सरकार कर्मचारियों के मौलिक व संवैधानिक अधिकारियों का हनन कर रही है; उत्‍तराखण्‍ड हाई कोर्ट

26जून 2021- उत्‍तराखण्‍ड हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के मौलिक व संवैधानिक अधिकारियों का हनन कर रही है। 

शनिवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की स्पेशल बैंच में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद व रोडवेज कर्मचारी यूनियन की जनहित याचिका पर सुनवाई की। 

हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि सरकार द्वारा रोडवेज़ कर्मचारियों के मूलभूत अधिकारों का हनन करते हुए बेगारी कराई जा रही है और यह संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभाने में भी नाकामी है. रोडवेज़ कर्मचारी यूनियन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए कई मुद्दे उठाए थे, जिन पर कोर्ट ने कड़े तेवर इख्तियार करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. 

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस कोर्ट ने टिप्पणी की है क्यों ना रोडवेज कर्मचारियों की तनख्वाव जारी होने तक राज्य के वित्त व परिवहन सचिव के वेतन पर रोक लगा दी जाए।

चीफ जस्टिस की अदालत ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों जैसे मुख्य सचिव, सचिव वित्त, सचिव परिवहन, एमडी परिवहन को कोर्ट में पेश होने के निर्देश देते हुए पूछा है कि पिछले 5 महीने से सैलरी नहीं दी गयी तो क्यों?

राज्य के मुख्य सचिव समेत वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, एमडी अभिषेक रुहेला अन्य वर्चुअल कोर्ट में पेश हुए।

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नैनीताल. रोडवेज़ कर्मचारियों की सैलरी के मामले में हाई कोर्ट ने तल्ख तेवर दिखाए. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई छुट्टी के दिन करने के लिए स्पेशल बेंच बनाई है. यही नहीं, चीफ जस्टिस की अदालत ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों जैसे मुख्य सचिव, सचिव वित्त, सचिव परिवहन, एमडी परिवहन को कोर्ट में पेश होने के निर्देश देते हुए पूछा है कि पिछले 5 महीने से सैलरी नहीं दी गयी तो क्यों? अब शनिवार को अवकाश के दिन भी विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी. दूसरी अहम खबर बसों के अंतर्राज्यीय परिवहन और यात्रियों की सुविधा की समस्या से जुड़ी है, जिस बारे में उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से फोन पर बातचीत की.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्पेशल बेंच ने रोडवेज कर्मचारियों की पांच माह की सैलरी के मामले में शनिवार अवकाश के बावजूद सुनवाई की। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री से 28 जून को कैबिनेट बैठक कर रोडवेज कर्मचारियों के सैलरी भुगतान पर निर्णय लेने को कहा है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश को आदेश दिया है कि कैबिनेट की बैठक के निर्णय को 29 जून को कोर्ट के सामने पेश करें।

हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि सरकार द्वारा रोडवेज़ कर्मचारियों के मूलभूत अधिकारों का हनन करते हुए बेगारी कराई जा रही है और यह संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभाने में भी नाकामी है. रोडवेज़ कर्मचारी यूनियन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए कई मुद्दे उठाए थे, जिन पर कोर्ट ने कड़े तेवर इख्तियार करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. 

यूनियन ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार ने कई महीनों से सैलरी नहीं दी. जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो सरकार एस्मा के तहत कार्रवाई करती है. यूनियन ने अपनी याचिका में कहा कि परिवहन निगम पर सरकार का 700 करोड़ परिसम्पत्ति कर बकाया है, जिसको सरकार नहीं ले सकी. साथ ही, याचिका में कहा गया है कि चारधाम समेत अन्य यात्राओं के सिलसिले में भी करीब 68 लाख की राशि निगम को दी जाना है.

उत्तर प्रदेश ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि परिसम्पत्तियों के बंटवारे के समय बुक वैल्यू के हिसाब से उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मात्र 45 लाख व बाजार मूल्य के हिसाब 27.63 करोड़ बनता है. इस पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को ये धनराशि उत्तराखंड सरकार को देने के आदेश दिए थे, जिस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है.

याचिका में कहा गया है कि अगर वो सैलरी के।लिए हड़ताल पर जाते हैं। तो सरकार उनपर एस्मा के तहत कार्रवाई करती है। रोडववज कर्मचारी यूनियन ने याचिका में कहा है कि यूपी सरकार से 700 करोड़ परिसम्पत्तियों के बंटवारे का मिलना है और सरकार ने 45 लाख केदारनाथ आपदा समेत अन्य की देनदारी सरकार पर है।

हाई कोर्ट में रोडवेज़ कर्मचारियों का मुद्दा गूंजा, तो उत्तराखंड की बसों के उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने को लेकर भी महामारी और लॉकडाउन संबंधी गाइडलाइनों के चक्कर में अड़चनें पेश आ रही हैं. खबरों की मानें तो इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ से फोन पर बातचीत की. बताया जाता है कि योगी ने आश्वासन देते हुए कहा कि तुरंत कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड से उप्र आने वाली बसों का सिलसिला पहले की तरह सुनिश्चित किया जाएगा. ऐसा होने से यात्रियों को सुविधा हो जाएगी.

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