6 भत्तों पर रोक & ऐसे हालात में लोग कर्ज लेेेेगे? Top National News 13 May 20
13 May 20: HIGH LIGHT TOP NEWS # वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नकदी संकट दूर करने के लिए ख़ास स्कीम का एलान किया। यह प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज का हिस्सा होगा # उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी# पीएम के इतने लंबे भाषण में प्रवासी मजदूरों को अधिक समय मिलना चाहिए था. जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, #देश में कोरोना (COVID-19) संक्रमितों की संख्या 74 हजार को भी पार कर चुकी है# लोग कर्ज लेने के लिए आगे आएंगे. बैंक भी बिना फुल गारंटी के कर्ज नहीं देंगे, # समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर निशाना साधा #सरकार को लोन की ब्याज दर को शून्य कर देना चाहिए – प्रियंका गांधी वाड्रा # पुरानी दिल्ली से भी प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई जाएगी # भारत में कोरोना वायरस के मरीजों पर फैवीपिराविर टैबलेट के तीसरे चरण की क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली ग्लेनमार्क पहली कंपनी # Presents by Himalayauk web & Print Media
12 मई की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आए और 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. ये पैसा देश की कुल जीडीपी का करीब 10 फीसदी है. हालांकि इस 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में पहले से भी की गई घोषणाओं को शामिल किया गया है.
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का नकदी संकट दूर करने के लिए उन्हें 30,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। #इसमें हाउसिंग फ़ाइनेंस कंपनियाँ और माइक्रोफ़ानेंस संस्थाएं भी हैं।# इसके अलावा बिजली कंपनियों को नक़दी संकट दूर करने के लिए 90,000 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। निर्माण कंपनियोों को 6 महीने का अतिरिक्त समय मिलेगा। # वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का नकदी संकट दूर करने के लिए उन्हें 30,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। # इसमें हाउसिंग फ़ाइनेंस कंपनियाँ और माइक्रोफ़ानेंस संस्थाएं भी हैं। # इसके अलावा बिजली कंपनियों को नक़दी संकट दूर करने के लिए 90,000 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। निर्माण कंपनियोों को 6 महीने का अतिरिक्त समय मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नकदी संकट दूर करने के लिए ख़ास स्कीम का एलान किया। यह प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज का हिस्सा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने साफ कहा है कि 20 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज के जरिए गरीबों और कारोबारियों की मदद की जाएगी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बता रही हैं कि किस सेक्टर और किस कारोबार को क्या मिल रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कुटीर-लघु उद्योगों के लिए सरकार 6 बड़े कदम उठाएगी. उन्होंने MSME सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. MSME सेक्टर को बिना गारंटी के लोन मिलेगा. सरकार ने सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों की परिभाषा बदली. नई परिभाषा के तहत निवेश और सालाना टर्नओवर के नियम बदले. MSME सेक्टर को मिले आर्थिक पैकेज की बड़ी बातें:
– MSME सेक्टर को मूलधन नहीं चुकाना होगा. – 100 करोड़ टर्नओवर वाले उद्योगों को फायदा. – बिना गारंटी के MSME सेक्टर को लोन मिलेगा. – 2 लाख छोटे कुटीर उद्योगों को इसका लाभ मिलेगा. – फंड की कमी से जूझ रहे MSME के लिए 50 हजार करोड़ रुपये. – चार वर्ष के लिए मिलेगा लोन, 12 महीने बाद चुकाना होगा. – 1 से 5 करोड़ तक टर्न ओवर वाले सूक्ष्म उद्योग. – 200 करोड़ तक कोई सरकरी टेंडर ग्लोबल नहीं होगा, MSME से खरीद करेंगे. 15 हजार की सैलरी वालों को 3 महीने की सरकार मदद मिलेगी. ईपीएफ का 24% सरकार अगले तीन माह तक देगी. सरकार के इस कदम से 3 लाख संस्थानों के 72 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा. ईपीएफ अंशदन कम करने से कर्मचारियों के खाते में पैसे ज्यादा पहुंचेंगे. पैसों की कमी से जूझ रहे NBFC को ऋण के लिए सरकार गारंटर बनेगी. – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की मदद की जाएगी. -पैसों की कमी से जूझ रही बिजली कंपनियों को फायदा होगा.
सैलरीड क्लास को राहत
-31 मार्च 2021 तक टीडीएस कटौती में 25% की राहत
टीडीएस में
कटौती से लोगों के पास 50 हजार करोड़
रुपये आएंगे
– 2019-20 के लिए
आईटीआर भरने की आखिरी तारीख 30 सितंबर तक बढ़ाई गई
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के सामने विजन रखा है. वित्त मंत्री ने कहा, “हमने लंबी चर्चा के बाद पैकेज पर फैसला लिया. पीएम मोदी भी पैकेज पर चर्चा के दौरान शामिल रहे. समाज के हर वर्ग से राय लेकर राहत पैकेज बनाया. देश में मास्क और पीपीई किट का उत्पादन तेजी से बढ़ा है. आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए यह पैकेज लाया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “पीएम का लक्ष्य लोकल ब्रांड को ग्लोबल पहचान दिलाना है. आत्मनिर्भर भारत का मतलब यह नहीं कि दुनिया से अलग हो जाएं. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत की सोच से देश में नई ऊर्जा का संचार हुआ है. आम बजट के बाद देश को कोरोना का बड़ा संकट झेलना पड़ा. 41 करोड़ जनधन खाते में भेजे. जिनके पास कार्ड नहीं, उन्हें अनाज दिया.”
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “पीएम मोदी बोल्ड निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं. देश में पिछले 6 वर्षों में बोल्ड सुधार किए है और इस दिशा में कदम लिए जाते रहे हैं, लिए जाते रहेंगे.. जब तक देश आत्मनिर्भर भारत नहीं बन जाता.”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कल प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे. वित्त मंत्री ने कहा कि कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल अर्थव्यवस्था के लिए जिस विजन की बात कही है उसको पूरा करने के लिए आर्थिक पैकेज के तहत समाज के विभिन्न सेक्टर्स के लोगों और जानकारों से राय ली गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण देश की अर्थव्यवस्था में बेहद बदलाव आया है और लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हमने 1.7 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया था जिसका काफी फायदा देश के गरीब तबके, वृद्धों, महिलाओं, दिव्यांगों, मजदूरों को मिला है. हमारी सरकार संवेदनशील है और हमने बदली हुई स्थिति के तहत तुरंत कदम उठाए हैं.
वित्त मंत्री के भाषण की मुख्य बातें इस प्रकार रही हैंमाइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज यानी MSME के लिए वित्त मंत्री ने 6 कदम उठाने का एलान किया है.
MSME को 3 लाख करोड़ रुपये का कोलेट्रेल फ्री लोन दिया जाएगा और ये 4 साल के लिए दिया जाएगा. इसके लिए किसी गारंटी की जरूरत नहीं होगी. इसके जरिए कुटीर और लघु उद्योग की 45 लाख यूनिट्स को फायदा होगा. शुरुआती 12 महीनों यानी एक साल के लिए उन्हें मूलधन नहीं चुकाना होगा. इसके तहत 25 करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाएगा और 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली उद्योगों को इसका फायदा होगा.
संकट में फंसी MSME के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के फंड का एलान किया जा रहा है. इसके जरिए 2 लाख एमएसएमई यूनिट को फायदा पहुंचेगा. इसके तहत स्ट्रेस या एनपीए वाली एमएसएमई को फायदा मिलेगा.
MSME के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड्स ऑफ फंड बनाया जा रहा है. अच्छा कर रहे MSME जो विस्तार करना चाहते हैं वो फंड्स ऑफ फण्ड के जरिए 50 हज़ार करोड़ का लाभ ले सकेंगे.
MSME की परिभाषा में बदलाव किया गया है और निवेश सीमा को बढ़ाया जा रहा है. अब 1 करोड़ रुपये के निवेश वाली इकाई को भी सूक्ष्म माना जाएगा. इसी तरह 10 करोड़ के निवेश और 50 करोड़ के टर्न ओवर वाले उत्पादन आधारित उद्योग को लघु उद्योग माना जाएगा.
सरकारी खरीद में 200 करोड़ तक के टेंडर ग्लोबल टेंडर नहीं होंगे. इससे MSME को उत्साह के साथ कारोबार करने में मदद मिलेगी. साथ ही इससे उन्हें मेक इन इंडिया को बढाने में मदद मिलेगी.
MEME को ई-मार्केट लिंक उपलब्ध कराए जाएंगे और अगले 45 दिन में MSME के सरकारी उपक्रमों और सरकार के सभी बकाया बिल कलीयर किए जाएंगे.
EPF के लिए बड़ा एलान
ईपीएफ को लिक्विडिटी रिलीफ देने के तहत गरीब कल्याण योजना में एंप्लाई प्रोविडेंट फंड का 12 प्रतिशत नियोक्ता और कर्मचारी का अंशदान भारत सरकार देगी. पहले इसे मार्च अप्रैल और मई के लिए दिया गया था और अब इसे अगले तीन महीनों यानी जून, जुलाई और अगस्त के लिए दिया जाएगा. इससे कर्मचारियों को 2500 करोड़ रुपये की सहायता मिलेगी.
संस्थानों और कर्मचारियों के लिए ईपीएफ योगदान अगले तीन महीने के लिए 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जा रहा है. अगले तीन महीने के लिए सभी कर्मचारी और एंप्लॉयर को 10 फीसदी का योगदान ही देना होगा. इससे उनके हाथ में आने वाली लिक्विडिटी बढाने में मदद मिलेगी. हालांकि सरकार की तरफ से 12 फीसदी का योगदान पहले की तरह से दिया जाता रहेगा.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि EPF में भी राहत दी जा रही है. इसके समर्थन के लिए 2500 करोड़ रुपए आवंटित किए जा रहे हैं. भारत सरकार कंपनी और कर्मचारी दोनों की तरफ से 12 फीसदी का योगदान करेगी. इसे समर्थन को मार्च-मई 2020 से बढ़ाकर जून-अगस्त 2020 तक कर दिया गया है.
जो लोग ईपीएफ के दायरे में नहीं आते हैं उनकी सैलरी बढ़ाने के लिए पीएफ योगदान 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. सरकारी कंपनियों में कंपनी को 12 फीसदी योगदान देना होगा लेकिन कर्मचारियों के पास यह विकल्प होगा कि वो अगले तीन महीने 10 फीसदी देना चाहते हैं या 12 फीसदी पर ही बने रहना चाहते हैं.
TDS और TCS दरों से जुड़ा फैसला
निर्मला सीतारमण ने बताया कि मौजूदा TDS और TCS दरों में 25 फीसदी की कटौती की जा रही है. यह कटौती कल से लागू हो जाएगी. इससे 50 हज़ार करोड़ की रकम लोगों को उपलब्ध होगी. यह कटौती 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगी.
NBFC के लिए फैसला
निर्मला सीतारमण ने कहा कि नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों यानी एनबीएफसी को फंड नहीं मिल पा रहा है. इनके लिए 30,000 करोड़ रुपये की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लाई गई है. इस स्कीम में सरकार एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई के डेट पेपर्स खरीदेगी. इसमें सरकार सिर्फ हाई क्वालिटी वाले पेपर ही नहीं बल्कि निवेश लायक सभी डेट पेपर्स खरीदने वाली है.
इनकम टैक्स से जुड़ा फैसला
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न भरने की तारीख 30 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दी गई है. इसके तहत करोड़ों टैक्सपेयर्स को फायदा मिलेगा. टैक्स ऑडिट के लिए भी आखिरी तारीख बढ़ाई गई है. टैक्स ऑडिट की आखिरी तारीख को 30 सितंबर 2020 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है. असेसमेंट ना करने की छूट जो अभी सितंबर 2020 तक थी उसे बढ़ाकर दिसंबर 2020 कर दिया गया है. विवाद से विश्वास स्कीम के दायरे को भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 तक कर दिया गया है.वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है.
पीएम के इतने लंबे भाषण में प्रवासी मजदूरों को अधिक समय मिलना चाहिए था. जावेद अख्तर ने ट्वीट किया,
गीतकार और पूर्व राज्यसभा सांसद रहे जावेद अख्तर ने अब पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बीती रात किए गए संबोधन पर सवाल उठाए हैं. बीती रात पीएम नरेंद्र मोदी ने करीब 30 मिनट तक देश को संबोधित किया और इस दौरान कई महत्वपूर्ण मसलों पर बात की. साथ ही उन्होंने देश के लिए 20 लाख करोड़ के एक राहत पैकेज का ऐलान भी किया. लेकिन पीएम मोदी के इस संबोधन से जावेद अख्तर कुछ खास खुश नजर नहीं आए.
जावेद अख्तर ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने अपने चिंता के विषय उठाए हैं. उनका मानना है कि पीएम के इतने लंबे भाषण में प्रवासी मजदूरों को अधिक समय मिलना चाहिए था. जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, ”20 लाख करोड़ का पैकेज यकीनन देशवालियों के लिए एक मोरल बूस्टर है. लेकिन 33 मिनट की स्पीच में प्रवासी मजदूरों, डेली वेजस वर्कर्स के लिए एक शब्द भी नहीम कहा, जिन्हें इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है अपने जीवन यापन के लिए मदद की. ये सही नहीं है.” अपने संबोधन के दौरान उन्होंने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया. पीएम मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाए जाने की घोषणा की और साथ में आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया.
पीएम मोदी ने कहा, ”कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं. ये आर्थिक पैकेज, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा.” पीएम मोदी ने कहा कि इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा, सपोर्ट मिलेगा. 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी
नई दिल्ली: लॉकडाउन (Lockdown) की मार सरकारी कर्मचारियों पर भी पड़ रही है. हाल ही में केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़ोतरी को रोक दिया था. अब एक और बुरी खबर आ रही है. लगभग 16 लाख सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 5000 रुपये तक की कमी हो सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को प्रदेश के 16 लाख कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों को खत्म कर दिया है. सोमवार को कैबिनेट बाइसर्कुलेशन में इन भत्तों को खत्म करने का निर्णय लिया गया था और मंगलवार को अपर मुख्य सचिव (वित्त) संजीव मित्तल ने इसका आदेश जारी कर दिया. इन भत्तों के खत्म होने से कर्मचारियों के वेतन में दो हजार से 5 हजार रुपये की कमी आएगी. मंगलवार को जारी किए गए शासनादेशों में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार के राजस्व में आई कमी और कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए उन भत्तों को समाप्त करने का फैसला किया गया है, जिन्हें केंद्र सरकार ने समाप्त कर दिया है, लेकिन राज्य सरकार अब तक अपने कर्मचारियों को दे रही थी.
सचिवालय भत्ता- 10,000 से ज्यादा कर्मचारियों को मिलता है लाभ न्यूनतम 625 और अधिकतम 2000 रुपये. नगर प्रतिकर भत्ता- 16 लाख कर्मचारियों को मिलता है लाभ न्यूनतम 340 और अधिकतम 900 रुपये. अवर अभियंताओं को मिलने वाला विशेष भत्ता 400 रुपये प्रदेश के हर जूनियर इंजीनियर को मिलता है. पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों को मिलने वाला रिसर्च, अर्दली डिजाइन भत्ता- 400 से अधिक कर्मचारियों-अधिकारियों को इस भत्ते का लाभ मिलता है. सिंचाई विभाग में मिलने वाला आईएंडपी, अर्दली भत्ता- 500 से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलता है. भविष्य निधि लेखों के रखरखाव करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाला प्रोत्सहान भत्ता- 400 से ज्यादा कर्मचारियों को लाभ मिलता है.
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है और कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी करने में जुट गए हैं. पहले स्थगित किया गया था भत्ता 24 अप्रैल को राज्य सरकार ने 6 भत्तों को 31 मार्च, 2021 तक स्थगित करने का निर्णय लिया था. राज्य सरकार का अनुमान था कि इन भत्तों को खत्म करने से हर साल राज्य सरकार के खजाने पर 24000 करोड़ रुपये का कम बोझ आएगा.
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने कहा कि कोरोना महामारी के नाम पर कर्मचारियों को परेषान किया जा रहा है. केंद्र सरकार में दिए जा रहे भत्तों की समानता तो आज तक नहीं दी गई. इसके अभाव में जो भत्ते प्रदेश में दिए जा रहे थे और जिन्हें मार्च, 2021 तक स्थगित किया गया था, उसे अब समाप्त कर दिया. इस निर्णय के विरोध में कर्मचारियों में आक्रोश है. सचिवालय कर्मचारी संघ प्रदेश के अन्य संगठनों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति पर विचार करेगा.
देश में कोरोना (COVID-19) संक्रमितों की संख्या 74 हजार को भी पार कर चुकी है,
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना (COVID-19) संक्रमितों की संख्या 74 हजार को भी पार कर चुकी है, जबकि मौत का आंकड़ा 2,500 के करीब पहुंच गया है.
आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 74,281 हो गई है. राहत की खबर यह है कि इससे ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 24,386 है. 47480 एक्टिव मामले (जिनका इलाज चल रहा है). वहीं इस दौरान मौत का आंकड़ा 2,415 पहुंच गया है. चिंता की बात यह है कि देश में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़ गई है. कल तक (12 मई) कोरोना संक्रमण के मौतों का आंकड़ा 2293 था.
दुनियाभर में कोरोना वायरस से 40 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हैं. हालांकि कोविड-19 से 10 लाख से भी ज्यादा लोग ठीक हो गए हैं. विश्वभर में इससे मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख 90 हजार पहुंच गया है.
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने देश में लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया है, जो 17 मई तक प्रभावी रहेगा. वहीं मंगलवार को पीएम मोदी ने अपने संबोधन में लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने की बात कही है. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि लॉकडाउन के चौथे चरण में किन चीजों में छूट दी जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने 18 मई से पहले लॉकडाउन के चौथे चरण की जानकारी देने की बात कही है.
लोग कर्ज लेने के लिए आगे आएंगे. बैंक भी बिना फुल गारंटी के कर्ज नहीं देंगे,
सवाल ये है कि सरकार के पास पैसे कितने हैं. तो इसकी जानकारी तो सरकार का बजट ही बता देता है. केंद्र सरकार का साल 2020-21 करोड़ का बजट कहता है कि सरकार के पास कुल आमदनी करीब 24,23,020 करोड़ रुपये होने वाली है और कुल खर्चा करीब 30,42,230 करोड़ रुपये है. इसी बजट में प्रावधान है कि सरकार बाजार से करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये का उधार लेगी, लेकिन इस कोरोना महामारी में केंद्र सरकार ने 9 मई को ये तय किया कि अब वो बाजार से 12 लाख करोड़ रुपये का उधार लेगी यानि कि तय बजट से 4.2 लाख करोड़ रुपये ज्यादा. और अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यही वो 4.2 लाख करोड़ रुपये की रकम है, जिसे सरकार मज़दूरों, गरीबों और किसानों के कल्याण पर खर्च करने वाली है.
प्रधानमंत्री ने देश को और देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है. इस राहत पैकेज में रिजर्व बैंक की ओर से किए गए ऐलान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से किए गए ऐलान भी शामिल हैं. कुल मिलाकर दिए जा रहे इस 20 लाख करोड़ में से नया क्या है और पुराना क्या, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा.
जब देश में कोरोना का एक भी मरीज नहीं था, तब भी देश में आर्थिक रफ्तार धीमी पड़ी हुई थी. जीडीपी लगातार गिर रही थी, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही थी और दुनिया भर की क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां भारत की जीडीपी के बारे में अनुमान लगा रही थीं. इनसे निबटने के लिए रिजर्व बैंक आगे आया और उसने कुछ ऐलान किए. फरवरी महीने में रिजर्व बैंक ने मार्केट में कैश फ्लो बढ़ा दिया यानि कि बैंक ने नकदी डाल दी, ताकि लोगों के पास पैसा पहुंचे और वो खर्च कर सकें.
अभी इसका असर दिखना शुरू होता कि कोरोना आ गया. लॉकडाउन हुआ और इसका असर कम करने के लिए रिजर्व बैंक फिर आगे आया. अर्थव्यवस्था में फिर से नकदी की कमी दूर करने की कोशिश की, ईएमआई को तीन महीने तक टालने की बात की, रेपो रेट और सीआरआर में बड़ी कटौती की, कर्ज सस्ता किया ताकि लोगों तक पैसे पहुंचें. अप्रैल में भी रिजर्व बैंक की ओर से लोगों को राहत देने की कोशिश की गई. रिजर्व बैंक की ओर से इन सारी राहतों को एक साथ मिला दिया जाए तो ये रकम करीब 8.04 लाख करोड़ रुपये की हो जाती है.
इसके अलावा पहले लॉकडाउन के लागू होने के ठीक दो दिन बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया गया, जिसमें गरीबों के लिए राशन से लेकर मज़दूरों के लिए नकदी तक का प्रावधान किया गया था. इसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का नाम दिया गया था. अब रिजर्व बैंक के राहत पैकेज और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के राहत पैकेज को जोड़ दें तो ये रकम हो जाती है 9.74 लाख करोड़ रुपये. ये पैसा उसी 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है, जिसकी बात प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई की रात को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कही है.
अब बचते हैं 10.26 लाख करोड़ रुपये. इस रकम को सरकार कैसे खर्च करेगी, इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बताएंगी. हालांकि एक उम्मीद ये है कि लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान छोटे और मझोले कद के उद्योगों का हुआ है और उन्हें फिर से खड़ा होने के लिए सरकार से मदद की दरकार है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इस मदद के मद में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये रखेगी. ताकि बैंकों के जरिए उन्हें कर्ज दिया जा सके.
अब सवाल ये है कि सरकार के पास पैसे कितने हैं. तो इसकी जानकारी तो सरकार का बजट ही बता देता है. केंद्र सरकार का साल 2020-21 करोड़ का बजट कहता है कि सरकार के पास कुल आमदनी करीब 24,23,020 करोड़ रुपये होने वाली है और कुल खर्चा करीब 30,42,230 करोड़ रुपये है. इसी बजट में प्रावधान है कि सरकार बाजार से करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये का उधार लेगी, लेकिन इस कोरोना महामारी में केंद्र सरकार ने 9 मई को ये तय किया कि अब वो बाजार से 12 लाख करोड़ रुपये का उधार लेगी यानि कि तय बजट से 4.2 लाख करोड़ रुपये ज्यादा. और अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यही वो 4.2 लाख करोड़ रुपये की रकम है, जिसे सरकार मज़दूरों, गरीबों और किसानों के कल्याण पर खर्च करने वाली है.
रही बात रिजर्व बैंक के पुराने पैकेज की, जिसके जरिए मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाई गई है, तो फिलहाल उसका फायदा शायद ही दिख पाएगा. रिजर्व बैंक ने पैसे दिए हैं, ताकि लोग कर्ज लें और मार्केट में कैश फ्लो बना रहे. लेकिन कोरोना में हुए लॉकडाउन में जो हालत हुई है, उसे देखकर लगता नहीं है कि लोग कर्ज लेने के लिए आगे आएंगे. वहीं अपने पुराने एनपीए और राइट ऑफ किए गए कर्ज को देखते हुए बैंक भी बिना फुल गारंटी के कर्ज नहीं देंगे, भले ही पैसे बैंक में ही रह जाएं. और अगर ऐसा होता है तो फिर आर्थिक पैकेज से कोई बड़ा फायदा होता नहीं दिख रहा है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर निशाना साधा
लखनऊ,। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर निशाना साधा। बुधवार को सपा मुखिया ने दो ट्वीट किये, जिसमें उन्होंने कहा कि पहले 15 लाख का झूठा वादा किया और अब 20 लाख करोड़ का दावा, इस पर कोई कैसे एतबार करे। इसके अलावा मजदूरों की हालत पर कहा कि बुनियाद बनाने वालों को भूलना अमानवीय है।
राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने करते हुये लिखा कि ‘पहले 15 लाख का झूठा वादा और अब 20 लाख करोड़ का दावा…। अबकी बार लगभग 133 करोड़ लोगों को 133 गुना बड़े जुमले की मार…। ऐ बाबू कोई भला कैसे करे एतबार…। अब लोग ये नहीं पूछ रहे हैं कि 20 लाख करोड़ में कितने जीरो होते हैं बल्कि ये पूछ रहे हैं उसमें कितनी गोल-गोल गोली होती हैं।’ सपा मुखिया ट्वीट कर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इससे पहले मजदूरों के दशा पर उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘ये सच है कि बुनियाद कभी दिखती नहीं पर ये नहीं कि उसे देखना भी नहीं चाहिए। जिन गरीबों के भरोसे की नींव पर आज सत्ता का इतना बड़ा महल खड़ा हुआ है, ऊंचाईयों पर पहुंचने के बाद, संकट के समय में भी उन गरीबों की अनदेखी करना अमानवीय है। ये सबका विश्वास के नारे के साथ विश्वासघात है।’
सरकार को लोन की ब्याज दर को शून्य कर देना चाहिए – प्रियंका गांधी वाड्रा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर छोटे-मध्यम व्यापारियों, किसानों, संविदा कर्मियों और दस्तकारों को राहत देने की मांग की है। साथ ही प्रियंका गांधी ने कोविड-19 महामारी से राज्य के लोगों को राहत देने के लिए सीएम योगी को 11 सुझाव भी दिए हैं। प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा की आपके पिताजी के निधन के बाद मैं पहली बार पत्र भेज रही हूं। ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दे और इस कठिन दौर में आपको हौंसला दे।
जैसा आप जानते हैं कोरोना वायरस महामारी से पूरा जनजीवन प्रभावित है। हर वर्ग के ऊपर भयंकर आर्थिक मार पड़ी है। किसान गरीब और मजूदर वर्ग विकट स्थिति में पहुंच गए हैं। आर्थिक संकट ने माध्यम वर्ग और सामान्य नौकरीपेशा लोगों को भी अपनी चपेट में लिया है। इस काराण हर वर्ग को मदद करना अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में मैं आपको कुथ सुझाव भेज रही हूं। आशा है आपकी सरकार इनपर ध्यान देगी और जल्द ही निर्णय लेगी। प्रियंका गांधी ने सुझाव देते हुए लिखा कि कोरोना की मार सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ी है। यदि प्राइवेट स्कूलों की फीस माफ कर दी जाए तो इससे इस वर्ग को बड़ी रहत मिलेगी। इसके साथ ही लोन चुकाना भी बड़ी चुनौती हो गई है। इसलिए सरकार को लोन की ब्याज दर को शून्य कर देना चाहिए।
पुरानी दिल्ली से भी प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई जाएगी
लॉक डाउन के तीसरे चरण में अब नई दिल्ली के बाद पुरानी दिल्ली से भी प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई जाएगी। इसकी जानकारी रेलवे के अधिकारियों ने दी है। आज शाम को बिहार जाने के लिए तीन ट्रेनें खोली जाएंगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखते हुए पुरानी दिल्ली से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी।
अधिकारियों ने बताया कि अब पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी, आज बिहार के लिए तीन ट्रेनें चलाई जाएंगी। जो भागलपुर दरभंगा और बरौनी के प्रवासी मजदूरों को लेकर जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि बीते दिन बस चलने की अफवाह के बाद कई मजदूर आनंद विहार रेलवे स्टेशन बॉर्डर पर पहुंच गए थे। जिसके बाद पुलिस ने मजदूरों को समझाकर वापस लौट आया। इसके बाद पुलिस ने कहा कि अफवाह उड़ाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं लोगों से कहा है कि ऐसी हवाओं की तरफ ध्यान ना दें।
बता दें नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जिसके बाद स्टेशन के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए मजदूर लाइन में लगे हुए हैं और स्टेशन के अंदर जा रहे हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 शहरों के लिए रेलवे की तरफ से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। जो प्रवासी मजदूरों को उनके घर देखने के लिए तैयार की गई है। रेलवे ने जानकारी देते हुए बताया कि लॉक डाउन के तीसरे चरण में ढील देने के बाद जो ट्रेनें चलाई गई है। उसमें 1 मई से अभी तक 542 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं और और इन ट्रेनों के जरिए अब तक साढे छह लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके घर भेजा गया है। प्रवासी मजदूरों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों की मजदूर शामिल हैरोजाना 100 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का सुझाव है।
भारत में कोरोना वायरस के मरीजों पर फैवीपिराविर टैबलेट के तीसरे चरण की क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली ग्लेनमार्क पहली कंपनी
दो चरण के सफल परीक्षण के बाद भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों के ऊपर ग्लेनमार्क फार्मा ने अपनी एंटी वायरल टेबलेट फैवीपिराविर के तीसरे चरण का भी क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है। अनुमान है कि जुलाई-अगस्त तक इसके सभी परीक्षण पूरे कर लिए जाएंगे। गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों पर फैवीपिराविर टैबलेट के तीसरे चरण की क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली ग्लेनमार्क पहली कंपनी है। अप्रैल की आखिर में मिली मंजूरी के बाद इस टैबलेट का क्लीनिकल ट्रायल 10 विभिन्न सरकारी व निजी अस्पतालों में किया जा रहा है।
ग्लेनमार्क फार्मा के उपाध्यक्ष और क्लीनिकल डेवलपमेंट की प्रमुख डॉ.मोनिका टंडन ने इस बारे में यकीन व्यक्त करते हुए कहा कि अध्ययन के परिणाम आश्चर्यजनक होंगे,क्योंकि कोरोना वायरस के इलाज के लिए अभी कोई प्रभावी दवा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि इन परीक्षणों से प्राप्त होने वाले परिणाम कोविद-19 के उपचार व प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाएंगे। अनुमति मिलने पर भारत में इसे फैबफ्लू ब्रांड नाम से बेचा जाएगा बतादें कि ग्लेनमार्क पहली ऐसी कंपनी है जिसे भारत में कोविद-19 मरीजों पर परीक्षण के लिए नियामक ने अपनी मंजूरी दी है। स्वीकृत क्लीनिकल ट्रायल प्रोटोकॉल के तहत उपचार की अधिकतम 14 दिन होगी और अध्ययन की कुल अवधि अधिकतम 28 दिन से ज्यादा नहीं होगी। फैवीपिराविर ने इनफ्लूएंजा वायरस के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है और जापान में इसे इनफ्लूएंजा वायरस संक्रमण के ईलाज में उपयोग की अनुमति मिली हुई है। भारत में यदि इसे वाणिज्यिक मंजूरी मिलती है तो इसे फैबफ्लू ब्रांड नाम से बेचा जाएगा।
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