बिहार विधानसभा चुनाव ;नीतीश कुमार चुनावी जंग में कमजोर, लोगो में उत्‍साह नहींं

बिहार विधानसभा चुनाव में- तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भारी भीड़ के जवाब में एनडीए को सिर्फ मोदी का ही सहारा है क्योंकि कुछ सर्वे में यह बात सामने आई है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लोगों में नाराजगी बढ़ी है।  बिहार का चुनावी माहौल कहीं से कुछ भी यह इशारा नहीं कर रहा है कि अगले 20 दिनों के अन्दर बिहार में नयी सरकार बननी है। किसी को इस बात में दिलचस्पी लेते नहीं देखा कि नीतीश कुमार जाएंगे या रहेंगे। कोई यह नहीं बतिया रहा था कि चिराग पासवान एनडीए से अलग हट गये हैं तो क्या होगा।  कोरोना-लाॅकडाउन से परेशान जनता अपने घर के लिए आटे-दाल का हिसाब कर रही है। अक्सर लोग वोट देने के लिए जाने की बात पर बिल्कुल निराश मिले।

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 बिहार में चल रहे चुनावी घमासान को लेकर आया लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे कहता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी जंग में कमजोर पड़ रहे हैं।   44 फ़ीसदी लोग नीतीश के काम से नाख़ुश थे 43 फ़ीसदी लोग नहीं चाहते कि वह दुबारा सत्ता में लौटें।  लोकनीति-सीएसडीएस के मुताबिक़, आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव लोकप्रियता के मामले में नीतीश से बस थोड़ा सा ही पीछे हैं। नीतीश को 31 जबकि तेजस्वी को 27 और चिराग को 5 फ़ीसदी लोग राज्य का मुख्यमंत्री बनता देखना चाहते हैं।  बिहार के लोगों के लिए कौन सा मुद्दा सबसे अहम है, ये पूछने पर 29 फ़ीसदी लोगों ने विकास, 20 फ़ीसदी लोगों ने बेरोज़गारी, 11 फ़ीसदी लोगों ने महंगाई, 6 फ़ीसदी लोगों ने भुखमरी/ग़रीबी, 7 फ़ीसदी लोगों ने शिक्षा और 25 फ़ीसदी ने अन्य मुद्दों की बात कही।  लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे नीतीश कुमार के लिए चिंताजनक तसवीर पेश करता है। क्योंकि उनके काम से असंतुष्ट लोगों का फ़ीसद बढ़ा है और संतुष्ट लोगों का फ़ीसद बहुत ज़्यादा घटा है। इसके अलावा एलजेपी भी उन्हें नुक़सान पहुंचा रही है। 7 नवंबर यानी मतदान की अंतिम तारीख़ तक अभी चुनावी माहौल और बदलेगा

बीजेपी ने कोरोना की दवाई को चुनाव की लड़ाई से जोड़कर मानो कोरोना भगाने के पूरे मक़सद की पवित्रता को ही भंग कर दिया है।  क्या कोरोना की फ्री वैक्सीन का वादा किसी चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा हो सकता है? क्या होना चाहिए? यह सवाल देश में हर औसत बुद्धि का व्यक्ति भी बीजेपी से पूछ रहा है। 

कोरोना का संक्रमण विश्वव्यापी महामारी है। मोदी सरकार दावा करती रही है कि उसने दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों को दवाएं उपलब्ध करायीं, कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल उपकरण आदि भी भिजवाए। फिर अपनी ही जनता को कोरोना फ्री वैक्सीन देने का वादा करने में मोदी सरकार को संकोच क्यों हो रहा है? यह घोषणा अब तक हो जानी चाहिए थी। 

मगर, घोषणा हुई भी तो सिर्फ बिहार के लिए। क्यों? क्योंकि वहां चुनाव है! चुनाव नहीं होता तो बिहार के लोगों को भी कोरोना फ्री वैक्सीन देने की घोषणा नहीं की जाती। बीजेपी केंद्र में सत्ता में है। बिहार में भी सत्ता में है। फ्री वैक्सीन देना डबल इंजन की सरकारों का कर्तव्य है। इंजन भले ही सिंगल हो, फिर भी यह उसका कर्तव्य है कि ग़रीब जनता को मौत के मुंह में जाने से बचाए। 

चुनाव घोषणापत्र में कोरोना फ्री वैक्सीन के जिक्र के कई मायने हैं – एक मतलब साफ है कि कोरोना फ्री वैक्सीन के नाम पर वोटरों को इस बात के लिए मजबूर किया जा रहा है कि वे बीजेपी को वोट दें। अगर वे वोट नहीं देते हैं तो बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी और सत्ता में नहीं आएगी तो कोरोना फ्री वैक्सीन जाहिर है कि नहीं मिलेगी। घोषणापत्र में पहला बिन्दु होने के बावजूद यह चुनावी वादा है और चुनाव में हार होते ही कोरोना फ्री वैक्सीन का वादा खत्म हो जाता है। जहां चुनाव नहीं हो रहे हैं वहां कोरोना फ्री वैक्सीन मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि बीजेपी की घोषणा सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव के लिए है।

बिहार के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुआंधार रैलियों के जवाब में कांग्रेस और आरजेडी ने भी ताल ठोक दी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।  तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को हिसुआ में आयोजित रैली में एक बार फिर रोज़गार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अगर वे मुख्यमंत्री बने तो पहली कलम चलाकर 10 लाख लोगों को नौकरियां देंगे। तेजस्वी ने लोगों से कहा कि नया बिहार बनाना है और वे हर धर्म, जाति, वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने का काम करेंगे। इस रैली में तेजस्वी की बाक़ी रैलियों की तरह जबरदस्त भीड़ दिखाई दी।  नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 9 नवंबर को लालू रिहा होंगे और 10 नवंबर को नीतीश कुमार की विदाई होगी।  आरजेडी नेता ने कहा कि ये लड़ाई नीतीश और तेजस्वी या मोदी और राहुल की नहीं है बल्कि ये लड़ाई तानाशाह सरकार और जनता के बीच है और वह और राहुल जनता के साथ खड़े हैं।  

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे सिर्फ़ अंबानी, अडानी जैसे पूंजीपतियों के साथ खड़े हैं। राहुल ने कहा कि लोगों को नोटबंदी के दौरान परेशानी हुई और सारा पैसा हिंदुस्तान के अमीर लोगों की जेब में चला गया। राहुल ने पूछा, ‘चीन ने हिंदुस्तान की 1200 किमी. ज़मीन ली है। प्रधानमंत्री कहते हैं, मैं सिर झुकाता हूं लेकिन उन्होंने यह कहकर कि चीन भारत की सीमा में नहीं घुसा है, हिंदुस्तान की सेना का अपमान किया है। मोदी जी आप ये बताओ कि आप चीन को भारत की सीमा से कब बाहर फेंकोगे।’ 

उन्होंने कहा, ‘बिहार के किसानों-मजदूरों की सरकार यहां लानी है और एनडीए को हराना है। कोरोना के वक्त में बिहार के मजदूरों को दिल्ली और बाक़ी प्रदेशों से भगाकर बिहार भेजा। जब आप पैदल आ रहे थे, जब आप भूखे थे उन्होंने आपको नहीं पूछा।’ 

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