छिछोरे राजनेताओं ने सार्वजनिक जीवन को तबाह कर दिया-

विनोद चमोली धर्मपुर से उतरे ; मेेयर से विधायक बनने की ओर- – Execlusive; www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) by CS JOSHI- EDITOR

पार्टी नेताओं, अफसरों, कर्मचारियों से उनकी भिड़ंत आम है। उनके व्यवहार से उनकी पार्टी के ही नेता  कई बार नाराज हो जाते हैं पर यह साहब  रक्षात्मक रुख अपनाने के बजाय और आक्रामक हो जाते हैं। वह कहते हैं कि राजनीति ही नहीं, समाज भी अराजक हो गया है। मैं व्यवस्था और अनुशासन को सबसे ऊपर रखता हूं। मुझे कोई शारीरिक या मनोवैज्ञानिक परेशानी नहीं है, जिससे गुस्सा आता हो। अगर कहीं भी अनुशासनहीनता होती है और व्यवस्था दोषपूर्ण होती है तो मैं विरोध करता हूं। अन्याय, अव्यवस्था, अनुशासनहीनता के खिलाफ सकारात्मक गुस्सा आना अच्छी बात है। मैं कुटिल और छल-कपट वाली राजनीति में विश्वास नहीं करता। इसी कारण हमारे देश में अराजकता और अव्यवस्था का राज है। मैं गुस्से में नहीं रहता, सिर्फ रिएक्ट करता हूं। जब भी प्रोटोकोल और पद की गरिमा को ठेस पहुंचता है, मैं शांत नहीं रह पाता। आज की राजनीति ओछी हो चुकी है। इसमें बहुत कम साफ सुथरे लोग रह गए हैं। आखिर कब तक आत्मा बेचकर समझौता किया जा सकता है? छिछोरे राजनेताओं ने सार्वजनिक जीवन को तबाह कर दिया है। अगर भाजपा में भी अनुशासनहीनता या मर्यादा का उल्लंघन होता है तो मैं आपत्ति जताता हूं। मेरे लिए स्वाभिमान सबसे ऊपर है। दबकर रहना मेरी फितरत में नहीं है। गलत चीजों को देखकर जो रिएक्ट न करे, चुप रहे, साजिश रचे, मेरा चरित्र ऐसा नहीं है। विरोध करने और अपनी बात को रखने वाला कैरेक्टर खत्म नहीं होना चाहिए। लोग भी अनुशासनहीन और अराजक हो रहे हैं। सच समझने वाले अधिकारी और कर्मचारी मुझसे नाराज रह ही नहीं सकते। मीडिया को चाहिए वह असलियत समझे और लोगों को समझाए। उत्तराखंड में नौकरशाह तानाशाह हो गए हैं। यह मनमानी करते हैं। सारे कानून एवं नियमों को ताक पर रखते हैं। जब इस तरह की घटना होती है तो अधिकारी को निर्दोष समझा जाता है। जनप्रतिनिधि से आदर्श होने की उम्मीद की जाती है। नौकरशाहों के रवैये और आचरण का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।

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