विधानसभा चुनाव का एलान ,आखिरी दिन वोटर रजिस्ट्रेशन की सुविधा, हिमाचल गुजरात किला बचाना बड़ी चुनौती, Kejriwal का वो दांव जिसने उड़ा दी नींद

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का एलान हो गया है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार (14 अक्टूबर) को चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में एक चरण में चुनाव होगा. आयोग ने कहा कि मतदाता उम्मीदवार के बारे में केवाईसी एप से जान सकते हैं. इसके अलावा अगर राजनीतिक दल आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को उतारती है तो पार्टी को ये बताना होगा कि ऐसी क्या बाध्यता थी कि ऐसे उम्मीदवारों को चुनना पड़ा. ये उनको अपने सोशल और प्रिंट मीडिया के जरिए बताना होगा. 

अब कोई भी मतदाता चुनाव के अंतिम दिन तक अपना वोटिंर रजिस्ट्रेशन करा सकेगा

गुजरात में हर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पटेल फैक्टर को काफी तवज्जो दी जाती है. तमाम बड़े और छोटे दल इस समाज को अपनी तरफ खींचने की हर कोशिश करते हैं. इस बार भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी इसी कोशिश में जुटी हैं. ये तैयारी अभी की नहीं, बल्कि कई महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी. 

12 नवंबर को मतदान (Voting) होगा और 8 दिसंबर को काउंटिंग (Counting) होगी. चुनाव के लिए अधिसूचना 17 अक्टूबर को जारी होगी. नामांकन करने की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है और 29 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकते हैं.  चुनाव आयोग ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग सही तरीके से चुनाव करवाने के लिए प्रतिबद्ध है. इलेक्शन फेयर और सही तरीके से करवाने का प्रयास करेंगे. कोविड की स्थिति अब बड़ी चिंता नहीं, लेकिन एहतियाती कदम जारी रखे जाएंगे. प्रत्येक मतदान केंद्र पर रैम्प, पेयजल एवं छायांकित क्षेत्र व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने पीसी में कहा कि कुछ मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा. कुछ मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि विधानसभा की 68 सीटों में से 17 सीटें एससी वर्ग और 3 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. हिमाचल में 55.07 लाख वोटर हैं. इनमें 27 लाख 80 हजार पुरुष और 27 लाख 27 हजार महिलाएं हैं. 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, वोटर्स हमारी प्राथमिकता है, यही वजह है कि जिन लोगों को पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है वो नामांकन के दिन तक इसे हासिल कर सकते हैं. नामांकन के दिन तक वोटर जुड़ सकेंगे. 

चुनाव आयोग ने कहा कि 80 साल के ज्यादा उम्र के लोग, दिव्यांग, या कोरोना संक्रमित अगर बूथ पर नहीं आ पाते हैं तो उनके घर जाकर वोट ली जाएगी. 80 साल के ज्यादा उम्र के 1.82 लाख मतदाता हैं. आयोग के कर्मचारी 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के लिए मतदान के लिए घरों में जाएंगे, प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाएगी. इसके अलावा राज्य में 100 साल से ज्यादा उम्र के 1184 मतदाता हैं.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कुल 68 सीटें हैं. राज्य में फिलहाल में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी को सत्ता में बरकरार रखने के लिए पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेता मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस भी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है. इन दोनों के बीच इस बार आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत झोंके हुए हैं. हिमाचल सदन का कार्यकाल 8 जनवरी, 2023 को समाप्त हो रहा है. 

चुनाव आयोग ने इस बार मतदाताओं की सहूलियत के लिए कई एलान किए हैं. आयोग ने बताया कि मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए जहां हर मतदाता वोटिंग के आखिरी दिन तक अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेगा तो वहीं कुछ पोलिंग स्टेशन ऐसे भी होंगे जिसमे सभी पोलिंग कर्मचारी महिलाएं होंगी और सुरक्षा सुरक्षा कर्मी भी महिलाएं होगी. 

चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि 80+ उम्र के लोग, दिव्यांग और कोरोना प्रभावित लोगों को पोस्टल बैलट की भी सुविधा मिलेगी. 

देश में आखिरी  दिन चुनाव आयोग वोटर रजिस्ट्रेशन की सुविधा देने जा रहा है. लेकिन इससे पहले देश में अपना वोट रजिस्टर कराने की क्या प्रक्रिया थी ये हम आपको बताएंगे. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक 18 साल या उससे अधिक की उम्र के किसी भी भारतीय नागरिक को वोट का अधिकार है.

इसके लिए अब तक उसको अपना वोट रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जनरल वोटर और फार्म 6 भरना पड़ता है. अगर आप ऑनलाइन अपना रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं तो आपको इस लिंक पर क्लिक करना होगा. अप्रवासी भारतीय (Non Resident India) हैं और भारत में अपना वोट रजिस्टर कराना चाहते हैं तो आपको इसके लिए फार्म 6A भरना होगा और उस फार्म में दिए गये नियमों का पालन करना होगा. 

गुजरात में हर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पटेल फैक्टर को काफी तवज्जो दी जाती है. तमाम बड़े और छोटे दल इस समाज को अपनी तरफ खींचने की हर कोशिश करते हैं. इस बार भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी इसी कोशिश में जुटी हैं. ये तैयारी अभी की नहीं, बल्कि कई महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी.  गुजरात में पटेलों की आबादी करीब डेढ़ करोड़ यानी कुल आबादी का करीब 15 फीसदी है. इस आबादी के आंकड़े को अगर सीटों में बदलकर देखें तो गुजरात की कुल 182 सीटों में से 70 सीटों पर पाटीदार समाज का प्रभाव है.

आम आदमी पार्टी  गुजरात में अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है, पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद गुजरात में कई रैलियां कर चुके हैं. फोकस मोदी-शाह के गढ़ में सेंध लगाने का है. अगर पाटीदार समाज के फॉर्मूले की बात करें तो इसका इस्तेमाल AAP 2021 में ही कर चुकी है. गुजरात नगर निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी ने बड़ी संख्या में पटेल उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. नतीजा काफी चौंकाने वाला रहा. पार्टी सूरत नगर निगम में 27 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर आ गई. ये केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए गुजरात में बड़ा बूस्ट था. जिसका खूब जोर-शोर से प्रचार भी किया गया, खुद केजरीवाल नतीजों के बाद गुजरात गए और रोड शो किया.  पाटीदार समाज में देखा जाता है कि यहां युवा नेता काफी ज्यादा पॉपुलर होते हैं. हार्दिक पटेल हों या फिर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी… हर किसी ने युवाओं पर अपनी छाप छोड़ने का काम किया. इसी तरह गोपाल इटालिया भी पाटीदार समाज से आते हैं. उनका भी इस समाज में काफी असर माना जाता है, यही वजह है कि इस युवा नेता को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया. जिन्हें हार्दिक पटेल की काट के तौर पर देखा जा रहा है.

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जिस कांग्रेस पार्टी ने गुजरात में पिछले चुनाव में काफी बेहतर प्रदर्शन किया था, वो फिलहाल गुजरात से गायब नजर आ रही है. पार्टी के बड़े नेता फिलहाल गुजरात की तरफ नहीं देख रहे हैं. इसी बीच बताया जा रहा है कि कांग्रेस खोडलधाम ट्रस्ट के चेयरमैन नरेश पटेल को साथ लेने की कोशिश कर रही है. हालांकि वो सक्रिय राजनीति में आने से साफ इनकार कर चुके हैं. फिलहाल तमाम सर्वे बता रहे हैं कि कांग्रेस गुजरात में अपने दूसरे नंबर की पोजिशन से फिसल सकती है. 

गुजरात का किला सबसे अहम माना जाता है. क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह खुद गुजरात से आते हैं. ऐसे में ये किला बचाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से रही है. 

गुजरात किला बचाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से रही है. 

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