UK ;उत्तराखंड बीजेपी के दो बड़े नेता आमने-सामने ;खुंदक पुरानी

HIGH LIGHT# :हरक सिंह ने कहा, त्रिवेंद्र रावत अब केवल साधारण से और बेचारे विधायक हैं तो ऐसे में उन पर क्या टिप्पणी की जाए. हरक ने त्रिवेंद्र रावत के काम पर ही नहीं, पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर भी सवाल उठाए

HIGH LIGHT# कुम्भ के कोरोना जांच में फर्जीवाड़े पर सियासत का खेल : हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान निजी लैब द्वारा फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट

कुंभ के नाम पर जो बंदरबांट हुई है या सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड उसकी जांच भी होगी तो बड़ा फर्जीवाड़े सामने आएगा. परन्‍तु उत्‍तराखण्‍ड गठन के बाद से अब तक किसी भी फर्जीवाडा में कोई सजा किसी को नही मिली है- कुछ समय बाद सब शांत हो जाता है-

एक्‍सक्‍लूसिव स्‍टोरी-

उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के बीच खुली जंग देखने को मिली है. दरअसल, यह मामला सत्याल को हटाने के लिए सरकार पर बने दबाव को लेकर है. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल, प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी मदन कौशिक, बंशीधर भगत, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने शमशेर सिंह सत्याल को हटाने की की पेशकश की है. इस मामले में हरक सिंह रावत को कई कैबिनेट मंत्री का साथ मिला है. वहीं सरकार पर सत्याल को जल्द हटाने का दबाव बना हुआ है.

बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को हटाने के लिए हरक सिंह ने पूरा जोर लगा दिया है, रक सिंह का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के इशारों पर सत्याल काम कर रहे

उत्तराखंड भवन सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में हालिया कुछ दिनों से जारी विवाद पर श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का गुस्सा भी फूट पड़ा। हरक ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को निशाने पर लेते हुए गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि-‘जिस डाल पर बैठे थे, उसी को काटने की साजिशें रची गई हैं। रही बात ईमानदारी की तो वक्त आने पर मैं बता दूंगा कि कौन क्या है।’

हरक ने उनके काम पर ही नहीं, पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उस वक्त मुझे बिना बताए ही कर्मकार बोर्ड से हटाकर बदनाम करने की कोशिश की। यह, एक मंत्री के लिए अपमानित करने वाली बात थी। हरक ने कहा, मुझसे भी पूछ लिया जाता। मेरी छवि धूमिल करने की पूरी कोशिश की गई। हरक ने आगे कहा कि कर्मकार बोर्ड में मेरे कार्यकाल की जांच कराकर पार्टी को भी बदनाम किया गया। इतना ही नहीं, भारत सरकार की एजेंसी पर भी सवाल उठाए गए। बकौल हरक सिंह-‘मैं भी तो भाजपा का ही हिस्सा हूं। मुझे नुकसान पहुंचाकर क्या हुआ? नुकसान तो भाजपा का ही हुआ न?’ हरक ने कहा कि आरोप लगाए गए कि बोर्ड में घपले हुए। तैयार चेक तक रोक दिए गए। साइकिलें गलत खरीदी गईं। राशन गलत खरीदा गया है। बाद में उन्हीं चेक का भुगतान क्यों कराया गया? यह भी तो सवाल है। जब मौका आएगा, तब मैं कहूंगा कि कौन ईमानदार है और कौन क्या।

हरक बोले, सीएम ने पिछले दिनों सभी दायित्वधारियों को हटा दिया था। कुछ को रहने दिया। इससे एकरूपता नहीं बन रही है। हरक ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल, विधायक उमेश शर्मा काऊ के साथ मैंने भी सीएम साहब के सामने यह बात रखी है। जब अध्यक्षों को हटा दिया तो सत्याल को भी  हटाया जाना चाहिए। ऐसे में भाजपा में भी गलत संदेश जा रहा है।

वन मंत्री हरक सिंह रावत ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र पर उनके हटने के बाद पहली बार सवाल नहीं उठाए हैं। उन्होंने कोरोना की पहली लहर के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी को लेकर भी त्रिवेंद्र को कठघरे में खड़ा किया था। तब हरक ने कहा था कि उस समय अगर सरकार ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को गम्भीरता से लिया होता तो शायद इतनी मौतें नहीं हुई होतीं। उन्होंने एमएसएमई मंत्री गणेश जोशी को अनुभवहीन बताने के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के बयान के बाद भी गणेश जोशी के पक्ष में आकर बयान दिया था।

मैं तो बोर्ड अध्यक्ष का नाम भी नहीं जानता
देहरादून। शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि, कर्मकार बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। मैं तो उस व्यक्ति का नाम भी नहीं जानता। क्या नाम है भला, शमशेर सिंह है शायद।

कर्मकार बोर्ड विवाद की रिपोर्ट सीएस को सौंपी
भवन सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल और सचिव मधु नेगी चौहान के बीच चल रहा विवाद सरकार तक पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार, श्रम सचिव हरबंस चुघ ने इस मामले की रिपोर्ट मुख्य सचिव ओमप्रकाश को सौंप दी है। इस मामले को गंभीर बताते हुए सचिव ने मार्गदर्शन मांगा है। श्रम सचिव ने कहा है कि आगे मार्गनिर्देशन के अनुसार, कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, बोर्ड में विवाद से सरकार भी कुछ असहज है। बोर्ड में ताजा विवाद सचिव मधु नेगी चौहान को कार्यमुक्त करने को लेकर है। दो रोज पहले बोर्ड की वर्चुअल बैठक में सदस्यों ने सचिव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कई सवाल पूछे थे। इस पर सचिव ने बैठक बीच में छोड़ दी। इसके बाद अध्यक्ष सत्याल ने उन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश कर दिया। हालांकि, इस आदेश के बाद भी सचिव कार्यालय में बैठ रही हैं। बीते रोज नियुक्ति के लिए इंटरव्यू करने पर उनका एक बार फिर बोर्ड अध्यक्ष के साथ विवाद हो गया।

14 जून को सचिव ने चार कार्मिकों को हटा दिया था
अध्यक्ष और सचिव के बीच जारी विवाद से बोर्ड कार्यालय में तनाव का माहौल है। बोर्ड अध्यक्ष सत्याल की ओर से एकतरफा कार्यमुक्त की जा चुकी बोर्ड सचिव मधु नेगी लगातार दफ्तर आ रही हैं। शुक्रवार को दफ्तर में दोनों का आमना-सामना भी हुआ। लेकिन, दोनों बातचीत से बचते रहे। दूसरी तरफ, सचिव की ओर से हटाए गए कर्मचारी सत्यप्रकाश, अभिषेक बहुगुणा, लक्ष्मण सिंह और किशन सिंह बहाली के बाद से लगातार तैनात हैं। बता दें कि, 14 जून को बोर्ड सचिव ने इनकी सेवाएं समाप्त कर दी थीं, पर बोर्ड अध्यक्ष सत्याल ने अगले ही दिन सचिव का फैसला पलटते हुए इन चारों कर्मचारियों को बहाल कर दिया था। इसके अगले ही दिन सचिव ने संदीप मौर्य समेत चारों कर्मचारियों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी चौकी में गंभीर आरोप लगाते हुए तहरीर दे दी।

श्रम सचिव बोले-सचिव को हटाने से पहले सहमति जरूरी 
कर्मकार बोर्ड को सचिव को सीधे हटाने का अधिकार नहीं है। हटाने से पूर्व शासन की सहमति लेनी जरूरी है। श्रम सचिव हरबंस चुघ ने बताया कि नियमत: यह निर्णय द्विपक्षीय होता है। सचिव को हटाने या नई नियुक्ति से पहले शासन से विधिवत सहमति लेनी जरूरी है। बहरहाल मामले में सभी पहलू देखे जा रहे हैं। उधर,बोर्ड अध्यक्ष ने मधु के स्थान पर उप श्रमायुक्त एनसी कुलाश्री को सचिव नियुक्त करने की संस्तुति की है।

कुम्भ के कोरोना जांच में फर्जीवाड़े पर सियासत का खेल : हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान निजी लैब द्वारा फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट

हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान निजी लैब द्वारा फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट बनाने का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एक निजी लैब ने टेस्ट की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड जमा कर टेस्ट किए. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है. कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया है. वहीं एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला सामने आया है.

कुंभ मेले के दौरान कोरोना की फ़र्जी टेस्टिंग के मामले में उत्तराखंड बीजेपी के दो बड़े नेता आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस बयान पर कि फ़र्जी टेस्टिंग का मामला उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले का है, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें जवाब दिया है।  त्रिवेंद्र सिंह रावत को चार महीने पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया था और उनकी जगह पर तीरथ सिंह रावत को बैठाया गया था। तब से इन दोनों नेताओं के बीच तल्खियां बरकरार हैं। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जुबानी जंग में अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने सीएम का बचाव किया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि, तीरथ सिंह को सीएम बने हुए 3 महीने हुए हैं और अभी उनके कार्यकाल में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ है जिसमें फर्जीवाड़ा हो सके.

हरक सिंह रावत ने मामले में बात करते हुए कहा कि, अगर त्रिवेंद्र राज में यह बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है तो इस मामले में जांच चल रही है और जल्द ही जांच में साबित हो जाएगा कि कौन दोषी है. साथ ही हरक सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को बेचारा और साधारण सा विधायक बोलकर चुटकी ली है.

हरक सिंह ने कहा, त्रिवेंद्र रावत अब केवल साधारण से और बेचारे विधायक हैं तो ऐसे में उन पर क्या टिप्पणी की जाए. बता दें, हरिद्वार में कुंभ के दौरान हुए आरटी-पीसीआर रिपोर्ट में फर्जीवाड़े पर मुख्यमंत्री तीरथ और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की जंग जारी है. वहीं अब इस जुबानी जंग में हरक सिंह रावत ने तीरथ सिंह रावत का साथ दिया.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ मेले में कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े की न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार ने तत्काल जांच का आदेश देकर अच्छा कार्य किया है. लेकिन जांच पारदर्शी हो उसके लिए न्यायिक जांच होनी बहुत जरूरी है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि करोना जांच का मामला बड़ा मामला है और यह सीधे-सीधे लोगों के जीवन से खिलवाड़ है. देखा जाना चाहिए इसमें चाहे कोई छोटा हो या बड़ा अधिकारी हो दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि इस मामले की जांच हाई कोर्ट के किसी वर्तमान जज से कराई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की फ़र्जी रिपोर्ट बनाने के आरोपों की जांच होनी चाहिए और जो लोग इसमें शामिल रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज होना चाहिए। 

 इससे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एएनआई से बातचीत में कहा था कि यह लापरवाही नहीं बल्कि गंभीर अपराध है और इसे जान-बूझकर किया गया है। उन्होंने कहा था कि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए। 

तीरथ सिंह रावत ने सीधे तौर पर इस फ़र्जीवाड़े के लिए पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की थी। तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि यह उनके कुर्सी संभालने से पहले का मामला है और उन्होंने इस मामले में जांच बिठाई है। उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए और जो भी इस मामले में दोषी पाया जाएगा उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। 

उत्तराखंड सरकार ने इस मामले के तूल पकड़ने के बाद हरिद्वार के जिला प्रशासन को प्राइवेट लैब के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इन प्राइवेट लैब की कुल संख्या 22 है और इनके साथ राज्य सरकार ने ही कुंभ मेले के दौरान कोरोना की टेस्टिंग के लिए करार किया था। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस, लालचंदानी लैब्स और नलवा लैब्स के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है। यह मामला तब चर्चा में आया था जब पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख़्स ने शिकायत की थी कि उन्हें एक मैसेज मिला है, जिसमें कहा गया है कि वह अपनी कोरोना की रिपोर्ट ले जाएं जबकि उन्होंने कभी जांच कराई ही नहीं। 

उत्तराखंड (uttarakhand) में कोविड टेस्ट घोटाले का मामला सामने आने के बाद अब इसकी जांच में सही और गलत टेस्टिंग का पता लगाना कुंभ मेला प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है. मेला स्वास्थ्य विभाग में इंपैनल्ड 11 टेस्टिंग लैब ने कुल ढाई लाख कोविड टेस्ट किए थे. दो लैबों के काम में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सभी लैब द्वारा किए गए कोविड टेस्ट को वेरीफाई किया जा रहा है. कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अर्जुन सिंह सेंगर भले ही 4 सदस्यों की समिति बनाकर जांच करने की बात कह रहे हों लेकिन मौके पर समिति के सिर्फ एक सदस्य ही काम करते देखे गए हैं. उनका कहना है कि एक व्यक्ति दिन भर में 50 से 60 फोन कॉल ही कर पा रहा है. ऐसे में सोचने वाली बात है कि करीब ढाई लाख लोगों से फोन पर बात करके कैसे दूध का दूध और पानी का पानी किया जाएगा.

फर्जीवाड़े की आरोपी कंपनी मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज ने हाईकोर्ट (Nainital High Court) से एफआईआर (FIR) निरस्त करने की मांग की है. हरिद्वार कुंभ (Kumbh Mela) मेले में कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े (Corona Test Scam) की आरोपी कंपनी मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज हाईकोर्ट पहुंच गई है. कोर्ट में दाखिल याचिका में गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई है. कोरोना जांच फर्जीवाड़े में आरोपी कंपनी का कहना है कि 2 लैबों द्वारा जांच की गई है. सरकार के लोगों के सामने ये जांच हुई है. ऐसे में उन पर कार्रवाई करना ठीक नहीं है. दरअसल, न्यूज़ 18 की खबर के बाद 17 जून यानि कल हरिद्वार सीएमओ द्वारा कोतवाली में मैक्स कॉरपोरेट, 2 लैब और डॉक्टर लाल चंदानी के खिलाफ आपदा एक्ट के साथ आपराधिक षडयंत्र, जालसाजी में मुकदमा दर्ज किया है जिसको अब कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस मसले पर हाईकोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. वहीं मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा कि उनके क्लाइंट ने दो लैबों को काम दिया और सरकार के लोग टेस्ट स्थल पर मौजूद रहे हैं. ऐसे में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज पर मुकदमा दर्ज करना गलत है.

दरअसल, हाईकोर्ट ने कुम्भ में कोरोना के 50 हजार टेस्ट रोजाना करने का आदेश दिया था. इसके बाद टेस्ट करने का ठेका मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज को दिया गया. कुम्भ समाप्त होने के बाद इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आए है. आरोप है कि मैक्स कॉरपोरेट कंपनी और लैबों ने कोरोना जांच में फर्जी एंट्री की है. अधिकांश एंट्री राज्य से बाहर की हैं. कई जांचों में एक ही नंबर का इस्तेमाल किया गया है.  आरोप ये भी है कि जिस कंपनी को जांच का ठेका दिया गया है वो सिर्फ कागजों में ही चल रही है.

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