उत्तराखंड के बाराहोती बॉर्डर से भी तनातनी
चीन के बीच तनातनी – डोकलाम विवाद पर भारत और चीन के बीच तनातनी जगजाहिर है. इस बीच उत्तराखंड के बाराहोती बॉर्डर से भी तनातनी का एक मामला सामने आ रहा है. बाराहोती बॉर्डर पर चीनी सैनिकों ने चरवाहों को डराया और उनके टेंट फाड़ डाले. इतना ही नहीं उन्हें नीचे उतरने पर भी मजबूर कर दिया. चरवाहों ने बताया कि वो बार-बार हमारे जानवरों और हमें सीमा पर ना रुकने की चेतावनी देते हैं, जबकि हम अपनी सीमा में ही रहते हैं. नीचे उतर कर आए चरवाहों ने बताया कि दो-तीन बार चीनी सैनिकों ने उनके टेंट भी फाड़े हैं.
चीनी सैनिकों ने चरवाहों से कहा कि यह चीन की सीमा है. चरवाहों ने डर के मारे बॉर्डर से नीचे उतरने में ही अपनी भलाई समझी. हर साल ये चरवाहे सर्दी शुरू होने से पहले बॉर्डर को छोड़ते हैं, लेकिन इस बार भारतीय सैनिकों की बढ़ती तादाद और चीनी सैनिकों का हड़काने वाला रवैया देख वे समय से पहले ही अपने जानवरों के साथ नीचे उतर रहे हैं. चरवाहों का कहना है कि अभी तक उनको यहां रहने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही थी, लेकिन पिछले कई दिनों से चीनी सैनिकों की सीमा पर तैनाती बढ़ गई है. अब चीनी सैनिक कई दिनों से लगातार सभी चरवाहों को यह कह रहे थे कि अगर नाले से पार तुम्हारे जानवर आए तो अच्छा नहीं होगा. लिहाजा घबराए हुए चरवाहों ने सीमा छोड़कर नीचे उतरने में ही अपनी भलाई समझी. वहीं गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के विवेशज्ञों ने भी चीन की इस तरह की हरकतो पर चिंता व्यक्त की. ये चरवाहे ही भारतीय सेना के सूचना तंत्र का काम करते हैं. लिहाजा इनके सीमा पर से हटने से सेना को भी सूचना के आदान-प्रदान में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा कई बार हुआ है कि जब चीनी सैनिक भारतीय सीमा में दाखिल होते तो इन चरवाहों ने ही भारतीय सैनिकों को जानकारी दी. जिसकी मदद से भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को खदेड़ने का काम किया.
गौरतलब है कि चीन लगातार भारत को धमकी दे रहा है कि अगर भारत ने डोकलाम से अपनी सेना नहीं हटाई तो वह गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे.
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आज, गुरुवार (17 अगस्त) को अमेरिका से छह विशालकाय बोइंग AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी है। यह खरीद पूर्व के 22 हेलीकॉप्टर खरीद से अलग होगी। रक्षा मंत्रालय की सबसे ऊपरी निर्णायक संस्था डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने इस खरीद परियोजना को मंजूदी दी है। इस पर करीब 4168 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस सौदे के लिए भारतीय सेना ने मंत्रालय से अनुरोध किया था। सेना ने मंत्रालय से 11 अपाचे हेलीकॉप्टर के लिए अनुरोध किया था लेकिन रक्षा मंत्रालय की वित्तीय समिति ने छह हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी दी है। सितंबर 2015 में रक्षा मंत्रालय ने 2.2 अरब डॉलर की 22 अपाचे हेलीकॉप्टर की पहली खेप की खरीद योजना को मंजूरी दी थी। वायु सेना की योजना इस अटैकर हेलीकॉप्टर की तैनाती पाकिस्तान और चीन सीमा पर करने की है। इससे वायु सेना की ताकत में इजाफा होगा। भारत के वायु सेना के बेड़े में अपाचे की तैनाती से पाकिस्तान और चीन के मोर्चे पर भारत को सैन्य बढ़त मिलेगी। भारत इस एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर के साथ अमेरिका से संबद्ध उपकरण, स्पेयर पार्ट्स, प्रशिक्षण एवं गोला-बारूद भी लेगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील पंजाब के पठानकोट एयरबेस और असम के जोरहट में अपाचे को तैनात किए जाने की योजना है। बता दें कि बोइंग एएच-64 अपाचे अमेरिका का दो टर्बोशाफ्ट इंजन और चार ब्लेड वाला अटैक हेलीकॉप्टर है। यह हेलीकॉप्टर अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में भी उड़न भर सकता है। इसकी पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 में हुई थी। यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला अटैक हेलीकॉप्टर है।
नेशनल कॉन्फ़्रेंस के मुखिया फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने एक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमें चीन और पाकिस्तान हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. हमें ख़तरा अंदर बैठे चोर से है जो हमारा बेड़ा गर्क कर रहा है. पहले हमारी जंग अंग्रेज़ों से थी, अब अपनों से ही जंग है. किसी का नाम लिये बिना नेशनल कांफ्रेंस नेता एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सवाल किया कि क्या केन्द्र कश्मीर घाटी में एकता के लिए माहौल तैयार कर रहा है. उन्होंने कहा कि कथनी और करनी में मेल होना चाहिए.
उन्होंने जदयू के असंतुष्ट नेता शरद यादव द्वारा यहां आयोजित साझी विरासत कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत चीन एवं पाकिस्तान का सामना कर सकता है किन्तु दुर्भाग्य है कि आज खतरा बाहर से नहीं अंदर से है. देश के भीतर ही कोई सब कुछ बिगाड़ने पर लगा हुआ है.’’ कश्मीर एवं कश्मीरियों की चर्चा करते हुए उन्होंने बिना किसी का नाम लिये हुए कहा कि लोग उनकी राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीयता पूछने वाले वह कौन हैं. हम कश्मीरियों ने विभाजन के समय पाकिस्तान की जगह भारत को चुना क्योंकि भारत में समानता की गारंटी दी गयी और मैं गर्व से कहा सकता हूं कि मैं एक भारतीय मुस्लिम हूं.’’ फारूक ने कहा, ‘‘वे एकता (लोगों से जुड़ने) की बात कर रहे हैं किन्तु क्या वे जोड़ने के लिए माहौल तैयार करना चाहते हैं. वे बात बहुत करते हैं किन्तु कामों में दिखाई नहीं पड़ता.’’ उनकी इस टिप्पणी से पहले स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कश्मीर समस्या का हल गोली या गाली नहीं बल्कि कश्मीरियों को गले लगाने से हो सकता है.