200 उद्योगपतियों पर 50 लाख करोड़ माफ ; तोगड़िया

पहले किसानों का निर्णय लिया जाए, उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव हो;डा. प्रवीण भाई तोगड़िया  

विश्व हिंदू परिषद के फायर ब्रांड नेता डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने मध्य प्रदेश में किसानों पर गोली चलने की घटना को बेहद शर्मनाक बताया। कहा कि किसानों का ऐसा नरसंहार तो मुगल और अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ। कश्मीर में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों पर रबड़ की गोलियां चलाई गईं लेकिन पेट की खातिर आंदोलन करने वाले किसानों पर बंदूक की असली गोली चलाकर हत्या कर दी गई। सरकार चाहती तो वहां भी रबड़ की गोली या अन्य तरीकों से आंदोलन नियंत्रित किया जा सकता था। इसमें कम से कम किसानों की जान तो बच जाती।

डा. प्रवीण भाई तोगड़िया   ने कहा- कश्मीर में रबर की गोलियां चलाई जाती हैं और मध्य प्रदेश में किसानों पर बुलेट चल रही हैं। देश भर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। यह आत्महत्या नहीं नरसंहार है। अन्याय के खिलाफ देश के किसान सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। विहिप फोर एक्शन प्लान पर काम कर रही है। तीन काम खुद करेंगे। एक मांग सरकार से करेंगे। देश के 12 उद्योगपति 1.75 लाख करोड़ रुपये खा गए। 200 उद्योगपतियों पर 50 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बिना चर्चा माफ कर दिया गया लेकिन किसानों की बात आती है तो केंद्र व राज्य एक-दूसरे पर टालते हैं। सरकार उद्योगपतियों के लिए समाजवाद व किसानों के लिए पूंजीवाद का रास्ता अपना रही है। भाजपा ने चुनाव से पहले किसानों के उद्धार करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही थी। अब संसद में किसानों के लिए विशेष सत्र बुलाकर उनकी लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाया जाए। महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए किसान पर सरकार बोझ डालना बंद करे। स्वामी रंगनाथन की रिपोर्ट लागू की जाए। विश्व बैंक ने षड्यंत्र रचा है। शहरों में मजदूर चाहिए, इसलिए वह खेती बर्बाद करके किसानों को गांव छोडऩे पर मजबूर कर रहा है। देश को अमेरिका व यूरोप बनाने वाले लोग अभी भी बदल जाएं। गांव में किसान का स्थान नहीं होगा तो देश भी नहीं बचेगा। नीति आयोग को चुनौती देते हुए कहा, किसानों के लिए योजना बनाने वाले अफसर कितने गांवों तक पहुंचे, उनके नाम बताएं? उन्होंने कहा कि एसबीआइ की महिला चेयरमैन टेलीफोन कंपनियों के लिए रास्ता खोल रही हैं लेकिन किसानों के कर्ज के लिए निर्णय नहीं ले रही हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनााने के सवाल पर बोले कि पहले किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने के लिए संसद में सत्र बुलाकर निर्णय लिया जाए, उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव होना चाहिए। 

यहां इन्वर्टिस विश्वविद्यालय में ‘समृद्ध किसान-समृद्ध देश’ वर्कशाप में किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने आए डा. तोगड़िया ने कहा सरकार महंगाई बढ़ने का ठीकरा किसानों पर फोड़ना बंद करे। अभी तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि अपने हक के लिए पूरे देश का किसान एक होकर आंदोलन करे। कहा कि सरकार ने दो सौ कारपोरेट घरानों का 50 लाख करोड़ का लोन माफ कर दिया। उसमें केंद्र या राज्य सरकार का विषय नहीं आया। जब किसानों का कर्ज माफ करने की बारी आई तो केंद्र इसे राज्य का मसला बताकर पल्ला झाड़ना चाहता है। कारपोरेट घरानों को ‘सोसलिज्म’ और किसानों पर ‘कैपिटलिज्म’ की नीति नहीं चलेगी। देश का किसान आक्सीजन से भी दयनीय स्थिति में है। हर आधे घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है। केवल लोन माफ करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि देश को कर्ज मुक्त किसान चाहिए। सरकार का ‘नीति आयोग’ एयर कंडीशन कमरों में बैठकर पॉलिसी तय कर रहा है। नीति आयोग के सदस्य केवल पांच गांवों के नाम बता दें जिनमें जाकर उन्होंने किसानों की समस्याएं समझी हों।
 डा. प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली 26 फसलों पर किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रपति चुनाव से पहले संसद का विशेष सत्र बुलाए और उसमें घोषणा करे। इसमें भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और वामपंथी समेत समस्त राजनीतिक दलों के लोग किसानों के हित में प्रत्येक फसल पर लागत का डेढ़ गुना मूल्य किसान को देने के लिए संसद में बिल पास कराएं। उन्होंने कहा कि किसान रासायनिक खाद बंद करें। जैविक खेती को बढ़ावा देकर फसल की उपज बढ़ाएं। उसको सही मूल्य दिलाने के इंतजाम सरकार करे। तब किसान समृद्ध होगा।

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