BJP सांसदों में हड़कंप, BSP में जाने को बेताब

BJP सांसदों में हड़कंप, BSP में जाने को बेताब

भारतीय जनता पार्टी  ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इस क्रम में पार्टी एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर को कम करने व अच्छा परफॉर्म नहीं करने वाले सांसदों का बड़े पैमाने पर टिकट काट सकती है. संभावना है कि भाजपा अपने आधे से अधिक लगभग 150 सांसदों का टिकट काट सकती है. टिकट कटने वालों में भाजपा के कई बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री के नामों की भी चर्चा है. ऐसी परिस्थिति में भाजपा के कुछ सांसदों ने दूसरे दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना टटोलनी शुरू कर दी है. 

पार्टी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, उमा भारती, राधा मोहन सिंह सहित अपने 150 मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकती है.

एेसे नेता अपने राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय दलों से संपर्क भी साधने लगे हैं. कुछ सांसद टिकट कटने पर कांग्रेस का भी दामन थाम सकते हैं. दरभंगा के सांसद कीर्ति झा आजाद इसके संकेत देते हुए कह चुके हैं कि देश में दो ही राष्ट्रीय पार्टियां हैं और वे अगला चुनाव दरभंगा से ही किसी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर ही लड़ेंगे.

 मायावती की हाल में राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई है और 2019 में वे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से गठजोड़ कर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. उप चुनाव में मिली जीत से दोनों के उत्साह बुलंद हैं. भाजपा के कुछ असंतुष्ट दलित सांसद मायावती की पॉलिटिकल लाइन से कई बार सहमति भी जताते रहे हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी 150 से ज्यादा सांसदों का टिकट काट सकती है। इस खबर के बाद बीजेपी के सांसदों में हडकंप मच गया है। अभी तक बीजेपी के पांच सांसद बसपा के नेताओं से दिल्ली में मुलाक़ात भी कर चुके है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी में सांसदों के शामिल होने का अंतिम फैसला बसपा सुप्रीमो मायावती को करना है। बसपा में शामिल होने की कवायद कर रहे सांसदों में अधिकतर सांसद उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के है। दरअसल पार्टी बदलने का यह सिलसिला समाजवादी पार्टी और बसपा के एक जुट होने की वजह से शुरू हुआ है। पार्टी बदलने वाले सांसदों में एक मोदी सरकार में मंत्री भी है।
इस मुद्दे पर एक बसपा नेता का कहना है कि फिलहाल अभी तक किसी भी सांसद को शामिल करने पर विचार नहीं किया गया है। गौरतलब है की शामिल होने की जुगत लगाने वाले दो नेता तो अपनी ही पार्टी के खिलाफ हल्ला बोल चुके है और उनमे से एक न तो आरक्षण के नाम पर प्रदर्शन भी किया है।

आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी मौजूदा 150 सांसदों के टिकट काट सकती है. जिसके बाद बीजेपी सांसदों में हड़कंप मच गया है. यूपी में कई सांसद अब मायावती की बहुजन समाज पार्टी में जाने के अवसर तलाशने लगे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी का खाता तक नहीं खुला था. बीजेपी के कई सांसद बीएसपी से टिकट पाने की जुगाड़ में हैं. इनमें से पांच सांसद तो बीएसपी के एक ताक़तवर नेता से दिल्ली में मुलाकात भी कर चुके हैं. बीजेपी के तीन और सांसदों ने बीएसपी के एक राज्य सभा सांसद से अपने मन की बात की है. अब फैसला सुप्रीमो मायावती को करना है. यूपी में बीएसपी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की आहट से ही बीजेपी के कई सांसदों की नींद उड़ गई है . उन्हें लगने लगा है कि दोनों पार्टियों के मिल जाने से उनके लिए बीजेपी में रहने पर उम्मीदें ख़त्म हो जायेंगी. ऐसे एक दो नहीं, बल्कि सांसदों की गिनती 13 तक पहुंच गई है. ऐसे अधिकतर सांसद यूपी के अवध क्षेत्र में से हैं. इनमें से एक तो मोदी सरकार में मंत्री भी हैं.पूर्वांचल के भी दो सांसद भी बीएसपी से टिकट लेने की जुगाड़ में हैं. बीजेपी का दामन छोड़ने को बेक़रार दो ऐसे भी सांसद हैं जो पहले बीएसपी में रह चुके हैं. बीजेपी के दो सांसद लगातार अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ हल्ला बोलते रहे हैं. इनमें से एक तो आरक्षण के नाम पर रैली भी कर चुकी हैं, लेकिन बीएसपी के एक ताक़तवर नेता ने बताया कि उन्हें पार्टी में लेने का कोई इरादा नहीं है.

 
 राम मंदिर तो बीजेपी का चुनावी एजेंडा है ही लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी राजनीतिक अखाड़े में माता सीता का भी सहारा ले सकती है. बिहार की सीतामढ़ी सीट पर अभी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का कब्जा है. इस सीट पर इस बार बड़ा परिवर्तन हो सकता है. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि राम कुमार शर्मा अगर दोबारा एनडीए का उम्मीदवार बनें तो हार सकते हैं. लिहाजा सीतामढ़ी सीट जीतने के लिए अमित शाह कोई बड़ा दांव खेल सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि इस सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. नित्यानंद राय अभी समस्तीपुर जिले की उजियारपुर सीट से सांसद हैं. पहले वे हाजीपुर से विधायक रहे हैं. खबरों की मानें तो नित्यानंद राय ने अपने लिए इस सीट पर सर्वे भी करवाया है. नित्यानंद राय वर्तमान माहौल में उजियारपुर को सेफ नहीं मान रहे. ऐसे में एक फॉर्मूला ये निकल सकता है कि उजियारपुर सीट से राम कुमार शर्मा को उतारा जाए और सीतामढ़ी से नित्यानंद राय लड़ें. सीतामढ़ी सीट पर यादव वोटरों का दबदबा रहा है. यहां से अब तक सबसे ज्यादा बार यादव सांसद ही जीते हैं. जेडीयू से पूर्व सांसद नवल किशोर यादव दावेदार हो सकते थे लेकिन एक मामले में सजा होने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकते. ऐसे में जेडीयू इस सीट पर दावे के लिए ज्यादा जोर नहीं लगाने वाली है. आरजेडी की ओर से पूर्व सांसद सीताराम यादव क्षेत्र भ्रमण कर रहे हैं और पूरी तरह सक्रिय हैं. शरद यादव की पार्टी के अर्जुन राय भी दावेदार हो सकते हैं. दबी जुबान में तो चर्चा इस बात की भी है कि अगर बीजेपी से दमदार प्रत्याशी नहीं हुआ तो लालू परिवार से भी कोई दांव लगा सकता है. यानी इस बार मुकाबला यहां यादव बनाम यादव का ही रहेगा. नित्यानंद राय अगर मैदान में आते हैं तो एनडीए में एकता की मजबूरी हो जाएगी. दूसरा संदेश हिंदुत्व को धार देने की हो सकती है. क्योंकि नित्यानंद राय बीजेपी के हार्डलाइनर नेता माने जाते हैं और सीतामढ़ी सीट से उतारकर राम सीता यानी धार्मिक संदेश, हिंदुत्व का संदेश और कट्टरता का संदेश देने की कोशिश होगी. एक और खास बात ये है कि इस सीट से आज तक बीजेपी का कोई सांसद नहीं हुआ. सांप्रदायिक लिहाज से भी ये सीट काफी संवेदनशील है. लिहाजा तमाम समीकरण नित्यानंद राय के पक्ष में दिखता है.
 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रभाव वाले इलाक़े के एक बीजेपी सांसद भी बीएसपी में जाने को बेताब हैं. कभी वे बीएसपी में हुआ करते थे. बीएसपी नेताओं से उनकी दो राउंड की मुलाक़ात भी हो चुकी है. पिछले ही हफ़्ते दिल्ली में मायावती के घर पर बीएसपी नेताओं की मीटिंग हुई थी. इस बैठक में बीजेपी के ऐसे सांसदों पर भी चर्चा हुई. तय हुआ कि अभी इस बारे में कोई फ़ैसला नहीं होगा.
पार्टी के कोर्डिनेटरों से कह दिया गया कि बीजेपी छोड़ने का इरादा रखने वाले पार्टी सांसदों को अभी कोई वादा नहीं किया जायेगा. पिछले चुनाव में बीजेपी को 71 और उसकी सहयोगी अपना दल को 2 सीटें मिली थीं. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं.

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