TOP NATIONAL NEWS; 16 JULY 17

कोविंद का पलड़ा भारी# भारत के अगले राष्ट्रपति के लिए रविवार को होने वाले चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार आमने-सामने हैं. आंकड़ों में कोविंद का पलड़ा भारी दिख रहा है.

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चीन के एक सरकार संचालित अखबार ने आज कहा कि भारत काफी मात्रा में विदेशी निवेश प्राप्त कर रहा है जो विनिर्माण क्षेत्र को विकसित करने की इसकी क्षमता को बहुत अधिक बढ़ाएगा। हालांकि, चीन को शांत रहना चाहिए और नए युग के लिए कहीं अधिक प्रभावी वृद्धि की रणनीति पर काम शुरू करना चाहिए।

ग्लोबल टाइम्स की एक खबर में कहा गया है कि विदेशी विनिर्माताओं के निवेश का भारी प्रवाह भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार और औद्योगिक विकास के लिए काफी मायने रखता है। इसने कहा कि चीन को भारत की वृद्धि को देखते हुए शांत रहना चाहिए।

भारत से प्रतिस्पर्धा करने के लिए चीन को अब एक नए युग के लिए कहीं अधिक प्रभावी वृद्धि रणनीति पर काम शुरू करना चाहिए। विदेशी विनिर्माताओं के आने से भारत की कुछ कमजोरियां दूर होंगी और इसके विनिर्माण की क्षमता बढ़ेगी। चीनी कंपनियां भी इस प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभा रही है।

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लालू के परिवार पर पड़े केंद्रीय एजेसियों के छापों के बाद बिहार में पैदा हुए संकट के तार उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं। इन तारों का एक सिरा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हाथ में है जिनके लिए 2019 में भी उत्तर प्रदेश में 2014 जैसा प्रदर्शन करना बेहद जरूरी है। इस प्रदर्शन के लिए भाजपा को दलित वोट का वैसा ही समर्थन चहिए जैसा उसे 2014 में मिला था।

यदि मायावती इन दो सालों में सक्रिय हुई तो भाजपा को उसका नुकसान हो सकता है। लिहाजा माया की सक्रियता को रोकने के लिए बिहार की तीनों पार्टियों कांग्रेस, जद(यू) और राजद में तोड़-फोड़ करवाई जा रही है।दरअसल, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद मायावती का कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा है। यूपी विधानसभा में बसपा की इतनी हैसियत नहीं है कि वह अपने दम पर मायावती को राज्यसभा में भेज सके। बसपा के पास यूपी विधासभा में महज 19 सदस्य हैं जो मायावती को राज्यसभा में भेजने के लिए काफी नहीं है। विपक्ष में सेक्यूलर वोटों के झंडाबरदार बने लालू प्रसाद यादव किसी भी तरीके से मायावती को राज्यसभा पहुंचाने के पक्ष में हैं। माना जा रहा है कि यदि जरूरत हुई तो वह माया को राजद के कोटे से भी राज्यसभा भेज सकते हैं। लालू के पास मायावती को राज्यसभा भेजने का दूसरा विकल्प सपा का सर्मथन दिलाना है। हालांकि ये लगभग नामुमकिंन है लेकिन लालू अपने समधी मुलायाम के साथ बातचीत कर मोदी को रोकने के लिए ये चाल भी चल सकते हैं। लालू की इस मंशा को भांप कर ही अमित शाह ने सपा में टूट डालने का प्लान तैयार कर लिया है। शिवपाल सिंह यादव का हाल ही में भाजपा प्रेम जागना इसका जीता जागता उदाहरण है। यदि सपा टूटती है तो भाजपा को इसका दुगना फायदा होगा। 2019 में भाजपा के सामने मजबूत सपा नहीं रहेगी और न ही बसपा उतनी सक्रियता से राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभा सकेगी जितनी मायावती के संसद में बरकरार रहने पर निभाने की संभावना है। अगले साल अप्रैल के पहले हफ्ते उत्तर प्रदेश मे राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो जाएंगी। इनमें से अधिकतर सीटें सपा या बसपा के कोटे की हैं लेकिन विधाससभा की मौजूदा स्थिति के हिसाब से बसपा के हाथ एक सीट भी आती हुई नजर नहीं आ रही। यदि सपा एकजुट रही तो उसे दो सीटें मिल सकती है। जबकि 8 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। क्योंकि भाजपा के पास 403 सीटों वाली विधानसभा में 308 विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा के सहयोंगियों के पास 20 सीटें है।

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पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण जाधव की दया याचिका खारिज कर दी है. दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब सबकी निगाहें पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा पर टिकी हैं जो कुलभूषण के खिलाफ मिले कथित सबूतों की जांच करेंगे और उनकी अपील पर फैसला करेंगे.
एक जून को पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को तब तक फांसी नहीं दी जाएगी जब तक उनकी सभी दया याचिकाओं पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती. दया याचिका दाखिल करने के अधिकार की बात करें तो कुलभूषण पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रपति तक से दया याचिका दायर कर मदद की अपील कर सकते हैं. आपको बता दें कुलभूषण जाधव पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से पहले ही दया याचिका दायर कर मदद की गुहार लगा चुके हैं. बाजवा के फैसले के बाद कुलभूषण पाकिस्तान के राष्ट्रपति से भी दया की गुहार लगा सकते हैं.
पाकिस्तान के नापाक इरादों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने अभी तक कुलभूषण जाधव को (काउंसलर एक्सेस) कानूनी मदद मुहैया नहीं कराई है. भारत ने काउंसलर एक्सेसे का मुद्दा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी उठाया था. आईसीजे ने भी पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस देने की बात कही थी.
पाकिस्तान की एक आर्मी कोर्ट ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल में कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनायी थी. भारत पाकिस्तान के इस फैसले के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) गया था. आईसीजे में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था. आईसीजे ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी.

पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण जाधव की दया याचिका खारिज कर दी है. दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब सबकी निगाहें पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा पर टिकी हैं जो कुलभूषण के खिलाफ मिले कथित सबूतों की जांच करेंगे और उनकी अपील पर फैसला करेंगे. एक जून को पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को तब तक फांसी नहीं दी जाएगी जब तक उनकी सभी दया याचिकाओं पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती. दया याचिका दाखिल करने के अधिकार की बात करें तो कुलभूषण पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रपति तक से दया याचिका दायर कर मदद की अपील कर सकते हैं. आपको बता दें कुलभूषण जाधव पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से पहले ही दया याचिका दायर कर मदद की गुहार लगा चुके हैं. बाजवा के फैसले के बाद कुलभूषण पाकिस्तान के राष्ट्रपति से भी दया की गुहार लगा सकते हैं.
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भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई भी आवश्‍यकनरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया
मोदी ने कहा- ”कोविंदजी पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के सहायक थे। अब मुझे उनका सहायक बनने का मौका मिलेगा। इनके साथ काम करना मेरा सौभाग्य होगा। मेरी शुभकामनाएं।’
नई दिल्ली: मानसून सत्र से एक दिन पहले सरकार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा, “देश में गोरक्षा को लेकर भावना है लेकिन गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी. गोमाता की रक्षा होनी चाहिए लेकिन उसके लिए कानून है. कानून हाथ में लेकर निजी दुश्मनी के कारण अपराध करे तो उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.”

बोले प्रधानमंत्री मोदी – पिछले कई दशकों में नेताओं की साख हमारे बीच के ही कुछ नेताओं के बर्ताव की वजह से कठघरे में है. हमें जनता को ये भरोसा दिलाना ही होगा कि हर नेता दागी नहीं, हर नेता पैसे के पीछे नहीं भागता, इसलिए सार्वजनिक जीवन में स्‍वच्‍छता के साथ ही भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई भी आवश्‍यक है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हर राजनीतिक दल की जिम्‍मेदारी है कि वह अपने बीच मौजूद ऐसे नेताओं को पहचाने और उन्‍हें अपने दल की राजनीतिक यात्रा से अलग करता चले. कानून अगर अपना काम कर रहा है, तो सियासी साजिश की बात करके बचने का रास्‍ता देख रहे लोगों के प्रति हमें एकजुट होकर काम करना होगा. भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश को लूटा है, उनके साथ खड़े रह कर देश को कुछ हासिल नहीं होगा
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सभी दलों को धन्ययवाद दिया है. अगर चुनाव के लिए आम सहमति होती तो अच्छा होता लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो चुनाव अभियान रहा वो बहुत ही गरिमामय रहा. कल वोटिंग होनी है लेकिन अभी तक कोई भी कटु बयान नहीं आया. इसके लिए प्रधानमंत्री ने सभी दलों को बधाई दी. कल होने वाली वोटिंग के लिए प्रधानमंत्री ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि सभी अपने मताधिकार का प्रयोग सही ढंग से करें.

जीएसटी के लिए सभी दलों को धन्यवाद दिया
अनंत कुमार ने बताया कि प्रधानमंतंत्री ने बताया कि जीएसटी से जुड़े विधायके सभी दलों में पारित होना चाहिए. जीएसटी काउंसिल के सभी कार्याकलाप सुचारु ढंग से हुआ औऱ जीएसटी लॉन्च हो गया. इसके लिए सभी प्रधानमंत्री ने सबको बधाई दी. प्रधानमंत्री ने इसे लोकतंत्र की ताकत बताया.

भ्रष्टाचार पर पीएम मोदी की जोरी टॉलरेंस पॉलिसी
अनंत कुमार ने बताया कि पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में भ्रष्टाचार पर भी निशाना साधा है. पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई शुरू हुई है इससे राजनीतिक दलों की साख पर भी सवाल खड़ा हुआ है. सभी को मिलकर काम करना होगा. भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाइए. पीएम मोदी के इस बयान को तेजस्वी यादव और लालू यादव पर निशाने के तौरह पर माना जा रहा है.
सभी दलों से संसद की कार्यवाही शांतिपूर्वक ढंग से चलाने पर बातचीत करने के लिए सरकार ने यह बैठक बुलाई थी. हालांकि विपक्ष सरकार की मंशा पूरी होने देगा इस पर शक है. विपक्ष अमरनाथ आतंकी हमले, कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ सीमा विवाद पर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली भी एक सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर चीन और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जानकारी दे चुके हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता की अपील करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि हर राजनीतिक दल की जिम्‍मेदारी है कि वह अपने बीच मौजूद दागी नेताओं को पहचाने और उन्‍हें अपने दल की राजनीतिक यात्रा से अलग करे. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई आवश्‍यक है.

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के खिलाफ अनियमितताओं के मामलों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच किए जाने के मद्देनजर प्रधानमंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. सोनिया ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कहा ये छोटी सोच और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई है. राष्ट्रपति चुनाव के एक दिन पहले सोनिया ने विपक्षी दलों से मीरा कुमार और उप राष्ट्रपति पद के लिए गोपाल कृष्ण गांधी को वोट करने की अपील है. विपक्षी दलों की बैठक में सोनिया ने मोदी के ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी नीति’ को लेकर जमकर निशाना साधा. सोनिया ने कहा कि ये चुनाव संकीर्ण विचारधारा वाले सांप्रदायिक दृष्टि के खिलाफ है.

राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद की लड़ाई गंभीरता से लड़ी जाएगी
सोनिया गांधी ने साफ किया कि राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव में भले ही संख्या बल उनके साथ नहीं है, लेकिन इस लड़ाई को पूरी गंभीरता से लड़ेंगे.
सोनिया ने कहा, हमें पहले से कहीं अधिक जागरूक होना चाहिए कि हम कौन हैं, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमने क्या लड़ाई लड़ी. हम अपना क्या भविष्य चाहते हैं. हमें उन मूल्यों पर विश्वास होना चाहिए जो हम मानते आए हैं.
यह चुनाव विचारों और असमान मूल्यों का संघर्ष है
सोनिया ने आगे कहा, यह चुनाव विचारों और असमान मूल्यों का संघर्ष है. हम भारत को उनके जरिए बंधक नहीं बनने देंगे जो संकीर्ण, दिमाग, विभाजनकारी और सांप्रदायिक दृष्टि लागू करना चाहते हैं.

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भारत के अगले राष्ट्रपति के लिए रविवार को होने वाले चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार आमने-सामने हैं. आंकड़ों में कोविंद का पलड़ा भारी दिख रहा है.

मतों की गिनती 20 जुलाई को दिल्ली में होगी जहां विभिन्न राज्यों की राजधानियों से मतपेटियां लाई जायेंगी. चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के साथ-साथ विधानसभाओं के सदस्य मतदाता होते हैं. इस चुनाव में एनडीए का पक्ष भारी लग रहा है लेकिन विपक्ष अपने उम्मीदवार के समर्थन में कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है.

बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश भर में घूम-घूम कर अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में लोगों से मत देने को कहा.

बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास शिवसेना को मिलाकर कुल 5,37,683 वोट हैं और उसे करीब 12000 और मतों की जरूरत है.

हालांकि बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन के वादे और एआईएडीएमके के एक धड़े से समर्थन की संभावना राष्ट्रपति चुनावों में वोटों की कमी के अंतर को पूरा कर सकती है.

17 जुलाई को भारत का नया राष्ट्रपति चुना जाना है. एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद हैं. जबकि कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया है.

मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. अब तक मुखर्जी समेत 13 लोग इस पद पर रह चुके हैं.

यह चुनाव क्योंकि गोपनीय मतपत्र के जरिये होता है इसलिये पार्टियां अपने सदस्यों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मत डालने के लिए विप जारी नहीं कर सकतीं.

कब होगा राष्ट्रपति चुनाव

चुनाव आयोग राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को कराएगा. नया राष्ट्रपति एकल वोटिंग अधिकार के हिसाब से चुना जाएगा.

कौन देता है वोट

राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के चुने गए सदस्य वोट देते हैं. फिलहाल लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 यानी कुल 776 निर्वाचित सदस्य हैं. इसके अलावा देश की सभी विधानसभाओं के 4120 सदस्य भी राष्ट्रपति के चुनाव में वोट देंगे. इनमें दिल्ली और पुदुचेरी के भी विधायक शामिल हैं.

इन चुनावों में कुल 4896 मतदाता- 4120 विधायक और 776 सांसद – अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. राज्यों की विधानपरिषद के सदस्य यानी विधान पार्षद इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते.

लोकसभा अध्यक्ष जहां इस चुनाव में मत डाल सकता है वहीं एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा में नामित होने वाले दो सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं होता है. राज्यसभा के भी 12 नामित सदस्य इन चुनावों में मतदान के अयोग्य होते हैं.

कितनी होती है वोट की ताकत

मतदाता सूची में हर सांसद और विधायक के वोट की ताकत अलग-अलग होती है. अलग-अलग राज्यों के सांसदों और विधायकों के वोट के वजन में फर्क होता है.

विधायक के वोट की कीमत कैसे तय होती है

किसी राज्य के एक विधायक की वोट कीमत राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है. एक विधायक के वोट की कीमत 1971 की जनगणना और राज्यों में विधायकों की संख्या के आधार पर तय की जाती है. इसका फॉर्मूला है- राज्य की जनसंख्या (1971 में)/विधायकों की संख्या*1000

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अमरनाथ यात्रियों से भरी बस जम्मू के बनिहाल में खाई में गिर गई है जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई है. 24 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. हादसे के तुरंत बाद रेस्क्यू का काम शुरू हो गया है. इस हादसे में मरने वाले के परिजनों को सरकार दो-दो लाख रुपए और घायल होने वाले लोगों को पचास-पचास हजार रुपए देगी.
मृतकों का ताल्लुक उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, असम, हरियाणा और मध्य प्रदेश से था. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (जेकेएसआरटीसी) की बस 3,603 तीर्थयात्रियों को जम्मू से बालटाल और पहलगाम के आधार शिविरों तक ले जा रही बसों के काफिले में शामिल थी. ये दोनों शिविर दक्षिण कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के रास्ते में हैं. घटना में दो महिलाओं समेत 16 लोगों की मौत हो गयी और करीब 27 लोग जख्मी हैं.

अभी हादसे की वजह का पता नहीं चल पाया है. अमरनाथ यात्रियों से भरी ये बस जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर हादसे का शिकार हुई है. ये बस अमरनाथ यात्रियों को लेकर जम्मू से पहलगाम ले जा रही थी, तभी हादसे का शिकार हो गई.

जो बस हादसे का शिकार हुई है उसका नंबर JK02Y0594 है. ये बस स्टेट रोडवेज की है.
इस हादसे के बाद अमरनाथ यात्रा पर निकले लोगों में शोक की लहर है. एक हफ्ते के भीतर दो हादसों ने श्रद्धालूओं को काफी बेचैन कर दिया है. जम्मू से पहलगाम की दूरी करीब 250 किलोमीटर है और इसके सफर में करीब छह घंटे का वक्त लगता है. ये बस जम्मू से करीब 150 किलोमीटर दूर बनिहाल इलाके में हादसे का शिकार हुई है.
मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में बस हादसे के कारण अमरनाथ यात्रियों के मारे जाने को लेकर बहुत दुखी हूं. मैं मृत लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.’’ उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘मैं जम्मू-कश्मीर में हुए बस हादसे में घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं.’’

गौरतलब है कि बीते सोमवार को आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रियों से भरी बस पर अनंतनाग में हमला किया था, जिसमें मौके पर ही सात लोगों की मौत हो गई, जबकि एक यात्री ने इलाज के दौरान आज दम तोड़ दिया है. इस तरह अब तक इस हमले में 8 लोगों ने अपनी जान गंवाई है.
10 जुलाई को अनंतनाग में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला कर दिया था, जिसमें 7 यात्रियों की मौत मौके पर ही हो गई थी. इसके बाद रविवार को इनमें से एक घायल महिला की मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या 8 हो गई थी. हमले में शामिल तीनों आतंकियों की पहचान हो चुकी है. इस हादसे की जांच के लिए सेना और पुलिस ने चौतरफा अभियान चलाया हुआ है. इसी क्रम में शनिवार को पीडीपी विधायक अयाज अहमद मीर के ड्राइवर तौसीफ गिरफ्तार किया गया है. तौसीफ को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है. पुलिस को शक है कि ड्राइवर का हाथ आतंकी हमले में था. तौसीफ पिछले 7 महीने से पीडीपी विधायक अयाज अहमद मीर की कार चला रहा है.
जम्मू एवं कश्मीर राज्य सड़क परिवहन की बस जम्मू से कश्मीर घाटी की ओर जा रही थी। इसी दौरान जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर बनिहाल में नचनाला के पास चालक ने बस पर से नियंत्रण खो दिया और यह खाई में जा गिरी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “इस हादसे में 16 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए। मरने वालों में 14 पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं।” गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं में से पांच को श्रीनगर ले जाया गया, 19 अन्य को सेना के हेलीकॉप्टर से जम्मू के गवर्मेट मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल लाया गया। दो का इलाज बनिहाल के अस्पताल में हो रहा है। अधिकारी ने कहा कि बस में चालक समेत कुल 43 यात्री सवार थे। दुर्घटना स्थल पर स्थानीय निवासियों के साथ सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं।

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बिहार में महागठबंधन में पड़ी दरार दिनों दिन बढ़ती जा रही है. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने झगड़े को सुलझाने और महागठबंधन को बचाए रखने का नया फॉर्मूला खोजा है. जेडीयू नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली छवि पर कायम है तो आरजेडी सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता रही है. कुल मिलाकर महागठबंधन की गांठ धीरे-धीरे कर इतनी ज्यादा खिंच गई है कि अगर तनाव और बढ़ा तो ये टूट भी सकती है.
बिहार में महागठबंधन सरकार का संकट की स्थिति साफ नहीं हो रही है. नीतीश कुमार के घर जो जेडीयू विधायकों की बैठक हुई लेकिन उसमें सिर्फ़ कल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर ही चर्चा हुई. अटकल थी कि इस बैठक में जेडीयू की तरफ़ से कुछ कड़े फ़ैसले लिए जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आरजेडी विधायकों की एक बैठक लालू यादव के घर पर हुई. आरजेडी ने कहा है कि वो अपने पुराने फ़ैसले पर कायम हैं. वहां भी चर्चा राष्ट्रपति चुनाव पर ही हुई हांलाकि इस बैठक का मकसद राष्ट्रपति चुनाव बताया गया.

कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी आज शाम होनी है. बाद में आरजेडी और कांग्रेस विधायकों की एक संयुक्त बैठक होगी. कुल मिलाकर बिहार में बैठकों का दौर जारी है.
नीतीश जहां तेजस्वी के इस्तीफे पर अड़े हैं वहीं खबर है कि लालू यादव तेजस्वी से इस्तीफा देने को कह सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो आरजेडी के सभी विधायक भी इस्तीफ दे देंगे लेकिन सरकार को बाहर से समर्थन जारी रहेगा. लालू यादव की ओरे से महागठबंधन से रिश्ता नहीं तोड़ने की कोशिश होगी. इस पूरे मसले पर फैसला राष्ट्रपति चुनाव के बाद होगा.
नीतीश कुमार ने जेडीयू विधायक दल की बैठक बुलाई है. वैसे तो ये बैठक कल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश इस बैठक में तेजस्वी पर भी फैसला ले सकते हैं.
दरअसल मंगलवार को जेडीयू की ओर से तेजस्वी पर फैसला लेने के लिए आरजेडी को 4 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था. ये अल्टीमेटम कल ही खत्म हो गया लेकिन आरजेडी ने तेजस्वी पर न तो सार्वजनिक सफाई दी और न ही उनसे इस्तीफा लिया. उल्टा लालू यादव तेजस्वी के इस्तीफा नहीं देने पर अड़ गए, जबकि सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार हर हाल में तेजस्वी का इस्तीफा चाहते हैं.

सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने ये बात कांग्रेस को भी बता दी है कि तेजस्वी या तो इस्तीफा दें या फिर बर्खास्त हों. यानी कांग्रेस अब रेफरी की भूमिका में है और कांग्रेस के कंधों पर महागठबंधन को बचाने की जिम्मेदारी आ गई है. कल रात दिल्ली में जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले. महागठबंधन को बचाए रखने के लिए दोनों के बीच 40 मिनट तक चर्चा हुई. माना जा रहा है कि कांग्रेस लालू यादव को तेजस्वी यादव के इस्तीफे के लिए मनाएगी. तेजस्वी से इस्तीफा लेने के पहले कांग्रेस नीतीश से भी ये आश्वासन चाहती है कि वो गठबंधन छोड़कर न जाएं.
तेजस्वी यादव मामले की वजह से जेडीयू और आरजेडी के बीच दूरियां कई गुना बढ़ चुकी है. सूत्रों के मुताबिक लालू और नीतीश कुमार के बीच सीधी बातचीत भी बंद है. कल एक सरकारी कार्यक्रम में तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार के साथ मंच साझा करना था लेकिन तेजस्वी नहीं पहुंचे.
महागठबंधन में दरार की बड़ी वजह है लालू यादव और उनके पूरे परिवार पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप है. 7 जुलाई को लालू यादव के 12 ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की थी. लालू, राबड़ी, तेजस्वी समेत 8 लोगों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया. मामला रेलवे के टेंडर घोटाले से जुड़ा हुआ है. चूंकि तेजस्वी यादव नीतीश सरकार में मंत्री हैं और उनके खिलाफ भी FIR हुई है, इसलिए इस्तीफा मांगा जा रहा है.
लालू यादव 1990 के दौरान जब वह मुख्यमंत्री थे, तो समूचा विपक्ष चारा घोटाले के आरोप में उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा था, लेकिन लालू ने तब तक इस्तीफा नहीं दिया, जब तक कि कोर्ट ने उनके खिलाफ ऑर्डर जारी नहीं कर दिया. लालू ने 1997 में कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किए जाने के बाद इस्तीफा दिया था. मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंप दी थी. इस समय लालू अपनी इसी पुरानी रणनीति पर काम करते हुए नजर आ रहे हैं. दो दशक बाद आज उनकी पार्टी लगभग उसी स्थिति से गुजर रही है लेकिन अब सरकार गठबंधन की है. उधर, लालू यादव ने भी अपने विधायकों के साथ बैठक की.
बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल जदयू और राजद के बीच जारी कटुता के बीच भाजपा ने रविवार को अपना पक्ष सामने रखते हुए कहा कि वह मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख का समर्थन करते हुए आज कहा कि हम मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है. ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा महागठबंधन सरकार को तोड़ने में विश्वास नहीं रखती और हमारी पार्टी चाहती है कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे. उन्होंने कहा कि जो भी राजनीतिक हालात उत्पन्न होगा उसके बारे में उनकी पार्टी की संसदीय बोर्ड निर्णय लेगी.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने आरोप लगाया कि राजनीति और ‘लठैती’ का फर्क मिटा चुके राजद प्रमुख लालू प्रसाद को लग रहा है कि वे अपने 80 विधायकों की ‘लाठी’ के बल पर वह नीतीश कुमार को झुका देंगे. वहीं जदयू को भी लग रहा है कि सरकार गिरने के डर से लालू प्रसाद झुक जायेंगे. वैसे सरकार गिरने से दोनों पक्ष डरे हुए हैं इसलिए उनके बीच शह—मात का खेल चल रहा है.
होटल के बदले भूखंड मामले को लेकर बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल जदयू और राजद के बीच जारी कटुता के बीच भाजपा ने रविवार 16 जुलाई को कहा कि वह मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है।भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख का समर्थन करते हुए आज कहा कि हम मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है । ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।नीतीश ने कहा था कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जनता की अदालत में पूर्ण तथ्य के साथ स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा महागठबंधन सरकार को तोडने में विश्वास नहीं रखती और हमारी पार्टी चाहती है कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे।
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इंडियन आर्मी हॉवित्जर तोपों को ज्यादा ऊंचाई वाली चीन से लगने वाली सीमा (अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख) में तैनात करेगी। अगर 17 माउंटेन कॉर्प्स में इनकी तैनाती हुई तो चीन से निपटने में ये तोपें काफी कारगर साबित होंगी। अमेरिका 2 तोपें भारत भेज चुका है। बाकी 23 भारत में महिंद्रा कंपनी की मदद से असेंबल और टेस्ट की जाएंगी। वजन और मारक क्षमता के लिहाज से ये दुनिया की सबसे कारगर तोप है। अमेरिका ने इसे कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत को बेचा है। 2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच 13 बिलियन डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी है। 1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई। अमेरिका से खरीदी गईं ये तोपें 25 km तक बिल्कुल सटीक निशाना लगाकर दुश्मन को ढेर करने की ताकत रखती हैं। रविवार को आर्मी के एक अफसर ने बताया कि सितंबर तक इन तोपों की टेस्टिंग जारी रहेगी, ताकि इंडक्शन प्रोग्राम के लिए इसकी फायरिंग टेवल तैयार की जा सके। अगले साल सितंबर तक तीन और तोप आर्मी को मिलेंगी।

राजस्थान के पोखरण में लंबी दूरी तक मार करने वाले दो अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के परीक्षण हो रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि बोफोर्स कांड के 30 साल बाद भारतीय सेना को अमेरिका से ये तोप मिले हैं। तोपों के इन परीक्षणों का प्राथमिक लक्ष्य एम-777 ए-2 अल्ट्रा-लाइट के प्रक्षेप पथ, रफ्तार और गोले दागने की बारंबारिता जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण डेटा जमा करना एवं नियत करना है। उम्मीद की जा रही है कि इनमें से ज्यादातर तोपों को चीन से लगी सीमा पर तैनात किया जाएगा। परीक्षण की जानकारी रखने वाले एक सैन्य अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि ये परीक्षण सितंबर तक जारी रहेंगे। अधिकारी मीडिया से बातचीत करने के लिए प्राधिकृत नहीं हैं। 155 मिलीमीटर, 39-कैलीबर के तोप में भारतीय आयुध उपयोग किए जाएंगे। 2018 के सितंबर में सेना को प्रशिक्षण के लिए तीन और तोपों की आपूर्ति होगी। इसके बाद 2019 के मार्च महीने से सेना में प्रति माह पांच तोपों की तैनाती शुरू हो जाएगी। तोपों की आपूर्ति 2021 के मध्य में पूरी हो जाएगी और इसी के साथ इसकी तैनाती भी पूरी हो जाएगी। अधिकारी ने बताया, ‘‘परीक्षण सहज तरीके से चल रहे हैं और ‘फायरिंग टेबल’ के निर्माण के लिए विभिन्न डेटा जमा किए जा रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि लक्ष्य यह सुनिश्चत करना है कि तोपों की तैनाती में कोई विलंब नहीं हो। भारत ने 5000 करोड़ रूपये की लागत से 145 होवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए पिछले साल नवंबर में अमेरिका के साथ एक समझौता किया था। इसी के तहत सेना को मई में ये तोप मिले।होवित्जर में क्या है खास?
1- होवित्जर तोपें दूसरी तोपों के मुकाबले काफी हल्की हैं। इनको बनाने में टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है। यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती हैं।
2- चीन से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं। भारत ये तोपें अपनी 17 माउंटेन कॉर्प्स में तैनात कर सकता है।
3- भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से भारत में तैयार कर रहा है। इसका फाइनल ट्रायल चल रहा है। 1260 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 114 का ट्रायल चल रहा है। जरूरत 414 तोपों की है।

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पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ सबूतों पर विचार कर रहे हैं और वे उनकी दया अपील पर जल्द ही फैसला लेंगे। पाक आर्मी की तरफ से रविवार को जारी बयान में यह कहा गया। पाक आर्मी ने कहा कि जनरल बाजवा मौत की सजा पाए जाधव की अपील के हर पहलू को देख रहे हैं और मेरिट के आधार पर इस पर फैसला करेंगे। बता दें कि जाधव का मामला हेग की इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में पेंडिंग है। आईसीजे ने भारत की अपील पर सुनवाई करते हुए मई में जाधव की सजा पर रोक लगा दी थी।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (ISPR) ने 22 जून को जारी अपने बयान में कहा था कि जाधव ने जनरल बाजवा के सामने अपनी दया याचिका पिछले महीने दायर की। इससे पहले पाक की सैन्य अपीलीय अदालत ने इंडियन नेवी के पूर्व अफसर जाधव की दया अपील खारिज कर दी थी। पाक आर्मी के स्पोक्सपर्सन मेजर जनरल आसिफ गफूर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “जनरल बाजवा जाधव के खिलाफ सबूतों को अभी देख-परख रहे हैं, वे मेरिट के आधार पर जल्द ही इस पर फैसला करेंगे।”

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