उत्तराखंड में 27 मई से मानसून; ऐहतियात बरते- 4 धाम के लिए 14 लाख पंजीकरण, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट खुले, 22 मई 22 को हेमकुंड साहिब के कपाट खुलेंगे

19 MAY 2022; Himalayauk Leading Newsportal & Print Media# Top High Light#

उत्तराखंड में  इस बार अत्यधिक बारिश होने के पूरे आसार

उत्तराखंड में 27 मई से मानसून दस्तक देने जा रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक इस बार अत्यधिक बारिश होने के आसार है. मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मार्च और अप्रैल के महीने में बारिश नहीं होने से बहुत ज्यादा गर्मी हुई है, लेकिन मई के महीने में बारिश होने से गर्मी कम है.

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा चरम पर है. 31 मई तक चारों धामों में दर्शन करने के लिए रजिस्ट्रेशन बुक हो चुके हैं. यहां तक कि छोटे बड़े होटलों की बुकिंग भी एडवांस बुक हो चुकी है. पर्यटन विभाग के मुताबिक 14 लाख से ज्यादा लोगों ने अपना अभी तक पंजीकरण करा लिया है. 3 मई से शुरू हुई चारधाम में 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं.

बुधवार 18 मई  22; त्तराखंड में अभी मानसून ने दस्तक भी नहीं दी, लेकिन बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर  दिया  ; भारी बारिश ने जमकर कहर बरपाया.

मानसून मई के महीने में रिकॉर्ड बारिश आफत बनकर आ सकती है. देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह कहा मौसम की जानकारी लेने के बाद ही लोग चारधाम यात्रा पर जाएं.

हरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह कहा  3 महीने के प्रीडिक्शन की अगर बात करें तो जून, जुलाई और अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश होती है. ऐसे में इस बार अत्यधिक बारिश होने के पूरे आसार बने हुए हैं.

वही दूसरी ओर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं.  15 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से रवाना हुई डोली आज सुबह अपने आखिरी रात्रि प्रवास गौंडार गांव से बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचट्टी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम (Madmaheshwar Dham) पहुंची. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट 11 बजे कर्क लग्न में वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए.

22 मई 22 को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की पवित्र तपोस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट खुलेंगे.

इस बार एक दिन में 5000 श्रद्धालु हेमकुंड साहिब में मत्था टेक सकेंगे.

जबकि 22 मई 22 को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की पवित्र तपोस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट खुलेंगे.  इस बार एक दिन में 5000 श्रद्धालु हेमकुंड साहिब में मत्था टेक सकेंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार मई-जून ही नहीं बल्कि, जुलाई-अगस्त-सितंबर-अक्टूबर तक देश के हर श्रद्धालु को धामों के दर्शन सुविधाजनक रूप से कराने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने कहा कि गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब धाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से प्रस्तावित रोपवे का प्रोजेक्ट राज्य सरकार जल्द से जल्द शुरू करेगी.

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा के शुभारंभ पर कहा कि इस बार हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा ऐतिहासिक होगी. देश के कोने-कोने से सिख श्रद्धालु हेमकुंड साहिब धाम के दर्शनों के लिए उतावले हैं. कोरोना काल के दौरान पिछले दो सालों तक श्रद्धालु हेमकुंड साहिब धाम के दर्शन नहीं कर सके. एक बार यात्रा चाहे श्री हेमकुंड साहिब धाम की हो या चारों धाम की, निर्विघ्न रुप से चलें इसके लिए सरकार प्रयासरत है और गुरु घर की कृपा भी बनी रहेगी, इसकी अरदास की गई है.

हेमकुंड साहिब यात्रा पर आने वाले सभी यात्रियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन सभी के लिए अनिवार्य होगा. इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन की वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. श्रद्धालुओं को पर्यटन विभाग की वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in के जरिए पंजीकरण कराना होगा. मोबाइल एप्लीकेशन Tourist Care Uttarakhand के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा की मानें तो अगर कोई यात्री किसी भी वजह से अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Hemkund Sahib registration) नहीं करवा सकते, वो हेमकुंड गुरुद्वारा ऋषिकेश में उपस्थित होकर अपना ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बिना किसी परेशानी के करवा सकते हैं.

हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी. हेमकुंड साहिब विश्वभर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

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