का एहसास हुआ। अब स्थिति यह है कि सामान्य इंफ्लूएंज़ा फ्लू की अपेक्षा 50 गुना ज़्यादा लोग मर रहे हैं। 

अमेरिकी संस्थान सीडीसी (Central for Decease Control and Prevention) के अनुसार फ्लू से प्रभावित लोगों की मृत्यु दर 0.01 प्रतिशत रहती थी जबकि कोरोना की मृत्यु दर 5 प्रतिशत के आसपास चल रही है। वर्तमान में अमेरिका में कोरोना प्रभावितों की संख्या क़रीब 24 लाख हो गयी है। न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, कैलिफोर्निया और टेक्सास समेत सात राज्यों में यह संख्या एक लाख के पार है और पूरे अमेरिका में 1.22 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है। 

ब्राज़ील इस महामारी में एक उदाहरण बनकर उभरा है कि कैसे किसी आपदा से नहीं निपटना है। ब्राज़ील में पहला केस 26 फ़रवरी यानी भारत के एक महीने बाद मिला लेकिन ब्राज़ील के राष्ट्रपति उसे सामान्य फ्लू बताकर उसका मज़ाक़ उड़ाते रहे। ख़ुद कई सार्वजनिक जगहों पर जाते रहे जिससे यह साबित कर सकें कि कोरोना में कोई दम नहीं है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ने लगी और इतनी बिगड़ी कि एक समय पर ब्राज़ीलियन सरकार ने रोज़ का डाटा ही प्रकाशित करना बंद कर दिया। लेकिन वहाँ सिविल सोसाइटी और विपक्ष के लोग सुप्रीम कोर्ट चले गये और कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए यह आदेश दिया कि रोज़ाना बुलेटिन प्रकाशित किया जाए और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

कमाल बात यह है कि जो देश सबसे ज़्यादा प्रभावित है उस देश में कोई फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर तक नहीं है। उनके राष्ट्रपति खुद दवाएँ प्रेसक्राइब कर रहे थे जैसा कि डोनल्ड ट्रंप ने किया था। और दोनों देशों ने बिना जाँच के ही भर-भर कर मलेरिया की दवाएँ खरीदीं जो बाद में किसी काम नहीं आयीं। 

रूस में भव्य विक्ट्री परेड हो रही है

रूस में भव्य विक्ट्री परेड हो रही है. मॉस्को में एतिहासिक रेड स्क्वायर पर इस विजय परेड में भारतीय सेना के तीनों अंगों का 75 सदस्यीय दल भी शामिल हैं. रूस के न्योते पर ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह परेड में विशेष मेहमान के तौर पर शामिल हुए हैं. पहले ये परेड 9 मई को होनी थी लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. हर साल 9 मई को नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत के वर्षगांठ पर ये परेड होती है. ये परेड 90 मिनट की होती है. परेड में भारत और चीन की सेनाओं ने भी मार्च किया.

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर बनने जा रहा है.

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर बनने जा रहा है. 10 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले भगवान श्री कृष्ण के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. जानकारी के मुताबिक, मंदिर राजधानी के एच-9 क्षेत्र में 20 हजार वर्ग फुट में बनाया जाएगा.

मंदिर के लिए भूमि पूजन समारोह मंगलवार को मानवाधिकार के संसदीय सचिव लाल चंद मल्ही द्वारा किया गया था. सभा को संबोधित करते हुए मल्ही ने कहा कि इस्लामाबाद और उसके आस-पास के इलाकों में 1947 से पहले के कई मंदिर थे, जिनमें एक सैदपुर गांव और एक कोरंग नदी के पास है. हालांकि, उनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

 डॉन समाचार के मुताबिक, इस्लामाबाद में हिंदू आबादी पिछले दो दशकों में काफी बढ़ी है और इसलिए मंदिर की आवश्यकता महसूस हो रही थी. मल्ही ने इस दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लिए इस्लामाबाद में श्मशान की कमी पर खेद भी जताया.

धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी ने कहा कि निर्माण की लागत सरकार वहन करेगी, जिसके निर्माण में 10 करोड़ रुपये की लागत आएगी है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि मंत्री पहले ही प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मंदिर के लिए विशेष अनुदान का मामला उठा चुके हैं.

इस्लामाबाद हिंदू पंचायत ने मंदिर का नाम श्री कृष्ण मंदिर रखा है. मंदिर परिसर में एक श्मशान स्थल भी होगा, इसके अलावा अन्य धार्मिक संस्कारों के लिए अलग-अलग संरचनाओं के लिए जगह होगी.

बीजेपी की सांसद रुपा गांगुली ने भी सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अपने विचार व्यक्त किये

महाभारत में द्रौपदी का रोल करके प्रसिद्ध हुई एक्ट्रेस और राज्यसभा में बीजेपी की सांसद रुपा गांगुली ने भी सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अपने विचार व्यक्त किये है। सुशांत के सुसाइड का मामला बहुत ज्यादा तूल पकड़ता जा रहा है। सब ये जानना चाहते है कि क्यों सुशांत ने यह कदम उठाया। यह सच में सुसाइड है या मर्डर।

सुशांत की मौत को लेकर सब कुछ ना कुछ कह रहे है। बहुत से लोग उनके इस सुसाइड को मर्डर भी बता रहे है और इस केस की सीबीआई (CBI) जांच करवाने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में ही सांसद रुपा गांगुली ने भी सुशांत की मौत को लेकर सीबीआई जांच करवाने को कहा है। उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी टैग किया है।

उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए सीबीआई की जांच करवाने की मांग की है। रुपा गांगुली ने अपने ट्वीट में लिखा “पुलिस कैसे इसे सुसाइड घोषित कर सकती है जबकि वहां कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नेपोटिस्म को लेकर बहस छिड़ी हुई है। जिसके चलते काफी सारे स्टारकिड्स को ट्रोलर्स का सामना करना पड़ रहा है। इन स्टारकिड्स में आलिया भट्ट का नाम भी शामिल है। जिनको लोग बहुत ही ज्यादा ट्रोल कर रहे है। एक तो इसका कारण यह है कि जबसे करण जौहर के शो का वीडियो लीक हुआ है जिसमें आलिया भट्ट ने सुशांत सिंह राजपूत को एक गेम में सवाल के दौरान जवाब में मारने के लिए कहा था। तब से लेकर सुशांत के फैंस आलिया को खरी खोटी सुना रहे है। ऐसे में आलिया लोगों के द्वारा जबरदस्त ट्रोल हो रही है।

ऐसे में ही आलिया भट्ट के और नेपोटिस्म के बचाव में उतरी है सोनी राजदान। सोनी राजदान आलिया भट्ट की माँ है और महेश भट्ट की पत्नी है। सोनी राजदान ने दरअसल ये ट्वीट बॉलीवुड के डायरेक्टर हंसल मेहता के ट्वीट का जवाब देते हुए किया है।

हंसल ने अपने ट्वीट में लिखा था कि मेरा बेटा फिल्में इसलिए नहीं बनाएगा क्योंकि मैं उसे प्रोड्यूस करूँगा। वह फिल्म इसलिए बनाएगा क्योंकि वह काबिल है। वह अपना करियर बनाने वाला खुद होगा। मेरी परछाई उसके लिए फायदा और नुकसान दोनों वाली हो सकती है।

सोनी राज़दान ने जवाब में लिखा “लोगों की अपेक्षा तब और होती है क्योंकि आप जिनके बेटे या बेटी है वो आपसे कही ज्यादा है। यह भी कहना चाहती हूँ जो लोग आज नेपोटिस्म पर हल्ला मचा रहे है और जिन्होंने अपने दम पर सब कुछ बनाया है उनके बच्चे भी होंगे कल को। वो तब क्या करेंगे जब उनके बच्चें इंडस्ट्री ज्वाइन करना चाहेंगे। क्या वो उन्हें ऐसा करने से रोक देंगे?”

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