उत्‍तराखण्‍ड वि0सभा चुनाव 2022- विधानसभाओ की सर्वे रिपोर्ट के बाद भाजपा के वरिष्‍ठ नेता चिंतित

विधानसभाओ की सर्वे रिपोर्ट के बाद भाजपा के वरिष्‍ठ नेता चिंतित

उत्‍तराखण्‍ड में 70 विधानसभाओ की सर्वे रिपोर्ट के बाद भाजपा के वरिष्‍ठ नेता चिंतित है, भाजपा के अधिकांश बडे चेहरे अपनी सीट बचाने को चिंतित है और उनमे से कुछ अपनी विधानसभा सीट बदलने को आतुर दिख रहे हैं, साढे चार साल में जनता तथा बीजेपी कार्यकर्ताओ से बनाई गई दूरी अब उन्‍हें भारी पडती दिख रही हैं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में ज्‍यादातर सिटिंग विधायको की नैया डूब रही है, इसी कारण आनन फानन में बीजेपी हाईकमान ने चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियो तथा केन्‍द्रीय मंत्रियो को विधानसभा चुनाव में जिम्‍मेदारी सौंपी हैं, परन्‍तु वही उत्‍तराखण्‍ड बीजेपी के लोकप्रिय नेता डा0 रमेश पोखरियाल निशंक को साइड किये जाने से अच्‍छा संदेश नही गया है, वही उत्‍तराखण्‍ड बीजेपी के अनेक नेता अपनी सीट बदलने को आतुर दिख रहे हैं, त्रिवेन्‍द्र सिंह रावत रायवाला से विधानसभा चुनाव लडना चाहते हैं तो हरक सिंह लैंसडोन जाना चाहते हैं, सतपाल महाराज की पसंद रामनगर विधानसभा सीट है, वही श्रीनगर विधानसभा में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत से जनता नाराज दिख रही है, यह भी संभव है कि बंगाल विधानसभा चुनाव का नजारा उत्‍तराखण्‍ड में भी देखने को मिले, हालांकि मुखियां रोज नई नई घोषणाये, योजनाये शिलान्‍यास कर जनता में दोबारा विश्‍वास जगाने की अथाह कोशिश में जुटी है, परन्‍तु जनता पर इसका कोई प्रभाव या असर फिलहाल नही दिख रहा है, जनता की नब्‍ज पकडने में नाकाम साबित हो रहे हैं, हालांकि कोशिश कर रहे हैं, मुख्‍यत- बेरोजगारी के मुददे पर सरकार बडी बडी बाते, घोषणाये तो करती दिख रही है परन्‍तु धरातल पर इसका कोई असर नही दिख रहा है, धरातल पर लोककल्‍याणारी योजनाये दिख ही नही है, यह सिर्फ अखबार के विज्ञापन मात्र साबित हो रहे है,

उत्तराखंड TNI की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में हरीश रॉवत की लहर

उत्तराखंड में इन दिनों हरीश रावत रूपी कांग्रेस लहर चल रही है।भारतीय जनता पार्टी के कुशासन के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा उत्तराखंड के गांव कस्बे और शहर मे निकाली जा रही परिवर्तन यात्रा को भारी जनसमर्थन मिल रहा है।

उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के देहांत के बाद एकमात्र पहाड़ी खाटी नेता हरीश रावत बचे हैं। सच पूछा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के पास हरीश रावत से लोहा ले सके, ऐसा कोई लीडर ही मौजूद नहीं है। अभी हाल ही में नए बनाए गए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी तो हरीश रावत के सामने बहुत बौने दिखाई पढ़ते हैं।*

दरसल पुष्कर धामी तो डमी मुख्यमंत्री जान पड़ते हैं, उनके पीछे पूर्व बदनाम नौकरशाह राकेश शर्मा की काली छाया मड़राती हुई घूम रही है।

राकेश शर्मा ही उत्तराखंड मे भ्रष्टाचार के शिरोमणि माने जाते रहे हैं। भा जा पा कितना भी छुपाने का प्रयास करें, लेकिन राकेश शर्मा की धंधेबाज के रूप में जो छवि पहाड़ के लोगों में बन गई है उसे गंगोत्री के गंगाजल से नहला कर भी समाप्त नहीं की जा सकती है।

उत्तराखंड में विधानसभा का चुनाव फरवरी 2022 में होना सुनिश्चित है। यहां चुनावी बिगुल बज चुका है आगे आगे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर्दे के पीछे से राकेश शर्मा पूर्व नौकरशाह को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित सैकड़ों वरिष्ठ भाजपा नेता भाजपा की मंजी ठोकने में लग गए हैं।

इसी बीच उत्तराखंड मे TNI ने पहाड़ की जनता का रुख जानने के लिए आंतरिक सर्वे किया है, ताकि पता लग सके उत्तराखंड में चुनावी ऊंट किस करवट बैठने वाला है।TNI द्वारा किए गए आंतरिक सर्वे के परिणाम बहुत चौंकाने वाले हैं और वहां सत्ता परिवर्तित होती स्पष्ट दिखाई दे रही है।

उत्तराखंड में 70 विधानसभा क्षेत्र हैं। अभी भारतीय जनता पार्टी का 57 सीटों पर कब्जा है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों में यह भाजपाई समीकरण गड़बड़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। हमारा आंतरिक सर्वे बता रहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस इस बार हरीश रावत के नेतृत्व मे 47 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आ सकती है। इतना ही नहीं भाजपा 19 सीटों पर सिमटती हुई दिखाई दे रही है।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को लेकर जो हल्ला गुल्ला मचाया जा रहा है उसे मात्र एक सीट पर सफलता मिल सकती है। हालांकि कांग्रेस को निपटाने के लिए यहां ओवैसी की पार्टी भी सक्रिय हो गई है, वह बड़े पैमाने पर मुस्लिम समीकरण करना चाहती है लेकिन जो भी मुस्लिम नेता ओवैसी के आकर्षण के कारण उनके साथ जा रहे हैं मुस्लिम समाज उनके साथ अभद्रता करने पर उतारू है।

उत्तराखंड में चाहे सिख सरदार हो या अल्पसंख्यक मुसलमान उनका रुझान कांग्रेस की ओर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। किसान आंदोलन के कारण भी उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के किसान बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। उत्तराखंड की जो भी सीमाएं हैं वह एक तरफ नेपाल से लगती है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की सीमाओं से, जहां किसान आंदोलन अच्छा खासा सक्रिय है। इस कारण भी मैदानी क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ वातावरण स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

उत्तराखंड में हरीश रावत एवं कांग्रेस के प्रति बन रहे माहौल को देखकर भारतीय जनता पार्टी में घबराहट स्पष्ट दिखाई दे रही है। वहीं दूसरी ओर हरीश रावत की खिलाफत करने वाले कांग्रेसी भी उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन जैसी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं। हरीश रावत खुद ही आरोप लगा चूकें है जिसमे उन्होने पेन की स्याही मे तेजाब मिलकर छिड़काव करने की आशंका ब्यक्त की थी।

ऐसी भी संभावना है हरीश रावत के उत्तराखंड में बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कोई स्टिंग ऑपरेशन करने का प्रयास किया जाए इस तरह की साजिश रची जा रही है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में होना है। यहां कांग्रेस एवं भाजपा में सीधी टक्कर होती हुई दिखाई दे रही है। ओवैसी हो या आम आदमी पार्टी यह वोट कटवा साबित तो हो सकते हैं, लेकिन चुनावी जंग जीतने से कोसों दूर है।

अनिल कुमार गुप्ता* *ब्यूरो चीफ* *TNI NEWS AGENCY* *5, सिंधिया हाउस, कनॉट प्लेस,* *नई दिल्ली0001*

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