भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों की  मुख्यमंत्री से भेंट 

HIGH LIGHT-UTTRAKHAND TOP NEWS 19 SEP. 2018 # सरकार की ओर से गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प  #15 सितम्बर, 2018 से 02 अक्टूबर 2018 तक ‘‘स्वच्छता ही सेवा’’ के अन्तर्गत राज्य में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है।  #हरिद्वार। जिलाधिकारी श्री दीपक रावत ने बताया कि जनपद हरिद्वार में स्थित मेला चिकित्सालय के निकट एन.आर.सी. सेन्टर में अति कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त किये जाने हेतु व्यवस्था की गयी है,# चमोली 19 सितंबर,2018  # Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्डl www.himalayauk.org

देहरादून 19 सितम्बर, 2018(ब्यूरो)

विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे बुधवार को सरकार की ओर से गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प प्रस्तुत किया गया।

बीजेपी का कहना है कि गाय को राष्ट्रमाता घोषित किए जाने के बाद गोवंश का संरक्षण बेहतर ढंग से हो सकेगा. विधानसभा में कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया, हालांकि इसके साथ ही राज्य सरकार को ज़मीन पर ज़्यादा गंभीरता पूर्वक काम करने की सलाह दी.

पशुपालन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने सदन में यह संकल्प पेश किया. इस पर चर्चा के दौरान विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश ने पूछा कि गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है? उन्होंने पूछा कि क्या राष्ट्रमाता घोषित करने के बाद गाय सड़कों पर भूखी नहीं घूमेंगी?  रेखा आर्य ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार उत्तराखंड और भारत के करोड़ों लोगों की इस इच्छा का सम्मान करेगी और गाय को राष्ट्रमाता घोषित करेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि गाय के राष्ट्रमाता घोषित होने के बाद देश में गायों के प्रति अपराध रुकेंगे और उनकी स्थिति बेहतर होगी.

उत्‍तराखंड विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन गाय को राष्‍ट्रमाता घोषित करने के अनुरोध का संकल्‍प पारित हुआ है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पूछा कि राज्य में गौसंरक्षण के लिए बने कानून का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार पहले गौ संरक्षण को लेकर गंभीर हो, फिर घोषित करे राष्ट्रमाता. हालांकि इन आपत्तियों और सवालों के बावजूद कांग्रेस ने इस संकल्प का समर्थन किया और यह सदन में सर्वसम्मति से पारित हुआ. आज सत्र शुरू होते ही कांग्रेस ने अतिक्रमण के मसले को नियम 310 के तहत लेने की मांग को लेकर हंगामा किया। इस दौरान पक्ष विपक्ष में तकरार हुई। कांग्रेसी विधायक वेल में आ गए और हंगामा करने लगे। कहा, कहा नागरिकों को संरक्षण दे सरकार। विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे बुधवार को सरकार की ओर से गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प प्रस्तुत किया गया। यह संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। गाय को राष्ट्रमाता बनाने की मांग देवभूमि से उठी है और अब सरकार इसे संबल देने जा रही है। इसी कड़ी में विधानसभा के मानसून सत्र में यह संकल्प बुधवार को पेश किया गया। गौरतलब है कि संत गोपालमणि महाराज गाय को राष्ट्रमाता बनाने की मांग को लेकर मुहिम छेड़े हुए हैं। इस संबंध में 26 विधायकों की ओर से भी संकल्प की सूचना विधानसभा को दी गई है। विधानसभा में मंगलवार को पेट्रोल व डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा होने और बढ़ती महंगाई का मुद्दा गूंजा। सदन में कांग्रेस विधायकों ने इस मामले में सरकार पर हमला बोला। जवाब में वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने तथ्यों के आधार पर महंगाई के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों की  मुख्यमंत्री से भेंट 
देहरादून 19 सितम्बर, 2018 (ब्यूरो)
 मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों ने शिष्टाचार भेंट की। विभिन्न राज्यों के साथ समन्वय एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत उत्तराखण्ड के भ्रमण पर आये इन अधिकारियों में एम्बेसडर ऑफ इंडिया टू द रिपब्लिक ऑफ सुरीनाम श्री महेन्द्र सिंह कन्याल, निदेशक(एडीपी) विदेश मंत्रालय भारत सरकार श्री कार्तिक पाण्डे, डिप्टी चीफ ऑफ मिशन, एम्बेसी ऑफ इंडिया तेहरान श्री देवेश उत्तम, काउंसलर (पॉलिटिकल) हाई कमीशन ऑफ इंडिया जार्जटाउन, गुयाना श्री आर.के.परिन्दिया, डायरेक्टर डिजारमामेंट, विदेश मंत्रालय श्री मयंक जोशी सम्मिलित थे।
विदेश सेवा के इन अधिकारियों का उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी पहल की जा रही है। पर्वतीय राज्य होने तथा लगभग 71 प्रतिशत वन क्षेत्र होने के कारण राज्य में औद्योगिकीकरण के लिये भूमि की उपलब्धता सीमित है। बावजूद राज्य में 03 हजार एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। देश व दुनिया के निवेशक राज्य के प्रति आकर्षित हो इसके लिये अक्टूबर में इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड इसकी थीम रखी गयी है। सिंगापुर, जापान आदि देश इसमें भाग ले रहे हैं।
विदेश सेवा के इन अधिकारियों का उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी पहल की जा रही है। पर्वतीय राज्य होने तथा लगभग 71 प्रतिशत वन क्षेत्र होने के कारण राज्य में औद्योगिकीकरण के लिये भूमि की उपलब्धता सीमित है। बावजूद राज्य में 03 हजार एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। देश व दुनिया के निवेशक राज्य के प्रति आकर्षित हो इसके लिये अक्टूबर में इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड इसकी थीम रखी गयी है। सिंगापुर, जापान आदि देश इसमें भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर लगभग 800 निवेशकों के आने की संभावना है तथा लगभग 20 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद है। देश के प्रमुख उद्यमी इसमें प्रतिभाग करेंगे। उद्योगपति श्री मुकेश अम्बानी पूरे प्रदेश में ओ.एफ.सी. के माध्यम से संचार सुविधाओं तथा धार्मिक क्षेत्रों के विकास में मदद के लिये आगे आये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा सर्विस सेक्टर के प्रति विशेष ध्यान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन हमारी आर्थिकी का महत्वपूर्ण विषय है। इसके लिये पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। टिहरी झील को पर्यटक गतिविधियों का केन्द्र बनाया जा रहा है। विलेज टूरिज्म की दिशा मे कदम बढ़ाये गये है। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की योजना बनायी गयी है। युवाओं को पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के साधन उपलब्ध हों, इसके लिये योजनाएं बनायी गयी है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में भी पहल की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में व्यापक जन सहयोग से जल संरक्षण की दिशा में पहल की गयी है। रिस्पना से ऋषिपर्णा तथा कोषी नदी के पुनर्जीविकरण के लिये रिस्पना नदी के किनारे 2.50 लाख पौध तथा कोषी में 1.80 लाख पौधे लगाये गये है। जिसमें से 90 प्रतिशत पौध जीवित है। नैनीताल झील को बचाने के लिये भी कार्ययोजना बनायी गयी है, क्योंकि झील से ही नैनीताल का महत्व है। उन्होंने कहा कि यहां के वनों के अध्ययन के लिये देशभर से वन सेवा से जुडे अधिकारी भी आ रहे है।
विदेश सेवा के अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखण्ड का सौन्दर्य स्वीट्जरलैंड से भी बेहतर है। यहां के चारधाम व अन्य पर्यटक स्थल जैसे हरिद्वार व ऋषिकेश पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही पहल की सराहना की तथा जल संचय की दिशा में पहाड़ों की झीलों व झरनों के जल संचय की दिशा में प्रयास की बात कही। उन्होंने राज्य के विकास में सहयोग का भी आश्वासन मुख्यमंत्री को दिया।

DEHRADUN NEWS;

15 सितम्बर, 2018 से 02 अक्टूबर 2018 तक ‘‘स्वच्छता ही सेवा’’ के अन्तर्गत राज्य में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इस क्रम में 22 सितम्बर को ‘रेलवे स्वच्छता दिवस’ के तहत प्रदेश में स्थित रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता अभियान चलाया जायेगा। 25 सितम्बर को ‘स्वछाग्राहियों के स्वच्छाग्राही-एक से अनेक’ दिवस के तहत स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत स्वच्छाग्राहियों द्वारा लोगों को ग्राम पंचायतों में स्वच्छता के प्रति जागरूक कर स्वच्छता सम्बन्धी कार्यों के लिए श्रमदान किया जायेगा। 29 सितम्बर को ‘अन्तर्राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मेलन’ दिवस के अन्तर्गत जन जागरूकता के उद्देश्य से जनपदों में स्वच्छता से सम्बन्धित गोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा। 02 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत दिवस का आयोजन जनपद व राज्य स्तर पर किया जायेगा। जनपदों में ग्राम पंचायत स्तर पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन कार्यों का किसी चयनित ग्राम पंचायत में शुभारंभ किया जायेगा। इसी दिन ग्राम पंचायतों में वृक्षारोपण, जल स्रोत संरक्षण व संवर्द्धन अभियान तथा पौराणिक जल स्रोतों, धारा, नौला आदि की सफाई का कार्य भी किया जायेगा।
‘‘स्वच्छता ही सेवा’’ कार्यक्रम के तहत 15 सितम्बर 2018 को प्रदेश में ‘स्वच्छारंभ दिवस’, 16 सितम्बर को ‘स्वच्छता सभा दिवस’ व 17 सितम्बर को ‘सेवा दिवस’ का आयोजन किया गया।

DEHRADUN

 बाल श्रमिकों की संख्या सरकारी आंकड़ों में 1397 बताई गई है जबकि गैर सरकारी संगठन के आंकड़े ये संख्या 2970 बता रहे हैं. उत्तराखंड में बच्चों से जुड़े अधिकारों पर सरकारी सिस्टम सुस्त है. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने विधानसभा में रिपोर्ट पेश की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. देवभूमि उत्तराखंड में स्कूली बच्चों की समस्याएं कई वर्षों से जस की तस हैं. बच्चों से जुड़े अपराध भी कम नहीं हुए हैं. न्यूज़ 18 ने भी रिपोर्ट के कई पहलुओं का अध्ययन किया.

उत्तराखंड में बाल श्रम के आंकड़े हकीकत से कोसों दूर हैं। आए दिन होटलों से लेकर विभिन्न संस्थानों में बाल श्रम के मामले सामने आते रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने वर्ष 2002 में बाल श्रम को लेकर जागरूकता के उद्देश्य से 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की थी। लेकिन, यह दिन केवल आयोजन, गोष्ठी और चर्चा तक ही सिमटता जा रहा है। उत्तराखंड श्रम विभाग की ओर से 2015-2016 में 32 और 2016-2017 में 92 मामले चिह्नित किए गए। वहीं 2018 में अब तक 20 बाल श्रमिकों को चिह्नित किया गया है। सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि बाल श्रम को रोकने के लिए श्रम विभाग के पास कोई मजबूत तंत्र नहीं है। वे महज शिकायतों के आधार पर ही कार्रवाई करते हैं और उसके बाद खामोश हो जाते हैं। यहां तक कि मुक्त कराए गए बाल श्रमिकों की वर्तमान स्थिति पर भी संज्ञान नहीं लिया जाता। क्या है बालश्रम: 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री, खदान या घरों में काम नहीं कर सकता। वह विशेष परिस्थितियों में अपने घर के व्यवसाय में दो से तीन घंटे ही हाथ बंटा सकता है, जिससे उसकी पढ़ाई प्रभावित न हो। वहीं 14-18 वर्ष के बच्चे जोखिम भरे उद्योगों में काम नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में बच्चों से श्रम कराने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है

रिपोर्ट के अनुसार पॉक्सो के तहत जो मामले साल 2014 से साल 2016 के बीच दर्ज किए गए हैं उनसे पता चलता है कि बच्चों से जुड़े अपराध बढ़े हैं. बाल श्रमिकों की संख्या भी सरकारी लापरवाही को उजागर कर रही है. विधानसभा सत्र की कार्यवाही के दूसरे दिन राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट सदन में पेश की गई तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.

जीआरडी स्कूल में छात्रा के गैंगरेप पर हो रहे बवाल के बीच रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के 692 स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा ही नहीं है. प्रदेश के 785 सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए टॉयलेट नहीं हैं. 48 स्कूलों में पीने के पानी का इंतजाम नहीं है. स्कूलों में खेल का मैदान, बाउंड्री और लाइब्रेरी तक नहीं है.

स्कूलों ही नहीं बच्चों के अधिकार और सुरक्षा के मामले पर सरकारी सिस्टम की सुस्ती आयोग की रिपोर्ट में साफ़ नज़र आ रही है. पॉक्सो के तहत गढ़वाल मंडल में साल 2014 में 181 केस दर्ज किए गए जबकि 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 184 हो गया. कुमाऊं मंडल में साल 2014 में 96 केस दर्ज हुए जबकि 2016 में ये संख्या बढ़कर 150 तक पहुंच गई. ज़ाहिर है बाल अपराध से जुड़े मामले बढ़ते गए और सरकारी सिस्टम हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा.  रिपोर्ट में साल 2000 से 2013 के बीच राज्य में बाल श्रमिकों की संख्या सरकारी आंकड़ों में 1397 बताई गई है जबकि गैर सरकारी संगठन के आंकड़े ये संख्या 2970 बता रहे हैं. एक और चिंताजनक तथ्य रिपोर्ट में पेश किया गया है. लिंगानुपात के मामले में राज्य के अल्मोड़ा और टिहरी जिले में ही अल्ट्रासाउंड केन्द्रों में छापेमारी के आंकड़े दर्शाये गए हैं. मतलब सरकारी विभाग इस मामले में भी लापरवाह है.

उत्तराखंड में बाल श्रम की स्थिति को लेकर सरकार की लापरवाही चिंतनीय है। अगर सरकार वास्तव में इस दिशा में गंभीर होती तो सरकारी आंकड़ों में राज्य में बाल श्रमिकों का आंकड़ा महज खानापूर्ति के लिए ही दर्ज नहीं होता। आपको अपने असापास रोजाना ही चाय की दुकानों पर कप-प्लेट धोते या साइकिलों के पंक्चर लगाते छोटे-छोटे बच्चे नजर आते हों मगर सरकारी नुमाइंदों को ऐसा नहीं दिखता। जी हां, यह एक कड़वा सच है कि सूबे के श्रम विभाग ने मौजूदा समय में प्रदेश में केवल 83 बच्चे ही बाल श्रमिकों के रूप में चिह्नित किए हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कार्यरत एनजीओ उत्ताराखंड में बाल श्रमिकों की संख्या का आंकड़ा पांच हजार से ज्यादा बताते हैं लेकिन विभाग के अनुसार यह आंकड़ा 83 ही है। एक ओर संपूर्ण देश बाल अधिकारों के लिए संघर्षरत कैलाश सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिलने पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है तो दूसरी ओर, उत्ताराखंड में बाल श्रमिकों और उनके अधिकारों के हालात चिंता पैदा करते हैं। यहां श्रम विभाग के पास अभी तक बाल श्रमिकों के चिह्नीकरण के लिए कोई मजबूत तंत्र नहीं है।

हरिद्वार जनपद

हरिद्वार। जिलाधिकारी श्री दीपक रावत ने बताया कि जनपद हरिद्वार में स्थित मेला चिकित्सालय के निकट एन.आर.सी. सेन्टर में अति कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त किये जाने हेतु व्यवस्था की गयी है, जिसमें पोषणविद (न्यूट्रीनिस्ट) की भी तैनाती की गयी है तथा इन कुपोषित बच्चों के पोषण, आहार, दवाईयों आदि की समस्त व्यवस्था निशुल्क रूप से सेंटर में की गयी है। जिलाधिकारी के संज्ञान में आया कि एन.आर.सी. सेंटर में अति कुपोषित बच्चे नहीं जा पा रहे हैं, जिसका मुख्य कारण इन बच्चों के माता-पिता के प्रवास, खाने एवं यातायात की समुचित न होना बताया गया है।
जनपद में अति कुपोषित बच्चों को मेला चिकित्सालय हरिद्वार के निकट स्थापित एन.आर.सी. सेंटर में पहुँचाने तथा उनके माता-पिता के प्रवास, खाने एवं यातायात की व्यवस्था हेतु जनपद में जिलाधिकारी के निवर्तन में उपलब्ध अनटाइंड फंड में उपलब्ध धनराशि मंे से रूपये 2.00 लाख की धनराशि जिला कार्यक्रम अधिकारी, हरिद्वार को विगत में आवंटित की गई थी तथा उन्हें निर्देशित किया गया था कि जनपद के अति कुपोषित बच्चों को अपनी निगरानी में एन.आर.सी. संेटर पहुंचाएंगे तथा संबंधित से समन्वय स्थापित कर कुपोषित बच्चों की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। उक्त कार्यक्रम की नियमित अनुश्रवण कर अद्यतन स्थिति से अवगत कराये जाने हेतु जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया गया था, परन्तु वांक्षित प्रगति दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।
जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद में बाल विकास विभाग भारत सरकार से राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत स्वस्थ भारत पे्ररक श्री दिवाकर अनुपम मिततल की तैनाती है। उक्त कार्यक्रम की नियमित समीक्षा, कुपोषित बच्चों के पुनर्वास, न्यूट्रीशियन तथा कुपोषित बच्चों को एन.आर.सी. सेंटर तक पहुंचाने, राष्ट्रीय पोषण अभियान को गति देने एवं अद्यतन स्थिति से अवगत कराये जाने हेतु जिलाधिकारी द्वारा श्री दिवाकर अनुपम मित्तल, स्वस्थ भारत प्रेरक, महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार को नामित किया गया है। श्री दिवाकर प्रत्येक सप्ताह उनके द्वारा की गयी कार्यवाही से सीडीओ हरिद्वार एवं जिलाधिकारी हरिद्वार को अवगत करायेंगे तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी को अपेक्षित सहयोग करने के निर्देश जिलाधिकारी द्वारा दिये गये हैं।

हरिद्वार।

हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने पंजाब नेशनल बैंक के मंडल कार्यालय के सभाकक्ष में जिला स्तरीय समीक्षा समिति एवं जिला सलाहकार समिति की बैठक ली। पिछली बार बैंकों को पड़ी फटकार के बाद इस तिमाही बैठक में जिले में स्थित सभी 38 बैंको के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। जिलाधिकारी ने शत प्रतिशत उपस्थिति पर प्रसन्नता व्यवक्त की।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से बैंकों को निर्देश दिये कि वह बैंको के माध्यम से चलने वाली सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ में टालमटोल करने वाले बैंकों को पर कार्रवाई करने से नहीं चूकेंगें। उन्होंनें बैंको को कहा कि बैंक गरीब तथा जरूरतमंद लोगों के लिए बनी सरकारी योजनाओं में पैसा डूबने की चिंता के कारण ठण्डे बस्ते में डाल देते हैं, जबकि बड़े उद्योगपतियों को दी गयी अपनी भारी रकम नहीं बचा पाते। जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में बैंको को नगर निगम, नगर पालिकाओं द्वारा व सीधे लाभार्थी द्वारा सब्सिडी के लिए किये गये प्राप्त आवेदनों, स्वीकृत आवेदनों की संख्या की जानकारी ली। अधिकांश बैंको तथा शाखाओं ने प्राप्त आवेदनों को रिजेक्ट किया गया बताया। जिलाधिकारी ने बैंको से इन आवेदनों को रिजेक्ट किये जाने के कारण सहित सभी बैंको को प्राप्त आवेदनों की स्थिति, संख्या आदि की विस्तृत जानकारी 05 अक्टूबर तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने जानबूझकर इन आवेनदों को रिजेक्ट किये जाने की सम्भावना जतायी।
समीक्षा बैठक में जनपद के सर्वांगीण विकास के लिए ऋण जमा अनुपात, वार्षिक ऋण योजना 2018-19 की प्रगति की समीक्षा करते हुए कृषि, एमएसएमी तथा प्राथमिकता क्षेत्र को आवंटित लक्ष्यों की जानकारी ली। प्रधानमंत्री जन-धन योजना, आधार सीडिंग, मुद्रा लोन मुद्रा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वीर चन्द्र सिंह गढवाली पर्यटन स्व रोजगार योजना आदि की समीक्षा की।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री विनीत तोमर, मण्डल प्रमुख पीएनबी कुलदीप शर्मा, एलडीएम अनिल झा, मुख्य कृषि अधिकारी वीके यादव सहित अनेक जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

चमोली 19 सितंबर,2018 (सू0वि0)
ऐेतिहासिक राज्य स्तरीय 68वाॅ औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक गौचर मेला की तैयारियों को लेकर पहली बैठक जिलाधिकारी/मेला अध्यक्ष स्वाति एस भदौरिया की अध्यक्षता में नगर पालिका सभागार गौचर में संपन्न हुई। जिसमें अगामी मेले को भव्य स्वरूप देने एवं मेले के सफल आयोजन हेतु जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गणमान्य नागरिकों एवं स्थानीय लोगों से महत्वपूर्ण सुझाव लिये गये तथा मेले के आयोजन के संबध में विभिन्न विभागों के साथ आवश्यक व्यवस्थाओं पर विचार-विर्मश किया गया।

जिलाधिकारी/मेला अध्यक्ष ने कहा कि इस वर्ष मेले का आयोजन विगत वर्षो से और अधिक आर्कषक एवं प्रभावी ढंग से किया जायेगा, जिसके लिए जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय लोगों से सुझाव लिये जा रहे है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय लोगों के सभी सुझावों को मेला समिति में रखकर गम्भीरता से विचार किया जायेगा तथा सभी के सहयोग से मेले का भव्य एवं सफल आयोजन किया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि मेले में हर प्रतिभा के कलाकारों को अवसर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि गौचर मेला एक राज्य स्तरीय मेला है। इसमें स्थाीनय कलाकारों के साथ-साथ बाहरी राज्यों के कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने मेले में उच्च स्तरीय सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यक्रमों का आयोजन कराया कराने पर जोर दिया।

जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी/मेला अधिकारी को एक सप्ताह के अन्दर मेला समिति के अन्तर्गत सभी समितियों का गठन करने के निर्देश दिये तथा 15 अक्टूबर तक मेले में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का ब्राउसर तैयार करने को कहा। मेले के सफल आयोजन हेतु गठित सभी समितियों के दायित्व निर्धारित करते हुए जिम्मेदारी तय करने की बात कही, ताकि मेले को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया जा सके। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों के लोग गौचर मेला देखने आये इसके लिए मेले को आकर्षक एवं भव्य स्वरूप देकर व्यापक प्रचार प्रसार किया जाय। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय लोगों को मेले का भव्य स्वरूप देने के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा ताकि उन पर विचार विर्मश कर कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। इस दौरान जिलाधिकारी ने मेला मैदान, मुख्य मंच, गो-सदन आदि का स्थलीय निरीक्षण भी किया। उन्होंने मेले के दौरान समुचित खाद्यान्न, पेजयल, विद्युत, वाहन पार्किग, यातायात, शौचालय, साफ-सफाई एवं शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश मेला अधिकारी को दिये। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने वर्ष 2011 की जनगणना में उत्कृष्ट कार्य करने वाले रजत पदक विजेता राजेन्द्र सिंह नेगी एवं कास्य पदक विजेता रणजीत सिंह भण्डारी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।

मुख्य विकास अधिकारी ने मेले को आकर्षक बनाने के लिए काॅम्पोजिट कल्चर के आधार पर गौचर मेले का आयोजन कराने तथा विभागीय स्टाॅलों के साथ-साथ सभी विकासखण्डों से भी स्वयं सहायता समूहों को मेले अपने उत्पादों की प्रर्दशनी लगाने के लिए आमंत्रित करने की बात कही। मेले के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मेले की स्मारिका प्रकाशन कराने को कहा ताकि लोगों को ऐतिहासिक मेले की जानकारी के साथ-साथ विज्ञापनों के माध्यम से जनपद में स्थित काॅर्पोरेट जगत की जानकारियां भी मिल सके।

मेला अधिकारी/उप जिलाधिकारी जीआर बिनवाल ने मेले की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए मेले के सफल आयोजन हेतु सभी लोगों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष में मेले के आयोजन में जो कमियां रही है, उनसे सीख लेकर उन्हें दूर किया जायेगा तथा सभी लोगों के सुझावों पर गम्भीरता से विचार किया जायेगा। मेला अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि विगत वर्ष-2017 में आयोजित गौचर मेले से 42.81 लाख रुपये की आय तथा मेले के संचालन में 28.35 लाख रुपये का व्यय हुआ है। पिछले मेलों की अवशेष धनराशि मिलाकर मेला समिति के पास 25.62 लाख की धनराशि उपलब्ध है।

बैठक में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गणमान्य नागरिकों एवं स्थानीय लोगों ने मेले के भव्य एवं सफल आयोजन के लिए अपने-अपने सुझाव रखे। मेले के उद्घाटन एवं समापन के लिए आमंत्रित किये जाने वाले मुख्य अतिथि, उच्च स्तरीय सास्कृतिक दलों को आमंत्रित करने, मेले में लगने वाले स्टाॅल एवं दुकानों का शुल्क निर्धारण, उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित करने, खेलकूद प्रतियोगिताओं में राइफल सूटिंग, कब्बड्डी और कैरम को भी शामिल करने, स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम स्वास्थ्य कैम्प लगाने, नगर में साफ-सफाई, गो-सदन में पशुओ के लिए चारे की समुचित व्यवस्था करने के संबध में महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इसके साथ ही मेले में पहुॅचने वाले अतिथियों एवं सांस्कृतिक दलों के भोजन एवं आवास व्यवस्था, बैरिकेटिंग, शांति आदि व्यवस्थाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

बैठक मुख्य विकास अधिकारी हसांदत्त पांडे, अपर जिलाधिकारी मोहन सिंह बर्निया, सीएमओ डा. तृप्ति बहुगुणा, एसडीएम जीआर बिनवाल, पीडी प्रकाश रावत, अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों सहित पूर्व सभासद ताजवर कनवासी, मनोज नेगी, सुरेशी देवी, सांसद प्रतिनिधि अनसूया प्रसाद जोशी, व्यापार संघ अध्यक्ष ताजवर सिंह भण्डारी, मेला मंच संचालक अर्जुन सिंह नेगी अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि, मेला समिति के सदस्य एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पूर्व लिंग चयन निषेध अधिनियम (पीसीपीएनडीटी) के अन्तर्गत गठित जिला सलाहकार समिति की बैठक में जिलाधिकारी सोनिका ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जनपद में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। जनपद में ब्लाॅकवार लिंगानुपात की रिपोर्ट प्रस्तुत न करने तथा बालक एवं बालिका शिशुओं की संख्या को समान करने के लिए ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत न करने पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी जाहिर की तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिना किसी ठोस कार्ययोजना के पीसीपीएनडीटी बैठक का क्या औचित्य है। जबकि जनपद में बालक एवं बालिका शिशुओं की संख्या समान करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश पूर्व में भी दिये जा चुके हैं। जिलाधिकारी ने आदर्श दम्पत्ति योजना के अन्तर्गत भी मात्र एक ही दम्पत्ति को पुरस्कृत किये जाने पर भी कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने अगले 15 दिन के भीतर जनपद में आदर्श दम्पत्ति की तलाश कर योजना के तहत पुरस्कृत करने के निर्देश दिये। आदर्श दम्पत्ति योजना के तहत ऐसे दम्पत्ति जिन्होंने पहली पुत्री अथवा पहली दो पुत्रियों के जन्म के बाद नसबन्दी करवा ली है को रुपये पांच हजार का नकद पुरस्कार दिया जाता है। नरेन्द्रनगर चिकित्सालय एवं बौराड़ी स्थित जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड मशीन लगाये जाने के सम्बन्ध में स्वास्थ्य सचिव को पत्र प्रेषण में देरी करने पर भी जिलाधिकारी ने नाराजगी जाहिर की तथा इस सम्बन्ध में शीघ्र ही पत्र प्रेषित करने के निर्देश सीएमओ को दिये। जिलाधिकारी ने बीच में ही बैठक स्थगित करते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जनपद में बालक एवं बालिका शिशुओं की संख्या को समान करने की ठोस कार्ययोजना के साथ ही दोबारा बैठक आयोजित करने केे निर्देश दिये।
बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी भागीरथी जंगपांगी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 मनोज वर्मा,स्त्री रोग विशेषज्ञ डा0 अर्चना, रेडियोलाॅजिस्ट डाॅ0 यतेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय महिला कल्याण संस्था चम्बा की अध्यक्ष निर्मला बिष्ट आदि उपस्थित थे।

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