उपचुनाव – हरी झंडी मिलने के बाद इसका औपचारिक ऐलान

 उत्तर प्रदेश केे कैराना और नूरपुर उपचुनाव में होने वाले उपचुनाव को लेकर विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट होता नजर आ रहा है. शुक्रवार (04 मई) को अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की बैठक में कैराना और नूरपुर उपचुनाव को लेकर बैठक हुई. जानकारी के मुताबिक, आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर समझौता हो गया है और उपचुनाव में सीटें भी बंट गई हैं. शनिवार (05 मई) को मायावती की हरी झंडी मिलने के बाद इसका औपचारिक ऐलान हो सकता है. आपको बता दें कि अखिलेश यादव से मिलने जब जयंत चौधरी उनके घर पहुंचे तभी इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि इस उपचुनाव में दोनों के बीच कोई न कोई समझौता होने जा रहा है.  आरएलडी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता अनिल दूबे ने कहहा कि जयंत चौधरी जी की और अखिलेश यादव के बीच मुलाकात हुई है. दोनों लोगों के बीच बात हुई और हमारी भी जयंत चौधरी जी से बैठक के बाद बात हुई है. उन्‍होंने कहा कि हम लोग उत्‍तर प्रदेश में जो लोकसभा का और विधानसभा का उपचुनाव है उसे मिलकर लड़ेंगे और 2019 में संयुक्‍त रूप से लड़ने की तैयारी है. 

कैराना का गणित 
– मुस्लिम – 5.50 लाख वोटर्स 
– दलित – करीब 2 लाख वोटर्स 
– जाट – 1 लाख 75000 वोटर्स
– राजपूत- 75000 वोटर्स
– गुजर – 1.30 लाख वोटर्स
– कश्‍यप – एक लाख 20 हजार वोटर्स 
– सैनी – एक लाख 10 हजार वोटर्स 
– ब्राह्मण – 60000 वोटर्स
– वैश्‍य 55000 वोटर्स

 समाजवादी पार्टी मुस्लिम, दलित और जाट वोट पर ध्‍यान लगाना चाहती है जो 9 लाख से ज्‍यादा हैं. वहीं सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस बैठक में हुई बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही. हालांकि कैराना उपचुनाव में रालोद को मदद दिये जाने की सम्भावना के सवाल पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि सपा कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव लड़ने की तैयारी में पहले से ही लगी है. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में भेजा था. वहां उन्होंने कार्यकर्ताओं और टिकट के दावेदारों के साथ बैठक की और चार दिन पहले अपनी रिपोर्ट अखिलेश को दे दी.
कैराना में लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है. आपको बता दें कि आरएलडी जयंत चौधरी के लिए कैराना सीट मांग रही थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने यह ऐलान कर दिया था कि वो न सिर्फ कैराना बल्कि नूरपुर में भी अपना उम्मीदवार देगी. इसके बाद ही इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन लगभग टूट के कगार पर था. सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद पार्टी के हित में फैसला लिया है. 

 सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को हुई बैठक के बाद अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने अपने मतभेदों को दूर किए. बीजेपी के खिलाफ एकजुट दिखाते हुए होने वाले उपचुनावों के लिए दोनों ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन सीटों की दावेदारी तय कर दी है. 

सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी नेती जयंत चौधरी की शुक्रवार (4 मई) को हुई मुलाकात के बाद कांग्रेस यूपी में अलग-थलग पड़ गई है. आपको बता दे कि कांग्रेस ने आरएलडी के उम्मीदवार को कैराना में समर्थन देने का ऐलान किया था. अब कयास ये लगाए जा रहे हैं कि अगर आरएलडी ने कैराना सीट छोड़ दी, तो कांग्रेस क्या करेगी.

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मसूद अहमद ने भी जयन्त और अखिलेश के बीच बैठक में हुई बातचीत की जानकारी होने से इनकार किया. हालांकि यह जरूर कहा कि कैराना की जनता चाहती है कि गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में रालोद का प्रत्याशी उपचुनाव लड़े. इससे जाट और मुसलमानों के बीच भाईचारे पर मुहर लग जाएगी. कैराना के मुस्लिम नहीं चाहते कि कोई मुसलमान उपचुनाव लड़े, नहीं तो ध्रुवीकरण की स्थिति बन जाएगी.

इस सवाल पर कि क्या जयन्त खुद कैराना लोकसभा उपचुनाव लड़ना चाहते हैं, मसूद ने कहा ‘अब जयन्त जी मिले हैं तो कोई बात है ही. हम तो चाहते हैं कि महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा जाए.’ मालूम हो कि रालोद कैराना लोकसभा उपचुनाव लड़ने की इच्छा पहले ही जता चुका है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने पिछले दिनों कहा था कि पार्टी ने कैराना में समाज के सभी वर्गों को जोड़ने के लिये काफी पहले से ही काम किया है, लिहाजा बेहतर होगा कि उसका ही कोई प्रत्याशी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे.

 

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