लगातार विवाद का योग- किस ग्रह के कारण संघर्ष? शादी करेंगे तो भविष्य चमकेगा? & कुंडली में नहीं है विवाह का योग! & सिसोदिया को अक्टूबर तक जमानत

Dt 10 August 2023# HIGH LIGHT# पत्नी के साथ बनेगा सर्वोच्च पद का योग- अन्यथा लगातार विवाद का योग # शादी के बाद बन रहा हैं सबसे बड़ा योग, राहुल गांधी बन सकते हैं प्रधानमंत्री # कूटनीति और डिप्लोमेटिक नहीं है, पत्नी के ग्रह से सफलता मिलेगी # ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार राहुल गांधी अगर शीघ्र विवाह कर लेते है तो प्रधानमंत्री बन सकते हैं# किस ग्रह के कारण करना पड़ रहा है संघर्ष? # ऐस्ट्रॉलजर अश्विन रावल के अनुसार – राहुल गांधी की कुंडली में माइनस पॉइंट्स की बात करें तो इनकी कुंडली में चंद्रमा केमद्रुम योग में फंसा हुआ है। # रावल कहते है कि इनकी कुंडली में शनि नीच राशि में है औऱ वैवाहिक जीवन के सुख का कारक ग्रह शुक्र पाप ग्रहों के बीच फंसा है। इसलिए इनके जीवन में गृहस्थी के सुख की कमी दिखती है। इसके साथ ही इनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति बताती है कि, देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाना इनके लिए बेहद कठिन है। # वही ज्योतिष विद सचिन मल्होत्रा ने लिखा था कि राहुल गांधी को मिल सकती है कोर्ट से राहत #ज्योतिष शास्त्री सचिन मल्होत्रा ने लिखा है कि मनीष सिसोदिया को अक्टूबर तक कोर्ट से सशर्त जमानत मिल सकती है, ऐसी संभावना दिखती है। # कुंडली में नहीं है विवाह का योग!

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शादी करेंगे तो भविष्य चमकेगा

राहुल गांधी की कुंडली के लग्न में सूर्य और मंगल की युति है, मंगल सप्तम भाव को देख रहा है जिसके चलते भविष्य में भी शायद ही उनका विवाह होगा, लेकिन अगर संयोगवश उनका विवाह हो गया तो वे देश के प्रधानमंत्र बन सकते है । राहुल गांधी की कुंडली में लग्नेश बुध बारहवें भाव में है, मेष राशि का शनि एकादश भाव में है, दशम भाव का स्वामी बृहस्पति वक्री होकर पंचम भाव में पड़ा हुआ है, कुंडली के तीसरे भाव में केतु वक्री है, भाग्य स्थान में राहु है, द्वितीय भाव में पंचम भाव का स्वामी शुक्र 9 डिग्री का हो पर पड़ा हुआ है, कुंडली के मुताबिक माता के अधिक स्नेही होने के कारण राजनीति में ज्यादा कुछ नहीं कर पायेंगे । एकादश भाव में नीच का शनि पंचम भाव यानी राजनीति के भाव को देख रहा है जिसके चलते उनको बचपन में पिता का सुख नहीं मिल पाया ।

वही विशिष्ट रूप से 55 वर्ष की अवस्था में एक नई सफलता की ओर राहुल गांधी बढ़ते दिखाई देंगे। 55वें वर्ष मे प्रवेश के बाद राजनीति में राहुल गांधी काफी मजबूत नजर आएंगे। उनका स्वभाव से वह कूटनीति और डिप्लोमेटिक नहीं है। नतीजतन, उन्हें राजनीति की इस डगर में तमाम तरह की कठिनाइयां होंगी। लेकिन राजनीतिक स्थिति और उनकी पार्टी, उनके उम्र के 53वें वर्ष की अवस्था के बाद से काफी मजबूत होगी। विशेषकर 55 वर्ष की अवस्था में उसका भरपूर लाभ भी ले पाएंगे। कहने का तात्पर्य यह कि अगला लोकसभा चुनाव निश्चित तौर पर राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी लाभकारी होगा और काफी प्रगति दिलाने में सहायक होगा।

RG के कुंडली के वर्तमान ग्रह बताते है कि राहुल गांधी इस बार दमदार नेतृत्व के साथ उभरेंगे, और इसी बीच शादी कर लेते हैं तो राहुल गांधी देश के अगले प्रधानमंत्री बन सकते है क्योंकि उनके जीवन में शादी के बाद ही उच्च राजयोग प्राप्ति हो सकती हैं, और अगर राहुल गांधी शादी नहीं करेंगे तो शायद ही जीवन में कभी प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना पूरा होगा ।

राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को दिन में 2 बजकर 28 मिनट पर नई दिल्ली में हुआ था। ऐसे में इनकी जन्मकुंडली नें उस वक्त तुला लग्न 2 अंश पर और गुरु भी तुला राशि में 2 अंश पर उदित हो रहा था। इनकी कुंडली में प्लस प्वांइट्स देखें तो लग्न वर्गोत्तम है और बृहस्पति भी वर्गोत्तम है। 7वें भाव यानी कुंडली के सातवें घर में योगकारक शनि है और लग्नका स्वामी शुक्र दशम भाव में बैठा है। इस शुभ स्थिति ने इनको एक उत्तम और राज घराने जैसा संपन्न परिवार प्रदान किया।

ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने बताया कि राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को सुबह 6:00 बजे दिल्ली में हुआ था । मिथुन लग्न और धनु राशि के जातक हैं राहुल गांधी का जन्म नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का जन्म है । कुंडली के अनुसार प्रधानमंत्री के घर में जन्न लेने के कारण जातक को समाज में प्रसिद्धि तो मिलेगी पर स्वयं का व्यक्तित्व नहीं होगा । लेकिन इनके भाग्य का उदय शादी के बाद ही होगा और गंभीर नेतृत्व वाले नेता भी बन जायेंगे ।

पं. तिवारी ने बताया अगर किसी जातक की कुंडली में बुध शुक्र कमजोर स्थिति में पड़ रहते है तो वह जातक समाज में उच्च पद पर होने के बावजूद भी हंसी का पात्र बनता है । वहीं लग्न का स्वामी ग्रह बुध जो की बुद्धि और वाणी का कारक है लग्न से बारहवें भाव में पड़ा है जिसके कारण राहुल गांधी कभी भी उत्तम वक्ता नहीं बन सकते, राजनीति में यश और मान सम्मान दिलाने वाला ग्रह यानि पराक्रम भाव का स्वामी ग्रह सूर्य 3 डिग्री का होकर लग्न में पड़ा हुआ है जिसके चलते जातक भविष्य में राजनीति के सर्वोच्च स्थान तक नहीं पहुंच सकते ।

वर्तमान में राहुल गांधी के ऊपर जो महादशा चल रही है वह मंगल की अर्थात छठे भाव की महादशा चल रही है, जो कि 10 फरवरी 2024 तक चलेगी । इनकी कुंडली में यदि मंगल की स्थिति को देखा जाए तो वह लग्न में स्थित होकर पड़ा हुआ है जो कि राहुल की राशि स्वामी भी है, वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती भी इनके ऊपर चल रही है, अगर किसी जातक की कुंडली में शनि नीच का होकर यानी मेष राशि का होकर एकादश भाव में पड़ा हुआ है जो कि राजनीति के भाव यानी पंचम भाव पर अपनी दृष्टि डाल रहा है ।

लग्न के ऊपर भी उसकी दृष्टि है जिसके चलते वह जातक कभी भी ओजस्वी वक्ता नहीं बन पाते और ना ही भविष्य में उच्चतर स्थान नहीं मिल पाता । राहुल गांधी की कुंडली में शनि नीच भाव का है । वर्तमान में आगामी 14 अक्टूबर से गुरु जो कि राहुल गांधी की राशि में प्रवेश करने जा रहा हैं, जिसके चलते इनको राजनीति में थोड़ा फायदा अवश्य होगा परंतु वह भी राहुल को प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित नहीं कर पाएगा ।

रावल ने विस्तार से लिखा है कि

राहुल गांधी की कुंडली में माइनस पॉइंट्स की बात करें तो इनकी कुंडली में चंद्रमा केमद्रुम योग में फंसा हुआ है। इस योग के कारण संभव है कि यह कई बार दूसरों पर निर्भर रह जाते हैं और अपनी दूरदर्शिता का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं जिससे इनको नुकसान होता है। बुध ग्रह बुद्धि, परिपक्वता और निर्णय का ग्रह है जो इनकी कुंडली में 8वें घर में बैठा है। इतना ही नहीं बुध इनकी कुंडली में सूर्य और शनि के बीच फंसा हुआ है। इस वजह से इनको कई बार ठोस निर्णय लेने में दिक्कत होती है और विरोधी इसका फायदा उठा जाते हैं। इसलिए इनको बेहद सतर्कता से साथ किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए, हित शत्रु की परख में भी ध्यान देने की जरूरत है।

इनकी कुंडली में शनि नीच राशि में है औऱ वैवाहिक जीवन के सुख का कारक ग्रह शुक्र पाप ग्रहों के बीच फंसा है। इसलिए इनके जीवन में गृहस्थी के सुख की कमी दिखती है। इसके साथ ही इनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति बताती है कि, देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाना इनके लिए बेहद कठिन है। इनकी कुंडली से वर्तमान स्थिति की बात करें तो दिसंबर 2021 से मई 2024 तक इनकी कुंडली में राहु में गुरु दशा चल रही है जो ठीक नहीं है। इस दशा के कारण यह अनिर्णय की स्थिति में रहेंगे और कई बार गलत निर्णय लेकर अपना नुकसान करेंगे। इसमें 15 अक्टूबर से सूर्य जब तुला में आएंगे और केतु के साथ जुड़ जाएंगे तब इनकी परेशानी और भी बढ़ेगी। 2024 में भी जब लोकसभा चुनाव होगा तब भी राहुल गांधी राहु में गुरु की दशा में चल रहे होंगे जिससे 2024 में भी इनकी पार्टी को बहुत लाभ नहीं मिलेगा।

किस ग्रह के कारण करना पड़ रहा है संघर्ष?

जन्मपत्री के नवांश चक्र में अकारक (खराब) ग्रहों की अत्यधिक मजबूत स्थिति होना। इस नवांश चक्र मे अकारक (खराब) ग्रह शनि-बुध और शुक्र उत्तरार्ध की जीवन में काफी मजबूत होते जा रहे हैं। नवांश चक्र वृश्चिक लग्न का है, जिसमें सूर्य खुद लग्न में एक जलीय राशि होने के कारण अत्यधिक कमजोर है और वहां पर शनि काफी प्रबल स्थिति में दिखाई दे रहा है। साथ ही साथ एकादश भाव में शुक्र और सप्तम भाव में बुध काफी मजबूत स्थिति में कहा जाएगा। जो संघर्ष का सूचक है और इस जन्मपत्री में कठिनाई का सूचक है। यहां पर पंचमेश गुरु द्वादश भाव में चर राशि में पाया जा रहा है। ऐसे लोग अत्यधिक दिल के साफ होते हैं और कोई बात छुपा नहीं पाते हैं। इनके अंदर बहुत ज्यादा डिप्लोमेसी की कमी होती है। इस कारण राजनीति में सफल होने में कठिनाई होती है। फिर भी 12वें घर का गुरु बहुत हद तक चीजें विरासत में दे देता है। जिसके आधार पर आदमी अपना जीवन उसी विरासत को संभालने मे लगा देता है। लेकिन खुद के दम पर व्यावहारिक रूप से कुछ हद तक कमजोर होता है।

कुंडली में नहीं है विवाह का योग!

लग्न और सप्तम भाव में स्थित या प्रभावित करने वाले ग्रहों की भूमिका विवाह या रिश्तों के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी भी अशुभ पहलू या कष्ट के कारण विवाह नहीं होता या रिश्ते टूट जाते हैं। इस मामले में स्थिति, पहलू और संयोजन परिणाम इस प्रकार हैं: –

. वक्री बृहस्पति लग्न में अपनी शत्रु राशि तुला में स्थित है। बृहस्पति मतभेद, संघर्ष आदि के छठे घर का स्वामी है… विवाह के सातवें घर में स्थित नीच शनि पर उसकी दृष्टि है। इसलिए दोनों के संबंध से विवाह न होने या संबंध टूटने, यदि कोई हो, का योग बनता है।

2. छठे घर का स्वामी बृहस्पति संतान और भावनाओं के 5वें घर पर दृष्टि डाल रहा है। इसका स्वामी शनि है, जो विवाह के 7वें घर में स्थित है। इससे दो बातें पता चलती हैं. सबसे पहले, विभिन्न जाति, समुदाय, धर्म की महिला के प्रति आकर्षण। हिंदू के अलावा अन्य. दूसरे, अगर ऐसा कोई रिश्ता विकसित होता है, तो वह भी टूट जाएगा। इसलिए, विवाह नहीं हो पाएगा।

3. परिवार के चौथे घर का स्वामी शनि, जिसे विवाह के लिए भी माना जाना चाहिए, नीच राशि का है और छठे स्वामी प्रतिगामी बृहस्पति से दृष्ट है। इसलिए इस तरह के संबंध से कोई पारिवारिक जीवन नहीं बनता है।

4. विवाह का कारक शुक्र है। सबसे पहले, पाप कर्तरी योग में रहकर। अशुभ सूर्य, मंगल और केतु ने इसे दोनों ओर से जकड़ लिया है। दूसरे, शुक्र से छठे, आठवें और बारहवें घर में स्थित कोई भी अशुभ ग्रह प्रेम के इस ग्रह की विशेषताओं को प्रभावित करता है। अत: ऐसे लोग विपरीत लिंग के प्रेम से पीड़ित या वंचित रहते हैं।

5. चंद्र राशि से, विवाह के 7वें घर में अशुभ सूर्य और मंगल स्थित हैं। नीच के शनि और वक्री बृहस्पति की दृष्टि विवाह की संभावना को कमजोर करती है। मंगल की भूमिका, सूर्य पृथक्कारी ग्रह हैं, इन पर नीचस्थ शनि की दृष्टि विवाह से इंकार का योग बनाती है। यदि कोई व्यक्ति विवाह बंधन में बंधने की कोशिश भी करता है, तो वह रिश्ता या तो टूट जाएगा या बहुत दुखी विवाह में बदल जाएगा।

6. वर्गोत्तम लेकिन वक्री बृहस्पति लग्न में स्थित है और विवाह के 7वें घर में स्थित चंद्रमा पर दृष्टि डाल रहा है। एक बार फिर षष्ठेश की भूमिका यहां खराब खेल निभाती है।

7. लग्न का स्वामी शुक्र 12वें घर में नीच का है और उस पर विवाह के 7वें घर के स्वामी मंगल की दृष्टि है। लेकिन मंगल यह दृष्टि छठे भाव से दे रहा है। विवाह की कोई संभावना नहीं है। यहां यह भी देखना नहीं भूलना चाहिए कि शुक्र रहस्य, रहस्य के 8वें घर का स्वामी भी है, जो विदेश के 12वें घर में स्थित है। जब यह योग कुंडली में बनता है तो यह किसी छुपे रिश्ते को दर्शाता है। शायद गुपचुप शादी या कोई ऐसा रिश्ता, जो शादी के बराबर हो.

8. इसके अलावा, शनि की सूर्य के साथ युति और जन्म कुंडली में शनि की दृष्टि सूर्य पर है। सूर्य पर शनि का इतना प्रबल प्रभाव व्यक्ति में विवाह के प्रति अरूचि पैदा करता है।

9. जन्म कुंडली में विवाह भाव का सप्तमेश मंगल शत्रु राशि मिथुन में है। नवमांश चार्ट में भी, मंगल छठे घर में स्थित होने के कारण, इसके अलावा बृहस्पति की दोहरी राशि में स्थित होने के कारण संबद्ध है। बृहस्पति के साथ मंगल का कोई भी संबंध विवाह के लिए अच्छा नहीं है। यहां इसकी दृष्टि वक्री बृहस्पति पर भी है।

10. उपरोक्त को नवांश कुंडली में चंद्र राशि से भी देखा जा सकता है।

राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम. फिल. की उपाधि प्राप्त की।

राहुल को लेकर ये भविष्यवाणी सही साबित हुई तो मच जाएगा हंगामा 

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