ज्योर्तिलिंग पूजा राशि अनुरूप ही उत्‍तम मानी गयी है

#किस ज्योर्तिलिंग का संबंध किस राशि से है # केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध कुम्भ राशि # जिस राशि का संबंध जिस राशि से है- उसी ज्योर्तिलिंग की पूजा करने से विशेष फल मिलता है #किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है# अपनी राशि अनुसार ज्योर्तिलिंग की पूजा का महात्‍म, तथ्‍ाा फल प्राप्‍‍‍त  होने का महात्‍म पढे- हिमालयायूके की विशेष प्रस्‍तुति- send us mail:  # Speical Article: www.himalayauk.org (Web & Print Meia) 

    मेष राशि वालों को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृष राशि – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मिथुन राशि – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कर्क राशि – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग सिंह राशि – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कन्या राशि – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तुला राशि – रामेश्वर ज्योतिर्लिंग वृश्चिक राशि – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग धनु राशि – विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मीन राशि – गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग 

देवाधिदेव महादेव ही सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वीब पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को मृत्युलोक के दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है. किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है.

#मेष राशि वालों को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से करनी चाहिए. गंगाजल, दूध, दही, शहद व घी को मिलाकर पंचामृत का निर्माण किया जाता है. शिव परिवार को पंचामृत अर्पण करने का भी विशेष महत्व है. सोमवार के दिन शिव की पंचामृत पूजा हर मनौती को पूरा करने वाली मानी गई है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र (काठियावाड़) के वेरावल बंदरगाह में स्थित है जिसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था. इस मंदिर में सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से की जाती है. कहा जाता है कि जब चंद्रमा को शिव ने शाप मुक्त किया तो उन्होंने जिस विधि से साकार शिव की पूजा की थी उसी विधि से आज भी सोमनाथ की पूजा होती है. सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थलों में एक है. लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था.
#वृष राशि – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
वृष राशि के व्यक्तियों को मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ओम नमः शिवायः मंत्र का जप करते हुए कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प के साथ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव के प्रकाशमय स्वरूप का मानसिक ध्यान करना चाहिए. ताम्बे के पात्र में दूध भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवायः का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नमरू मंत्र का जाप करे. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ऐसा तीर्थ है, जहां शिव और शक्ति की आराधना से देव और दानव दोनों को सुफल प्राप्त हुए. शास्त्रों में बताया गया है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव का यह पवित्र मंदिर नल्लामलाई की आकर्षक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है.
#मिथुन राशि – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मिथुन राशि वाले जातक को महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमो भगवते रूद्राय ’ मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि से उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर कालों के काल हैं. इनकी पूजा करने वाले को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर के शिवलिंग को दूध में शहद मिलाकर स्नान कराएं और बिल्व पत्र एवं शमी के पत्ते चढ़ायें. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें. महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है जो कि क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है. स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर मंदिर की अत्यन्त पुण्यदायी महात्मय है. मराठों के शासनकाल में यहां दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी, पहली महाकालेश्वर मंदिर का पुर्निनिर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा दूसरी सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना. इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया.
#कर्क राशि – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
कर्क राशि वाले जातकों को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. मध्य प्रदेश में नर्मदा तट पर बसा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध कर्क राशि से है. इस राशि वाले महाशिवरात्रि के दिन शिव के इसी रूप की पूजा करें. ओंकारेश्वर का ध्यान करते हुए शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद अपामार्ग और विल्वपत्र चढ़ाएं. श्री ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है. यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता व शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है. यह भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है. यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 12 मील (20 किमी) दूर बसा है. यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है. यहां दो मंदिर स्थित हैं – 1. ओम्कारेश्वर 2. अमरेश्वर. श्री ओम्कारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है.
#सिंह राशि – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
सिंह राशि के जातकों को बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. ऐसे जातक कारोबार, परिवार, राजनीति या स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं तो उन्हे महाशिवरात्रि में शिवलिंग को जल में दूध, दही, गंगाजल व मिश्री मिलाकर ॐ जटाधराय नमः मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए. झारखण्ड के देवघर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से नौवां ज्योतिर्लिंग है. यह ज्योतिर्लिंग सर्वाधिक महिमामंडित है.यूं तो यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन में यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है. सावन में यहां प्रतिदिन करीब एक लाख भक्त ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह ज्योतिर्लिंग लंकापति रावण द्वारा यहां लाया गया था.
#कन्या राशि – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
कन्या राशि वाले जातकों को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे बसा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कन्या राशि का ज्योर्तिलिंग हैं. इस राशि वाले भीमाशंकर को प्रसन्न करने के लिए दूध में घी मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर का स्थान छटवां है जो महाराष्ट्र के पूणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है. श्रावण के महीने में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दु:खों से छुटकारा मिल जाता है. यह मंदिर अत्यंत पुराना और कलात्मक है. भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नयी संरचनाओं का समिश्रण है.
#तुला राशि – रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
तुला राशि वाले जातकों को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. तमिलनाडु स्थित भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध तुला राशि से है. भगवन राम ने सीता की तलाश में समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. महाशिवरात्रि के दिन इनके दर्शन से दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बना रहता है. जो लोग इस दिन रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं कर सकें वह दूध में बताशा मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं और आक का फूल शिव को अर्पित करें. रामेश्‍वरम/ रामलिंगेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है. यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. श्री रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रांत के रामनाड जिले में है. मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान राम का लोक-प्रसिद्ध विशाल मंदिर है. श्री रामेश्वर जी का मंदिर एक हजार फुट लम्बा, छः सौ पचास फुट चौड़ा तथा एक सौ पच्चीस फुट ऊँचा है.
#वृश्चिक राशि – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
वृश्चित राशि वाले जातक को गुजरात के द्वारका जिले में अवस्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. इस ज्योतिर्लिंग का संबंध वृश्चिक राशि से है. महाशिवरात्रि के दिन इनका दर्शन करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है. जो लोग इस दिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन न कर सकें वह दूध और धान के लावा से शिव की पूजा करें. शिव को गेंदे का फूल, शमी एवं बेलपत्र चढाएं. वृश्चिक राशि के जातक ‘ह्रीं ओम नमः शिवाय ह्रीं’. मंत्र का जप करें. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है. नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर और यह विष आदि से बचाव का सांकेतक भी है. यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर गुजरात के द्वारकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. नागेश्वर मंदिर जिस जगह पर बना है वहां कोई गांव या बसाहट नहीं है.
#धनु राशि – विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
धनु राशि के जातकों को वाराणसी स्थित काशी विश्‍वनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध धनु राशि से है. इस राशि वाले व्यक्ति को सावन के महीने तथा महाशिवरात्रि के दिन गंगाजल में केसर मिलाकर शिव को अर्पित करना चाहिए. विल्वपत्र एवं पीला अथवा लाल कनेर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. धनु राशि के लिए शिव मंत्र -ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।. इस मंत्र से शिव की पूजा करें. काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है. यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गंगा नदी के पश्चिमी तट पर अवस्थित है. दुनिया में यह सबसे पुराना जीवित शहर जो मंदिरों का शहर काशी कहा जाता है और इसलिए मंदिर लोकप्रिय काशी विश्वनाथ भी कहा जाता है. वाराणसी के पवित्र शहर में भीड़ गलियों के बीच स्थित है. मुक्ति पाने वाले यहां आते हैं तारक मंत्र लेकर प्रार्थना करते हैं भक्ति के साथ विश्वेश्वर पूजा जिससे सभी इच्छाओं और सभी सिद्धियां उपलब्ध होती है और अंत में मनुष्य मुक्त हो जाता है.
#मकर राशि – त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग
मकर राशि के जातकों को त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग की पूजा करनी चाहिए. त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग का संबंध मकर राशि से है. यह ज्योर्तिलिंग नासिक में स्थित है. महाशिवरात्रि के दिन इस राशि वाले गंगाजल में गुड़ मिलाकर शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. शिव को नीले का रंग फूल और धतूरा चढ़ाएं. मकर राशि के लिए मंत्र – त्रयम्बकेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का 5 माला जप करें. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में त्रिम्बक शहर में है. यह नासिक शहर से 28 किलोमीटर दूर है. ज्योतिर्लिंग की अदभुत विशेषता भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव का प्रतीक तीन चेहरों के दर्शन होते हैं. इस प्राचीन मंदिर की स्‍थापत्य शैली पूरी तरह से काले पत्थर पर अपनी आकर्षक वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है. मंदिर लहरदार परिदृश्य और रसीला हरी वनस्पति की पृष्ठभूमि पर ब्रहमगिरि पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है. गोदावरी जो भारत में सबसे लंबी नदी है के तीन स्त्रोत ब्रहमगिरि पर्वत से उत्पन्न होकर राजमहेंद्रु के पास समुद्र से मिलती है.
#कुम्भ राशि – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
कुम्भ राशि वाले जातकों को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. केदारनाथ शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए. इसके बाद कमल का फूल और धतूरा चढ़ाएं. इस राशि के लोग अपने कार्य बिना किसी के मदद के करना चाहते हैं. गुस्सा रहता है. पर जल्दी ही शांत हो जाते हैं. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय की बर्फ से ढके क्षेत्र में स्थित है. श्री केदारेश्वर केदार नामक एक पहाड़ पर और पहाड़ों के पूर्वी ओर नदी मंदाकिनी के स्त्रोत पर, हिमालय पर स्थित है, अलकनंदा बद्रीनारायण के तट पर स्थित है. यह जगह लगभग 253 किलोमीटर दूर हरिद्वार से और 229 किलोमीटर उत्तर ऋषिकेश की है. केदार भगवान शिव, रक्षक और विनाशक का दूसरा नाम है. केदारनाथ देश का हिमालय में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पाण्‍डवों ने करवाया था. यहां के मंदिर में अंदर की दीवारों पर विस्तृत नक्काशियां देखने को मिलेगी. शिवलिंग एक पिरामिड के रूप में है.

मीन राशि – गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग
मीन राशि वाले जातकों को महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. इस ज्योर्तिलिंग का संबंध मीन राशि से है. इस राशि वाले जातकों को सावन के महीने में दूध में केसर डालकर शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए. स्नान के पश्चात शिव को गाय का घी और शहद अर्पित करें. कनेर का पीला फूल और विल्वपत्र शिव को चढ़ाना चाहिए. गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है. यह तीर्थ स्थल दौलताबाद (देवगिरि) से 30 किमी की दूरी पर स्थित है जो कि गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग वेरूल नामक गांव में स्थित है. औरंगाबाद जो एलोरा गुफाओं के पास है. ऐतिहासिक मंदिर जो कि लाल चटटानों से निर्मित मंदिर जिसमें 5 परतों का सिकारा है. 12 ज्योतिर्लिंग अभिव्यक्ति में से एक के निवास के रूप में प्रतिष्ठित एक प्राचीन तीर्थ स्थान है.

राशि चक्र में अंतिम अर्थात 12वें नंबर की राशि है मीन राशि इसके स्वामी हैं गुरुशनि गुरु से समभाव रखतें हैं परन्तु इस राशि में हमें बहुत अधिक शुभ फल नहीं प्राप्त होते ।मीन राशि के लिए शिव मंत्र – ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्र प्रचोदयात।।इस मंत्र का जितना अधिक हो सके जप करें।

मीन राशि, राशि चक्र में 330 से 360 डिग्री अंश पर स्थितहै। मीन राशि का चिह्न मछली होता है। शिव लिंग की पूजा करने से शनि के कुप्रभाव से बचेंगे।

पूजा से लाभ – आत्मविश्वास में वृद्घि होगी। स्वस्थ्य संबंधी समस्यओं में कमी आएगी। छात्रोंको उच्च शिक्षा प्राप्ति में आसानी होगी। गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है । इस तीर्थ स्थल दौलताबाद(देवगिरि) से 11 किलोमीटर और 30 किमी की दूरी पर स्थित है जो कि गिरीशनेश्वरज्योतिर्लिंग वेरूल नामक गांव में स्थित है औरंगाबाद जो एलोरा गुफाओं के पास है ।ऐतिहासिक मंदिर जो कि लाल चटटानों से निर्मित मंदिर जिसमें 5 परतों का सिकारा है। 12ज्योतिर्लिंग अभिव्यक्ति में से एक के निवास के रूप में प्रतिष्ठित एक प्राचीन तीर्थ स्थान है गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में औरंगाबाद के निकट दौलताबाद से 20 किलोमीटर औरमनमाड़ स्टेशन से लगभग 100 किलोमीटर दूर है जो वेरूल नामक गांव में स्थित है ।

 

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