28 मार्च से 5 अप्रैल तक पीएम & सीएम की निराहार साधना

दोनों अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ  # www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND) Leading Digital & Daily Newspaper.

सोशल मीडिया और बाकी जगह ये बहुत चल रहा है कि योगी मोदी का काम आसान करेंगे या रास्ता मुश्किल. योगी की छवि एक कट्टर हिंदुत्व वाली रही है. अब वे एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं.  नरेन्द्र मोदी आज देश में विकास पुरुष और मजबूत नेतृत्व की वजह से खासे लोकप्रिय हैं. मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले करीब 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और वहां विकास कर देश के सामने विकास का एक नया मॉडल रखा. मोदी के विकास मॉडल में इंडस्ट्री के साथ-साथ सामाजिक विकास भी शामिल था. इसकी चर्चा न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में मोदी की विकास वाली छवि ही हावी रही, जिसकी बदौलत बीजेपी को दो तिहाई बहुमत मिला.

लेकिन मोदी भी जब पहली बार 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो उनके पास भी योगी की तरह ही प्रशासनिक अनुभव नहीं था और न ही राष्ट्रीय स्तर की छवि थी. उस वक्त गुजरात भाजपा में काफी उथल-पुथल मची हुई थी. पर नरेन्द्र मोदी के पास संगठन के काम का खासा अनुभव था. वे लालकृष्ण आडवानी के करीब और नई भाजपा के उद्भव के वक्त सक्रिय बैकरूम बॉय थे, जिसमें प्रमोद महाजन से लेकर गोविंदाचार्य और सुषमा स्वराज से लेकर कल्याण सिंह शामिल थे. वे बहुत से राज्यों के प्रभारी रहे थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कामकाज का खासा अनुभव रखते थे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को दिल्ली से लखनऊ लौटते ही एयरपोर्ट से सीधे वीवीआईपी गेस्ट हाउस पहुंचे. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने नवरात्र‍ि और राम नवमी को देखते हुए प्रशासनिक अफसरों को शक्त‍िपीठों में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. नवरात्र में व्रत रखने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ में काफी समानता है. दोनों नेता नवरात्र में पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं. इस दौरान दोनों अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. सीएम आदित्यनाथ नौ दिन के व्रत के बाद नवमी को कन्या पूजन के साथ व्रत का समापन करते हैं.

इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक 28 मार्च से चैत नवरात्र शुरू होने वाला है. पांच अप्रैल को भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन के साथ व्रत का समापन होगा. यानी 28 मार्च से पांच अप्रैल तक पीएम मोदी और सीएम योगी नवरात्र का व्रत रखेंगे और अन्न ग्रहण नहीं करेंगे.

योगी आदित्यनाथ का आध्यात्म से गहरा नाता है और पूजा पाठ उनकी दिनचर्या का हिस्सा है, लेकिन नवरात्र के समय इसका खास महत्व होता है. बताया जा रहा है कि नवरात्र पर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर भी जा सकते हैं. अक्टूबर में होने वाले शारदीय नवरात्र के दौरान तो योगी नौ दिन तक गोरखपुर मठ में ही रहते हैं और कई तरह की पूजा करते हैं. सिर्फ एक बार ही ये परंपरा टूटी है जब कुछ वर्ष पूर्व एक ट्रेन हादसे के कारण उन्हें घटनास्थल पर जाना पड़ा था.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूरे नियम से नवरात्र का व्रत रखते हैं. एक बार बतौर पीएम नवरात्र के दौरान अमेरिका यात्रा के दौरान भी उन्होंने अच्छे ढंग से व्रत का पालन किया था. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नवरात्र पर मां दुर्गा की पूजा करते हैं.

कम उम्र में यूपी का सीएम बनने से स्वाभाविक है कि अगले कुछ दशकों तक योगी की न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश की राजनीति में अहम भूमिका देखने को मिलेगी. भाजपा के टॉप लीडरशिप में योगी एक कद्दावर शख्सियत के तौर पर उभर कर सामने आ सकते हैं. जिसके बाद उनकी तुलना जल्द ही भाजपा आला कमान से होने लगेगी. इस बीच वे अपनी कार्यशैली और परफॉरमेंस से ही अपनी छवि को पार्टी में मजबूत कर पाएंगे.

योगी पांच बार सांसद रहे हैं और मुख्यमंत्री का कार्यभार अभी ग्रहण किया है. लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता और विकास के एजेंडा की परख होनी बाकी है. वह कड़क स्वाभाव और कट्टर विचारधारा के माने जाते हैं. अब सरकार चलाने में उनका यह स्वाभाव कहां तक कारगर साबित होगा यह देखना दिलचस्प होगा.

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सूबा और राजनैतिक दृष्टिकोण से संवेदनशील और महत्वपूर्ण है. अगर सत्ता संभालते ही उन्होंने अपना प्रशासनिक कौशल, अधिकारीयों पर पकड़ और जल्द निर्णय लेने की क्षमता साबित नहीं कर पाए तो उनके राजनैतिक भविष्य पर सवाल भी उठने लगेंगे. मोदी न सिर्फ कुशल प्रशासक हैं बल्कि एक मंजे हुए वक्ता भी हैं जिनकी हिंदी और गुजराती पर मजबूत पकड़ है. उन्हें बोलना और लोगों को मुग्ध करना आता है, जिनमें वे लोग शामिल हैं, जो पारम्परिक तौर पर भाजपा और हिंदूवादी समर्थक नहीं हैं. मोदी एक स्थापित रणनीतिकार हैं और जिस तरह से उन्होंने गुजरात की ब्रांड कॉरपोरेट जगत के बीच और विकास के नाम पर खड़ी की, वैसा कम ही मुख्यमंत्री कर पाये.

मोदी और भाजपा के दूसरे नेताओं के बीच एक बड़ा फर्क ये भी है कि जिस तरह से मोदी भविष्य और सपनों के जरिए लोगों का दिल जीत लेते हैं, ज्यादातर हिंदूवादी नेता अभी अतीत के बेड़ियों में ही फंसे हुए हैं. मोदी की बड़ी कामयाबी भाजपा के एजेंडे को सकारात्मक बनाने की है.

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