7 फरवरी 2021 षटतिला एकादशी – चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही ; हैरान करने वाला जलजला

Chamoli, Uttarakhand: : Ten people have died and over 100 are missing, and feared dead, after a glacier break at Joshimath in Uttarakhand’s Chamoli district triggered massive flooding of the Alaknanda and Dhauliganga rivers on Sunday. Thousands were evacuated from their houses and the floodwaters damaged both homes and the nearby Rishiganga and NTPC power plants. Disaster response teams have been deployed. The Army has committed four columns – and three helicopters are conducting aerial surveys – and seven Navy diving teams are on standby. Prime Minister Narendra Modi tweeted: “India stands with Uttarakhand and the nation prays for everyone’s safety.”  Earlier Uttarakhand Chief Secretary Om Prakash said around 150 are feared dead.

उत्तराखंड के चमोली में आज ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मच गई है। चमोली जिले के रेणी गांव के पास ग्लेशियर टूटा है। चमोली से करीब 21 किलोमीटर जोशीमठ में दोपहर 2 बजे तक बादल फटने जैसी आवाज से दहशत है।   ग्लेशियर टूटने की वजह से यहां पावर प्रोजेक्ट ऋषि गंगा और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट को बड़ा नुकसान हुआ है। पावर प्रोजेक्ट ऋषि गंगा पर लगभग 50 मजूदर काम कर रहे थे जोकि लापता हैं। मजदूरों को ढूंढने के लिए रेस्कयू ऑपरेशन जारी है।तपोवन के रैणी गांव के पास सुबह करीब साढ़े दस बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा। नदी के ठीक किनारे ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। वहीं दूसरे छोर पर रैणी गांव है। इस गांव के आस-पास रैणी चाक, लता, सुभाई, जुगाजुक्लाता गांव भी हैं।

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7 फरवरी 2021 को माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाला जाता है. मान्यता है कि इस दिन भक्तिभाव और विधि पूर्वक भगवान विष्णु पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है.

जिस वक्त यह बर्फीला तूफान आया उस वक्त जोशीमठ में अच्छी खासी धूप खिली हुई थी, जिससे भी लोग हैरान हैं।

इन गांवों में करीब दो हजार की आबादी रहती है। ग्लेशियर फटने से सबसे पहले ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया। देखते ही देखते पूरा इलाका पानी-पानी हो गया। रैणी गांव में भी पानी आया, लेकिन उसका स्तर बहुत ज्यादा नहीं हुआ। इसके चलते यहां ज्यादा नुकसान भी नहीं हुआ। लेकिन ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे करीब दो सौ लोग वहीं फंस गए। इनमें मजदूर से लेकर प्रोजेक्ट के ऑफिसर भी शामिल हैं। ऋषिगंगा के बाद ग्लेशियर टूटने का असर तपोवन इलाके में स्थित धौलीगंगा नदी में भी देखने को मिला। धौलीगंगा और ऋषिगंगा दोनों नदियां पांच किलोमीटर के दायरे में ही हैं। धौलीगंगा के किनारे NTPC का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट चल रहा है। धौलीगंगा का तेज बहाव आया तो यहां का प्रोजेक्ट भी बर्बाद हो गया। यहां काम कर रहे सौ से डेढ़ सौ लोग बह गए। पानी का तेज बहाव जोशीमठ मलारिया हाईवे तक पहुंच गया था। यहां बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) का पुल टूट गया। यहां पर भी कुछ लोगों की मौत की खबर है, लेकिन कितना ये पता नहीं।

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ के हालात हैं। चारों ओर तबाही का मंजर नजर आ रहा है। पानी और मलबे का तेज बहाव पहाड़ों की ओर से आ रहा है। रैणी गांव में बने मलारी रोड के पुल के बहने से चायना बॉर्डर का रास्ता भी बंद हो गया है। चमोली के तपोवन इलाके में हुई घटना से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बह गया।

उत्तराखण्ड जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही, कई लोगों के बहने की आशंका – हरिद्वार तक अलर्ट जारी। उत्तराखंड (Uttarkhand) के चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची है। जिसमें करीब 150 लोगों के बहने की आशंका है।  चमोली जिले के रैणी गांव के ऊपर वाली गली से ग्लेशियर टूट गया है जिस कारण यहां पावर प्रोजेक्ट ऋषि गंगा को भारी नुकसान हुआ है। साथ ही धौलीगंगा ग्लेशियर की तबाही के साथ तपोवन में बैराज को भी भारी नुकसान की सूचना मिल रही है।

वहीं जानकरी सामने आ रही है कि स्वयं उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत घटनास्थल की ओर रवाना हो रहे हैं।  हादसे पर उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया है। अलकनन्दा का पानी का बहाव रोका जा सके। इसलिए श्रीनगर डैम तथा ऋषिकेष डैम को खाली करवा दिया है। एसडीआरएफ (SDRF) अलर्ट पर है। मेरी आपसे विनती है। अफवाहें न फैलाएं। मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चमोली के रिणी गांव में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को भारी बारिश व अचानक पानी आने से क्षति की संभावना है। नदी में अचानक पानी आने से अलकनंदा के निचले क्षेत्रों में भी बाढ़ की संभावना है। तटीय क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट किया गया है। नदी किनारे बसे लोगों को हटाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ट्वीट कर कहा है कि यदि आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं व आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के नम्बर 1070 या 9557444486 पर संपर्क करें। कृपया घटना के बारे में पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं। वहीं अपील की कि मेरी सभी से विनती है कि कृपया कोई भी पुराने वीडियो जारी (video share) कर panic ना फैलाएं। हालातों पर काबू पाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सभी लोग धैर्य बनाए रखें।

सेंट्रल डेस्क – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक के अनुसार

उत्तराखंड चमोली 7 फरवरी :- उत्तराखंड के चमोली जिले से एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां जोशीमठ में ग्लेशियर गिरने से डैम टूट गया है। इसमें कई लोगों के बहे जाने की बात कही जा रही है। जो लोग बहे हैं वे निचले इलाकों में रहने वाले बताए गए हैं। पोस्ट जोशीमठ से हेड कांस्टेबल मंगल सिंह द्वारा बताया गया कि उन्हें समय 10:55 बजे थाना जोशीमठ से सूचना मिली की रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली थी। इसके बाद हरिद्वार तक अलर्ट जारी कर दिया गया है।बताया जा रहा है कि तपोवन के ऊपर से किसी नदी के फटने की वजह से ऐसा हुआ है। जिस नदी के फटने की बात कही जा रही है, उसे धौली गंगा भी कहा जाता है। जिस वक्त यह बर्फीला तूफान आया उस वक्त जोशीमठ में अच्छी खासी धूप खिली हुई थी, जिससे भी लोग हैरान हैं।

उत्तराखंड में आज सुबह 11 बजे जोशीमठ के आसपास एक बहुत बड़ी दुर्घटना हुई। ग्लेशियर टूटने से पानी का बहाव बहुत बड़ा है, पहले ऋषिगंगा और बाद में अलकनंदा में जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। कुछ लोगों के हताहत होने की प्राथमिक सूचना मिली है।

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना पर दुख जताया है। वहीं उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों पर अपडेट ले रहा हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बात की। उन्होंने बचाव और राहत कार्य का जायज़ा लिया। अधिकारी प्रभावित लोगों को हर संभव मदद प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आए जल प्रलय आपदा पर दुख जताया है और उत्तराखंड सरकार को मदद की पेशकश भी की है।

हरियाणा के चरखी दादरी में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटा है, रिपोर्ट के मुताबिक वहां 50-60 लोग मारे जा चुके हैं। पानी बहुत तबाही मचाते हुए आ रहा है, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में सब जगह अलर्ट कर दिया गया है। हम प्रशासन के साथ मिलकर हर संभव मदद करेंगे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को चमोली जिले में ग्लेशियर के फटने और बाढ़ के कारण उत्पन्न स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रभावित लोगों की मदद करने का आग्रह भी किया है। तुरंत जाएं और वहां के लोगों की मदद करें। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि चमोली जिले में आपदा दुखद है और मेरा दिल उत्तराखंड के लोगों के लिए है। राज्य सरकार को प्रभावित लोगों की तुरंत मदद करनी चाहिए। साथ ही कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को इस दुख की घड़ी में जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, DG ITBP व DG NDRF से बात की। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने में युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। NDRF की टीमें बचाव कार्य के लिए निकल गयी हैं। देवभूमि को हर संभव मदद दी जाएगी। NDRF की कुछ और टीमें दिल्ली से एयरलिफ्ट करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं। हम वहां स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं।

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।ग्लेशियर फटने से वहां बन रहे बांध को क्षति पहुंची है। मानवक्षति के बारे में अभी अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। पानी की तीव्रता चमोली तक आते-आते काफी कम हो गई है। गृह सचिव से मेरी बात हो गई है और गृह मंत्री से थोड़ी देर में बात करूंगा।

वर्षों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह एकत्र होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है। 99 फीसदी ग्लेशियर आइस शीट (Ice Sheet) के रूप में होते हैं, जिसे महाद्वीपीय ग्लेशियर भी कहा जाता है। यह अधिकांशत: ध्रुवीय क्षेत्रों या ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे ही ग्लेशियर पाए जाते हैं। किसी भू-वैज्ञानिक हलचल (गुरुत्वाकर्षण, प्लेटों के नजदीक आने, या दूर जाने) की वजह से जब इसके नीचे गतिविधि होती है, तब यह टूटता है। कई बार ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी ग्लेशियर के बर्फ पिघल कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं। यह प्रक्रिया ग्लेशियर फटना या टूटना कहलाता है। इसे काल्विंग या ग्लेशियर आउटबर्स्ट भी कहा जाता है।

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