छात्र चाहते हैं कि परीक्षा-निशंक & चुनावी सर्वेक्षणों में बाइडेन को बढ़त & Top News 27 August 20

27 August 20# Himalayauk Newsportal # High Light # छात्र चाहते हैं कि परीक्षा किसी भी कीमत पर – केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक # सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को कहा है कि मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत नहीं # राज्यसभा उपचुनाव (Rajyasabha Bypolls) के लिए सैयद ज़फ़र इस्लाम बीजेपी उम्मीदवार #अमेरिका – चुनावी सर्वेक्षणों में बाइडेन को एक स्पष्ट बढ़त # मुख्तार अंसारी के बेटे उमर और अब्बास की दो मंजिला बनी बिल्डिंग को गिरा दिया # मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई — यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लिखा # राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा नहीं मिला – राज्यों को 2 विकल्प दिए गए हैं- वित्त मंत्री # सुशांत राजपूत केस की जांच का आज सातवां दिन # वास्तु में घर में रखी हर चीज का कोई ना कोई मतलब होता है. ध्‍यान न दिया तो नकारात्मकता आती है. # कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए काढ़े का इस्तेमाल # चीजमेकर के डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने के बाद बीमार – 10 ग्राहकों की मौत #Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

छात्र चाहते हैं कि परीक्षा किसी भी कीमत पर – केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक

नई दिल्ली: Himalayauk Newsportal  नीट और जेईई की परीक्षा को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष के कई दल सरकार से लगातार ये मांग कर रहे हैं कि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए परीक्षा की तारीख को टाल दिया जाए. इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एनटीए के डीजी ने उन्हें जानकारी दी कि जेईई के 8.58 लाख कैंडिडेट्स में से 7.5 लाख और नीट के 15.97 लाख कैंडिडेट्स में से 10 लाख छात्रों ने पिछले 24 घंटे में एडमिट कार्ड डाउनलोड किया है. मंत्री ने कहा कि यह दर्शाता है कि छात्र चाहते हैं कि परीक्षा किसी भी कीमत पर आयोजित की जाए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा है कोरोना वायरस की महामारी के बीच हमारे लिए छात्रों की सुरक्षा और करियर अहम है. इन परीक्षाओं को पूर्व में दो बार स्‍थगित किया गया. ज्‍यादातर छात्र और उनके पेरेंट्स परीक्षा को आयोजित करने के पक्ष में हैं. निशंक ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह भी कहा कि हम छात्रों का एकेडमिक वर्ष खराब नहीं कर सकते. उन्‍होंने लोगों/राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर बेवजह विरोध और राजनीति नहीं करने का आग्रह किया है. 

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “JEE परीक्षा केंद्रों को 570 से बढ़ाकर 660 कर दिया गया है जबकि छात्रों की सुविधा के लिए NEET केंद्र 2546 से बढ़कर 3842 हो गए हैं. छात्रों को उनकी पसंद के परीक्षा केंद्र भी आवंटित किए गए हैं.”

इंजीनियरिंग के लिये संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) या जेईई 1 से 6 सितंबर के बीच होगी जबकि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी-स्नातक) 13 सितंबर को कराने की योजना है. एनईईटी के लिए 15.97 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक सितंबर में आयोजित होने वाली जेईई-मेन और एनईईटी के लिए 14 लाख से ज्यादा छात्र प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके हैं.

केंद्रीय मंत्री निशंक ने बताया कि 80 फीसदी स्‍टूडेंट  JEE-NEET परीक्षा के एडमिट कार्ड डाउनलोड कर चुके हैं. JEE के लिए 8.58 लाख में से 7.50 लाख के आसपास एडमिट कार्ड डाउनलोड हो गए हैं, इसी तरह NEET के लिए15.97 लाख में से, 10 लाख से अधिक छात्रों ने अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया है. उन्‍होंने बताया कि ज्‍यादातर मामलों में छात्रों की सुविधा के लिए परीक्षा केंद्रों को कई बार बदला गया है. 99% प्रतिशत स्‍टूडेंट्स को उनकी पसंद का केंद्र मिला है.नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इन परीक्षाओं के लिए दिशानिर्देश और  SOP तैयार किया है. इसके साथ ही बेहतर समन्वय के लिए एनटीए और राज्यों के बीच लगातार बैठक हो रही है.

NEET और JEE एंट्रेस परीक्षाओं को स्थगित कराने की मांग देश में लगातार की जा रही है. गैर बीजेपी शासित राज्‍यों के सीएम की बैठक बुधवार को इस मुद्दे पर हुई. बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुझाव दिया था कि परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की मांग के साथ मुख्यमंत्रियों को SC जाना चाहिए. बता दें कि मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थाओं में एडमिशन के लिए होने वाली इन प्रवेश परीक्षाओं के होने में एक महीने से भी कम वक्त बचा है. सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद देश में परीक्षाएं कराने की तैयारियां चल रही हैं. हालांकि, इसका जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है.

भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मुख्य) और नीट (JEE-NEET) में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा. बढ़ते कोविड-19 (Covid-19) मामलों के मद्देनजर सितंबर में इन परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ हो रहे विरोध का उल्लेख करते हुए शिक्षाविदों ने अपने पत्र में कहा, ‘‘कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं.’

पत्र में कहा गया है, ‘युवा और छात्र राष्ट्र का भविष्य हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण, उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छा गए हैं. प्रवेश और कक्षाओं के बारे में बहुत सारी आशंकाएं हैं जिन्हें जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है.’

पत्र में कहा गया है कि हर साल की तरह इस साल भी लाखों छात्रों ने अपनी कक्षा 12 की परीक्षाएं दी हैं और अब प्रवेश परीक्षाओं का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं.

त्र में कहा गया है, ‘सरकार ने जेईई (मुख्य) और नीट की तारीखों की घोषणा की है … परीक्षा आयोजित करने में किसी भी तरह की देरी से छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद हो जाएगा. हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है. हालांकि, कुछ लोग बस अपने राजनीतिक एजेंडे को चलाने और सरकार का विरोध करने के लिए हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं.’

हस्ताक्षरकर्ताओं में दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी दिल्ली और लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इजराइल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय के भारतीय शिक्षाविद शामिल हैं. .

सैयद ज़फ़र इस्लाम राज्यसभा उपचुनाव (Rajyasabha Bypolls) के लिए अपना उम्मीदवार चुना

नई दिल्ली:  Himalayauk Newsportal भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद ज़फ़र इस्लाम (Syed Jafar Islam) को राज्यसभा उपचुनाव (Rajyasabha Bypolls) के लिए अपना उम्मीदवार चुना है. दरअसल, वरिष्ठ नेता अमर सिंह के निधन के बाद से राज्यसभा में सीट खाली हुई है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीट पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं. अगर ज़फ़र इस्लाम चुने गए तो वो बीजेपी के इतिहास में सातवें मुस्लिम सांसद होंगे. दिलचस्प है कि ज़फ़र इस्लाम बीजेपी से पिछले सात सालों से जुड़े हुए हैं और अब उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है. तो आखिर कौन हैं ज़फ़र इस्लाम, जिनके नाम पर बीजेपी राज्यसभा में दांव खेल रही है?

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद ज़फ़र इस्लाम उत्तर प्रदेश से राज्यसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवार बनाए गए हैं. अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है, जिसमें पार्टी ने उन्हें अपना कैंडिडेट चुना है.

ज़फ़र इस्लाम का नाम इस बार इसलिए भी खास है क्योंकि मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय कांग्रेस के पूर्व युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में लाने में उन्होंने बड़ी भूमिका अदा की थी. सिंधिया ने अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी का हाथ थाम लिया था, जिसके बाद राज्य में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी और बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान की सत्ता एक बार फिर वापस आ गई थी.

ज़फ़र इस्लाम की उम्मीदवारी इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक बीजेपी के इतिहास में छह ही मुस्लिम सांसद हुए हैं- मुख्तार अब्बास नक़वी, शहनवाज़ हुसैन, सिकंदर बख्त (राज्यसभा) और आरिफ बेग, एमजे अकबर और नज़मा हेपतुल्ला. सैय्यद ज़फ़र इस्लाम सातवें मुस्लिम सांसद होंगे.

मौजूदा हालात में मुख्तार अब्बास नक़वी के बाद बीजेपी के दूसरे मुस्लिम सांसद होंगे सैयद ज़फ़र इस्लाम. बीजेपी के टिकट पर तीन ही मुस्लिम सांसद लोकसभा चुनाव जीते हैं- मुख्तार अब्बास नकवी, शहनवाज़ हुसैन और आरिफ़ बेग.

डॉ. सैयद ज़फ़र इस्लाम झारखंड के रहने वाले हैं और मुंबई में सक्रिय रहे हैं. वो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. वो बीजेपी के मुखर, उदारवादी और कॉर्पोरेट घरानों से रिश्ता रखने वाला मुस्लिम चेहरा हैं. पार्टी संगठन में पिछले 7 साल से काम कर रहे हैं. उससे पहले वे 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी की रणनीतिक टीम में थे. राजनीति में आने से पहले वे डॉइच बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर भी थे. फिलहाल वो एयर इंडिया के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक भी हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत नहीं

Himalayauk Newsportal सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को कहा है कि मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती। चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ‘अगर हम इस जुलूस को निकालने की अनुमति देते हैं तो अव्यवस्था फैलेगी और फिर एक समुदाय को कोरोना वायरस के फैलने के लिए निशाना बनाया जाएगा।’ 

सहारनपुर के रहने वाले एक शख्स ने भी सशर्त जुलूस निकालने की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। याचिकाकर्ता के वकील वासी हैदर का कहना है कि, “कोरोना को देखते हुए जुलूस को लेकर हमने 3-4 अगस्त से ही बातचीत शुरू कर दी थी। सरकार ने 1 अगस्त से देशभर में अनलॉक-3 की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके बाद हमने जुलूस को लेकर कई राज्यों को पत्र लिखा जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना से जवाब आने लगे थे। 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में ई-फाईलिंग से याचिका दाखिल भी हो गयी थी, जिसमें हमने जल्द सुनवाई की मांग की थी।’’ 

सुप्रीम कोर्ट शिया धर्मगुरू सैयद कल्बे जव्वाद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कल्बे जव्वाद ने देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने के लिए अनुमति देने की मांग की थी। इसमें उन्होंने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को अदालत द्वारा इजाजत देने का हवाला दिया था। सीजेआई ने कहा, ‘आप जगन्नाथ रथ यात्रा का हवाला दे रहे हैं। यह यात्रा एक जगह थी और इसका एक निश्चित रूट था। उस मामले में हमने जोख़िम का आकलन कर आदेश पास कर दिया। इस मामले में परेशानी यह है कि आप पूरे देश के लिए आदेश देने की मांग कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, हम सभी लोगों के स्वास्थ्य को जोख़िम में नहीं डाल सकते। 

तारीख़ के पन्नों को पलटा जाए तो नज़र आएगा कि राजधानी दिल्ली में ताज़िया रखने का सिलसिला मुगलिया दौर से भी पहले का है। लेकिन कोरोना के कारण सदियों से चली आ रही ये रिवायत इस बार टूट जाएगी। 700 से भी ज्यादा बरस बाद ऐसा होगा जब मुहर्रम पर ताज़िये तो रखे जाएंगे लेकिन इनके साथ जुलूस नहीं निकाला जा सकेगा। 

कोरोना के चलते मुहर्रम जुलूस को निकालने को लेकर एक अन्य याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी थी। इस याचिका में कहा गया था कि कम से कम 5 लोगों को ही जुलूस निकालने इजाजत दे दी जाये। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि सभी 28 राज्यों की ओर से जवाब दाखिल होने के बाद ही इस पर निर्णय लिया जा सकता है। 

अमेरिका – चुनावी सर्वेक्षणों में बाइडेन को एक स्पष्ट बढ़त

Himalayauk Newsportal अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों यानी रिपब्लिकन और डेमोक्रेट  दोनों पार्टियों की तरफ से भले ही उम्मीदवार चुन लिए जाते हों लेकिन आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा एक समारोह में होती है, जो एक चुनावी स्टंट जैसा होता है। नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले अगस्त में दोनों पार्टियों का यह सबसे बड़ा और सामूहिक शक्ति प्रदर्शन कहा जाता है, जहाँ पार्टियाँ अपना व्यापक संदेश देती हैं कि उनका एजेंडा क्या है। 

चुनाव आते आते मुद्दे बिल्कुल स्पष्ट हो जाते हैं और चुनावी सर्वेक्षणों के रूझान भी लगभग स्पष्ट। लेकिन पिछले चुनाव यानी 2016 में जिस तरह से डोनल्ड ट्रंप ने सर्वेक्षणों में आखिरी कुछ दिनों में उलटफेर किया है, उसके बाद अमेरिकी विश्लेषक भी चुनावी सर्वेक्षणों को लेकर सशंकित हैं।

पिछले कई राष्ट्रपति चुनावों में अंतरराष्ट्रीय मुद्दे या फिर अर्थव्यवस्था का मुद्दा अमेरिकी चुनावों में हावी रहा, लेकिन यह शायद पहली बार होगा जब दोनों दलों की रणनीति में नस्ल एक बड़ा मुद्दा बन गया है। ऐसा सोचने के पीछे वाजिब कारण हैं। अश्वेत जार्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भी काले लोगों के साथ भेदभाव रुका नहीं है।

तीन दिन पहले ही एक और अश्वेत युवक को विस्कॉन्सिन के केनोशा में पुलिस ने सात गोलियाँ मारीं और वह जीवन भर के लिए अपाहिज हो चुके हैं। इसके विरोध में प्रदर्शन के दौरान एक गोरे युवक ने दो लोगों को गोली मार दी। सत्रह साल के उस गोरे युवक को तत्काल गिरफ़्तार नहीं किया गया जबकि पुलिस भी वहीं थी। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसकी तुलना सीएए प्रोटेस्ट के दौरान रामभक्त नाम के युवक द्वारा गोली चलाने से भी की है। 

नस्लवाद को लेकर ऐसे तनातनी के माहौल में डेमोक्रेट पार्टी संदेश देती है। वह अपने कन्वेंशन में बुलाते हैं बराक ओबामा को, अपनी पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए चुनते हैं एक अश्वेत महिला को जिनकी मांँ भारतीय हैं। साथ ही उनके कन्वेंशन की ओपनिंग करती हैं अमेरिका में बेहद लोकप्रिय रहीं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी मिशेल ओबामा। डेमोक्रेट पार्टी की राय बहुत साफ़ है। वह अश्वेत लोगों के साथ है। 

वही दूसरी ओर गौरतलब है कि इस महामारी से निपटने के ट्रंप प्रशासन के तरीकों की आलोचना की जाती रही है. कोविड-19 से देश में 50 लाख लोग संक्रमित हुए और 1,70,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका में नस्ली अशांति एक कड़वी सच्चाई है और ‘हमारे इतिहास के कुछ हिस्सों पर हमें गर्व नहीं है.’उन्होंने देश में सामाजिक सौहार्द्र की अपील के लिये अपने आव्रजन की कहानी याद करते हुए यह बात कही. मेलानिया (50) ने मंगलवार को रिपब्लिकन राष्ट्रीय सम्मेलन में व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से अपने संबोधन में ‘अपने पति, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फिर से निर्वाचित करने की भावुक अपील की.” उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका उनके दिल में बसता है.” उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी की तरह, मैंने भी हमारे देश में नस्ली अशांति के बारे में गौर से सोचा है. यह एक कड़वी सच्चाई है और इस कारण हमारे इतिहास के कुछ हिस्सों पर हमें गर्व नहीं है. मैं लोगों को अतीत से सीखते हुए अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने को प्रोत्साहित करती हूं. ”

दूसरी तरफ रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो शामिल होते हैं। ऐसी परंपरा रही है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किसी भी राष्ट्रपति का विदेश मंत्री उनके समर्थन में प्रचार नहीं करता है ताकि यह माना जाए कि विदेश नीति घरेलू नीतियों से अलग होती है और बाकी देशों के साथ संबंधों पर घरेलू चुनाव का असर न पड़े। रिपब्लिकन पार्टी इस परंपरा को तोड़ देती है। 

रिपब्लिकन पार्टी ने अपने सबसे बड़े इवेंट में इन दोनों को स्पीकर के तौर पर आमंत्रित कर के स्पष्ट संदेश दिया है कि उन्हें अश्वेत लोगों के वोटों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ट्रंप भले ही कभी कभार अश्वेत लोगों के बारे में छोटी मोटी टिप्पणी कर दें या कुछ अश्वेत लोगों से मिल लें, लेकिन उनकी रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है। अमेरिका की आबादी के 13 प्रतिशत हिस्से से उन्हें बहुत कुछ लेना देना नहीं है।

इसलिए नस्ल इन चुनावों का एक बड़ा मुद्दा होगा, रिपब्लिकन पार्टी के ट्रंप की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है। अमेरिका की आबादी के 13 प्रतिशत हिस्से से उन्हें बहुत कुछ लेना देना नहीं है। मेरिका में श्वेत-अश्वेत का भेदभाव इन चुनावों का डिफाइनिंग मुद्दा बन चुका है। अमेरिका के ज़्यादातर पढ़े लिखे गोरे लोग भी इस मुद्दे पर डेमोक्रेट पार्टी के साथ दिख रहे हैं जबकि ये पिछले चुनाव में हिलेरी क्लिंटन (2016 में डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार) के  विरोध में थे। यही कारण है कि फिलहाल चुनावी सर्वेक्षणों में जो बाइडेन को एक स्पष्ट बढ़त मिली हुई है।

कोरोना और उससे जुड़ी समस्याओं, मसलन बेरोज़गारी और खराब अर्थव्यवस्था का मसला तो है ही, पर नस्लभेद को लेकर अधिकांश मीडिया और लोग इस समय ट्रंप के साथ नहीं दिख रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बहन मैरीन ट्रम्प बैरी ने ही अब डोनल्ड ट्रंप को झूठा क़रार दिया है। एक ऐसा ‘झूठा’ शख़्स जिसका ‘कोई प्रिंसिपल’ नहीं है यानी आचार व्यवहार नहीं है। यदि उनकी बहन के आरोपों को कोई झूठलाना चाहे तो भी ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि उनके ये बयान ऑडियो टेप में रिकॉर्डेड हैं। यदि कोई उनके बयान को राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र विरोधियों की साज़िश क़रार देना चाहे तो भी इसे विश्वास करना मुश्किल होगा, क्योंकि ये ऑडियो रिकॉर्डिंग 2018 और 2019 के हैं। इस ऑडियो को मैरीन की भतीजी मैरी एल ट्रम्प ने चोरी-छिपे रिकॉर्ड किया था। इन ऑडियो रिकॉर्डिंग को अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार वाशिंगटन पोस्ट ने शनिवार को अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया है 

वैसे, ट्रंप पर झूठ लगने के आरोप नये नहीं हैं। अक्सर उनके बयान या ट्वीट पर सवाल उठते रहते हैं और कहा जाता है कि अमूक बयान या तो झूठ है या ग़लत तथ्य पेश किए गए हैं। ‘न्यूयार्क टाइम्स’ और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों ने उनके बोले झूठों की पूरी एक शृंखला बनाई है।

जून, 2017 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ट्रंप के झूठ और ग़लत तथ्यों की एक सूची छापी थी। अख़बार ने लिखा था कि अमेरिका के इतिहास में ऐसा कोई भी राष्ट्रपति नहीं पैदा हुआ है जिसने झूठ बोलने में इतना वक़्त गँवाया हो। अमेरिका के तमाम मीडिया हाउसों ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप के दस हज़ार से ज़्यादा झूठों का संकलन किया है। इस तरह कल्पना की जा सकती है कि 2017 के बाद इन तीन सालों में ट्रंप ने कितने ‘झूठ’ बोले होंगे। ट्रंप की इमेज एक ऐसे नेता के रूप में है जो बदज़ुबान हैं। कहा जाता है कि वह अहंकारी हैं और बड़बोले भी। ट्रंप अपने कई झूठों को लेकर चर्चित रहे हैं। ट्रंप के बारे में मशहूर है कि वह बड़ी बेशर्मी से झूठ बोलते हैं।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने जो ऑडियो रिकॉर्डिंग पोस्ट की हैं उनमें भी ट्रंप की बड़ी बहन मैरीन ट्रम्प बैरी कुछ ऐसे ही आरोप लगा रही हैं। मैरीन पूर्व संघीय न्यायाधीश भी रही थीं। रिकॉर्डिंग में ट्रंप की बहन मैरीन को राष्ट्रपति के रूप में अपने भाई के प्रदर्शन को नापसंद करना कहते हुए सुना जा सकता है। एक रिकॉर्डिंग में वह कहती हैं- ‘उसका बेकार ट्वीट और झूठ, हे भगवाना!’ वह आगे कहती हैं, ‘मैं बहुत खुलकर बात कर रही हूँ, लेकिन तुम जानती हो। बातें बदलना। तैयारी की कमी। झूठ।’

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर और अब्बास की दो मंजिला बनी बिल्डिंग को गिरा दिया

Himalayauk Newsportal राजधानी लखनऊ के सबसे पॉश और कीमती इलाके हजरतगंज के डाली बाग में स्थित करोड़ों की कीमती जमीन पर गिराई दो मंजिला इमारतें मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के नाम पर दर्ज हैं. गुरुवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम 20 जेसीबी और 250 से अधिक पुलिसकर्मियों और पीएसी के साथ मौके पर पहुंची और दोनों बिल्डिंग गिरा दी गईं. लखनऊ विकास प्राधिकरण की इस जमीन पर बने अवैध निर्माण को गिराने में जो खर्च आया उसको भी अब्बास अंसारी और उमर अंसारी से वसूला जाएगा. साथ ही एफआईआर दर्ज कर उन अफसरों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं जिनके कार्यकाल में इस सरकारी जमीन पर न सिर्फ कब्जा हुआ बल्कि निर्माण तक करा दिया गया.

अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई का दौर जारी है. गुरुवार को प्रयागराज में अतीक अहमद की संपत्तियों को पुलिस ने कुर्क किया. अब मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर अवैध संपत्ति- दो मंजिला टावर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गिरा दिए हैं. प्राधिकरण ने करोड़ों की कीमती जमीन कब्जे में ले ली.

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर और अब्बास की बिल्डिंग लखनऊ प्रशासन और लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (एलडीए) ने गुरुवार सुबह फोर्स के साथ गिरा दिया. लखनऊ प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन के करीब 200 कर्मियों ने दो मंजिला बनी बिल्डिंग को गिरा दिया है.

जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के जियामऊ इलाके में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे उमर और अब्बास की दो मंजिला बिल्डिंग बनी हुई थी. आरोप है कि यह बिल्डिंग तकरीबन 8000 स्क्वॉयर फुट में अवैध तरीके से बना ली गई थी. एलडीए वीसी शिवाकांत ओझा का कहना है कि ये शत्रु/निष्करांत संपत्ति थी और जिसका मुकदमा एलडीए में चल रहा था.

एलडीए ने बिल्डिंग गिराने से पहले नोटिस भेजा था और स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं दिया.  उसके बाद आज एलडीए की ज्वॉइंट सेक्रेट्री ऋतु सुहास और सचिव मंगला प्रसाद, एडीसीपी हजरतगंज तकरीबन 200 पुलिसकर्मियों के साथ तड़के बिल्डिंग गिराने पहुंचे. 

इस दौरान लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पूरी बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया. इस दौरान एलडीए, पुलिस प्रशासन समेत 200 से अधिक पुलिसकर्मी और 20 से अधिक जेसीबी मौजूद थी, जिसके बाद यह कार्यवाही की जा सकी. योगी सरकार के मुताबिक, जितने दिनों से यह बिल्डिंग बनी थी, उसका न सिर्फ किराया वसूला जाएगा, बल्कि इसे ढहाने में लगे खर्च को भी वसूला जाएगा.    

कहा जाता है कि 1956 के पहले जो परिवार इस संपत्ति को कानूनी तरीके से छोड़कर पाकिस्तान चला गया था, उसी संपत्ति को हड़पसर मुख्तार अंसारी के परिवार ने इस पर बिल्डिंग खड़ी की थी. इस बिल्डिंग का नक्शा भी पास नहीं था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से इसे बनाया गया था. अब सरकार उन अधिकारियों को ढूंढ कर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

मऊ और गाजीपुर के बाद मुख्तार अंसारी की काली कमाई पर शिकंजा करते हुए अब लखनऊ में कार्रवाई का दौर शुरू हुआ है. अब तक मुख्तार अंसारी की 70 करोड़ की संपत्ति का ध्वस्तीकरण किया जा चुका है और 40 करोड़ से अधिक की कमाई पर प्रशासन ने ताला लगा दिया है. मऊ से लेकर लखनऊ तक मुख्तार अंसारी पर चल रहे ऑपरेशन मुख्तार के तहत कार्रवाई की जा रही है.

करोड़ों की संपत्ति पर कब्जे की शुरुआत करीब 20 साल पहले टीएस कालरा नाम के बिल्डर ने की थी. टीएस कालरा के पिता निष्क्रांत संपत्ति दस्तावेज विभाग में बाबू थे. लिहाजा, कालरा को इस जमीन के टुकड़े की दस्तावेजी जानकारी थी. जिसका फायदा उठाते हुए कालरा ने पहले दस्तावेजों में हेराफेरी कर इस जमीन को पहले अपने करीबी के नाम दर्ज करवाया, फिर मुख्तार अंसारी की मां राबिया बेगम के नाम करवाया और हाल ही में गाटा संख्या 93 का यह टुकड़ा मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के नाम दर्ज हो गया.

मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई — यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लिखा

Himalayauk Newsportal कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखने पर मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरी तबीयत ठीक है और डॉक्टर्स की सलाह से मैंने खुद को होम आइसोलेट कर लिया है। मेरा अनुरोध है कि आप में से जो भी लोग गत कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आयें हैं, कृपया स्वयं अपनी जाँच करवा लें।

गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह भी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं. उन्होंने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी.
यूपी सरकार में MSME मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लिखा, ‘कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखने पर मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. मेरी तबीयत ठीक है और डॉक्टर्स की सलाह से मैंने खुद को होम आइसोलेट कर लिया है. मेरा अनुरोध है कि आप में से जो भी लोग गत कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आयें हैं, कृपया स्वयं अपनी जाँच करवा लें.’

बीते दिन ही यूपी सरकार में एक और मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. अबतक प्रदेश सरकार में करीब दस मंत्री कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं. जबकि दो मंत्रियों की महामारी के कारण मौत हो गई है.

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री उदयभान सिंह, अतुल गर्ग की रिपोर्ट भी बीते दिनों पॉजिटिव आई थी. इससे पहले चेतन चौहान और कमल रानी वरुण इस महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. बीते दिन राज्य में अबतक का सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला, 24 घंटे में करीब 5900 केस सामने आए थे. यूपी में कोरोना वायरस के कुल केस की संख्या दो लाख पार कर गई है, जबकि तीन हजार से अधिक की मौत हो गई है. 

राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा नहीं मिला – राज्यों को 2 विकल्प दिए गए हैं- वित्त मंत्री – केंद्र ने राज्यों से राजस्व में कमी की भरपाई के लिये बाजार से कर्ज लेने को कहा है

Himalayauk Newsportal जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि कोरोना महामारी एक “दैवीय घटना” है और यह एक कारक है, जिससे जीएसटी संग्रह प्रभावित हुआ. इस साल हम असाधारण स्थिति का सामना कर रहे हैं. हम एक दैवीय आपदा का सामना कर रहे हैं. 

राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा नहीं मिला है. सरकार ने हाल में वित्त मामलों की स्थायी समिति को बताया है कि उसके पास राज्यों को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद फाइनेंस सेक्रेटरी ने बताया कि केंद्रीय सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी मुआवजे के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए, जिसमें मार्च के लिए 13,806 करोड़ रुपये शामिल हैं. 2019-20 के लिए जारी मुआवजे की कुल राशि  1.65 लाख करोड़ है, जबकि उपकर राशि 95,444 करोड़ थी. 

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं. इसमें मार्च 13,806 करोड़ रुपये भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए एकत्रित उपकर (Cess) 95,444 करोड़ रुपये था जबकि राज्यों को 1.65 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.   

27 अगस्त (New Delhi) वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की 41वीं बैठक 27 अगस्त यानी आज हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में इस बैठक में कई फैसले लिए गए हैं. इस बैठक में राज्यों को जीएसटी के मुआवजे पर मंथन हुई है. वित्त मंत्री ने बताया कि पांच घंटे तक चली बैठक में राज्यों को 2 विकल्प दिए गए हैं. 

भाषा की खबर के मुताबिक, केंद्र ने राज्यों से राजस्व में कमी की भरपाई के लिये बाजार से कर्ज लेने को कहा है. केंद्र के इस कदम का गैर-राजग दलों के शासन वाले प्रदेश विरोध कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई. इसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा हुई. कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है. 

केंद्र खुद उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे या फिर आरबीआई से उधार लिया जाए. राज्य 7 दिनों के भीतर अपनी राय देंगे. यानी सात दिन के बाद एक फिर संक्षिप्त बैठक होगी. यह विकल्प सिर्फ इस साल के लिए है. काउंसिल अप्रैल 2021 में फिर बैठेगा और हालात की समीक्षा करेगा.  वित्त सचिव के मुताबिक कोरोना की वजह से चालू वित्त वर्ष (2020-21) में जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी की आशंका है.

बीते 12 जून को जीएसटी काउंसिल की आखिरी बैठक हुई थी. बैठक में साल दर साल GST रिटर्न की लेट फीस पर छूट दी गई थी. कोरोना काल में यह पहली बैठक थी. इससे पहले मार्च में जीएसटी काउंसिल की 39वीं बैठक हुई थी.  वित्त मंत्री ने दो पहिया वाहन को लेकर कुछ नहीं कहा. बता दें कि बीते दिनों निर्मला सीतारमण ने दोपहिया वाहन पर जीएसटी कटौती के संकेत दिए थे. वित्त मंत्री ने कहा था कि दोपहिया वाहन न तो विलासिता का सामान है और न ही यह अहितकर सामाना की श्रेणी में आता है इसलिये इस पर जीएसटी दर में संशोधन का मामला बनता है.

उन्होंने कहा कि दो पहिया वाहन पर जीएसटी दर में संशोधन के मामले पर जीएसटी काउंसिल की बैठक में गौर किया जायेगा. वहीं पिछले साल देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी हीरो मोटो कॉर्प ने सरकार से जीएसटी कटौती की अपील भी की थी. वर्तमान में दोपहिया वाहनों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है. 

सुशांत राजपूत केस की जांच का आज सातवां दिन

Himalayauk Newsportal सुशांत राजपूत केस की जांच का आज सातवां दिन है. केस में आरोपी नंबर वन और सुशांत की गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती से पूछताछ को लेकर अभी भी सस्पेंस है. अब तक रिया को समन जारी नहीं हुआ है. अटकलें हैं कि ड्रग्स कनेक्शन को लेकर जया साहा, श्रुति मोदी और दीपेश सावंत तो भी जल्द सीबीआई का समन जारी हो सकता है. रिया चक्रवर्ती के ड्रग्स कनेक्शन को लेकर खुलासे के बाद सीबीआई पूछताछ में सिद्धार्थ पिठानी ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि 8 जून को सुशांत का घर छोड़ने से पहले आठ हार्ड डिस्क नष्ट किए गए थे. हार्ड डिस्क नष्ट करने के दौरान सुशांत भी खुद मौजूद थे और ये साफ्टवेयर एक्टपर्ट की मौजूदगी में किया गया.

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई की एसआईटी जांच कर रही है. हर दिन इस मामले में नए खुलासे हो रहे हैं. इस केस में सीबीआई की जांच दो सवालों पर टिकी है. जिनका जवाब मिलने पर एसआईटी का काम आसान हो सकता है. ये भी मुमकिन है कि मामले का खुलासा भी हो जाए. आखिर कौन से हैं वो दो सवाल?

सात दिनों से इस मामले की छानबीन में जुटी सीबीआई की एसआईटी ने जब सुशांत के कुक नीरज और दोस्त सिद्धार्थ से कई दौर की पूछताछ की तो दोनों कई बयान ऐसे हैं, जो आपस में मेल नहीं खाते हैं. ऐसे में ये पता लगाना ज़रूरी हो जाता है कि उन दोनों में से कौन सही बोल रहा है और कौन गलत. और वो ऐसा क्यों कर रहा है. जब सीबीआई की टीम उपरोक्त दो सवालों के जवाब तलाश लेगी और इस बात की तस्दीक कर लेगी कि वो जवाब सही हैं, तो काफी हद तक ये मामला सुलझ जाएगा. बाकी रही बात आगे की जांच कि तो शुक्रवाक को एम्स के फोरेंसिक एक्सपर्ट सुशांत की पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट की जांच कर लेने के बाद अपनी रिपोर्ट सीबीआई को सौंप देंगे. जिससे इस मामले से जुड़े कई सवालों को जवाब सीबीआई को मिल जाएंगे.

14 जून को मौका-ए-वारदात पर सुशांत के अलावा चार लोग मौजूद थे. जिसमें तीन सुशांत के मुलाजिम थे और एक उसका दोस्त. वो चारों इस मामले के चश्मदीद भी है. इन चारों लोगों से मुंबई पुलिस और बिहार पुलिस ने भी पूछताछ की थी. सीबीआई भी उनसे लगातार पूछताछ कर रही है. उन चारों में दो नाम ऐसे हैं जिनके बयान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं. वो है सुशांत का कुक नीरज और सुशांत का दोस्त सिद्धार्थ. नीरज वही शख्स है, जिसने  14 जून की सुबह करीब साढे़ बजे सुशांत को जूस दिया था. इसके बाद सुशांत अपने कमरे में लौट गए थे और दरवाजा बंद कर लिया था. 

वो नीरज ही था, जो कुछ देर बाद सुशांत से लंच के बार में पूछने गया था. तब सुशांत ने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था. उस वक्त वहां दूसरा कुक दीपेश, हाउसकीपर और सुशांत का दोस्त सिद्धार्थ पिठानी भी मौजूद था. जब दरवाजा नहीं खुला तो सिद्धार्ध ने ही दरवाजे का लॉक खोलने के लिए चाबी बनाने वाले रफी शेख को बुलाया था. उसी ने दरवाजा खोला था. अब सीबीआई के सामने सबसे अहम सवाल ये है कि जब वहां चार लोग मौजूद थे, तो आखिर सुशांत को सबसे पहले किसने फांसी के फंदे पर लटकते हुए देखा था?

इस पूरे मामले में सुशांत का दोस्त सिद्धार्थ पिठानी अहम गवाल है. सिद्धार्थ उस घर में सुशांत के साथ ही रहता था. सीबीआई को मिली जानकारी के मुताबिक इसी शख्स ने नीरज और दूसरे दो नौकरों की मौजूदगी में सुशांत की लाश को फंदे से नीचे उतारा था. मुंबई पुलिस ने सिद्धार्थ से पूछताछ की थी. अब वो सीबीआई के निशाने पर है. सीबीआई सिद्धार्थ से भी लगातार पूछ कर रही है. अब तक कई राउंड की पूछताछ की जा चुकी है. सीबीआई पता लगाना चाहती है कि 14 जून को मौका-ए-वारदात मौजूद चार लोगों में से वो कौन शख्स था, जिसने इस बात की पुष्टि की थी कि सुशांत मर चुके हैं.

शांत सिंह राजपूत के मामले में रोज कुछ न कुछ नया हो रहा है. आज रिया चक्रवर्ती के घर उस वक्‍त खूब ड्रामा हुआ, जब वहां मुंबई पुलिस के अधिकारी पहुंचे. दरअसल मुंबई पुलिस के दो अधिकारी ‘सुरक्षा’ के मद्देनजर वहां पहुंचे थे. अधिकारियों की मौजूदगी में मीडियाकर्मी और लोगों ने घर को घेर लिया. जबकि पुलिसकर्मियों ने भी मीडिया का रास्‍ता ब्‍लॉक कर दिया.

गुरुवार को रिया के पिता इंद्रजीत सांताक्रूज थाने पहुंचे. वहां से जब वो अपने घर लौटे तो वहां मौजूद मीडिया और लोगों के जमावड़े से परेशान हो गए. उन्हें सभी ने घेर लिया और सवाल पूछने लगे. रिया ने इस घटना का एक वीडियो अपने इंस्‍टाग्राम पर शेयर किया और लिखा कि जिस तरह के हालात हैं, उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है.

सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में आरोपी अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा होने का दावा करते हुए मुंबई पुलिस से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है. रिया ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उनके पिता को उनके घर के परिसर के बाहर मीडियाकर्मियों से घिरा दिखाया गया है और वीडियो में यह दिख रहा है कि जब उनके पिता आगे बढ़ते हैं तो मीडियाकर्मी बार-बार उन्हें घेर लेते हैं.

अभिनेत्री ने कहा कि उनका परिवार अभिनेता सुशांत सिंह राजूपत मौत मामले की जांच करने वाली विभिन्न जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिये घर से बाहर जाने की कोशिश कर रहा है.
अभिनेत्री ने कहा, ‘‘ इस वीडियो में दिख रहे व्यक्ति, मेरे पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती (सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी) हैं. हम ईडी, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए अपने घर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी और मेरे परिवार की जान को खतरा है. हमने स्थानीय पुलिस थाने को इसकी सूचना दी, यहां तक कि हम वहां गए भी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. हमने जांच अधिकारियों को भी बाहर उन तक पहुंचने में मदद करने के लिए कहा लेकिन वहां से भी मदद नहीं पहुंची. यह परिवार कैसे रहेगा?’’

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के मामले की जांच के दौरान रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के 2 मोबाइल फोन क्लोन किए गए. मोबाइल के डिजिटल डाटा के एनालिसिस से पता चला कि रिया, सैमुअल मिरांडा, दीपेश सावंत, शोविक चक्रवर्ती और जया के बीच काफी Whatsapp कन्वर्सेशन होता था. कन्वर्सेशन के एनालिसिस से पता चला है कि सैमुअल मिरांडा और रिया चक्रवर्ती दोनों क्लोज कॉर्डिनेशन में काम कर रहे थे और सुशांत के पैसे का इस्तेमाल अपने निजी खर्चे के लिए करते थे.कन्वर्सेशन से ये भी पता चला कि रिया को सुशांत के डेबिट कार्ड के पिन सैमुअल मिरांडा की मदद से मालूम हुए थे. रिया चक्रवर्ती 2017 से नार्कोटिक्स सब्सटेंस (Narcotics Substance) का इस्तेमाल करने और खरीदने में शामिल थी. रिया और सैमुअल मिरांडा के बीच 17 अप्रैल 2020 और 1 मई 2020 को शोविक चक्रवर्ती से 2 बैग Weed लेने के लिए 17 हजार रुपये देने की बात हुई थी.

वास्तु में घर में रखी हर चीज का कोई ना कोई मतलब होता है. ध्‍यान न दिया तो नकारात्मकता आती है.

Himalayauk Newsportal सोकर उठने के बाद सबसे पहले आपको धरती मां को छूना चाहिए. उसके बाद धरती पर नंगे पांव खड़े होना चाहिए और उसके बाद चप्पल पहननी चाहिए. इसके अलावा कभी भी सोते समय बटुआ सिरहाने नहीं रखना चाहिए. ऐसे में धनहानि का योग बहुत ज्यादा हो जाता है. 

रात में सोते समय हम अक्सर अपने सिर के पास कुछ चीजें रखकर सो जाते हैं. अगर आप भी कुछ खास चीजों को अपने सिरहाने रखते हैं तो इसका असर आपके सेहत, करियर और धन पर पड़ सकता है. सिर के पास कुछ चीजों का रखकर सोना शुभ नहीं माना जाता है. वास्तु के हिसाब से इससे घर में दरिद्रता आती है. सोते वक्त इस बात पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है कि आपके सिरहाने पर क्या रखा है.

आमतौर सोते समय सिरहाने पर किताबें, इयरफोन्स या कुछ खाने-पीने की चीजें पड़ी होती हैं. वास्तुशास्त्र ये कहता है कि सोते समय सिरहाने पर कोई ऐसी चीज नहीं होनी चाहिए जो आपको नुकसान पहुंचाती हो और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती हो. इससे ना केवल धन की हानि होती है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र पर इसका बुरा असर पड़ता है.

कई लोग पानी की बोतल सिरहाने रख कर सोते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इससे आपमें पूरे ध्यान से किसी काम को करने की क्षमता प्रभावित होती है. इससे व्यक्ति में तनाव में आने लगता है.

कई लोग किताबें पढ़ते-पढ़ते उसे सिरहाने या तकिए के नीचे रखकर सो जाते हैं. अखबार या किसी पत्रिका को सिर के नजदीक रखने से करियर और सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है. जितनी भी अखबार या पत्रिकाएं है ये सारी बुध से संबंधित होती हैं और सिरहाना हमारा बारहवां भाव है जिसमें हम स्वप्न लोक में जाते हैं. ऐसा करके हम अपने बुध को खराब करते हैं जिसकी वजह से हमारी बुद्धि और करियर चौपट हो सकता है. 

इसके अलावा बिस्तर पर बैठकर पढ़ने से भी बुध खराब हो सकता है. बुध की वजह से आपकी दक्षता, मानसिक दृढ़ता और आपके ध्यान लगाने की क्षमता भी खराब हो जाती है. जिसका असर आपके करियर पर भी पड़ता है.

आजकल ज्यादतर लोग अपना मोबाइल सिरहाने रख कर सोते हैं. रात को सोते वक्त रेडिएशन की वजह से आपका राहु मजबूत हो जाता है. ये अपना सबसे बुरा प्रभाव बारहवें भाव में देता है और आपका सिरहाना बारहवें भाव में होता है. ऐसे में फोन को सिरहाने रखने से बचिए वरना फायदे की जगह ज्यादा नुकसान हो सकता है. 

रात को सोते समय जूते-चप्पल बिस्तर के पास नहीं रखने चाहिए. ज्यादतर लोगों को लगता है कि सुबह उठते ही उन्हें कुछ ढूंढने की जरूरत ना पड़े और आखें खोलते ही उन्हें जूते-चप्पल मिल जाएं. जबकि ऐसा नहीं है. सिरहाने जूते-चप्पल रखने से नींद अच्छी नहीं आती है और  सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता ही है. इससे आपका मन और हृदय दोनों विकारग्रस्त हो जाते हैं. 

कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए काढ़े का इस्तेमाल

Himalayauk Newsportal कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए काढ़े का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है. कहा जाता है कि काढ़ा न सिर्फ इन्युनिटी बढ़ाता है बल्कि कई तरह से स्वस्थ रखने में मदद भी करता है. लेकिन इसके ज्यादा सेवन से साइड इफेक्ट हो सकता है. ऐसे में दिन में कितनी बार और कितनी मात्रा में काढ़ा पीना चाहिए, इस सवाल का जवाब जानना जरूरी हो जाता है.

काढ़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घटक शरीर में गर्मी पैदा करते हैं. हो सकता है शरीर को इससे कुछ खास समस्याएं भी हों. रोजाना इस्तेमाल करने पर अगर आपको कोई लक्षण नजर आ रहा है तो समझिए आप इसका ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हैं. आपको नाक से खून बहना, पेशाब आने में दिक्कत, मुंह में फोड़ा, खट्टी डकार और बहुत ज्यादा पेट की गैस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. काढ़ा इस्तेमाल करनेवालों को मात्रा पर ध्यान देना चाहिए. 50 मिलीलीटर से ज्यादा काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए. 100 मिलीलीटर पानी में काढ़ा के घटकों को उबलने के लिए छोड़ दें. इस तरह जब घटकर 50 मिलीलीटर हो जाए तो उसका सेवन किया जा सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि काढ़े की मात्रा की निर्भरता आयुर्वेदिक शरीर के हिसाब से होती है. आयुर्वेद में शरीर को तीन तरह का माना गया है- वात, पित्त और कफ. उसके मुताबिक हमारा शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है. इसका अध्ययन कर उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है.

वात: अगर आपका शरीर वात की तरह है तो काढ़े का इस्तेमाल दिन में दो बार किया जा सकता है. वात शरीर वाले लोग अपने काढ़े में थोड़ा घी भी शामिल कर सकते हैं. जिससे शरीर के सूखापन को दूर किया जा सके.

पित्त: पित्त शरीर वाले लोगों को काढ़ा दिन में एक बार से ज्यादा नहीं पीना चाहिए. इसके अलावा उन्हें कभी नहीं खाली पेट काढ़े का सेवन करना चाहिए. काढ़े का सबसे अच्छा समय पित्त शरीर वाले लोगों के लिए शाम का है.
कफ: दिन में 2-3 बार कफ शरीर वाले लोग काढ़े का सेवन कर सकते हैं. ऐसे लोगों को वायरल संबंधी बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए काढ़ा उनके लिए अमृत की तरह काम करता है.

नई दिल्ली: सभी डेयरी प्रोडक्ट्स में चीज (cheese) एक ऐसा पदार्थ है, जिसे आमतौर पर बच्चे और बड़े, सभी बहुत पसंद करते हैं. अब इसी चीज के कारण एक चीजमेकर (cheesemaker) को गहन जांच का सामना करना पड़ रहा है.

चीजमेकर के डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने के बाद बीमार – 10 ग्राहकों की मौत

Himalayauk Newsportal चीज के सेवन से हुई मौत!
10 ग्राहकों की मौत के बाद स्विट्जरलैंड के एक चीजमेकर (cheesemaker) पर जांच बिठा दी गई है. दरअसल, ये सभी ग्राहक इस चीजमेकर के डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने के बाद बीमार हो गए थे. इन पर आरोप है कि इनके डेयरी प्रोडक्ट्स लिस्टीरिया (listeria) से संक्रमित थे. यूरोपियन देशों, खासतौर पर स्विट्जरलैंड में, चीज को सबसे लोकप्रिय दुग्ध पदार्थ (dairy product) माना जाता है. हालांकि, किसी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जरा से चीज के सेवन से उनकी जान जा सकती है. तेह चीजमेकर (Teh cheesemaker) को इस जघन्य मानव हत्या के लिए जेल जाना पड़ सकता है.

सालों से चल रहा खेल
स्विट्जरलैंड के स्थानीय प्राधिकारियों के मुताबिक, स्क्विज (Schwyz) के केंद्रीय स्विस कैंटन में बसे एक चीज बनाने वाले की वजह से बीते कुछ सालों में 34 लोग बीमार पड़ चुके हैं. इनरस्क्विज (Innerschwyz) उप-क्षेत्र की सार्वजनिक अभियोक्ता फ्रैंजिस्का स्टीनर  (Franziska Steiner) के अनुसार, 34 बीमार लोगों में से 10 की मौत हो चुकी है. चीज बनाने वाले इस व्यक्ति पर जघन्य मानव हत्या का मुकदमा चल रहा है. उन्होंने स्विस के खाद्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया है. हालांकि, अभियोक्ता अभी भी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या इस व्यक्ति को उन लोगों की मौतों का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है या नहीं. दरअसल, लिस्टीरिया एक सामान्य बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर ज्यादातर लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है.

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