गुजरात को लेकर इन दिनों उत्‍तरांखड की सरकार विपक्ष के निशाने पर & Top UK News 10 April 20

19 April 20# High Light# भगवान केदारनाथ धाम के रावल 1008 भीमाशंकर लिंग रविवार तड़के ऊखीमठ पहुंचे गए # विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाओं ने जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान करते हुए भोजन पैकेट उपलब्ध कराये # शिक्षकों, आशा कार्यकर्तियों  एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों द्वारा अब तक कुल 385226 व्यक्तियों की सामुदायिक निगरानी# नेहा जोशी ने गांधी शताब्दी अस्पताल में डाक्टरों को 50 नग पीपीई कीट प्रदान #चमोली 19 अप्रैल,2020 कामगारों को अब प्रतिदिन 201 रुपये के हिसाब से मजदूरी का भुगतान # चमोली लाकडाउन की अवधि में उद्योग संचालित करने के लिए अनुमति हेतु आवेदन प्रक्रिया शुरू# चमोली में 16 ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आई नेगेटिव# उत्तराखंड के लोग अब पेटीएम ऐप का इस्तेमाल कर बिजली, पानी और अपने दूसरे जरूरी बिलों का भुगतान कर सकते हैं # गुुुुुुजरात को लेकर सरकार निशाने पर- लॉकडाउन के बाद की एक कहानी ऐसी भी / गुजरात के 1800 लोग हरिद्वार में फंसे थे, अमित शाह और रूपाणी के कहने पर लग्जरी बसों से सीधे घर पहुंचा दिए गए # कोरोना संक्रमण (Coronavirus) को देखते हुए जहां पूरे उत्तराखंड (Uttarakhand) में सीमाएं सील कर दी गई हैं टिहरीजनपद  में  जंगलों के रास्ते या अन्य तरीकों से गांवों में पहुंच रहे हैं, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है.

भगवान केदारनाथ धाम के रावल 1008 भीमाशंकर लिंग रविवार तड़के ऊखीमठ पहुंचे गए

  भगवान केदारनाथ धाम के रावल 1008 भीमाशंकर लिंग रविवार तड़के ऊखीमठ पहुंचे गए। वह महाराष्ट्र के नादेड़ से शुक्रवार सायं ही ऊखीमठ के लिए रवाना हुए। जबकि रविवार सुबह 7 बजे ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचे। सोसियल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सीधे प्रशासन के निर्देशों पर होम क्वारंटाइन में चल दिए। जबकि उनके साथ आए 5 लोगों को भी होम क्वारंटाइन में रखा गया है। रावल 1008 भीमाशंकर लिंग के साथ महाराष्ट्र से ऊखीमठ- लौटे लोगो में , किशोर स्वामी, परमेश्वर स्वामी, प्रकाश देशमुख, नवनाथ चालक, रमेश चालक हैैं

कोरोना संक्रमण के चलते केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग को महाराष्ट्र से उत्तराखंड आने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ी। महाराष्ट्र सरकार के साथ ही उत्तराखंड सरकार की अनुमति के बाद वह रविवार को ऊखीमठ पहुंचे। इस बीच विभिन्न स्थानों पर रावल का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। 3 बजे सिरोबगड़ और साढ़े 6 बजे कुंड बैरियर पर भी डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उनकी जांच की गई। इसके बाद रावल सुबह 7 बजे ऊखीमठ मंदिर परिसर पहुंचे। यहां सोसियल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उनका स्वागत किया गया। केदारनाथ रावल के साथ महाराष्ट्र से 5 लोग भी आए हैं। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि केदारनाथ रावल 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहेंगे।

Dehradun News: विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाओं ने जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान करते हुए भोजन पैकेट उपलब्ध कराये

देहरादून दिनांक 19 अप्रैल 2020 (जि.सू.का),  जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अवगत कराया है कि आज विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाओं ने जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान करते हुए भोजन पैकेट उपलब्ध कराये, जिसमें मुख्यतः राधास्वामी सत्संग व्यास, गीता भवन, लोकायुक्त कार्यालय देहरादून,  गौरव अग्रवाल-अग्रवाल चेरिटेबल ट्रस्ट, गुरूद्वारा श्री गुरू अंगद देव जी कांवली रोड, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर समिति झण्डाबाजार, दून यूनिवर्सिटी, केतन आनन्द, रोशनी जन सेवा संस्थान डी.एल रोड चैक देहरादून, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय देहरादून, राजकुमार जिंदल नेहरू कालोनी, सत्य सांई सेवा संस्थान, ई-नेट सोल्यूशन ट्रांस्पोर्टनगर देहरादून, गोयल स्वीटशाॅप, शिल्पा प्रोडक्शन द्वारा भोजन के पैकेट उपलब्ध कराये गये। जनपद सदर क्षेत्रान्तर्गत कुल 5170 व्यक्तियों को  भोजन पैकेट वितरित किये गये जिनमें, 1 वरिष्ठ नागरिक एवं 45 विद्यार्थी, थाना पटेलनगर में 800, दीपनगर में 900, चकशाहनगर में 1000, इन्दिरानगर चैकी में 300, पटेलनगर चैकी में 150, बंजारावाला में 110, कारगी काली मन्दिर में 135, बाईपास चैकी में 150, जाखन में 10, चमन विहार में 80, जी.एम.एस रोड में 60, ब्रहा्रम्पुरी में 20, थाना प्रेमनगर में 25, धारा चैकी में 550, नत्थनपुर में 100, गोविन्दगढ में 70, ट्रांस्पोर्टनगर में 200, नवादा में 14, चन्द्रबनी में 100, चैयला में 150 नगर निगम में 200 भोजन के पैकेट वितरित किया गये। श्री पुनीत वाधवा, वाधवा गु्रप ट्रास्पोर्टनगर  द्वारा  9000 मास्क जिला प्रशासन को उपलब्ध कराये गये हैंे। जिला प्रशासन की टीम द्वारा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं एवं व्यक्तियों के सहयोग से जनपद के विभिन्न स्थानों पर 3392 अन्नपूर्णा राशन किट वितरित की गयी तहसील सदर में 62, कोतवाली दून में 550, थाना नेहरू कालोनी में 750, थाना राजपुर में 430, थाना प्रेमनगर में 450, थाना पटेलनगर में 700, थाना रायपुर में 150, थाना बसंत विहार में 100, थाना कैंट में 200 अन्नपूर्णा किट वितरित किये गये।
  लाॅक डाउन अवधि के दौरान विभिन्न सामाजिक  संगठनों एवं संस्थाओं द्वारा भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। जिला खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा आज भोजन बनाने वाली संस्थान लोकायुक्त कार्यालय पटेलनगर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर समिति झंडा बाजार, श्री गीता भवन मंदिर समिति राजा रोड, देहरादून के किचन का निरीक्षण जिला प्रशासन की टीम द्वारा किया गया। जिलाधिकारी के निर्देशों के अनुपालन में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से जनपद अन्तर्गत विकासखण्ड चकराता, विकासनगर, सहसपुर, रायपुर व डोईवाला में कुल 1575 निराश्रित पशुओं जिसमें 950 श्वान, 580 गौवंश एवं 45 अन्य पशुओं को चारा व पशु आहार उपलब्ध कराया गया। कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत जिला आपदा परिचालन केन्द्र देहरादून में जन सहायता हेतु स्थापित कन्ट्रोलरूम में कुल 35 काॅल प्राप्त हुई हैं, जिसमें, ई-पास हेतु 3, भोजन हेतु 2,  राशन हेतु 24 एवं मेडिकल सहायता हेतु 6 काॅल प्राप्त हुई।  
जिला प्रशासन द्वारा भगत सिंह कालोनी में राशन एवं आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की गयी इसके अलावा जिला पूर्ति विभाग द्वारा भगत सिहं कोलोनी में 20, लक्खीबाग में 20, एवं कारगीग्रान्ट में 10 गैस सिलेण्डर वितरित किये गये। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत भगत सिंह कालोनी में 647 तथा लक्खीबाग क्षेत्र में 607 एवं कारगीग्रान्ट में 382 उपभोक्ताओं को खाद्यान उपलब्ध कराया गया। दुग्ध विकास विभाग द्वारा भगत सिंह कालोनी, लक्खीबाग एवं कारगीग्रान्ट में 1010 ली0 दूध विक्रय किया गया। आज भगत सिंह कोलोनी में मोबाईल एटीएम वैन जनसुविधा हेतु उपलब्ध रही। कोरोना वायरस संक्रमण कोविड-19 की रोकथाम एवं अन्य व्यवस्थाओं के सम्पादन हेतु आज सुविधा सुपर मार्केट रिस्पना पुल देहरादून के 26 कार्मिकों को उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ ए.के डिमरी द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
  लाॅक डाउन अवधि में सिविल सोसायटी व शासकीय विभागों द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों  के दृष्टिगत आज के कोरोना वाॅरियर:-
कोरोना वाॅरियर (सिविल सोसायटी से)
श्री भरत सहगल,
देहरादून ई-नेट सोल्युशन, प्रा0 लि0 ट्रांस्पोर्टनगर देहरादून
जिला प्रशासन को प्रतिदिन भोजन पैकेट एवं पेयजल उपलब्ध करवाकर सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

आज के कोरोना वाॅरियर (शासकीय विभाग से)  
डाॅ0 अनोज कुमार डिमरी,
उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी देहरादून।
लाॅक डाउन अवधि में विभिन्न विभागों एवं संस्थानों के कार्मिकों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव हेतु प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

कोरोना वाॅरियर 
श्री चन्दन झा,
द्रोण वाटिका रेजीडेंट सोसायटी देहरादून।
माननीय मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता राशि प्रदान की गयी।

Dehradun: शिक्षकों, आशा कार्यकर्तियों  एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों द्वारा अब तक कुल 385226 व्यक्तियों की सामुदायिक निगरानी

देहरादून दिनांक 19 अप्रैल 2020 (जि.सू.का), जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुपालन में कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों हेतु दैनिक सर्विलांस के आधार पर शिक्षकों, आशा कार्यकर्तियों  एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों द्वारा अब तक कुल 385226 व्यक्तियों की सामुदायिक निगरानी का कार्य किया गया तथा उक्त व्यक्तियों में से पुनः आज 4126 व्यक्तियों की  सामुदायिक निगरानी ( Community Surveillance  ) का कार्य किया गया। आज सामुदायिक निगरानी टीम द्वारा सम्पर्क किये जाने पर जनपद में कुल 1 व्यक्तियों को खांसी,जुकाम आदि के लक्षण पाये जाने पर मेडिकल टीम को सन्दर्भित कर दिया गया है। इसी क्रम में आज 37 टीमों द्वारा दूरभाष के माध्यम से 202 व्यक्तियों से सम्पर्क कर सामुदायिक निगरानी का कार्य किया गया। आज कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टिगत संदिग्ध 21 व्यक्तियों के सैंपल जांच हेतु भेजे गये हैं तथा 41 सैम्पल प्राप्त हुए जिनमें सभी व्यक्तियों की रिपोर्ट नेगिटिव है। जनपद में कुल  कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 20 है जिसमें 09 व्यक्ति ठीक हो गये हैं तथा वर्तमान में शेष 11 व्यक्ति उपचाररत् हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टिगत लाॅक डाउन अवधि के दौरान जनपद में बनाये गये 15 राहत शिविरों (Relief Camps    ) में ठहरे 441 व्यक्तियों का चिकित्सकों एवं परामर्शदाताओं (  Counsellors  ) द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण उपरान्त कांउसिलिंग प्रदान की गयी। कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टिगत दिहाड़ी/मजदूरी करने आये 17 श्रमिकों जिन्हे मदरसा जामिया उल उलूम सहसपुर, रा0इ0का0 निगम रोड सेलाकुई में बनाये गये राहत शिविर में ठहराया गया है, की साईकेट्रिक सपोर्ट टीम द्वारा कांउसिलिंग की गयी। आज कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम हेतु नियुक्त विभिन्न कार्मिकों को संक्रमण से सुरक्षा के दृष्टिगत 99 एन-95 मास्क, 4250 ट्रिपल लेयर मास्क, 115 पी.पी.ई किट, 10 वी.टी.एम वाईल तथा 417 सेनिटाइजर उपलब्ध कराये गये। कोरोना वायरस संक्रमण कोविड-19 की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु समस्त मेडिकल स्टोर पर बिना चिकित्सक के परामर्श की पर्ची के सर्दी, खांसी व जुकाम की दवाईयों का विक्रय प्रतिबन्धित किये जाने के उपरान्त समस्त मेडिकल स्टोर स्वामियों द्वारा जनपद में कुल 48 व्यक्तियों को चिकित्सकीय पर्ची के आधार पर सर्दी, खांसी व जुकाम की दवाईयां विक्रय की गयी।

नेहा जोशी ने गांधी शताब्दी अस्पताल में डाक्टरों को 50 नग पीपीई कीट प्रदान

देहरादून 19 अप्रैल: भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी नेहा जोशी ने बताया कि भाजयुमो की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम महाजन द्वारा कोरोना के इस संकट में बीजेवाईएम कैयर्स नाम से एक अभियान चलाया हुआ है जिसमें कोरोना वारियर्स को पीपीई कीट, सेनिटाइजर, मास्क आदि सुरक्षा उपकरण देकर उनका मनोबल भी बढ़ाना है। इसी कड़ी के अन्र्तगत भाजयुमो कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर से पुलिस, डाॅक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाॅफ और सफाई कर्मचारियों को सम्मानित भी कर रहे हैं।  
      बुधवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी नेहा जोशी के नेतृत्व में भाजयुमो पदाधिकारियों ने देहरादून के गांधी शताब्दी अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 मिनाक्षी जोशी एवं पं0 दीनदयाल उपाध्याय कोरोनेशन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 बीसी रमोला को डाॅक्टर, नर्स एवं अन्य स्टाॅफ के लिए 50 नग पीपीई कीट प्रदान की। उन्होनें बताया कि देहरादून ही नहीं अपितु प्रदेश के पर्वतीय जिलों के जिला अस्पतालों में भी भाजयुमो पीपीई कीट उपलब्ध कराऐगा। उन्होनें बताया कि अगले एक माह तक यह अभियान जारी रहेगा।
      इस अवसर पर अंशुल चावला, सिकन्दर सिंह, आशीष रावत, शुभम सिमल्टी, राहुल लारा, निखिल शर्मा, अजय राणा, शंकर रावत, दीपक नैथानी, ऋषभ पाल, विवेक कोठारी आदि उपस्थित रहे।

 देहरादून: – आज दिनांक 19 अप्रैल दिन रविवार को श्री श्री बालाजी सेवा समिति द्वारा चलाई जा रही सीता रसोई के माध्यम से लोक डाउन शुरू होने के बाद से लगातार चलाई जा रही सीता रसोई ना केवल भोजन बल्कि सुबह की चाय शाम को दूध की सेवा जल की सेवा गौ चारा सेवा आदि कार्य बढ़-चढ़कर कर रही है। जिसमें आज सीता रसोई के माध्यम से 1800 – 2000 लोगों के छोले कुलचे का भोजन कराया गया  200 पैकेट पटेल नगर चौकी, 450 पैकेट को मोहल्ला, धारा चौकी 800 पैकेट, 700 से 800 पैकेट देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में जरूरतमंद एवं असहाय लोगों को वितरित किए गए! सीता रसोई जिसमें मुख्य रूप से मुख्य संरक्षक श्री राम कुमार गुप्ता, श्री कुलभूषण अग्रवाल, के सानिध्य में अध्यक्ष श्री अखिलेश अग्रवाल, सचिव मनोज खंडेलवाल, प्रभारी सीता रसोई ओम प्रकाश गुप्ता, उमाशंकर रघुवंशी, पंकज चांदना, चंद्रेश अरोड़ा, विजय बिष्ट, ऋषभ अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

चमोली 19 अप्रैल,2020 मनरेगा कामगारों को बडी राहत 

चमोली 19 अप्रैल,2020 (सू0वि0)
कोरोना वायरस महामारी के मध्येनजर मनरेगा कामगारों को बडी राहत दी गई है। मनरेगा कामगारों को अब प्रतिदिन 201 रुपये के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। पहले मनरेगा श्रमिकों को 182 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता था। इतना ही नही लाॅकडाउन की अवधि में मनरेगा से जुड़े कार्यो को करने की भी छूट दे दी गई है। अब 20 अप्रैल से मनरेगा से जुड़े कार्य भी किए जा सकते है। हालांकि मजदूरों को फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं मास्क पहनना अनिवार्य होगा और एक स्थान पर केवल 5 मनरेगा मजदूर को ही काम करने की इजाजत होगी। जनपद चमोली में 110773 मनरेगा श्रमिक पंजीकृत है, जिसमें से 91996 श्रमिक ही वर्तमान में सक्रिय है। विकासखण्ड कर्णप्रयाग में 10943, जोशीमठ में 10292, दशोली में 13564, घाट में 12025, नारायणबगड में 9218, गैरसैंण में 14323, थराली में 7110, देवाल में 6147 तथा पोखरी में 8374 सक्रिय मनरेगा श्रमिक है। इन सभी श्रमिको को लाॅकडाउन में मनरेगा कार्य करने में छूट दी गई है।

चमोली लाकडाउन की अवधि में उद्योग संचालित करने के लिए अनुमति हेतु आवेदन प्रक्रिया शुरू

चमोली 19 अप्रैल,2020 (सू0वि0)
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जारी लाॅकडाउन की अवधि में उद्योग संचालित करने के लिए अनुमति हेतु आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उद्योग इकाईयों को 20 अप्रैल से उत्पादन शुरू करने के लिए आॅनलाईन अनुमति जारी की जा रही है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि उद्योग इकाईयों में उत्पादन शुरू करने के लिए उद्योग केन्द्र के सिंगल विडों पोटर्ल investuttarakhand.com पर अनुमति हेतु कोई भी उद्यमी आवेदन कर सकता है। 

कोरोना संक्रमण को देखते हुए तीन मई तक लाॅकडाउन को बढाया गया है। इस बीच जिला प्रशासन द्वारा मिनी औद्योगिक अस्थानों में आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन शुरू करने के लिए कुछ शर्तो पर छूट दी जा रही है। उद्योगों को संचालित करने के लिए कोविड 19 की रोकथाम हेतु जारी एडवाइजरी का पूरी तरह से पालन करना होगा। जनपद में मिनी औद्योगिक अस्थान कालेश्वर में आवश्यक वस्तुओं से जुड़े लगभग 16 उद्यम स्थापित है। कालेश्वर में उत्पादन शुरू करने के लिए अभी तक 03 फूड प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग यूनिटों ने आनलाइन आवेदन किया था। चमोली जिला प्रशासन ने इन उद्यमों को उत्पादन शुरू करने की अनुमति जारी कर दी है।
लाकडाउन में अब कृषि से संबधित कार्यो, सड़क निर्माण से जुड़े अधूरे कार्यो को पूरा करने एवं उद्यम इकाईयों में उत्पादन शुरू करने हेतु आवेदन के आधार अनुमति दी जा रही है। जबकि दैनिक आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई में पहले से ही छूट दी गई है। 

चमोली में 16 ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आई नेगेटिव।

कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत चमोली में अब तक लिए गए सभी 16 लोगों के ब्लड सैंपल की जाॅच रिपोर्ट नेगेटिव आने से राहत मिली है। कोरोना मरीजों के इलाज हेतु जिला अस्पताल गोपेश्वर में बनाए गए आइसोलेशन बैड में एहतियात के तौर पर 04 मरीजों को भर्ती किया गया है।  कोरोना वायरस (कोबिड-19) संक्रमण के चलते एहतियात के तौर पर जनपद चमोली में 1808 लोगों को होम क्वारेन्टाइन में रखा गया। जबकि बाहर से आए 90 लोगों को क्वारेन्टाइन फेसलिटी में रखा गया है। होम क्वारेन्टीन लोगों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गठित 23 मोबाइल चिकित्सा टीमों ने शनिवार को 37 गांवों में घर-घर जाकर 207 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। 
जिले में कोरोना संक्रमण पर निगरानी रखने के लिए जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने 18 ब्लाक एवं सिटी रिसपोंस टीमें भी गठित की है। इन टीमों ने कोरोना संदिग्धों की जानकारी जुटाने के लिए अब तक 5822 लोगों से संपर्क किया गया है। 
कोरोना संकट की इस घडी में कोई भूखा ना रहे इसके लिए भी जिला प्रशासन सजग है। जिला प्रशासन ने गरीब, मजदूर एवं जरूरतमंद लोगों में अभी तक 4180 ड्राई राशन किट तथा 2209 लोगों को पका हुआ भोजन खिलाया गया। पाॅलिटेक्निक गौचर में बनाए गए रिलीफ सेंटर में 29 मजदूरों रह रहे है। इन मजदूरों को भी नियमित खाने, रहने, मनोरंजन आदि की समुचित व्यवस्था भी जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है।  जिले में लाॅकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। लाॅकडाउन का उल्लंघन करने पर डीएम एक्ट के तहत 19 एफआईआर, 151-सीआरपीसी के तहत 43, डीएम एक्ट के तहत 23, पुलिस एक्ट के तहत 64 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके है। इसके आलावा 194 चालान और 54 वाहनों को सीज किया गया है। जिले में खाद्यन्न आपूर्ति सुचारू बनी हुई है। स्टाॅक में गेहूं 1739.48 कुन्तल, चावल 2534.10 कुन्तल, मसूर दाल 82.74 कुन्तल, चना दाल 112.09 कुन्तल, चीनी 106.57 कुन्तल, पीएम गरीब कल्याण खाद्यान्न 3570.14 कुन्तल तथा घरेलू गैस के 3122 सिलेण्डर शेष है।  

उत्तराखंड के लोग अब पेटीएम ऐप का इस्तेमाल कर बिजली, पानी और अपने दूसरे जरूरी बिलों का भुगतान कर सकते हैं

उत्तराखंड के लोग अब पेटीएम ऐप का इस्तेमाल कर बिजली, पानी और अपने दूसरे जरूरी बिलों का भुगतान कर सकते हैं  – पेटीएम ऐप “स्टे ऐट होम एसेंशियल्स पेमेंट्स फीचर” से लोगों को एक ही जगह सब बिलों को भरने की सुविधा दे रहा है  – उत्तराखंड के निवासी पेटीएम ऐप पर उत्तराखंड जल संस्थान के पानी बिल जैसे जरूरी बिलों का भुगतान समय पर कर सकते हैं  – मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज करना, क्रेडिट कार्ड का बिल भरना और इंश्योरेंस का प्रीमियम भरना भी आसान हो गया है

देहरादून, 19 अप्रैल 2020 – कोविड-19 के फैलाव को कम करने के लिए, देश के सभी लोगों को एहतियाती दिशानिर्देशों के तहत अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है। ऐसी स्थिति में, उत्तराखंड के निवासी अपने सभी आवश्यक बिलों का भुगतान पेटीएम ऐप पर कर सकते हैं।  वे उत्तराखंड जल संस्थान के पानी के बिल चुका सकते हैं, अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कर सकते हैं, मोबाइल एवं डीटीएच को रिचार्ज करा सकते हैं। यही नहीं, लोग पेटीएम ऐप पर अपने अपार्टमेंट के मेंटेनेंस बिल का भी पेमेंट कर सकते हैं।

भारत के प्रमुख डिजिटल पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज प्लेटफॉर्म पेटीएम ने हाल ही में “स्टे ऐट होम एसेंशियल पेमेंट फीचर” से यूजर इंटरफेस को नया रूप दिया है। अब लोगों की हर तरह के बिलों का भुगतान करने की सभी जरूरतें सिंगल प्लेटफॉर्म पर पूरी हो सकती हैं। अब लोग बिलों के पेमेंट के लिए अलग-अलग वेबसाइट पर जाए बिना अपनी जरूरत के मुताबिक सर्विस प्रोवाइडर्स का आइकन चुन सकते हैं। शानदार ढंग से बनए गए इस ऐप से यूजर अपने मोबाइल बिल भर सकते हैं। डीटीएच रिचार्ज करा सकते हैं। बिजली का बिल भर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड आदि का भुगतान कर सकते हैं। इसमें गैस सिलिडंर बुक कराने का विकल्प भी है। यही नहीं, बीमा सेवाओं के लिए स्पेशल “बाय इंश्योरेंस” टैब भी मौजूद है।

उत्तराखंड के निवासी कुछ मिनटों में अपने अपार्टमेंट मेंटेनेंस बिल का भी भुगतान कर सकते हैं। यदि आपकी सोसायटी अपार्टमेंट पेटीएम एप्प पर पंजीकृत नहीं है, तब भी आप कुछ आसान से चरणों का पालन कर भुगतान आरंभ कर सकते हैं।

पेटीएम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अमित वीर ने कहा, “हमारी टीम ने घर से काम करने के मौके का फायदा यह समझने के लिए किया है कि किस तरह हम उत्तराखंड के लोगों की मदद कर सकते हैं। हमने पेटीएम ऐप के इंटरफेस को नए सिरे से सुधारा है, ताकि उत्तराखंड के लोग आवश्यक पेमेंट आइकन को आसानी से देख सकें। इस तरह वह घर से बाहर निकलने और कोरोना वायरस की चपेट में आने के जोखिम से बचे रह सकते हैं। हमने कोविड-19 पर सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए एक सूचना और सहायता केंद्र भी शुरू किया है, जिससे लोग अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैली गलत जानकारी से किसी बहकावे में न आएं। हम अपने ऐप पर 50 राष्ट्रीय और प्रादेशिक अखबारों के ई-पेपर संस्करण को पढ़ने की सुविधा भी लोगों को मुहैया करा रहे हैं। हमारे सेल्फ एसेसमेंट टूल की मदद से, यूजर वायरस के रिस्क फैक्टर की जांच कर सकते हैं और सुरक्षित रहने के लिए सभी जरूरी कदम उठा सकते हैं।”

हाल के कुछ हफ्तों में, पेटीएम ने कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए कई पहल की है। कंपनी पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ रुपये का योगदान देने के लिए डोनेशन इकट्ठी कर रही है। इसके अलावा, कंपनी मजदूरों के लिए भोजन का प्रबंध करने के लिए भी डोनेशन जुटा रही है और इसके लिए केवीएन फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर रही है।

गुजरात को लेकर इन दिनों उत्‍तरांखड की सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर

लॉकडाउन के बाद की एक कहानी ऐसी भी / गुजरात के 1800 लोग हरिद्वार में फंसे थे, अमित शाह और रूपाणी के कहने पर लग्जरी बसों से सीधे घर पहुंचा दिए गए

देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) और गुजरात (Gujarat) राज्य का कोई सीधा लेना-देना नहीं है. गुजरात से ना तो उत्तराखंड की सीमाएं लगती हैं और ना ही गुजरात के साथ कोई ट्रेड होता है. बावजूद इसके, गुजरात को लेकर इन दिनों उत्‍तरांखड की सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर बनी हुई है. दरअसल, पूरा विवाद लॉकडाउन लागू होने के बाद गुजरात मूल के नागरिकों को उत्‍तराखंड से उनके घर तक पहुंचाने को लेकर है. विपक्षी दलों का आरोप है कि 23 मार्च को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था. अचानक लागू हुए लॉकडाउन के चलते 50 से अधिक गुजरात मूल के नागरिक उत्‍तराखंड में फंस गए थे. 25 मार्च को गुजरात मूल के इन नागरिकों को स्‍पेशल बसों के जरिए उत्‍तराखंड से गुजरात के लिए रवाना किया गया. बस, इसी बात को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया.

कांग्रेस का आरोप है कि अगर उत्‍तराखंड से कोई बस गुजरात यात्रियों को छोड़ने जा सकती है, तो फिर दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोग वापस क्यों नहीं आ सकते हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि गुजरात क्या कोई अतिविशिष्ट राज्य है. प्रीतम सिंह का कहना है कि कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश में उत्तराखंड के तमाम लोग फंसे हैं. सरकार को ऐसे परेशान लोगों को निकालने की व्यवस्था करनी चाहिए.

बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को ऐसे वक्त पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सरकार के प्रोटोकॉल मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि जो भी लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं, उन्हें भारत सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक निकाला जाएगा. लेकिन, जबतक लॉक डाउन है, उसका पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, अपने नागरिकों की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर दूसरे राज्यों की सरकारों और शासन के संपर्क में है. कांग्रेस को इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

फर्स्ट फेज के लॉकडाउन की शुरुआत में उत्तराखंड परिवहन की बस करीब 50 लोगों को लेकर गुजरात छोड़ने गई थी. उसी बस में करीब 50 उत्तराखंड के निवासी भी वापसी में सवार हुए थे. लेकिन, हरियाणा बॉर्डर पर वहां की पुलिस ने बस को रोक लिया और कोरोना के खतरे को देखते हुए बस रोक दी गई. फिर यात्रियों को राजस्थान के अलवर भेज दिया गया, जहां उन्हें क्वारीनटीन सेंटर में ऱखा गया. खाली बस वापस उत्तराखंड आ गई और तब से वो यात्री अलवर में हैं. यही वजह है कि गुजरात की बस का मुद्दा उत्तराखंड में राजनीति का मुद्दा बना हुआ है.

राहुल कोटियाल नई दिल्ली. बात 28 मार्च की है। अहमदाबाद में रहने वाले मुकेश कुमार के मोबाइल पर एक मैसेज आया। यह मैसेज उनके ही एक दोस्त ने भेजा था। इसमें लिखा था कि ‘आज रात उत्तराखंड परिवहन की कई बसें अहमदाबाद पहुंच रही हैं। ये बसें कल सुबह वापस उत्तराखंड लौटेंगी, तुम भी इनमें वापस अपने घर लौट सकते हो।’मुकेश मूल रूप से उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं। बीते कुछ सालों से वे अहमदाबाद के एक होटल में नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन के चलते होटल बंद हुआ तो उनके रोजगार पर भी अल्पविराम लग गया। देश भर के तमाम प्रवासी कामगारों की तरह मुकेश का भी मन हुआ कि वे अपने गांव लौट जाएं। लेकिन सभी सार्वजनिक यातायात बंद हो जाने के चलते वे ऐसा नहीं कर पाए। फिर 28 मार्च को जब अचानक दोस्त का मैसेज आया कि उत्तराखंड परिवहन की गाड़ियां अहमदाबाद आ रही हैं तो पहले-पहल उन्हें इस पर विश्वास ही नहीं हुआ।मुकेश को लगा कि उनके दोस्त ने शायद मैसेज भेजकर मजाक किया है। जब पूरे देश में यातायात ठप पड़ा है और सभी प्रदेशों की सीमाएं सील की जा चुकी हैं तो फिर उत्तराखंड परिवहन की बसें 1200 किलोमीटर दूर अहमदाबाद कैसे आ सकती हैं। दूसरी तरफ उनके मन का एक हिस्सा इस मैसेज पर विश्वास भी करना चाहता था और लगातार यही सोच रहा था कि शायद उत्तराखंड सरकार ने उन लोगों की मदद के लिए सच में कुछ बसें अहमदाबाद भेजी हों।इसी रात मुकेश कुमार ने देखा कि उनके होटल के सामने की मुख्य सड़क पर सच में उत्तराखंड परिवहन की कई सुपर लग्जरी बसें कतारबद्ध बढ़ी आ रही हैं। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने तुरंत ही उत्तराखंड के अपने अन्य प्रवासी साथियों से संपर्क किया और वापस अपने गांव लौटने की तैयारी करने लगे। मुकेश और उनके साथियों ने मिलकर इन बसों के ड्राइवर से वापस लौटने का समय भी मालूम कर लिया।मुकेश कुमार बताते हैं- ‘अगली सुबह यानी 29 मार्च को करीब 10 बजे हम सब लोग इन बसों के पास पहुंच गए। हम 13 साथी एक बस थे। हमारी बस के ड्राइवर ने फिर हमसे कहा कि तुम्हें ऋषिकेश तक का कुल 18 हजार रुपए किराया चुकाना होगा। ये हमें अजीब तो लगा लेकिन हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं था। मजबूरी थी इसलिए हम तैयार हो गए और हम 13 लोगों ने मिलकर तुरंत ही 18 हजार रुपए ड्राइवर को थमा दिए। हमें लगा था कि चलो इस मुश्किल वक्त में हम कम से कम किसी भी तरह अपने घर तो पहुंच जाएंगे। लेकिन वो भी नहीं हुआ।’ मुकेश और उनके साथियों को उत्तराखंड परिवहन की इन बसों ने अहमदाबाद से बैठा तो लिया लेकिन उत्तराखंड पहुंचने से पहले ही रात के अंधेरे में किसी को राजस्थान तो किसी को हरियाणा में ही उतार दिया। असल में ये तमाम बसें गुजरात में फंसे मुकेश जैसे उत्तराखंड के नागरिकों को लेने नहीं बल्कि हरिद्वार में फंसे गुजरात के नागरिकों को छोड़ने अहमदाबाद गई थी।गुजरात के मुख्यमंत्री के सचिव अश्वनी कुमार ने एक न्यूज एजेंसी को बताया- ‘गुजरात के अलग-अलग जिलों के करीब 1800 लोग हरिद्वार में फंसे हुए थे। केंद्रीय मंत्री मनसुखभाई मांडविया, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के विशेष प्रयासों से इन लोगों को वहां से निकालकर इनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की गई।’ इसी व्यवस्था के चलते उत्तराखंड परिवहन की कई गाड़ियां हरिद्वार से अहमदाबाद पहुंची थी। दिलचस्प है कि ये काम इतनी गोपनीयता से किया गया कि उत्तराखंड के परिवहन मंत्री तक को ये खबर नहीं लगी कि उनके विभाग की कई गाड़ियां लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों की सीमाओं को पार करते हुए 1200 किलोमीटर के सफर पर निकल चुकी हैं।27 मार्च को जारी एक आदेश से मालूम पड़ता है कि उत्तराखंड परिवहन की ये गाड़ियां सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देशों के तहत गुजरात भेजी गई थीं। इनका उद्देश्य हरिद्वार में फंसे गुजरात के लोगों को उनके घर पहुंचाना था। वापस लौटते हुए यही गाड़ियां वहां फंसे उत्तराखंड के लोगों को लेकर आ सकती थी, लेकिन ऐसा कोई भी आदेश उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी नहीं हुआ।जब ये बसें हरिद्वार से रवाना होने लगी और यह खबर सार्वजनिक हुई तो यह मामला विवादों से घिरने लगा। सवाल उठने लगे कि जब लॉकडाउन के चलते पूरे देश में ही लोग अलग-अलग जगहों पर फंसे हैं और उत्तराखंड में भी कई अलग-अलग राज्यों के लोग फंसे हैं तो सिर्फ गुजरात के लोगों के लिए ही विशेष बसें क्यों चलाई जा रही हैं? इसके साथ ही यह भी सवाल उठे कि तमाम जगहों से उत्तराखंड के जो प्रवासी पैदल ही लौटने पर मजबूर हैं उनके लिए कोई बस अब तक क्यों नहीं चलाई गई? साथ ही यह सवाल भी उठने लगे कि जब अहमदाबाद के लिए बसें निकल ही चुकी हैं तो फिर ये बसें खाली वापस क्यों लौटें, वहां फंसे उत्तराखंड के लोगों को ही वापस लेती आएं।यही वो समय था जब सोशल मीडिया पर ये बातें तेजी से फैलने लगीं। लिहाजा इन बसों के अहमदाबाद पहुंचने से पहले इनकी खबर वहां रहने वाले मुकेश कुमार जैसे तमाम लोगों तक एक उम्मीद बनकर पहुंच गई। अब उत्तराखंड सरकार पर भी दबाव बढ़ने लगा। राज्य के परिवहन मंत्री से इस संबंध में सवाल पूछे गए तो सामने आया कि उन्हें भी इन बसों के निकलने की कोई जानकारी नहीं थी।दबाव बढ़ने पर उत्तराखंड सरकार ने यह एलान तो कर दिया कि वापस लौटती बसें गुजरात में रह रहे प्रवासियों को लेकर लौटेंगी, लेकिन इस दिशा में कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए गए। नतीजा ये हुआ कि वहां से लौट रहे मुकेश कुमार जैसे दर्जनों उत्तराखंड के प्रवासी न तो घर के रहे न घाट के। ये तमाम लोग राजस्थान से लेकर हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में अब तक भी फंसे हुए हैं।मुकेश और उनके साथी अब किस स्थित में और उन पर क्या-क्या बीती है, इस पर चर्चा करने से पहले इस मामले से जुड़े कुछ अन्य अहम सवालों पर चर्चा करना जरूरी है। ये सवाल उन लोगों से जुड़ते हैं जिनके चलते इस पूरे प्रकरण की शुरुआत हुई। यानी हरिद्वार में फंसे वे लोग जिन्हें वापस गुजरात छोड़ने के लिए बसें चलवाई गई।बताया जा रहा है कि गुजरात के ये तमाम लोग किसी धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने हरिद्वार पहुंचे थे। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के अपने प्रदेश से आए इन लोगों को उनका करीबी भी बताया जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री के सचिव अश्वनी कुमार के आधिकारिक बयान से भी इतना तो साफ होता ही है कि जहां देशभर में लाखों लोग यहां-वहां फंसे हुए हैं, वहीं हरिद्वार में फंसे इन लोगों को सीधा गृह मंत्री के निजी हस्तक्षेप के बाद विशेष व्यवस्था करके निकाला गया है।दूसरी तरफ मुकेश कुमार जैसे लोग है, जिन्होंने अपने प्रदेश की गाड़ियों को आता देख अपने घर लौट पाने की उम्मीद पाली थी, लेकिन वो अब तक भी अधर में लटके हुए हैं। मुकेश बताते हैं- ‘हम लोग रात करीब तीन बजे हरियाणा बॉर्डर के पास पहुंचे थे। हमारे ड्राइवर ने यहां पहुंच कर हमसे कहा कि आगे पुलिस का नाका लगा है और वो सवारी से भरी गाड़ियों को बॉर्डर पार नहीं करने दे रहे। ड्राइवर ने कहा कि तुम लोग उतरकर पैदल बॉर्डर के दूसरी आेर जाओ तो मैं तुम्हें फिर से बैठा लूंगा। हम उसकी बात मानकर उतार गए, लेकिन वो उसके बाद रुका ही नहीं। हमने सारी रात सड़क पर काटी। फिर कई किलोमीटर पैदल चलकर यहां बवाल (हरियाणा) पहुंचे और उस दिन से ही एक स्कूल में ठहरे हुए हैं। कोई गाड़ी हमें लेने नहीं आई जबकि हमने न जाने कितने अधिकारियों को फोन किए।’ ऐसी ही स्थिति रुद्रप्रयाग के रहने वाले हिमालय और उनके साथियों की भी हैं। हिमालय गांधीनगर (गुजरात) के कृष्णा होटल में काम किया करते थे। बीती 29 मार्च को वे भी उत्तराखंड परिवहन की ऐसी ही बस से लौट रहे थे, लेकिन उन्हें उनके लगभग 40 अन्य साथियों के साथ राजस्थान के अलवर जिले में ही उतार दिया गया। ये सभी लोग अब भी वहीं फंसे हुए हैं और एक होस्टल में रह रहे हैं।इनसे भी ज्यादा लोग राजस्थान के उदयपुर में फंस गए हैं। पुनीत कंडारी इन्हीं में से एक हैं जो अहमदाबाद रिंग रोड पर स्थित ऑर्किड नाम के एक होटल में काम किया करते थे। पुनीत बताते हैं- ‘हम कुल 49 लोग हैं। उस रात से ही यहां फंसे हुए हैं। बस वाले ने हमें आगे ले जाने से माना कर दिया और रात के अंधेरे में यहां बीच सड़क में उतार दिया था। पुलिस हमें यहां से भगा रही थी। हमें समझ नहीं आ रहा था क्या करें। फिर हमें अपने यहां के विधायक मनोज रावत जी को फोन किया। उन्होंने ही किसी से बोलकर हमारे रहने-खाने की व्यवस्था करवाई।’केदारनाथ से कांग्रेस के विधायक मनोज रावत बताते हैं, ‘मुझे जब इन लड़कों का फोन आया तो मुझे पहले तो इनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। मुझे लगा कि जब सारा देश बंद है तो उत्तराखंड परिवहन की गाड़ियां गुजरात कैसे जा सकती हैं। फिर मैंने परिवहन मंत्री यशपाल आर्य जी को फोन किया लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। कई अन्य जगहों से जब पूरा मामला पता चला तो मैंने कोरोना के लिए नियुक्त हुए नोडल अधिकारी और प्रभारी मंत्री को पत्र लिखा कि इन सभी लोगों की तत्काल मदद की जाए। इसके बाद भी जब इन लोगों की वापसी की कोई राह नहीं बनी तो अंततः मैंने राजस्थान में रह रहे कुछ परिचितों से संपर्क किया फिर उन्होंने ही इन लोगों की व्यवस्था की।’राजस्थान और हरियाणा के अलग-अलग शहरों में फंस चुके उत्तराखंड के ये प्रवासी कहते हैं- ‘गाड़ियां नहीं चल रही थी तो हम लोग गुजरात में ही रुके हुए थे। भले ही काम बंद था और पगार नहीं मिल रही थी, लेकिन हमारे रहने-खाने की व्यवस्था सेठ ने की हुई थी। हम लोगों ने तो जब ये देखा कि हमारे अपने प्रदेश की गाड़ियां गुजरात आई हुई हैं, तब हमने वापस लौटने की सोची।’ पुनीत कंडारी कहते हैं, ‘हम 14 दिन तक सब लोगों से अलग रहने को तैयार हैं, लेकिन हमें बस उत्तराखंड पहुंचा दिया जाए। यहां ऐसे अनजान इलाके में क्यों छोड़ दिया गया है? हमारे साथ जो हुआ है और हमें जिस स्थिति में छोड़ दिया गया है उसके बाद क्या हमारे मुख्यमंत्री कभी हमसे आंखें मिलाकर कह सकेंगे- आवा आपुण घौर।’पलायन की समस्या से निपटने के लिए हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के बाहर नौकरी कर रहे तमाम युवाओं से अपील की थी – ‘आवा आपुण घौर’, जिसका मतलब है- ‘आओ अपने घर।’

कोरोना संक्रमण (Coronavirus) को देखते हुए जहां पूरे उत्तराखंड (Uttarakhand) में सीमाएं सील कर दी गई हैं टिहरीजनपद  में  जंगलों के रास्ते या अन्य तरीकों से गांवों में पहुंच रहे हैं, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है. एसडीएम (SDM) फींचाराम चौहान का कहना है कि सीमाएं सील कर दी गई है लेकिन अधिकांश ऐसी सूचनाएं मिल रही है कि लोग रातों रात जंगलों के रास्ते अपने गांव तक पहुंच रहे हैं. सूचना मिलने पर ऐसे लोगों का हेल्थ चैकअप कराया जा रहा है और उन्हें होम क्‍वारंटाइन किया जा रहा है.  टिहरी जिले के चंबा के बागी, मैठाण, जसपुर और नागणी क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह में करीब 8 से अधिक लोग दिल्ली, पंजाब और यूपी से किसी तरह गांवों तक पहुंचे जिससे स्थानीय ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.  ग्रामीणों की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम गांवों में पहुंची और बाहर से आए इन ग्रामीणों का हैल्थ चैकअप किया गया. इसके बाद इन्हें 14 दिन के लिए होम क्‍वारंटाइन कर दिया गया है. मैठाण गांव के लोगों का कहना है कि जगह-जगह पुलिस तैनात है उसके बावजूद ये लोग छुपकर जंगल और जरूरी सेवाओं के वाहनों के जरिए गांव में पहुंच रहे हैं. लेकिन पुलिस भी कुछ नहीं कर रही है. चंबा ब्लॉक के ज्येष्ठ प्रमुख संजय मैठाणी का कहना है कि प्रशासन द्वारा जब और लोगों से लॉकडाउन का पालन करने को कहा जा रहा है तो जो लोग बाहर है उन्हें वहीं पर लॉकडाउन का पालन कराया जाए और वहीं पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए, जिससे इन लोगों के साथ ही गांवों में रहने वाले लोग भी सुरक्षित रहें.  वहीं मामले में एसडीएम फींचाराम चौहान का कहना है कि सीमाएं सील कर दी गई है लेकिन अधिकांश ऐसी सूचनाएं मिल रही है कि लोग रातों रात जंगलों के रास्ते अपने गांव तक पहुंच रहे हैं. सूचना मिलने पर ऐसे लोगों का हेल्थ चैकअप कराया जा रहा है और उन्हें होम क्वारन्टाइन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि होम क्‍वारंटाइन का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा और ऐसे लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा, जिससे कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जाए और किसी तरह की पैनिक स्थिति न हो.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *