आपका घर कैसे हो वास्तु दोषों से सुरक्षित

हनुमान जी रोकते हैं नकारात्मक शक्ति को = www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) CS JOSHI

पुराणों में कई स्थानों पर वास्तु दोषों के शमन के लिए चित्र, नक्काशी, बेल बूटे, मनोहारी आकृतियों आदि के उपयोग का वर्णन है। अपने घर को चित्रों और आकृतियों से सजाने की कला प्राचीन काल से ही चली आ रही है। क्या आपको ज्ञात है चित्र और आकृतियां घर को सजाने के साथ-साथ घर में वास्तु के अनेकानेक दोषों को भी दूर करती हैं। इसका उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
घर में स्थापित की गई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं चमत्कारी प्रभाव देती हैं इसलिए शास्त्रों में प्रतिमाओं और चित्रपटों के लिए बहुत से महत्वपूर्ण नियम बनाएं गए हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में देवी-देवताओं के चित्रों को लगाने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। हनुमान जी के चित्रपट का महत्व ध्यान में रखते हुए वास्तु में कई नियम बताए गए हैं जैसे-
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनका चित्रपट बेडरूम में न रखकर घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है।

वास्तु शास्त्रियों के अनुसार हनुमान जी का चित्र दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए क्योंकि हनुमान जी ने अपना प्रभाव अत्यधिक इसी दिशा में दिखाया है जैसे लंका दक्षिण में है, सीता माता की खोज दक्षिण से आरंभ हुई, लंका दहन और राम-रावण का युद्ध भी इसी दिशा में हुआ। दक्षिण दिशा में हनुमान जी विशेष बलशाली हैं। इसी प्रकार से उत्तर दिशा में हनुमान जी का चित्रपट लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली प्रत्येक नकारात्मक शक्ति को हनुमान जी रोक देते हैं। वास्तुनुसार इससे घर में सुख और समृद्धि का समावेश होता है और दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत को हनुमान जी रोक देते हैं। जिस रूप में हनुमान जी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हों ऐसे चित्रपट को घर में लगाने से किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश असंभव है।

घरों में तस्वीर या चित्र लगाने से घर सुंदर दिखता है, परंतु बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि घर में लगाए गए
चित्र का प्रभाव वहां रहने वाले लोगों के जीवन पर भी पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में श्रृंगार,
हास्य व शांत रस उत्पन्न करने वाली तस्वीरें ही लगाई जानी चाहिए।
घर के अन्दर और बाहर सुन्दर चित्र , पेंटिंग , बेल- बूटे , नक्काशी लगाने से ना सिर्फ सुन्दरता बढती है ,
वास्तु दोष भी दूर होते है।
1- फल-फूल व हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें जीवन शक्ति का प्रतीक है। उन्हें पूर्वी व उत्तरी दीवारों
पर लगाना शुभ होता है। इनसे जीवन में खुशहाली आती है।
2- लक्ष्मी व कुबेर की तस्वीरें भी उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ होने की
संभावना अधिक होती है।
3- यदि आप पर्वत आदि प्राकृतिक दृश्यों की तस्वीरें लगाना चाहते हैं तो दक्षिण या पश्चिम दिशा में
लगाएं।
4- नदियों-झरनों आदि की तस्वीरें उत्तरी व पूर्वी दिशा में लगाना शुभ होता है।
5- युद्ध प्रसंग, रामायण या महाभारत के युद्ध के चित्र, क्रोध, वैराग्य, डरावना, वीभत्स, दुख की भावना
वाला, करुण रस से ओतप्रोत स्त्री, रोता बच्चा, अकाल, सूखे पेड़ कोई भी चित्र घर में न लगायें।
6.घर का उत्तर पूर्व कोना (इशान कोण) स्वच्छ रखें व वंहा बहते पानी का चित्र लगायें | (ध्यान रहे इस
चित्र में पहाड़/पर्वत न हो )
7. उत्तर क्षेत्र की दीवार पर हरियाली या हरे चहकते हुए पक्षियों का शुभ चित्र लगाएं।
ऐसा करने से परिवार के लोगों की एकाग्रता बनेगी साथ ही बुध ग्रह के शुभ परिणाम मिलेंगे। उत्तर दिशा
बुध की होती है।
8.लक्ष्मी व कुबेर की तस्वीरें भी उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ होने की संभावना है।
9. घर में जुडवां बत्तख व हंस के चित्र लगाना लगाना श्रेष्ठ रहता है। ऐसा करने से समृद्धि आती है।
10. घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं,
लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।
11.बच्चाा जिस तरफ मुंह करके पढता हो, उस दीवार पर मां सरस्वती का चित्र लगाएं। पढाई में रूचि जागृत
होगी।
12 . अध्ययन कक्ष में मोर, वीणा, पुस्तक, कलम, हंस, मछली आदि के चित्र लगाने चाहिए।
13. बच्चों के शयन कक्ष में हरे फलदार वृक्षों के चित्र, आकाश, बादल, चंद्रमा अदि तथा समुद्र तल की शुभ
आकृति वाले चित्र लगाने चाहिए।
14.फल-फूल व हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें जीवन शक्ति का प्रतीक है। उन्हें पूर्वी व उत्तरी दीवारों पर
लगाएं।
15.ऐसे नवदम्पत्ति जो संतान सुख पाना चाहते हैं वे श्रीकृष्ण का बाल रूप दर्शाने वाली तस्वीर अपने
बेडरूम में लगाएं।
16.यदि आप अपने वैवाहिक रिश्ते को अधिक मजबुत और प्रसन्नता से भरपूर बनाना चाहते हैं तो अपने बेडरुम में
नाचते हुए मोर का चित्र लगाएं।
17.यूं तो पति-पत्नी के कमरे में पूजा स्थल बनवाना या देवी-देवताओं की तस्वीर लगाना वास्तुशास्त्र में
निषिद्ध है फिर भी राधा-कृष्ण की तस्वीर बेडरूम में लगा सकते हैं। इसके साथ ही बांसुरी, शंख, हिमालय आदि के चित्र दाम्पत्य सुख में वृद्धि के कारक होते हैं।
18.कैरियर में सफलता प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा में जंपिंग फिश, डॉल्फिन या मछालियों के जोड़े का
प्रतीक चिन्ह लगाए जाने चाहिए। इससे न केवल बेहतर कैरियर की ही प्राप्ति होती है बल्कि व्यक्ति की
बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
19.अपने शयन कक्ष की पूर्वी दीवार पर उदय होते हुए सूर्य की ओर पंक्तिबद्ध उड़ते हुए शुभ उर्जा वाले पक्षियों
के चित्र लगाएं। निराश, आलस से परिपूर्ण, अकर्मण्य, आत्मविश्वास में कमी अनुभव करने वाले व्यक्तियों के
लिए यह विशेष प्रभावशाली है।
20.स्वर्गीय परिजनों के चित्र दक्षिण की दीवार पर लगाने से सुख समृधि बढेगी
21.अग्नि कोण में रसोई घर नहीं हो, तो उस कोण में यज्ञ करते हुए ऋषि-विप्रजन की चित्राकृति लगानी
चाहिए।
22.रसोई घर में माँ अन्नपूर्णा का चित्र शुभ माना जाता है।
23.मुख्य द्वार यदि वास्तु अनुरूप ना हो तो उस पर नक्काशी , बेल बूटे बनवाएं।
24.दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए घर में राधा कृष्ण की तस्वीर लगाएं।
25.पढने के कमरे में माँ सरस्वती , हंस , वीणा या महापुरुषों की तस्वीर लगाएं।
26.व्यापर में सफलता पाने के लिए कारोबार स्थल पर सफल और नामी व्यापारियों के चित्र लगाएं।
27.पूर्वजों की तस्वीर देवी देवताओं के साथ ना लगाएं।
28.दक्षिण मुखी भवन के द्वार पर नौ सोने या पीतल के नवग्रह यंत्र लगाए और हल्दी से स्वस्तिक बनाए।

कमरों में पर्दों का रंग दीवार के रंग से गहरा होना चाहिए. कमरे के रंग से मानसिक विकास में परिवर्तन होता है. अगर कमरा घर के पूर्वी भाग में है तो कमरे की दीवार अध्ययन कक्ष की दीवारों के रंग हल्का पीला या नारंगी रखा जाना उचित है इनसे पढ़ाई का उचित वातावरण निर्माण होता है एवं छात्रों को एक आंतरिक ऊर्जा का अनुभव होता है. का रंग सफेद और पर्दों का रंग लाल या नारंगी होना चाहिए. आपके बच्चो के स्डडी रूम मे लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने मे मददगार होते है। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारो और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा। कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करे। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करे। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करे।

विशेष : स्टडी रूम मे कभी भी गहरे रंग, काले रंग का प्रयोग न करे। पानी वाले शो पीस या पानी की तस्वीर जरूर लगाएँ। अध्ययन कक्ष अनुकूल तथा शुभ दिखनेवाली दिशाओं में स्थित होनी चाहिए । अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु सिध्दांतो के अनुसार इन दिशाओं से पढ़ाई के दौरान छात्र की एकाग्रता बढ़ती है । यह सुनिश्चित करें कि अध्ययन कक्ष में आईने का प्रतिबिंब न हो जिसके परिणामस्वरूप छात्र पर प्रभाव हो सकता है । छात्रों का अनुकूल दिशाओं से सामना होने पर वे सही तरह से सक्रिय महसूस करते हैं और एकाग्रता की स्तर को बढ़ावा देते हैं तथा उनके अजना चक्र को सक्षम करते हैं । अगर छात्र स्तंभ के नीचे बैठा है तो उसकी पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है और वो दबाव महसूस करता है ।

कुछ बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और वे जो कुछ पढ़ते है, वह शीघ्र ही भूल जाते हैं या फिर अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परीक्षाफल सामान्य ही रहता है। वास्तुविद् मानते हैं कि इसके पीछे आपके बच्चे के स्टडी रूम का वास्तुदोष भी हो सकता है। हम वास्तुविद पंकज कुमार जैन और अमिताभ गौड़ से बातचीत के आधार पर कुछ ऐसे टिप्स यहां दे रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के अध्ययन पर सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
1.घर में अध्ययन कक्ष ईशान कोण अथवा पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए। अध्ययन कक्ष शौचालय के निकट किसी भी कीमत पर न बनवाएं।
2. पढ़ने की टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा पढ़ते समय मुंह उत्तर या पूर्व की दिशा में होना चाहिए। इन दिशाओं की ओर मुंह करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है जिससे स्मरण शकित बढ़ती है एंव बुद्धि का विकास होता है।
3. जिस कमरे में बच्चा पढ़ता है उसे आग्नेय कोण यानी पूर्व और दक्षिण व वायु कोण अर्थात् उत्तर व पश्चिम दिशा में बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। आग्नेय कोण में होने से बच्चा चिड़चिड़ा होता है और वायु कोण में पढ़ने से उसका मन भटकता है। अतः कोशिश करें कि बच्चा कम से कम परीक्षा के दिनों में पूर्व दिशा में ही बैठकर पढ़े।
4-बीएड, प्रशासनिक सेवा, रेलवे आदि की तैयारी करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि सूर्य सरकार एंव उच्च पद का कारक तथा पूर्व दिशा का स्वामी है।
5-बीटेक, डाक्टरी, पत्रकारिता, ला, एमसीए, बीसीए आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए । क्योंकि मंगल दक्षिण दिशा का स्वामी है।
6-एमबीए, एकाउन्ट, संगीत, गायन, और बैंक की आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि बुध वाणी एंव गणित का संकेतक है एंव उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।
7- रिसर्च तथा गंभीर विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पशिचम दिशा में होना चाहिए क्योंकि शनि एक खोजी एंव गंभीर ग्रह है तथा पश्चिम दिशा का स्वामी है।
8- पढ़ाई की टेबल जिसे हम स्टडी टेबल भी कहते हैं उसका आकार गोलाकार, आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। यदि टेबल का आकार तिरछा या टूटा हुआ होगा तो इससे बच्चा अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाएगा और भ्रमित होगा।
9- बच्चों के स्टडी रूम की दीवारों का कलर पीला या वायलेट होना चाहिए। इसी तरह कुर्सी और टेबल का रंग भी होना चाहिए।
10- विद्यार्थियों को अपने कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। इससे सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।
वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा.????
किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है। इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय से जुड़ गई हैं और छात्र-छात्राएं व्यवसाय की तैयारी के रूप में ही इसे ग्रहण करते है। अधिकांश अभिभावकों एवं विद्यार्थियों की चिंता यह रहती हें कि क्या पढा जाएं ताकि अच्छा केरियर निर्मित हो आज के युग को देखते हुए ज्योतिष के माध्यम से शिक्षा का चयन उपयोगी हो सकता हैं । आज का भवन तो आलीशान होता है, सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होता है फिर भी उसके अनुशासन व पढाई के स्तर में निरंतर गिरावट आती चली जाती है बच्चे भी अध्ययन के प्रति रूचि नहीं दिखाते हैं। भवन का निर्माण करते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
प्राचीन काल में शिक्षा का मुख्य उद्धेश्य ज्ञान प्राप्ति होता था । विद्यार्थी किसी योग्य विद्वान के निर्देशन में विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करते थे । इसके अतिरिक्त उसे शस्त्र संचालन एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता था । किन्तु वर्तमान समय मंे यह सभी प्रशिक्षण लगभग गौण हो गये । शिक्षा की महत्ता बढ़ने व प्रतिस्पर्धात्मक युग में सजग रहते हुए बालक के बोलने व समझने लगते ही माता-पिता शिक्षा के बारे में चिंतित हो जाते हैं ।
प्रतियोगिता के इस युग में लगभग सभी परिवार अपने बच्चों के कैरियर को लेकर काफी परेशान नजर आते हैं।बच्चों का न तो पढ़ने में मन लगता है और बड़ी मुश्किल से ही पास हो पाते हैं, स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। इस कारण पढ़ने में काफी पिछड़ता जा रहा है।हम देखते हैं कि कई बच्चे खेलते-कूदते व मस्ती करते रहते हंै ज्यादा अध्ययन भी करते हुए नहीं पाए जाते हैं पर जब उनका परीक्षा परिणाम आता है तो वह बच्चे अच्छे नम्बरों से पास होते हंै। इसके विपरीत कई बच्चे अपना अत्यधिक समय अध्ययन में लगाते हैं। उन्हें परिवार के लोग भी काफी सहयोग करते हैं पर परीक्षा में या तो अनुत्तीर्ण हो जाते हैं या कम नंबरांे से पास होते हैं।
जहां भी वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत अध्ययन कक्ष की बनावट हो तो उस कमरे मे पढ़ने वाले विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं और पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं। बच्चों का कैरियर उनकी अच्छी पढ़ाई लिखाई पर ही निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में यदि माता-पिता एवं विद्यार्थी थोड़ी सी सतर्कता बरतें एवं वास्तु के कुछ साधारण से नियमों का पालन करें तो कम मेहनत कर अच्छे नंबरों से पास होंगे। उनका भविष्य भी उज्जवल होगा।वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व , उत्तर एवं ईशान ;छण्म्ण्द्ध दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ कहलाती हैं अतः पढ़ते समय हमें उत्तर , पूर्व एवं ईशान दिशा की ओर मुँह करके पढ़ना चाहिए।
परिस्थिती वश यदि हमारा अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में भी हो तो पढते समय हमारा मुँह उपरोक्त दिशाओं की ओर ही होना चाहिए। विज्ञान के अनुसार इंफ्रा रेड किरणें हमें उत्तरी पर्वी कोण अर्थात ईशान कोण से ही मिलती हैं, ये किरणें मानव शरीर तथा वातावरण के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं जो शरीर की कोशिकाओं को शक्ति प्रदान करती हैं , और शरीर में एकाग्रता प्रदान करती हैं।
आजकल अधिकांश स्थानो पर स्कुल में एक्जाम/ परीक्षाएं चल रही हैं ..कुछ जगहों पर स्कुल खुल चुके हैं एवं उन सभी में पढ़ाई आरम्भ हो चुकी हैं..
आइये जाने की वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा कहाँ और केसा होना चाहिए ताकी उनका मन पढ़ाई में लगा रहे और वे सभी अच्छे नंबरों से उत्त्तीर्ण हो जाएँ…
— अध्ययन कक्ष हो सके तो भवन के पश्चिम या ईशान कोण मे ही बनाना चाहिये। पर भवन के नैत्रत्य व आग्नेय मे कभी भी अध्ययन कक्ष नही बनाना चाहिए।
— विद्यार्थियों को पढ़ते समय मूॅह पूर्व या उत्तर की ओर रख कर ही अध्ययन करना चाहिए।
— विद्यार्थियों को दरवाजे की तरफ पीठ करके कभी भी अध्ययन नही करना चाहिये।
— विद्यार्थियों को किसी बीम या परछत्ती के नीचे बैठकर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
— विद्यार्थी चाहे तो अपने अध्ययन कक्ष मे सो भी सकते है। अर्थात् कमरे को स्टडी कम बेडरुम बनाया जा सकता है।
—- स्टडी रुम का दरवाजा ईशान, पूर्व, दक्षिण आग्नेय, पश्चिम वायव्य व उत्तर मे होना चाहिये। अर्थात् पूर्व आग्नेय, दक्षिण पश्चिम नैऋत्य, एवं उत्तर वायव्य मे नही होना चाहिये। स्टडी रुम मे यदि खिड़की हो तो पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार मे ही होना चाहिए। दक्षिण मे नही।
—- विद्यार्थियों को सदैव दक्षिण या पश्चिम की ओर सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण में सिर करके सोने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और पश्चिम में सिर करके सोने से पढ़ने की ललक बनी रहती है।
—- अध्ययन कक्ष के ईशान कोण मे अपने आराध्य देव की फोटो व पीने के पानी की व्यवस्था भी रख सकते है।
—- किताबों का रॅक्स दक्षिण, पश्चिम मे रखे जा सकते है। पर नैत्रत्य व वायव्य मे नही रखना चाहिये। क्योकि नैऋत्य के रॅक्स कि किताबे बच्चे निकाल कर कम पढ़ते है व वायव्य मे किताबे चोरी होने का भय रहता है।
—- किताबे स्टडी रुम मे खुले रॅक्स मे ना रखें। खुली किताबे नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करती है इससे स्वास्थ्य भी खराब होता है अतः रॅक्स के उपर दरवाजा अवश्य लगाये।
—–यदि आप अच्छा केरियर बनाना चाहते हेै तो स्टडी रुम मे अनावश्यक पुरानी किताबे व कपड़े न रखें। अर्थात् किसी भी किस्म का कबाड़ा कमरे मे नही होना चाहिए।
—अध्ययन कक्ष की दीवार व परदे का कलर हल्का आसमानी, हल्का हरा, हल्का बदामी हो तो बेहतर है। सफेद कलर करने पर विद्यार्थियों पर सुस्ती छाई रहती है।
—-अध्ययन कक्ष के साथ यदि टायलेट हो तो उसका दरवाजा हमेशा बन्द रखे। टायलेट को ज्यादा ना सजाये। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
—- यदि कमरे मे एक से अधिक बच्चे पढ़ते है तो उनके हँसते मुस्काते हुए सामूहिक फोटो स्टडी रुम मे अवश्य लगाये इससे उनमे मिल जुलकर रहने कि भावना विकसित होगी।
—- यदि विद्यार्थी अपने अध्ययन में यथोचित सफलता नहीं पा रहे हैं तो अध्ययन कक्ष के द्वार के बाहर अधिक प्रकाश देने वाला बल्ब लगाएं जो 24 घंटे जलता रहे।
—-यदि विद्यार्थी वास्तु के उपरोक्त सामान्य नियमों का पालन करते है तो उन्हे बहुत ज्यादा समय
स्टडी रुम मे बिताने की जरुरत नही रहेगी। उन्हे अन्य गतिविधियों जैसे खेलना कूदना इत्यादि के लिये समय भी मिलेगा साथ ही विद्यार्थी अच्छे नम्बरो से पास होकर अपने केरियर और अपना भविष्य उज्वल कर सकेंगे।
—- यदि विद्यार्थी कम्प्यूटर का प्रयोग करते है तो कम्प्यूटर आग्नेय से लेकर दक्षिण व पश्चिम के मध्य कही भी रख सकते है। ध्यान रहै ईषान कोण में कम्प्युटर कभी न रखें। ईषान कोण में रखा कम्प्युटर बहुत ही कम उपयोग में आता है।
—-यदि सूर्य की सुबह की किरणे कमरे मे आती हो तो खिड़की दरवाजे सुबह के वक्त खोलकर रखना चाहिये। ताकि सुबह की लाभदायक सूर्य की उर्जा का लाभ ले सके। पर यदि सूर्य की शाम की किरणें आती है तो बिलकुल न खोले। ताकि दोपहर के वक्त के बाद की नकारात्मक उर्जा से बचा जा सके।
—- बच्चों का फेस पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
—–कमरे का ईशान कोण का क्षेत्र सदैव स्वच्छ रहना चाहिए और वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान, कूड़ा, कबाड़ा नहीं होना चाहिए। अलमारी, कपबोर्ड, पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
==कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है। कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। बच्चों के कक्ष के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें कि वहां पर बेवजह का सामान एकत्रित न हो। यह क्षेत्र सदैव स्वच्छ और बेकार के सामान से मुक्त होना चाहिए।
क्या आपके बच्चे का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता?
=== हो सकता है आपके बच्चों के स्डडी रूम में कहीं न कहीं से नकारात्मक ऊर्जा आ रही हो। पढ़ाई में कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करें।
शायद आपकी चिंता दूर हो जाए…
==स्टडी रूम यानी जीवन का अहम् हिस्सा जहाँ यूथ अपना अधिक से अधिक समय बिताते हैं। यदि यह आपको सूट न करे तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है और आपका ध्यान पढाई से हट भी सकता है।
==स्डडी रूम व्यवस्थित रखें :– आपके बच्चों से कहें पुरानी किताबें, नोट्स, मेल्स, स्टेशनरी सभी स्टडी रूम से बाहर करें। रोज़ाना आपके बच्चों को स्टडी रूम को साफ करने की आदत डाल लें।
== टेबल के सामने अपने इष्ट देवता, माता-पिता या किसी महान व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते हैं, मगर फिल्म स्टार या बेहूदी फोटो न लगाएँ।
==कलर : आपके बच्चों के स्डडी रूम में लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने में मददगार होते हैं। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारों और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा।
==कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करें। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करें। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करें।
इन साधारण किंतु चमत्कारिक वास्तुशास्त्र सिद्धांतों के आधार पर यदि अध्ययन कक्ष का निर्माण किया जाऐ तो उत्तरोतर प्रगति संभव है।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
राष्ट्रिय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रिय पंडित परिषद्

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