चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत सीमा पर चीनी सैनिकों के युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा की

3 JUNE 20; चीन की कथनी और करनी में अंतर है. एक तरफ वो सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने की बात कर रहा है लेकिन अब ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय सीमा पर चीनी सैनिकों के युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा की हैं.

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साफ है चीन इस तरह के युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा कर भारत पर दवाब डालने की कोशिश कर रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिक ‘अच्छी खासी संख्या में’ आ गए हैं और भारत ने भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं. सिंह ने कहा कि भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच छह जून को बैठक निर्धारित है. इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा.

चीन भले ही सीमा पर भारत से टकराव को लेकर शांतिपूर्वक मामले को सुलझाने की दुहाई दे रहा हो, लेकिन दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. तनाव कम करने को लेकर 6 जून को दोनों देशों की सेनाओं के लेफ्टिनेंट-जनरल रैंक के अधिकारी मीटिंग करने जा रहे हैं. लेकिन इस बीच चीन के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय सीमा पर युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा कर बिहाईंड द एनेमी लाइंस की अपरोक्ष चेतावनी दी है.

चीनी सरकार के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने चीन की पीएलए सेना द्वारा हाल ही में भारतीय सीमा पर किए गए युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा की हैं. अखबार के मुताबिक, चीन की तिब्बत कमांड ने हाई-ऑल्टिट्यूड एक्सरसाइज के दौरान बिहाइंड-द-एनेमी लाइंस का अभ्यास किया है. अखबार की रिपोर्ट की मानें तो चीनी सेना ने 4700 मीटर यानि करीब 16 हजार फीट की ऊंचाई अपने सैनिकों को भेजकर रात के दौरान ‘इनफिल्ट्रेशन-एक्सरसाइज’ का अभ्यास किया. इस एक्सरसाइज के दौरान चीनी सैनिकों ने दुश्मन की सीमा से परे जाकर आर्मर्ड-व्हीक्लस तबाह कर दिए और दुश्मन के मुख्यालय पर हमला किया.

रिपोर्ट में कहा गया कि 19 मई को चीन की सेना की आर्मर्ड ब्रिगेड ने मेन बैटल टैंक (एमबीटी) और इंफेंट्री काम्बेट व्हीकल (आईसीवी) के साथ तंगूला पहाड़ियों पर भी ट्रेनिंग की. ये पूरी एक्सरसाइज रात में अंजाम दी गई ताकि दुश्मन को हमले की कानों-कान खबर ना लगे. चीन की सीसीटीवी ने इस युद्धभ्यास की वीडियो भी प्रसारित की.

साफ है चीन इस तरह के युद्धभ्यास की तस्वीरें साझा कर भारत पर दवाब डालने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इन तस्वीरों को गौर से देखें तो पता चलता है कि इतनी ऊंचाई पर भी चीनी सैनिक किसी स्पेशल-क्लोथिंग यानि इतनी ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी साधारण यूनिफार्म में हैं. जबकि इतने ऊंचाई वाले क्षेत्र में सैनिकों को खास तरह की यूनिफार्म पहनने की जरूरत पड़ती है शरीर को ठंड से बचाने के लिए.

नबम्बर के महीने में भारतीय सेना ने भी ‘चांगथांग’ नाम की एक एक्सरसाइज लाइन ऑफ एक्युचल कंट्रोल (एलएसी) के बेहद करीब लद्दाख में की थी. उस युद्धभ्यास में भारतीय सेना ने अपने टैंक, बीएमपी (आईसीवी) व्हीकल्स और हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया था. भारतीय सेना के पैरा-कमांडोज ने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से जंप कर बिहाइंड-द-एनेमी-लाइंस में घुसकर हमला करने की प्रैक्टिस भी की थी. चांगथांग तिब्बत का एक पठारी इलाका है जो पूर्वी लद्दाख तक फैला है जो भारत के अधिकार-क्षेत्र में है.

बिहाइंड-द-एनेमी लाइंस, दरअसल, स्पेशल फोर्सेज़ की एक युद्ध-शैली होती है जिसमें दुश्मन की सीमा पारकर दुश्मन के इलाके में घुसकर उसके सैन्य-मुख्यालय, छावनी और दूसरे सामरिक-ठिकाने तबाह करना होता है. ये एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक होती है जिसमें सीमा पर तैनात दुश्मन-सेना के सैनिकों को कानों-कान खबर नहीं लगती है कि उसके पीछे ही हमला कर दिया गया है. इस तरह के एक मिशन को भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के छाछरो में की थी, जिसे छाछरो-ऑपरेशन के नाम से जाना जाता है. बिहाइंड-द-एनेमी-लाइंस की युद्ध-कला ब्रिटेन की एसएएस यूनिट ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शुरू की थी.

इस बीच सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है‌. लद्दाख में फिंगर एरिया, गैलवान घाटी, डेमचोक और हॉट-स्प्रिंग के करीब गोगरा में दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है. गैलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने टेंट गाड़कर जम गए हैं. तनाव को खत्म करने के लिए 6 जून को दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी लद्दाख स्थित चुसुल-मोल्डो में बैठक करेंगे. भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह इस बैठक में हिस्सा लेंगे. इससे पहले मंगलवार को दोनों देशों के डिवीजन-कमांडर्स ने भी मीटिंग की थी जो बेनतीजा रही थी.

हालांकि, जब से दोनों देशों की सेनाओं में तनाव शुरू हुआ है तब से ही बॉर्डर पर लगभग रोजाना दोनों देशों के कर्नल या फिर ब्रिगेडयर स्तर की बातचीत लगभग हो रही है. लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव खत्म नहीं हो रहा है. इस बीच मंगलवार को भारतीय सेना की उत्तरी कमान के जीओसी-एन-सी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ), लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने लेह स्थित 14वीं कोर के मुख्यालय का दौरा किया. लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर ही लद्दाख से सटी चीन सीमा की रखवाली करती है. यहां की 3-डिव यानि त्रिशूल-डिवीजन की जिम्मेदारी चीना सीमा की है. कोर की दूसरी डिवीजन करगिल, द्रास, बटालिक और सियाचिन की निगहबानी करती हैं. आर्मी कमांडर ने लेह कोर की ऑपरेशन्ल तैयारियों का जायजा लिया और चीन से चल रहे टकराव के हालात की समीक्षा की.

पूर्वी लद्दाख में संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर समाचार चैनल सीएनएन-न्यूज 18 से बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘चीन के सैनिक वहां तक आ गए हैं जिसको वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है. उसको लेकर एक मतभेद हुआ है. और अच्छी-खासी संख्या में चीन के लोग भी आ गए हैं. लेकिन भारत को भी अपनी तरफ से जो कुछ करना चाहिए भारत ने किया है.’ रक्षा मंत्री की टिप्पणियों को विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की अच्छी-खासी मौजूदगी की पहली आधिकारिक पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है. इन क्षेत्रों के बारे में भारत का कहना है कि ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ हैं.

खबरों के अनुसार, एलएसी पर भारत की तरफ गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सैनिक अच्छी-खासी संख्या में डेरा डाले हुए हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन को इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए जिससे कि इसका जल्द समाधान हो सके. एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग एक महीने से गतिरोध चला आ रहा है. दोनों देश विवाद के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बात कर रहे हैं. सिंह ने कहा, ‘डोकलाम विवाद का समाधान कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के माध्यम से हुआ था. हमने इस तरह की स्थितियों का विगत में भी इसी तरह का समाधान पाया है. मौजूदा मुद्दे के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है.’ भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति के बारे में सिंह ने कहा, ‘भारत किसी देश के गौरव को नुकसान नहीं पहुंचाता और साथ ही वह अपने गौरव को नुकसान पहुंचाने के किसी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करता.’

पैंगोंग त्सो के आसपास फिंगर इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी रोड के बीच भारत के सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ. चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाक में सैनिक वाहन और तोप उन क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए भेजे हैं, जहां चीनी सैनिक डेरा डाले हुए हैं  इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास नौ मई को भी हुई जिसमें भारत और चीन के लगभग 150 सैनिक आपस में भिड़ गए. दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था. बता दें कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है.

दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना जरूरी है. वहीं, बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें भारत-चीन सीमा पर स्थिति भी शामिल थी. दोनों नेताओं के बीच ऐसे समय में बातचीत हुई है जब ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने मोदी से बात की है जो चीन के साथ सीमा मुद्दे को लेकर ‘अच्छे मूड’ में नहीं थे. सरकार के सूत्रों ने यहां दोनों नेताओं के बीच ‘हाल में बातचीत’ होने से इंकार किया था. ट्रंप ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की थी. हालांकि, भारत ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए कहा था कि दोनों देश कूटनीतिक तौर पर विवाद को सुलझाने में लगे हैं.

चीन ने बुधवार को कहा कि भारत के साथ मौजूदा गतिरोध के समाधान के लिए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है. दोनों देशों के पास सीमा संबंधी संपूर्ण तंत्र और संपर्क व्यवस्थाएं हैं जिनसे वे वातचीत के जरिए अपने मतभेदों का समाधान कर सकते हैं.
 चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने कहा,”भारत से लगती सीमा पर चीन की स्थिति ‘सुसंगत और स्पष्ट’ है. दोनों देशों ने अपने नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से क्रियान्वित किया है.” झाओ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मंगलवार को हुई बातचीत से संबंधित एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

उल्लेखनीय है कि मोदी और ट्रंप ने फोन पर हुई बातचीत में भारत-चीन के बीच जारी सीमा गतिरोध पर चर्चा की. झाओ ने कहा, ‘‘अब वहां (भारत-चीन सीमा) पर स्थिति कुल मिलाकर नियंत्रण योग्य है. चीन और भारत के पास सीमा संबंधी संपूर्ण तंत्र और संपर्क व्यवस्थाएं हैं. हमारे पास वार्ता और चर्चा के जरिए मुद्दे का समाधान करने की क्षमता है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है.’’

मोदी और ट्रंप के बीच भारत-चीन सीमा तनाव पर हुई बातचीत को लेकर यह चीन की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है. ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक ट्वीट में कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं और वह मध्यस्थता करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा था, ‘‘हमने भारत और चीन दोनों को सूचित कर दिया है कि सीमा विवाद पर अमेरिका मध्यस्थता करने को तैयार, इच्छुक है और मध्यस्थता करने में सक्षम है.’’
 भारत और चीन दोनों ही ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश खारिज कर चुके हैं. वर्ष 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे परमाणु अस्त्र संपन्न दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी.

डोकलाम गतिरोध के बाद प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अप्रैल 2018 में चीन के वुहान शहर में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था. इस दौरान दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेनाओं को संपर्क मजबूत करने के लिए ‘रणनीतिक दिशा-निर्देश’ जारी करने का निर्णय किया था.  मोदी और शी के बीच पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास ममल्लापुरम में दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया था. झाओ ने कहा, ‘‘हमने भारत और चीन के बीच संबंधित संधि का कड़ाई से पालन किया है और हम देश की संप्रभुता और सुरक्षा को बरकरार रखने तथा साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’’

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग चार सप्ताह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी चली आ रही है. दोनों देश विवाद के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर रहे हैं. दोनों देशों के सैनिक गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में लोहे की छड़ और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे. उनके बीच पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे. इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे.

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