बंगाल कल्चर – पॉवर पॉलिटिक्स से यहां जीवन-यापन होता है, यहां अपोजिशन का कोई रोल नहीं

2 June 2021: Himalayauk Newsportal & Print Media # High Light # # #

पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले तृणमूल कांग्रेस के 50 से भी ज्यादा नेता BJP में शामिल हुए थे। अब इनमें से कई दोबारा TMC में वापसी चाहते हैं। मुकुल रॉय और राजीब बनर्जी जैसे बड़े नामों को लेकर भी दावा किया जा रहा है कि ये फिर से TMC जॉइन कर सकते हैं। रॉय अभी BJP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वे TMC छोड़ने वाले पहले बड़े नेताओं में से एक थे। रॉय ने BJP को 2018 में हुए पंचायत चुनाव में जीत दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इस बार वे कृष्णनगर उत्तर सीट से चुनाव लड़े थे और जीते भी। कुछ दिनों से चर्चा चल रही है कि वे दोबारा TMC में शामिल हो सकते हैं, लेकिन BJP प्रवक्ता शमिक भट्‌टाचार्य ने इस बात का खंडन किया है। भट्‌टाचार्य का कहना है कि रॉय और राजीब बनर्जी को लेकर जो भी बातें हैं, वे सभी अफवाहें हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं। 

रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, बंगाल देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां लोगों का जीवन पूरी तरह से राजनीति से जुड़ा है। पॉवर पॉलिटिक्स से यहां जीवन-यापन होता है। सामाजिक सुरक्षा मिलती है। जन्म से मृत्यु तक पॉवर पॉलिटिक्स का असर होता है।

यही कारण है कि जो लोग चुनाव के पहले BJP में शामिल हुए, अब वो कुछ भी करके TMC की तरफ लौटना चाहते हैं। बंगाल में हर जगह सत्ता में रहने वाली पार्टी का इन्वॉल्वमेंट होता है। बिना पार्टी की सहमति के कोई कुछ नहीं कर सकता। अपोजिशन का कोई रोल यहां नहीं होता। यह कल्चर शुरू से है, जो आगे भी बनता दिख रहा है।

हाल ही में मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार की आलोचना करने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना बेहतर है। रॉय की इसी पोस्ट के बाद ये कयास लगाए जाने लगे थे कि वे अपने पिता के साथ TMC जॉइन कर सकते हैं। हालांकि भट्‌टाचार्य का कहना है कि उन्होंने आवेश में आकर ऐसा लिखा था। पार्टी छोड़ने जैसी कोई बात नहीं है। सुभ्रांशु को BJP ने बीजपुर से टिकट दिया था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

चुनाव के पहले TMC से BJP में 34 विधायक शामिल हुए थे, लेकिन इसमें से टिकट 13 को ही मिल पाया था। जिन्हें टिकट नहीं मिला, उनमें एक बड़ा नाम दिनेश त्रिवेदी का था। वे चुनाव के कुछ ही दिनों पहले BJP में आए थे।

TMC सांसद शुखेंदु शेखर राय कहते हैं, 5 जून को दोपहर 3 बजे पार्टी ऑफिस में हमारी मीटिंग है। इसमें इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है। हालांकि अब किसी को भी शामिल करने से पहले बहुत सारे सवालों के जवाब तलाशे जाएंगे। जैसे, जो आना चाहता है, वो पार्टी छोड़कर क्यों गया था। वो वापसी क्यों चाहता है।

ये भी देखेंगे कि कहीं ये BJP की साजिश तो नहीं। घुसपैठ की कोशिश तो नहीं। ऐसे तमाम सवालों के जवाब मिलने के बाद ही पार्टी निर्णय लेगी कि किसी को शामिल करना है या नहीं। राय कहते हैं- सांसदों-विधायकों में कई के नाम अभी सामने नहीं आए हैं, जबकि वे भी TMC में शामिल होना चाहते हैं। जो माहौल बना है, वही रहा तो बंगाल में BJP का पत्ता भी साफ हो सकता है।

सरला मुर्मु, पूर्व विधायक सोनाली गुहा और फुटबॉलर से राजनेता बने दीपेंदू विश्वास ने साफ कर दिया है कि वे दोबारा TMC में शामिल होना चाहते हैं। सरला मुर्मु को TMC ने हबीबपुर से टिकट दिया था। इसके बावजूद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। अब वे TMC में वापसी चाहती हैं।
इसी तरह पूर्व विधायक सोनाली गुहा भी घर वापसी के इंतजार में हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा है, ‘जिस तरह मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती, वैसे ही मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगी, दीदी’। फुटबॉलर से राजनेता बने दीपेंदु विश्वास ने भी दीदी को पत्र लिखकर TMC में शामिल होने की इच्छा जताई है।

बंगाल की 294 में से 213 सीटें TMC ने जीती हैं। 77 सीटों पर BJP को जीत मिली है। चुनाव के चंद महीनों पहले TMC के 50 से ज्यादा नेताओं ने BJP का दामन थाम लिया था। इसमें 34 तो विधायक थे, जिन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार BJP ही जीतेगी। कईयों की आस BJPमें आने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई थी, क्योंकि पार्टी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया।

नेताओं की TMC से दूरी बनाने की तीन बड़ी वजहें थीं। पहली, उनका टिकट काटा या बदला गया था। दूसरी, वे पार्टी जिस ढंग से चल रही थी उससे खुश नहीं थे। तीसरी, वे BJP को जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे और उन्हें BJP से टिकट मिलने की भी उम्मीद थी। नतीजों ने दल-बदलुओं को बड़ा झटका दिया। इसलिए अब ये नेता घर वापसी चाहते हैं।

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