उत्तराखण्ड को क्षतिपूर्ति किये जाने का भरोसा

harish & modiनई दिल्ली/देहरादून 16 जुलाई, 2016 (सू.ब्यूरो)

शनिवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में अंतर्राज्य परिषद की 11 वीं बैठक में प्रतिभाग करते हुए उत्‍तराखण्‍ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील 400 से अधिक चिन्हित गांवों के विस्थापन व विगत दिनों भारी वर्षा, भूस्खलन की घटनाओं से राज्य में हुए व्यापक नुकसान की क्षतिपूर्ति में केंद्र सरकार से सहायता करने का अनुरोध किया। उन्होंने राज्य में डाॅप्लर राडार शीघ्र स्थापित किए जाने का भी आग्रह किया। योजना आयोग द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्याओं के निराकरण के लिए एकल इन्सटीट्यूशन स्थापित किये जाने की संस्तुति की गई हैं। इसी प्रकृति का संस्थागत फे्रमवर्क अन्य हिमालयन राज्यों के लिए भी आवश्यक है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य मे एक गुणवत्ता सम्वर्द्धन एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने में केंद्र सरकार आर्थिक सहयोग करे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के कारण उत्तराखण्ड को हो रहे नुकसान की ओर भी प्रधानमंत्री व केन्द्रीय वित्त मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होने कहा कि भारत सरकार के आर्थिक सर्वे में भी इस बात को माना गया है कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश से उत्तराखण्ड को वित्तिय हानि हुई है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इससे 70 प्रतिशत वनाच्छादित, पर्वतीय प्रदेश जो कि दैविय आपदा के प्रति अति संवेदनशील है और दो अंतराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है के विकास पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेट्ली ने इस मामले को प्राथमिकता से लेते हुए उत्तराखण्ड को क्षतिपूर्ति किये जाने का भरोसा दिलाया।
पुंछी आयोग की संस्तुतियों पर राज्य का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संविधान में दी गई त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था जन आंकाक्षाओं एवं क्षेत्रीय विकास के अनुरूप है। इसलिए ग्राम व जिला स्तर पर द्विस्तरीय पंचायत व्यवस्था के लिए संविधान में संशोधन किये जाने की आयोग की संस्तुति से राज्य सहमत नहीं है। उत्तराखण्ड राज्य में साक्षरता का स्तर उच्च है, ऐसी स्थिति में पंचायतों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों हेतु पंचायतों के कार्य को समझनें एवं निष्पादन के लिए 05 वर्ष की अवधि पर्याप्त है। इसलिए राज्य सरकार पंचायतों में पदों और स्थानों में लगातार 02 कार्यकाल आरक्षण स्थिर रखे जाने के पक्ष में नहीं है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में जिलाधिकारी जिला योजना समिति के पदेन सदस्य हैं। राज्य में स्थित जिलों का आकार छोटा है, जिसके फलस्वरूप जिलाधिकारी अपने कार्य के साथ-साथ जिला योजना समिति के कार्य भली-भांति सम्पन्न कर रहें हैं। ऐसी स्थिति में पृथक से प्रशासनिक ढांचे के गठन की आवश्यकता नहीं है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय बलों की स्वमेव तैनाती (SUO MOTU DEPLOYMENT OF CENTRAL FORCES) को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताते हुए कहा कि इसके दुरूपयोग किये जाने की आंशका बनी रहेगी। इसलिए वर्तमान व्यवस्था को बनाये रखना ही उचित है। पर्यावरण, पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन विषयों को समवर्ती सूची से संघीय सूची में लाये जाने पर राज्य को आपत्ति है। उक्त विषय को वर्तमान व्यवस्था के तहत समवर्ती सूची में ही रखा जाये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आयोग द्वारा मात्र पिछड़े राज्यों को ही अधिक केन्द्रीय सहायता दिये जाने की संस्तुति की गई हैं। इनके साथ-साथ पर्वतीय, सीमान्त एवं नवसृजित राज्यों को भी भौतिक एवं मानव संसाधन विकास हेतु अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता दिये जाने की नितान्त आवश्यकता है। योजनागत व्यय के सम्बन्ध में सुझाव है कि योजनाओं के आंकलन मंे लचीलापन आवश्यक है। चॅूकि आंकलन सामान्यतः वित्तीय वर्ष प्रारम्भ होने के 06 माह पूर्व किया जाता हैं जिससे लागत वृद्धि होने के कारण योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित होता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि गाडगिल फार्मूला के माध्यम से राज्यांश हस्तांतरण में चरणबद्ध रूप से वृद्धि किये जाने की संस्तुति से राज्य सहमत है। लेकिन इस प्रक्रिया में राज्यों को उनके वन क्षेत्र और वास्तविक वन आच्छादन के आधार पर वरीयता प्रदान की जानी चाहिए, क्योंकि उत्तराखण्ड सरीखे राज्य राष्ट्र के ईको सिस्टम को बनाए रखने में मूल्यवान योगदान दे रहे हैं। भविष्य मे योजना क्रियान्वयन मे राज्यों की भागीदारी मे केन्द्रांश के सापेक्ष राज्यांश को ना बढाया जाये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य विगत कई वर्षो से प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित है। इन विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु, राज्य ने एस0डी0एम0ए0(State Disaster Management Authority) तथा एन0डी0आर0एफ0 की तर्ज पर एस0डी0आर0एफ0 (State Disaster Response Force) का गठन कर लिया है। आपदा प्रबंधन में भारत सरकार से आर्थिक सहयोग अपेक्षित हैं। राज्य सरकार द्वारा मौसम की सटीक जानकारी हेतु डाॅप्लर राडार स्थापित किए जाने के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध करा दी गयी है जिसके लिए भारत सरकार से त्वरित कार्रवाई अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने विगत कुछ दिनों से राज्य में भारी वर्षा, बाढ़ एवं बादल फटने की व्यापक घटनाओं से भारी जन हानि, पशुधन हानि व सम्पत्ति की हुई क्षति का जिक्र करते हुए कहा कि अभी भी भारी वर्षा का दबाव बना हुआ है। अब तक के अनुमान से लगभग 2 हजार करोड़ रूपए की क्षति हुई है जिसके लिए राज्य सरकार अलग से एक प्रतिवेदन भारत सरकार को प्रस्तुत कर रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण राज्य में प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव गत कुछ वर्षों से हर साल बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने सर्वाधिक संवेदनशील 400 से अधिक ग्राम चिन्हित किए हैं। इन ग्रामों के विस्थापन के लिए राज्य सरकार ने एक वृहŸार योजना बनाई है जिसमें भारत सरकार के वित्त पोषण से इस योजना को क्रियान्वित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की सीमाएं अंतराष्ट्रीय सीमाओं सहित कई राज्यों से मिली हुई हैं, जिस कारण यह प्रदेश बाल अपराधों तथा मानव तस्करी के प्रति संवेदनशील है। इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए अंतर्राज्यीय सामन्जस्य आज की एक ज्वलंत आवश्यकता है। राज्य की विषम भौगोलिक एवं पर्वतीय प्रास्थिति को देखते हुए केन्द्रपोषित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में राज्य को अन्य राज्यों के सापेक्ष अतिरिक्त बजट के साथ-साथ मानकों में शिथिलता प्रदान किये जाने की जरूरत है। कमजोर व असहाय वर्ग के पुनर्वास हेतु पर्याप्त अवस्थापना का अभाव होने के कारण केन्द्र सरकार की संबधित योजनाओं में विशेष केन्द्रीय सहायता दी जाए।
राज्य में आधार कार्ड की प्रगति की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड, इंफार्मेशन टेक्नोलोजी द्वारा जनसुविधा उपलब्ध कराने तथा आधार कवरेज के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों मे सम्मिलित है। राज्य की जनता को अनुदान व प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राज्य के अधिकांश विभागों का डिजिटिलाईजेशन किया जा चुका हैं। राज्य सरकार द्वारा ’ई-लाईफ सर्टिफिकेट’ की सुविधा दी गई हैं, जिससे लगभग 7 लाख पेंशनर्स लाभान्वित हो रहे हैं। सेवा के अधिकार अधिनियम 2011 के अन्तर्गत जन सेवाओं की आॅनलाईन उपलब्धता, समयबद्ध रूप से सुनिश्चित करायी जा रही है। न्याय पंचायत स्तर पर ‘‘देवभूमि जन सेवा केन्द्र‘‘ के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्र के नागरिकों को जनसेवायें उपलब्ध करायी जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए नियमित रूप से मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है। अभिभावकों की अपेक्षाओं का चिन्हांकन करने हेतु शिक्षक-अभिभावक संघ का गठन प्रत्येक विद्यालय में किया गया है। विद्यालय प्रबंधन समिति में भी अभिभावकों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। विद्यालयों मे बाल स्वास्थय क्लबों की स्थापना की गई है ताकि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जा सके। अपने प्रदेश में बाल वर्ग के संर्वागीण विकास हेतु हमने योग को शिक्षा से जोडने का अभिनव प्रयास किया हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य मे एक गुणवत्ता सम्वर्द्धन एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है, जो राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम विकसित कर युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने मे सहायक सिद्ध हो इस महत्वपूर्ण केन्द्र की स्थापना हेतु भारत सरकार से आर्थिक सहयोग अपेक्षित हैं।
आंतरिक सुरक्षा पर बोलते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व से सभी अवगत हैं। हमारे राज्य के अभिसूचना विभाग के स्मैक (Subsidiary Multi Agency Centre) कंट्रोल रूम द्वारा समस्त सुरक्षा पहलुओं से संबधित अभिसूचनाओं का, केन्द्रीय व अन्य राज्यों की सुरक्षा संस्थाओं से आदान प्रदान किया जा रहा हैं। आंतकवादी गतिविधियों एवं घटनाओं की समुचित रोकथाम के लिए हमारे राज्य में अभिसूचना विभाग के अंतर्गत 14 ए0टी0सी0 (Anti Terrorist Cell) व 1 ए0टी0एस0 (Anti Terrorist Squad) कंमाडो कंपनी स्थापित की गई हैं। उग्र वामपंथी व उनके फ्रंटल संगठनों की गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण व अंकुश लगाये जाने हेतु प्रभावित 6 जनपदों मे 7 स्थानों पर स्पेशल आॅपरेशन टास्क फोर्स का गठन किया गया हैं, जिसकी अभिसूचना का आदान प्रदान भी केन्द्र व अन्य राज्यों से किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केन्द्र द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण हेतु प्रदत्त धनराशि को कम कर दिये जाने के कारण राज्य के पुलिस इकाईयों के अवस्थापना कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव पडा हैं। यद्यपि इस वर्ष से योजना 90ः10 के अनुपात में संचालित की जानी हैं तथापि इस योजना का दायरा बढाते हुए राज्य के सीमित संसाधनों के दृष्टिगत राज्य को अधिक धनराशि आवंटन किये जाने की जरूरत है। सी0सी0टी0एन0एस0 योजना के संचालन में उत्तराखण्ड देश का अग्रणी राज्य है। उत्तराखण्ड राज्य, पुलिस सुधार के कार्यो में भी अग्रणी रहा हैं। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये दिशानिर्देशों का समयबद्ध अनुपालन करते हुए उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम 2007 तथा इसके अंतर्गत पुलिस अधिष्ठान समिति, राज्य एवं जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण, पुलिस कल्याण ब्यूरों एवं राज्य पुलिस बोर्ड का गठन कर लिया गया हैं।
बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इसमें तमाम केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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