शिव से मनचाहा वर मांगने का त्योहार है हरतालिका तीज

शिव से मनचाहा वर मांगने का त्योहार है हरतालिका तीज #तीज पर्व पार्वती माता को समर्पित है 

सुहागिन महिलाओं के बीच तीज पर्व का खास महत्व है. मान्यनता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त् करने के लिए पूरे तन-मन से करीब 108 सालों तक घोर तपस्याज की. पार्वती के तप से प्रसन्ने होकर शिव ने उन्हेंत पत्नीा के रूप में स्वी कार कर लिया. तीज पर्व पार्वती को समर्पित है, जिन्हें् तीज माता कहा जाता है. साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज (Hariyali Teej) का विशेष महत्व है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज का दिन खासकर महिलाओं के लिए बहुत ही पावन है. महिलाएं इस दिन सजती और संवरती हैं. अगर ये आपकी पहली हरियाली तीज है तो इन 5 बातों का विशेष ध्यान रखें…

हिन्दूी धर्म में तीज साल में चार बार आती है:
अखा तीज: इस तीज को अक्षय तृतीया तीज भी कहते हैं. हिन्दूह कैलेंडर के अनुसार बैसाख महीने की शुक्लू पक्ष तृतीया को अक्षया तृतीया तीज मनाई जाती है. इस बार अखा तीज 18 अप्रैल को थी.
हरियाली तीज: हिन्दूं कैलेंडर के अनुसार सावन माह की शुक्ला पक्ष तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस बार 13 अगस्ती को हरियाली तीज मनाई जाएगी.
कजरी तीज: हिन्दून कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह के कृष्णि पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है. इस बार 29 अगस्तन को कजरी तीज मनाई जाएगी.
हरतालिका तीज: हिन्दूत कैलेंडर के अनुसार भादो माह के शुक्ला पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है. इस बार 12 सितंबर को हरतालिका तीज मनाई जाएगी.

हरियाली तीज का महत्वू
हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. सावन माह में पड़ने वाली यह तीज सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद महत्विपूर्ण है. हिन्दून धर्म की मान्यलताओं के अनुसार यह त्योाहार पति के प्रति पत्नीर के समर्पण का प्रतीक है. मान्यूता है कि इस दिन गौरी-शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सुहागिनों के पति दीर्घायु होते हैं और लड़कियों को मनचाहा वर मिल जाता है.

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज की तिथि आरंभ: 13 अगस्ते की सुबह 8 बजकर 38 मिनट.
हरियाली तीज की तिथि समाप्तत: 14 अगस्ते की सुबह 5 बजकर 46 मिनट.
हरियाली तीज के लिए जरूरी पूजा और श्रृंगार सामग्री
हरियाली तीज के दिन व्रत रखा जाता है और पूजा के लिए कुछ जरूरी सामान की आवश्यलकता होती है. पूजा के लिए काले रंग की गीली मिट्टी, पीले रंग का कपड़ा, बेल पत्र, जनेऊ, धूप-अगरबत्ती, कपूर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी,दही, शहद दूध और पंचामृत चाहिए . वहीं, इस दिन पार्वती जी का श्रृंगार किया जाता है और इसके लिए चूड़‍ियां, आल्ताी, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, कंघी, शीशा, काजल, कुमकुम, सुहाग पूड़ा और श्रृंगार की अन्यत चीजें जुटा लें.

शिव से मनचाहा वर मांगने का त्योहार है हरतालिका तीज
 – सुबह उठकर स्ना न करने के बाद मन में व्रत का संकल्पं लें. – सबसे पहले घर के मंदिर में काली मिट्टी से भगवान शिव शंकर, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाएं. – अब इन मूर्तियों को तिलक लगाएं और फल-फूल अर्पित करें. – फिर माता पार्वती को एक-एक कर सुहाग की सामग्री अर्पित करें. – इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र और पीला वस्त्रक चढ़ाएं. – तीज की कथा पढ़ने या सुनने के बाद आरती करें. – अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग चढ़ाएं. – प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का पारण करें.
 हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं दिन भर व्रत-उपवास करती हैं. साथ ही इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं, जिनमें हरी साड़ी और हरी चूड़‍ियों का विशेष महत्वी है. दिन-भर स्त्रियां तीज के गीत गाती हैं और नाचती हैं. हरियाली तीज पर झूला झूलने का भी विधान हैं. स्त्रियां अपनी सहेलियों के साथ झूला झूलती हैं. कई जगह पति के साथ झूला झूलने की भी परंपरा है. शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन स्त्रियों को श्रृंगार का सामान भेंट किया जाता है. खासकर घर के बड़े-बुजुर्ग या सास-ससुर बहू को श्रृंगार दान देते हैं.
हरियाली तीज के दिन खान-पान पर भी विशेष ज़ोर दिया जाता है. हालांकि इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन फिर भी बिना मिठाइयों के त्यो हार कैसा? तीज के मौके पर विशेष रूप से घेवर, जलेबी और मालपुए बनाए जाते हैं. रात के समय खाने में पूरी, खीर, हल्वाा, रायता, सब्जीि और पुलाव बनाया जाता है.

हरियाली तीज की तिथि आरंभ: 13 अगस्त को सुबह 8:38 से 

हरियाली तीज की तिथि समाप्त: 14 अगस्त को सुबह 5:46 तक

हिंदू धर्म में तीज पर्व का विशेष स्थान है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की याद में मनाया जाता है. तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत-उपवास रखती हैं. पति की प्राप्ति के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं. मान्यता है कि तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है. साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है. 

इस व्रत के महत्व की कथा भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण करवाने के उद्देश्य से इस प्रकार से कही थी- शिवजी कहते हैं: हे पार्वती. बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था.

इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था. मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे. जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले – ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं. आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं. इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं.’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी. यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती. मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं.’ शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया. लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ. तुम मुझे यानी कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी. तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई. तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना. इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए. वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा. उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली.

तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी. भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की. इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है. और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है. अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे.’ पर्वत राज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गये. कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि – विधान के साथ हमारा विवाह किया.’ भगवान् शिव ने इसके बाद बताया कि – ‘हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका. इस व्रत का महत्त्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं. भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ‘श्रावणी तीज’ कहते हैं. परंतु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं. यह त्यौहार को मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती जी और भगवान शिव की बालू और मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है.  इस दिन जगह-जगह झूले लगाए जाते हैं. इस त्यौहार में महिलाएं गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं. हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है. इस दिन महिलाएं अपना 16 श्रृंगार करती हैं. हिंदू धर्म में तीज पर्व का विशेष स्थान है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की याद में मनाया जाता है. तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत-उपवास रखती हैं. पति की प्राप्ति के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं. मान्यता है कि तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है. साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है.

PHOTO; कूर्माचल परिषद माजरा शाखा की कोषाध्‍यक्ष सरोज मैडम तीज के त्‍यौहार मनाने जाते हुए- 

रियाली तीज की पूजा के समय ध्यान रखें ये 5 बातें… हरियाली तीज के दिन शिव और पार्वती का पुर्नमिलन हुआ था. ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती के 108वें जन्म में उन्हें भगवान शंकर पति के रूप में मिले. इसलिए 107 जन्मों तक मां पार्वती भगवान शंकर को पाने के लिए पूजा करती रहीं. यह कहा जा सकता है कि मां पार्वती को भगवान शिव ने उनके 108वें जन्म में स्वीकारा था.  1. हरियाली तीज के दिन सबसे पहले महिलाएं नहाकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती हैं. 2. अर्धगोले आकार की माता की मूर्ति बनाती हैं और उसे पूजा के स्थान में बीच में रखकर पूजा करती हैं. पूजा में कथा का विशेष महत्व है, इसलिए हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें. कथा सुनते वक्त अपने पति का ध्यान करें. 3. हरियाली तीज व्रत में पानी नहीं पिया जाता. दुल्हन की तरह सजें और हरे कपड़े और जेवर पहनें. इस दिन मेहंदी लगवाना शुभ माना जाता है. नवविवाहित महिलाएं अपनी पहली हरियाली तीज अपने मायके जाकर मनाती हैं. 4. कुछ जगहों पर महिलाएं मां पार्वती की पूजा अर्चना के बाद लाल मिट्टी से नहाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं. 5. दिन के अंत में सभी महिलाएं खुशी-खुशी नाचती और गाती हैं. इसी के साथ ही इस खास अवसर पर कुछ महिलाएं झूला भी झूलती हैं.

 हरियाली तीज की व्रत कथा
हरियाली तीज की व्रत कथा इस प्रकार है: शिवजी कहते हैं, ‘हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था. इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था. मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे.
जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं. आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं. इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं.’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी! यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती. मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं.’
शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया. लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ. तुम मुझे यानी कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी. तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई. तुम्हारी सहेली ने सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना. इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए. वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा? उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली.
तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी. श्रावण तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की. इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है. अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे.’ पर्वत राज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए. कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया.’ टिप्पणियां भगवान् शिव ने इसके बाद बताया, ‘हे पार्वती! श्रावण शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका. इस व्रत का महत्वा यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं.’ भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा.

हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड परिवार की ओर से आप सभी को हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनायेें; 

CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR

Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

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