मोदी को क्‍यो कहना पडा मैं कभी उन्हें माफ़ नहीं कर पाऊँगा

प्रधानमंत्री मोदी को अपने ही उम्‍मीदवार से  क्‍यो कहना पडा आपका बयान घृणा के लायक है और इसके लिए मैं कभी उन्हें माफ़ नहीं कर पाऊँगा।  प्रज्ञा ठाकुर का बयान घृणा के लायक, माफ़ नहीं करूँगा: मोदी

महात्मा गाँधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे एक बार फिर सुर्खियों में है। फ़िल्म अभिनेता कमल हासन ने उसे आज़ाद भारत का पहला हिन्दू आतंकवादी क़रार दिया तो एआईएमआईएम के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने उनका समर्थन किया। 

टिकट दिए जाने के बाद प्रज्ञा ठाकुर के बयानों ने बीजेपी का सिरदर्द बढ़ा रखा है. बीजेपी दो बार उनके बयानों से किनारा कर चुकी है. पिछले महीने उन्होंने 26/11 मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान देकर सनसनी मचा दी थी.उन्होंने कहा था कि हेमंत करकरे की मौत उनके श्राप के कारण हुई थी. इसके बाद बीजेपी ने सफाई देते हुए कहा कि पार्टी हेमंत करकरे को शहीद मानती है और करकरे 26/11 हमले में शहीद हुए थे.

लोकसभा 2019 चुनाव में भोपाल से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विवादित बयानों को लेकर बीजेपी पहले से बैकफुट पर है. लेकिन उन पर क्या ऐक्शन होगा, इस पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को जवाब दिया. 2014 के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और 10 दिन में जवाब देने को कहा गया है. उनके जवाब देने के बाद पार्टी की अनुशासन कमिटी इस पर फैसला लेगी. दरअसल प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था. उन्होंने कहा, नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे. इसके बाद विपक्ष ने उन पर जमकर हमला बोला और बीजेपी ने भी उनके बयान से किनारा कर लिया. बाद में प्रज्ञा ने अपने बयान पर माफी मांग ली.

महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले पार्टी नेताओं के बयानों से हुई ख़ासी फ़जीहत के बाद ख़ुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सामने आकर सफ़ाई दी है। शाह ने ट्वीट कर कहा, विगत 2 दिनों में अनंत कुमार हेगड़े, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और नलिन कटील के जो बयान आये हैं, वे उनके निजी बयान हैं, उन बयानों से भारतीय जनता पार्टी का कोई संबंध नहीं है। प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें कड़ी फटकार लगाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि प्रज्ञा का बयान घृणा के लायक है और इसके लिए मैं कभी उन्हें माफ़ नहीं कर पाऊँगा।

अमित शाह ने एक और ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘इन लोगों ने अपने बयान वापस ले लिए हैं और माफ़ी भी माँगी है। पार्टी की गरिमा और विचारधारा के विपरीत इन बयानों को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और तीनों बयानों को अनुशासन समिति को भेजने का निर्णय किया है।’ शाह ने कहा है कि अनुशासन समिति तीनों नेताओं से जवाब माँगकर उसकी एक रिपोर्ट 10 दिन के अंदर पार्टी को देगी।

गोडसे को देशभक्त बताने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन में उतरने वाले मोदी सरकार के मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने भी अपनी सफ़ाई दी है। हेगड़े ने ट्वीट किया, ‘मेरा ट्विटर अकाउंट कल हैक हो गया था। गाँधी जी की हत्या को क़तई जायज नहीं ठहराया जा सकता। गाँधी जी के हत्यारे के लिए कोई सहानुभूति नहीं हो सकती। उन्होंने राष्ट्र के लिए जो योगदान दिया है, हम सभी उसका सम्मान करते हैं।’ 

हेगड़े ने एक और ट्वीट किया, ‘पिछले एक हफ़्ते में मेरा ट्विटर अकाउंट दो बार हैक हो चुका है और उससे कई ट्वीट किए गए हैं, जिन्हें बाद में डिलीट कर दिया गया।’ इन ट्वीट्स को लेकर हेगड़े ने ख़ेद भी जताया है।

हालाँकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर माफ़ी माँग ली थी लेकिन अनंत कुमार हेगड़े ने इसे लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया था। अनंत हेगड़े ने शुक्रवार सुबह को ट्वीट किया था, ‘मैं खुश हूँ कि क़रीब 7 दशक के बाद आज की पीढ़ी बदले हुए माहौल में इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है। इस चर्चा को सुनकर आज नाथूराम गोडसे अच्छा महसूस कर रहे होंगे।’

महात्मा गाँधी की हत्या की पाँच कोशिशें हुई थीं। पहली कोशिश 25 जून, 1934 को हुई थी। महात्मा गाँधी को पुणे कॉरपोरेशन के सभागार में भाषण देना था। गाँधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा को एक ही गाड़ी से जाना था। उनकी गाड़ी से पहले बिल्कुल वैसी ही एक गाड़ी पुणे पहुँची और उसमें विस्फोट हो गया। इसमें गाड़ी के टुकड़े-टुकड़े हो गए। इसमें सवार कॉरपोरेशन के मुख्य अधिकारी, पुलिस के दो जवान और सात अन्य लोग बुरी तरह घायल हो गए। इसके थोड़ी देर बाद जो गाड़ी वहाँ पहुँची, उसमें गाँधी थे। वह बाल-बाल बच गए।

हेगड़े ने इसके बाद एक और ट्वीट किया था कि अब समय है कि आप बोलें और माफ़ी माँगने से आगे बढ़ें, उन्होंने लिखा कि यह अब नहीं तो कब होगा?’ हेगड़े ने यह ट्वीट एक ट्वीट का जवाब देते हुए किया था। बता दें कि कुछ दिनों पहले फ़िल्म अभिनेता कमल हासन ने गोडसे को आज़ाद भारत का पहला हिंदू आतंकवादी बताया था। इसके बाद से ही इसे लेकर बहस छिड़ गई है। 

हेगड़े के बाद कर्नाटक से बीजेपी के सांसद नलिन कुमार कटील ने गोडसे को लेकर विवादित बयान दिया है। कटील ने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का भी नाम लिया है। बीजेपी सांसद ने गोडसे की तुलना राजीव गाँधी से कर दी है। ख़बरों के मुताबिक़, नलिन ने कहा, ‘गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को मारा, राजीव गाँधी ने 17 हज़ार लोगों को मारा। अब आप ख़ुद तय कर लें कि कौन ज़्यादा क्रूर है।’ बता दें कि कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने भी राजीव गाँधी पर हमला बोला था।

महात्मा गाँधी को जान से मारने की दूसरी कोशिश जुलाई, 1944 में हुई थी, यह वह समय था जब गाँधी जी को जेल से रिहा कर दिया गया था। आग़ा ख़ान महल से निकल कर गाँधी पंचगनी गए, क्योंकि उनकी सेहत काफ़ी ख़राब हो चुकी थी। नाथूराम गोडसे और उसके साथ 18-20 लोग पुणे से बस से पंचगनी पहुँचे और गाँधी पंचगनी में जिस घर में टिके थे, उसके आगे विरोध-प्रदर्शन किया। गाँधी चाहते थे कि वह खु़द उन लोगों से मिल कर बात करें और जानें कि उनके विरोध का क्या कारण है। पर गोडसे ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।  शाम को प्रार्थना के समय नाथूराम गोडसे एक चाकू लेकर तेज़ी से गाँधी जी की ओर बढ़ा, लेकिन मणिशंकर पुरोहित और भल्लारे गुरुजी ने उसे बीच में ही रोक लिया। गाँधी जी ने गोडसे से कहा कि वह उनके साथ 8 दिन रहे ताकि वह समझ सकें कि आख़िर वह ऐसा क्यों करना चाहता है लेकिन गोडसे ने इससे इनकार कर दिया। 

मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा था, ‘आपके पिताजी को आपके राज दरबारियों ने ‘मिस्टर क्लीन’ बना दिया था, लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया था।’ इसके बाद मोदी ने कहा था, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने 30 साल पहले परिवार सहित युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल छुट्टी मनाने के लिए किया था।’ 

बता दें कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने गुरुवार को एक पत्रकार के सवाल पूछने पर कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए। ऐसे लोगों को इस चुनाव में जवाब दे दिया जाएगा। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। लेकिन बीजेपी ने उनके बयान की निंदा की थी और उनसे सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगने के लिए कहा था। इसके बाद प्रज्ञा ने माफ़ी माँग ली थी। साध्वी प्रज्ञा भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रत्याशी हैं और मालेगाँव बम धमाकों की अभियुक्त हैं।

 सितंबर,1944 में गोडसे ने एक बार फिर गाँधी को मारने की योजना बनाई थी। दरअसल, गाँधी मुसलिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना से मिल कर बात करना चाहते थे, पर हिन्दू महासभा इसके ख़िलाफ़ थी। गोडसे और उनके लोग सेवाग्राम पहुँचे और विरोध-प्रदर्शन किया। जो लोग वहाँ विरोध-प्रदर्शन करने गए थे, उनमें से एक के पास बड़ा चाकू पाया गया था और दूसरे के पास तलवार थी। गाँधी को मारने की अगली कोशिश जून 1946 में की गई। जिस ट्रेन से गाँधी पुणे जा रहे थे, उसके रास्ते में बम रख दिया गया। नरूल और करजट स्टेशनों के बीच वह ट्रेन पटरी से उतर गई, पर कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। 

गाँधी को मारने की पाँचवी कोशिश 20 जनवरी 1948 को की गई थी। गोडसे, मदनलाल पाहवा, नारायण आप्टे, गोपाल गोडसे, विष्णु करकरे, दिगंबर बडगे और शंकर किस्तैया ने योजना बनाई कि प्रार्थना में भाग लिया जाए और वहीं गाँधी पर हमला कर दिया जाए। 

करकरे और पाहवा पहले ही जाकर प्रार्थना सभा में बैठ गए। बाक़ी पाँच लोग बाद में वहाँ गाड़ी से पहुँचे। पाहवा वहाँ फ़ोटोग्राफ़र के रूप में गया, उसने बिड़ला हाउस में काम कर रहे छोटूराम से कहा कि वह उस जगह जाना चाहता है, जहाँ गाँधी बैठते हैं, क्योंकि वह गाँधी की तसवीर पीछे से लेना चाहता है। लेकिन उसकी दाल नहीं गली, छोटूराम ने उस पर भरोसा नहीं किया। पाहवा ने ऐसा दिखाया मानो वह लौट गया हो। 

30 जनवरी, 1948, को गाँधी ने दोपहर के भोजन के बाद अपने सचिव प्यारेलाल के साथ नोआखाली में चल रहे सांप्रदायिक दंगों पर बात की और उसे रोकने के उपायों पर चर्चा की। थोड़ी देर सोने के बाद वह उठे और बल्लभ भाई पटेल से बात की। इसके बाद काठियावाड़ से आए दो लोग गाँधी से मिलना चाहते थे। गाँधी ने कहा कि यदि वह जीवित रहे तो प्रार्थना के बाद उनसे मिलेंगे। समय के बेहद पाबंद गाँधी उस दिन 10 मिनट देर से पहुँचे थे। वे मनुबेन का हाथ पकड़ कर सभा स्थल पहुँचने के लिए जा रहे थे कि खाकी पैंट पहना हुआ एक मोटा सा आदमी उनके पास पहुँचा, उसने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया और नीचे झुका। मनुबेन को लगा कि वह गाँधी के पाँव छूना चाहता है। चूँकि देर हो रही थी, इसलिए मनुबेन ने उस आदमी को रोकने की कोशिश की। लेकिन उस आदमी ने धक्का दिया और मनुबेन गिर पड़ीं। उस आदमी ने जेब से बेरेट रिवॉल्वर निकाली और एक के बाद एक चार गोलियाँ चलाईं। वह आदमी नाथूराम गोडसे था।  कुछ लोगों का कहना है कि इसके बाद गोडसे ने कोई प्रतिरोध नहीं किया, वह वहीं खड़ा रहा और पुलिस के आने का इंतजार करता रहा, पुलिस के आते ही उसने बग़ैर किसी प्रतिरोध के ख़ुद को उनके हवाले कर दिया। लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि वहीं मौजूद अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी हर्बर्ट रीनर ने उसे दबोच लिया।
सावरकर उन आठ लोगों में से एक थे, जिन पर महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगा था और मुक़दमा चलाया गया था। मुक़दमे के दौरान पेश किए गए दस्तावेज़ के मुताबिक़, मुख्य अभियुक्त नाथूराम गोडसे, सावरकर को सालों पहले से जानता था, उनसे बहुत प्रभावित था और उनके विचारों से प्रभावित होकर ही उसने गाँधी की हत्या की योजना बनाई थी।  
गोडसे को ‘हिन्दू राष्ट्र’ नामक अख़बार शुरू करने के लिए सावरकर ने 15,000 रुपये दिए। यह उस समय बहुत छोटी रकम नहीं थी। गोडसे के अख़बार के मास्टहेड पर सावरकर की तसवीर लगी होती थी। उसने इसका मैनेजर नारायण आप्टे को बनाया था, वही आप्टे जो गाँधी की हत्या में गोडसे के साथ था और बाद में उसी के साथ उसे फाँसी दी गई थी। 

पार्टी की ओर से फटकार मिलने के बाद अपने बयान पर सफ़ाई देते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कहा था, ‘मैं रोडशो में थी, भगवा आतंक को जोड़कर मुझसे प्रश्न किया गया, उस दौरान मैंने तत्काल चलते-चलते उत्तर दिया। मेरी भावना किसी को कष्ट पहुँचाने की नहीं थी। गाँधी जी ने देश के लिए जो भी किया है उसे भुलाया नहीं जा सकता है। मैं उनका बहुत सम्मान करती हूँ।’ साध्वी ने आगे कहा था, ‘मेरे बयान को मीडिया ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है। मैं पार्टी का अनुशासन मानने वाली कार्यकर्ता हूँ। जो पार्टी की लाइन है वही मेरी लाइन है।’

कुछ साल पहले बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने भी एक कार्यक्रम में गोडसे को देशभक्त बताया था। तब भी बीजेपी ने साक्षी महाराज के बयान से किनारा कर लिया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि आख़िर क्यों बीजेपी के नेता महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थन में लगातार बयान दे रहे हैं।

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