अप्रैल ;हिंदू धर्म के बहुत सारे त्यौहार & 5 बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करके सभी राशियों को प्रभावित करेगे

सनातन धर्म में अंधेरे से उजाले की ओर जाने का संदेश, इसलिए कृष्णपक्ष के 15 दिन बीतने पर शुक्लपक्ष से शुरू होता है नया साल ;;;Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

हिंदू कैलेंडर का पहला महीना यानी चैत्र मास, 29 मार्च से शुरू हो गया है, जो कि 27 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने के दौरान वसंत ऋतु भी होती है। इसलिए इसे मधुमास भी कहते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य आसमान में ज्यादा देर तक रहता है। साथ ही सूर्य अपनी उच्च राशि में रहता है। इससे सूर्य का प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है। चैत्र महीने के दौरान खान-पान और दिनचर्या में बदलाव किए जाते हैं। जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है और पूरे साल सेहत अच्छी रहती है।

ज्योतिष की दृष्टि से अप्रैल 2021 का महीना बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस महीने हिंदू धर्म के बहुत सारे त्यौहार नवरात्रि, रामनवमी, विनायक चतुर्थी, वैशाखी और हनुमान जयंती है। विवाह के शुभ मुहूर्त भी खुल रहे हैं यानी अप्रैल का महीना धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत ही खास रहने वाला है।  अप्रैल महीने में ग्रहों की बड़े लेवल पर हलचल हो रही है और 5 बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करके सभी राशियों को प्रभावित करने वाले हैं। कई राशियों की जिंदगी में खुशियों का धमाल मचेगा और अन्य के अटके हुए काम पूरे होंगे। ग्रह नक्षत्रों की स्थिति का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है और जब भी कोई ग्रह अपनी चाल बदलता है तो उससे सभी राशियां प्रभावित होती है । अप्रैल महीने में तो सर्वाधिक पांच ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं तो निश्चित रूप से ज्योतिष की दृष्टि से अप्रैल का महीना बहुत ही खास रहेगा और 5 ग्रहों के इस परिवर्तन का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा।

चैत्र महीने के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। सूर्य नमस्कार करना चाहिए। साथ ही उगते हुए सूरज को जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य को भगवान विष्णु का ही रूप माना गया है। इसलिए वसंत ऋतु में जब सूर्य की किरणें सृजन करती हैं, तब सूरज को जल चढ़ाने से जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही बीमारियों से लड़ने की ताकत और उम्र भी बढ़ती है।

अप्रैल महीने में देव गुरु बृहस्पति के साथ-साथ सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र यह चारों ग्रह अपनी चाल बदलेंगे। देव गुरु बृहस्पति अपनी नीच मकर राशि से निकलकर 6 अप्रैल से कुंभ राशि में गोचर करने लगेंगे और कईयों के भाग्य के दरवाजे भी खोल देंगे। शनिदेव मकर राशि में ही बने रहेंगे, जो उनकी अपनी राशि है। राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में अपना गोचर जारी रखेंगे जबकि चंद्रमा तो हर अढ़ाई दिन बाद अपनी चाल बदलते रहते हैं। अप्रैल महीने में ग्रहों के बदलाव की शुरुआत 1 अप्रैल को ही हो जाएगी। जब बुध ग्रह मीन राशि में गोचर करेंगे और 16 अप्रैल तक इसी राशि में रहने के बाद मंगल की मेष राशि में चले जाएंगे यानी इस महीने 2 बार ग्रहों के राजकुमार बुध राशि परिवर्तन करेंगे।

चैत्र महीने के दौरान वसंत ऋतु रहती है। आयुर्वेद में इस कहा गया है कि इस ऋतु के दौरान नए अनाज और नया चावल नहीं खाना चाहिए। बल्कि भोजन में जौ, ज्वार और पुराना अनाज शामिल करना चाहिए। इस महीने में जो तीज-त्योहार आते हैं उनकी परंपराएं के मुताबिक नए अनाज और नए चावल देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं। होलिका दहन में भी मौसम के पहले गेहूं की बालियां जलाई जाती हैं।

6 अप्रैल को देवगुरु बृहस्पति शाम 6:01 पर अपनी नीच मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जो इस अवस्था में 15 सितंबर बुधवार तक रहेंगे और फिर अपनी वक्री गति शुरू करते हुए मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके बाद वो पुनः मार्गी होने के बाद 20 नवंबर, शनिवार के दिन पूर्वान्ह 11:23 पर मकर से कुंभ राशि में विराजमान होंगे। ऐसे में गुरु बृहस्पति के इस स्थान परिवर्तन का साल भर हर राशि के जातकों पर किसी न किसी रूप से प्रभाव पड़ेगा।  ज्योतिष शास्त्र में ऐश्वर्य, सौंदर्य, प्रेम और विलासिता के प्रतीक माने जाने वाले शुक्र ग्रह 10 अप्रैल को अपनी उच्च मीन राशि से निकलकर मंगल की मेष राशि में गोचर करेंगे और 4 मई तक इसी राशि में रहेंगे। शुक्र अगर कुंडली में मजबूत हो तो जीवन में सुख- सुविधाओं की बरसात करते हैं। प्रेम रस से लेकर जीवन के सारे रस हमें प्रदान करते हैं।

14 अप्रैल को मंगल और सूर्य यह दोनों महत्वपूर्ण ग्रह एक साथ राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य अपनी उच्च मेष राशि में आ जाएंगे और मंगल मिथुन राशि में चले जाएंगे।  

रविवार, 4 अप्रैल को शीतला सप्तमी है और सोमवार को शीतला अष्टमी है। इन तिथियों पर ठंडा भोजन करने की परंपरा है। शीतला माता की विशेष पूजा की जाती है। कुछ जगहों पर सप्तमी और कुछ जगहों पर अष्टमी पर ये पर्व मनाया जाता है।

बुधवार, 7 अप्रैल को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करें।

रविवार, 11 अप्रैल को और सोमवार, 12 अप्रैल को अमावस्या है। इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस दिन पितरों के लिए विशेष धूप-ध्यान करें।

मंगलवार, 13 अप्रैल से चैत्र मास की नवरात्रि शुरू हो जाएगी। इस दिन घट स्थापना होगी। इसी दिन गुड़ी पड़वा है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसी दिन से विक्रम संवत् 2078 शुरू होगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर ब्रह्माजी सृष्टि की रचना की थी।

गुरुवार, 15 अप्रैल को गणगौर तीज है। इस दिन वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनाए रखने की कामना से देवी पार्वती के लिए व्रत-उपवास किया जाता है।

शुक्रवार, 16 अप्रैल को विनायकी चतुर्थी है। शुक्रवार को गणेशजी के साथ ही देवी लक्ष्मी का भी विशेष पूजन करें।

मंगलवार, 20 अप्रैल को दुर्गाष्टमी है। इस दिन कुलदेवी की विशेष पूजा की जाती है।

बुधवार, 21 अप्रैल को श्रीराम नवमी है। इस तिथि पर श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन श्रीरामचरित मानस की जयंती भी मनाई जाती है।

शुक्रवार, 23 अप्रैल को कामदा एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। विष्णुजी के अवतारों की आराधना की जाती है।

रविवार, 25 अप्रैल को महावीर जयंती मनाई जाएगी। इस दिन महावीर स्वामी को विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। बुराइयों से बचें और हिंसा न करें।

मंगलवार, 27 अप्रैल को चैत्र मास की पूर्णिमा है। इस तिथि पर हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। 28 अप्रैल से वैशाख मास शुरू होगा।

शुक्रवार, 30 अप्रैल को गणेश चतुर्थी व्रत है। इस दिन चंद्र उदय रात में 10.40 बजे के बाद होगा। इस तिथि पर गणेशजी के लिए व्रत-उपवास करें।

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