4 राज्‍यो के चुनाव परिणाम- ज्योतिषीय संकेत

आकाश में विचरण करने वाले ग्रह, नक्षत्र और सितारे हमेशा से मानव जीवन को प्रभावित करते आये हैं।  हिन्दू ज्योतिष में कर्म की प्रधानता के साथ-साथ ग्रह गोचर और नक्षत्रों के प्रभाव को भी मनुष्य की भाग्य उन्नति के लिए जिम्मेदार माना जाता है। नवग्रह में सूर्य और चंद्रमा भी आते हैं इसलिए सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व बढ़ जाता है। चंद्र ग्रहण भारत में 2019 (Chandra Grahan 2019 In India) में दो बार होगा जिसके प्रभाव कुछ राशियों पर पड़ने हैं। नए साल 2019 की शुरुआत में ही चंद्र और सूर्य दोनों ग्रहण होने हैं। 21 जनवरी 2019 सोमवार के दिन पड़ रहा है। एक तरफ लोगों में नए साल 2019 के आने की खुशी तो है पर वह साल के त्यौहार की भी खुशी होगी। ऐसे में दूसरी ओर साल 2019 में चंद्र ग्रहण के अशुभ योग भी बन रहे हैं।

मध्यप्रदेश , राजस्थान, छत्तीसगढ़- चुनाव परिणाम- ज्योतिष के अनुसार

ज्योपतिषशास्त्र के संकेतो के अनुसार तीन राज्‍यो में कांग्रेस और एक राज्य तेलंगाना में सत्तारूढ पार्टी टीआरएस सत्ता में लौट रही है जो बाद में बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव लडेगी- और कौन बनेगा मुख्यमंत्री इन राज्यो में-

राजस्थान में 7 दिसंबर को विधान सभा का चुनाव होने जा रहा है। इसी दिन अस्त गुरु उदित हो रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र के नियम के अनुसार जब जन्म नक्षत्र पर गुरु का गोचर होता है तो यह समय व्यक्ति के जीवन में काफी उथल-पुथल लाता है। इस समय राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कुंडली में जन्म नक्षत्र अनुराधा पर अतिचारी गुरु का गोचर हो हो रहा है जो शुभ दशा नहीं है।

वैदिक ज्योतिष में ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है। सूर्य और चंद्र ग्रहण के घटित होने से मानव जीवन, प्रकृति और वस्तुओं पर सीधा असर पड़ता है। ग्रहण का प्रभाव न केवल मनुष्यों पर बल्कि जल, जीव और पर्यावरण के अन्य कारकों पर भी पड़ता है। यही वजह है कि ग्रहण मानव समुदाय को प्रभावित करता है। साल 2019 में कुल 5 ग्रहण घटित होंगे। इनमें 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण दिखाई देंगे। वर्ष 2019 में जनवरी के महीने में एक-एक सूर्य और चंद्र ग्रहण दिखाई देंगे। 6 जनवरी को सूर्य ग्रहण और 21 जनवरी को चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। वहीं 2 जुलाई को दूसरा सूर्य ग्रहण और 16 जुलाई को इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण घटित होगा। 26 दिसंबर को साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

इस साल 2019 में दो चंद्र ग्रहण होंगे। चंद्र ग्रहण भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र ग्रहण के घटित होने से प्रकृति और मानव जीवन में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। ये परिवर्तन अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के हो सकते हैं। जिस तरह चंद्रमा के प्रभाव से समुद्र में ज्वार भाटा आता है, ठीक उसी प्रकार चंद्र ग्रहण की वजह से मानव समुदाय प्रभावित होता है।  पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी 2019  08:07:34 से 13:07:03 बजे तक ;यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण पुष्य नक्षत्र और कर्क राशि में लगेगा, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित लोग इस चंद्र ग्रहण से प्रभावित होंगे। चंद्र ग्रहण के बुरे असर को कम करने के लिए कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र में जन्में लोगों को सावधानी बरतनी होगी। 

 

सचिन पायलट की कुंडली में बन रहा ‘शूल योग’ जहां उनको एक तेज़तर्रार वक्त बनता है तो वहीं दूसरी ओर यह योग उनको उनकी ही पार्टी के भीतर गुटबाजी से परेशान होने का संकेत भी दे रहा है। राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीत सकती है लेकिन सूर्य उनकी कुंडली में नवांश में नीच राशि में हैं इसलिए अभी इनके लिए मुख्यमंत्री पद तक पहुंचना कठिन है।

अशोक गहलोत को फिर एक बार सत्ता की चाबी मिल सकती है। इनकी कुंडली में इन दिनों ग्रहों के अच्छे योग बने हुए हैं।

धनु राशि में गोचर कर रहे शनि मध्यप्रदेश की कुंडली में ‘ढैय्या’ और छत्तीसगढ़ की कुंडली में ‘साढ़ेसती’ का प्रभाव लेकर चल रहे हैं तो ऐसे में इस बात की आशंका दिख रही है कि इन दोनों राज्यों में शनि महाराज सत्ता परिवर्तन करवा सकते हैं

मध्य प्रदेश की कुंडली 1 नवंबर 1956 मध्य रात्रि भोपाल की है जहां कर्क लग्न उदय हो रहा है। इस राज्य की राशि कन्या है। धनु राशि में गोचर कर रहे शनि कन्या से चतुर्थ भाव में होकर ‘कंटक-शनि’ के गोचर का निर्माण कर रहे हैं जो मेदिनी ज्योतिष के अनुसार सत्ता परिवर्तन का योग है। मध्य प्रदेश की कर्क लग्न की कुंडली में पिछले सितंबर महीने से दश स्थान यानी (हानि स्थान) के स्वामी बुध की महादशा शुरू हो चुकी है जिससे सत्ता परिवर्तन का योग बन रहा है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जिनका जन्म 5 मार्च 1959 को हुआ था, उनकी जन्म राशि मकर से द्वादश (हानि स्थान) में गोचर कर रहे शनि उनको ‘साढ़ेसती’ के प्रभाव में लिए हुए हैं। वृषभ लग्न की शिवराज सिंह चौहान की कुंडली में अष्टम भाव में बैठे शनि की महादशा में नीच के बुध की अन्तर्दशा चल रही हैं जो उनके शानदार राजनीतिक करियर में अब एक बड़े नुकसान का ज्योतिषीय योग बना रही है।

साढ़ेसती’ और अष्टम शनि की महादशा में शिवराज सिंह चौहान को अब विपक्ष में बैठना पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश के युवा कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर मुंबई में था। उनका मुख्यमंत्री बन पाना कठिन है।

कांग्रेस के नेता कमलनाथ 18 नवंबर 1946 को मीन लग्न में जन्मे है। शनि में गुरु की शुभ दशा में चल रहे कमलनाथ की कुंडली के अच्छे राजयोग उनको इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकते हैं। कमलनाथ की कुंडली के भाग्य स्थान (नवम भाव) में बन रहे मंगल, सूर्य, बुध और शुक्र के योग उनको मुख्यमंत्री के पद तक भी पंहुचा सकते है।

छत्तीसगढ़ राज्य की कुंडली 1 नवंबर 2000 को मध्य रात्रि में रायपुर की है जहां कर्क लग्न और धनु राशि का प्रभाव है। धनु राशि में इन दिनों शनि महाराज चल रहे हैं जो सत्ता परिवर्तन का योग बना रहे हैं।

तेलंगाना विधान सभा का चुनाव 7 दिसंबर को होने जा रहा है। ज्योतिषशास्त्र की गणना बताती है कि इस समय तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की कुंडली में सितारे इतने मजबूत हैं कि फिर लौट सकते हैं सत्ता में।

दक्षिण भारत में तमिलनाडु के प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार जन्म नक्षत्र में गुरु यानि बृहस्पति ग्रह का गोचर जातक को मानसिक कष्ट के साथ-साथ बड़े बदलावों से होकर गुजरने पर  विवश करता है। इन तमिल ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान राम के जन्म नक्षत्र में गोचर के गुरु चल रहे थे तब सीता का हरण रावण के द्वारा किया गया था और राम, सीता की खोज में वन-वन भटकने को विवश हो गए थे। द्वापर युग में दुर्योधन के जन्म नक्षत्र पर जब गुरु का गोचर में भ्रमण हुआ तब वह अपने भाइयों सहित महाभारत के युद्ध में मारे गए। इन ज्योतिष के ग्रंथों के अनुसार, जन्म राशि और नक्षत्र में गुरु का गोचर जातक को उन परिस्थतियों में अधिक कष्ट देता है जब कुंडली में दशा अशुभ हो तथा शनि का गोचर भी प्रतिकूल चल चल रहा हो ।

ठीक ऐसी ही स्थिति इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जन्म-कुंडली में बन रही है क्योंकि दोनों का ही जन्म नक्षत्र अनुराधा है, जहां गोचर में गुरु अतिचारी होकर चल रहे हैं और दोनों की जन्म राशि वृश्चिक है, जो कि शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में है।

17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे नरेंद्र मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि की है। प्रधानमंत्री मोदी का चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र का है, जिस पर अतिचारी गुरु का गोचर तथा धनु में चल रहे शनि की साढ़ेसाती का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है। राफेल मामले, सीबीआई विवाद और देश में बढ़ रही बेरोजगारी की की समस्या केंद्र की मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। चंद्र में शुक्र की दशा में चल रहे प्रधानमंत्री मोदी को पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की हार का सामना करना पड़ सकता है।

8 मार्च 1953 को शाम 4 बजकर 45 मिनट पर पर मुंबई में जन्मी वसुंधरा राजे की कुंडली कर्क लग्न और वृश्चिक राशि की है। वसुंधरा राजे की कुंडली में नवमेश गुरु और दशमेश मंगल के स्थान परिवर्तन राजयोग ने उनको दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनवाया और जबरदस्त लोकप्रियता दी। कुंडली के कर्म स्थान (दशम भाव) में बैठे गुरु और और शुक्र के योग के कारण वसुंधरा राजे ने शिक्षा और महिला एवं बल कल्याण के क्षेत्र में राजस्थान में बेहद अच्छा काम किया। किन्तु साल 2015 में शनि की साढ़ेसाती के कारण ललित मोदी कांड में नाम आने पर वसुंधरा राजे की लोकप्रियता में गिरावट आने लगी। वर्तमान में चल रही राहु में गुरु की दशा छिद्र और जन्म-नक्षत् पर गोचर के गुरु के कारण उनको राजस्थान विधानसभा चुनावों में प्रतिकूल परिणाम मिलने के ज्योतिषीय संकेत दिख रहे हैं।

कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं कि उनकी ओर से मुख्यमंत्री प्रत्याशी कौन होगा लेकिन पहले 2 बार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुंडली को देखने से ऐसा लगता है कि इनकी कुंडली में इन दिनों ग्रहों के अच्छे योग बने हुए हैं। लग्न से छठे भाव में गुरु का गोचर और सप्तम में चल रहा शनि का गोचर उनको अच्छी सफलता दिला सकते हैं। योगकारक मंगल की महादशा में इस समय सूर्य की अंतर्दशा चल रही चल रही है, जो कि लाभ भाव में होकर उनको ‘राज्य -लाभ’ का का ज्योतिषीय संकेत दे रहे हैं।
साभार- सचिन मल्होत्रा, ज्योतिषशास्त्री

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