त्रिवेन्द्र सरकार ने वर्ष २०१७-१८ में 6660 करोड का ऋण लिया

सरकार द्वारा हजारों करोड का कर्ज लेना काली कमाई का संकेत ……
वर्श २०१७-१८ में त्रिवेन्द्र सरकार ने लिया ६६६० करोड बाजारू ऋण लगभग ८ः दर पर।
माह अप्रैल, मई, जून व जुलाई २०१८ म लिया २४०० करोड का ऋण।
अब तक कुल ९०६० करोड का बाजारू ऋण ले चुकी त्रिवेन्द्र सरकार।
वर्श २०१५-१६ में लिया गया ३९०० करोड ऋण।
वर्श २०१६-१७ में लिया गया ५४५० करोड ऋण।
राजस्व सरकारी खजाने में न जाकर पहच रहा मुखिया की जेब में।

देहरादून- स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जी००एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में सरकार ने अब तक ९०६० करोड रू० का बाजारू ऋण लेकर प्रदेश को गर्त में ढकेलने का काम किया है। उक्त लिये गये ऋण से जनता समझ सकती है कि त्रिवेन्द्र सरकार अपने निजी स्वार्थों एवं अपना स्वयं का राजस्व (काली कमाई) बढाने के चक्कर में प्रदेष को माफियाओं (शराब एवं खनन) के हाथों गिरवी रख दिया है।

त्रिवेन्द्र सरकार ने वर्ष २०१७-१८ में ६६६० करोड का ऋण लिया है तथा इस वित्तीय वर्श २०१८-१९ में माह अप्रैल, मई, जून व जुलाई महीनों में २४०० करोड का फिर बाजारू कर्ज लिया है, यानि इन १६ महीनों में सरकार ९०६० करोड का ऋण ले चुकी है। प्रदेष की माली हालत को देखते हुए आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि उक्त लिए गए कर्ज से कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं, बल्कि सिर्फ कर्मचारियों की तनख्वाह, विधायकों के वेतन भत्ते, विधायक निधि, कर्ज का ब्याज इत्यादि की ही पूर्ति हो रही है।

भारत सरकार ने कर्ज की सीमा तय की है। इस वित्तीय वर्ष के लिए यह सीमा करीब 6600 करोड़ रुपये की है। इसी सीमा के भीतर प्रदेश सरकार ने कर्ज लिया है। हमारी कोशिश है कि अपने संसाधनों से आय बढ़ाई जाए। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं  – प्रकाश पंत, वित्त मंत्री

नेगी ने हैरानी जताते हुए कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार ने वर्ष २०१७-१८ में ६६६० करोड का ऋण लिया है तथा इस वित्तीय वर्श २०१८-१९ में माह अप्रैल, मई, जून व जुलाई महीनों में २४०० करोड का फिर बाजारू कर्ज लिया है, यानि इन १६ महीनों में सरकार ९०६० करोड का ऋण ले चुकी है।
नेगी ने कहा कि प्रदेष की माली हालत को देखते हुए आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि उक्त लिए गए कर्ज से कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं, बल्कि सिर्फ कर्मचारियों की तनख्वाह, विधायकों के वेतन भत्ते, विधायक निधि, कर्ज का ब्याज इत्यादि की ही पूर्ति हो रही है।
नेगी ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुखिया श्री हरीष रावत ने वर्श २०१६-१७ में ५४५० करोड का ऋण लिया, वो भी ऐसी हालत में जब केन्द्र से कोई अतिरिक्त मद्द नहीं मिल पा रही थी तथा हरीष रावत सरकार के सारे रास्ते बन्द कर दिये गये थे। इसी प्रकार वर्श २०१५-१६ में मात्र ३९०० करोड का ऋण लिया गया।
आज की परिस्थिति में जनता समझ सकती है कि केन्द्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद प्रदेष के मुखिया हजारों करोड कर्ज लेकर प्रदेष की लुटिया डुबाने में लगे हैं तथा वो दिन दूर नहीं जब प्रदेष ब्याज की रकम चुकाने लायक नहीं रहेगा। नेगी ने कहा कि इसके अतिरिक्त अन्य संस्थाओं से भी हजारों करोड कर्ज की देनदारी सरकार पर है।
मोर्चा जनता से अपील करता है कि इस माफिया सरकार को उखाड फेंकने की दिषा में काम करें।

 सरकार पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है और समय से साथ सरकार पर कर्ज के ब्याज और उसकी वापसी का दबाव बढ़ रहा है।  आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2002-03 से लेकर वर्ष 2016-17 के दौरान कुल चार सरकारें सत्ता पर काबिज रही और हर सरकार ने अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज का सहारा लिया। उत्तराखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत कर्ज का इस्तेमाल उत्पादक खर्च में होना चाहिए ताकि विकास की गति को बढ़ाया जा सके। चिंताजनक तथ्य यह है कि बाजार से उठाई कर्ज की बड़ी राशि का इस्तेमाल वेतन, भत्तों एवं पेंशन सरीखे अनुत्पादक खर्च को पूरा करने में किया गया।  सरकार वेतन देने के लिए कर्ज ले रही है। दिल्ली से कम पैसा आ रहा है। सरकार के अपने संसाधनों में भारी कमी आई है।

पत्रकार वार्ता में ः- मोर्चा महासचिव आकाष पंवार, डॉ० ओ०पी० पंवार, हाजी जामिन, अकरम सलमानी आदि थे।

 

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