UK; कुमाऊं में सियासी तूफान आते ही बीजेपी हाईकमान गंभीर हो गया ; शिवरात्रि के विशेष शिव योग पर नया मुख्‍यमंत्री

मुख्यमंत्री के पद की गद्दी छिनने के सवाल पर त्रिवेंद्र ने कहा इसके जवाब के लिये आपको दिल्ली जाना पड़ेगा। त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के 4 साल पूरे होने में 9 दिन पहले ही उनसे ये गद्दी छीन ली गई है। हाईकमान के बुलावे पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा जहां से वह आज ही लौटे. इसके बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया.

9 March 21: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफ़ा दे दिया है। 

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त्रिवेंद्र सिंह रावत के आलोचक उन पर संवादहीनता का आरोप लगाते रहे हैं. निर्णय लेने में उनकी कथित अक्षमता भी पार्टी के सहयोगियों को नाराज करती रही है.  सीएम रावत के खिलाफ कई विधायकों ने अपनी नाराजगी जताते हुए नेतृत्व को आगाह किया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने भाजपा उपाध्यक्ष रमन सिंह और पार्टी महासचिव दुष्यंत सिंह गौतम को पर्यवेक्षक बनाकर देहरादून भेजा था.

पूरे कुमाऊं में सियासी तूफान आ गया

रावत की गद्दी जाने की बड़ी वजह राज्य के 4 जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर को मिलाकर नया गैरसैंण मंडल बनाना माना जा रहा है।  उत्तराखंड सांस्कृतिक और भाषाई तौर पर मुख्य रूप से गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में बंटा है। दोनों ही मंडलों में हमेशा से हर क्षेत्र में दबदबा कायम करने की होड़ रही है। उत्तर प्रदेश में रहते हुए भी इन मंडलों में ऐसी होड़ थी कि अगर एक मंडल को कुछ मिलता तो उसी की तरह दूसरे मंडल को भी देना पड़ता था। इसीलिए रावत ने गढ़वाल के हिस्से गैरसैंण मंडल में कुमांऊ के दो जिलों अल्मोड़ा और बागेश्वर को शामिल किया तो पूरे कुमाऊं में सियासी तूफान आ गया। इसे कुमांऊ की अस्मिता और पहचान पर हमला माना गया। सरकार के फैसले के खिलाफ पूरे कुमाऊं के भाजपा नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने मोर्चा खोल दिया। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले त्रिवेंद्र के इस फैसले को उन्होंने आत्मघाती करार दिया। केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे गंभीर माना और त्रिवेंद्र को विधानसभा का सत्र बीच में ही खत्म कर तत्काल केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम के साथ बैठक करने के लिए देहरादून तलब कर लिया। विधायकों के साथ बैठक करने के बाद रमन सिंह और गौतम ने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया कि त्रिवेंद्र के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है और उन्हें बदलना जरूरी है।

पूरे देशभर में सोशल मीडिया में इस तरह की खबर चलनी लगी- केवल साभार-

.तो कुमांऊ की पहचान ही खत्म हो जाएगी!* जिस तरह से बिना किसी की राय मशविरे के गैरसैंण मंडल बना दिया, क्या इस तरह किया जा सकता है। कुमांऊ की बात करें तो बागेश्वर व अल्मोड़ा जनपद को गैरसैंण मंडल में शामिल करने से क्या हम अल्मोड़ा या बागेश्वर वाले यह कह पाएंगे कि हम कुमांऊ से हैं, अब तो यह कहना पड़ेगा कि हम गैरसैंण से हैं जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। इस तरह के फैसले का पुरजोर विरोध होना चाहिए, वर्तमान में बोली भाषा व संस्कृति की वजह से कुमांऊ की अपनी पहचान है। वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री की घोषणा के हिसाब से अल्मोड़ा जनपद नए बने मंडल गैरसैंण में शामिल हो जाएगा। जिससे अल्मोड़ा विधानसभा,जागेश्वर विधानसभा एवं सोमेश्वर विधानसभा के निवासियों को अपने कार्य हेतु गैरसैंण कमिश्नरी जाने में अतिरिक्त समय एवं अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ेगा। अल्मोड़ा नगर सांस्कृतिक होने के साथ साथ कुमाऊं की राजधानी भी हुआ करता था। आज फैसले से अब अल्मोड़ा के नागरिक कुमाऊँ मंडल से हट कर अब गैरसैंण मंडल के निवासी कहलाएंगे। हमारी प्राचीनतम और ऐतिहासिक पहचान जिस पर हमें गर्व था,आज वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री ने बिना यहाँ के निवासियों की राय जाने उसको बदल दिया।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मान लिया है कि मौजूदा सरकार कुछ कर नहीं सकी है। अब मैं राज्य की सत्ता में बदलाव देख रहा हूं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अब किसे लाएंगे, लेकिन 2022 में सत्ता में नहीं लौटेंगे।

11 मार्च महाशिवरात्रि विशेष संयोग पर उत्‍तराखण्‍ड का नया सीएम;

महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को मनाया जाएगा. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन विशेष संयोग का निर्माण हो रहा है. इस वर्ष शिवरात्रि का पर्व शिव योग में मनाया जाएगा, जो एक शुभ योग है. इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. चंद्रमा मकर राशि में शनि और देव गुरू बृहस्पति के साथ विराजमान रहेगा. इस विशेष सयोग पर उत्‍तराखण्‍ड को मिलेगा नया मुख्‍यमंत्री ;;भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न वाले देवता माने गए हैं. भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही उत्तम माना गया है. उत्‍तराखण्‍ड के नये मुख्‍यमंत्री पर भगवान शिव का विशेष आर्शीवाद बनेगा

पंचांग के अनुसार 11 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व है.   भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव अपने भक्तों के कष्टों के दूर करते हैं. अधिकमास में जब भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पताल लोक में चले जाते हैं उस समय पृथ्वी की बागडोर भगवान शिव के हाथों में होती है. ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं. इस मंत्र से भोले को बेलपत्र और जलाभिषेक करने का महात्‍मय है

उत्तराखंड में एक उप मुख्यमंत्री भी बनाया जाएगा. डिप्टी सीएम की रेस में पुष्कर धामी का नाम सबसे आगे चल रहा है. बीजेपी उन्हें कई संतुलन साधने के लिए ये जिम्मेदारी सौंप सकती है. 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार 9 March 21 को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाक़ात की और उन्हें अपना इस्तीफ़ा सौंपा। बुधवार को दिन में 10 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। वरिष्ठ नेताओं रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजा गया है। रावत चार साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह आज देहरादून रवाना हो गए हैं। वे वहां भाजपा संगठन के साथ साथ विधायकों की बैठक में हिस्सा लेंगे। आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद आगामी मुख्यमंत्री के नाम तय करने में डॉ. रमन सिंह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने  कहा कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी और संघ के विभिन्न पदों पर काम किया। उन्होंने पार्टी आलाकमान को मुख्यमंत्री पद पर काम करने का मौक़ा देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रदेश के लोगों का भी आभार जताया और उनकी सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का जिक्र किया। रावत ने इस्तीफ़े को सामूहिक फ़ैसला बताया। पत्रकारों के इस सवाल पर कि उनके इस्तीफ़े के पीछे क्या कारण रहा, त्रिवेंद्र ने कहा कि यह जानने के लिए उन लोगों को दिल्ली जाना पड़ेगा। 

डॉ. रमन सिंह उत्तराखंड का दौरा कर चुके हैं। तब उन्होंने सीएम के नाम से संबंधित बातचीत उत्तराखंड के भाजपा नेताओं से करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक रिपोर्ट सौंपी थी। उसके बाद यह बैठक होने जा रही है, जिसमें उत्तराखंड के भाजपा विधायकों के साथ साथ राज्य स्तर के बड़े नेता भी मौजूद होंगे। देहरादून रवानगी के पूर्व INH News से बातचीत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा, ‘कल भाजपा विधायकों को बुलाया गया है, उनके साथ बैठकर चर्चा होगी उसके बाद नए मुख्यमंत्री के नाम पर डिसीजन होगा….पहले जब गया था, उस समय संगठन और सरकार के लोगों से बात हुई थी…सबसे बात होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को रिपोर्ट सौपी गई थी…इसी रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिए गए हैं..संगठन और विधायकों की अलग अलग राय रही है…कल होने वाली भाजपा विधायकों की बैठक में अंतिम डिसीजन होगा।’

सोमवार को बीजेपी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था और यहां उनकी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी से मुलाक़ात हुई थी। इससे पहले उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की बैठक भी हुई थी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ”चार साल होने में 9 दिन बच गए थे. प्रदेशवासियों का धन्यवाद. मैं अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंपकर आ गया हूं. कल पार्टी मुख्यालय पर 10 बजे पार्टी विधानमंडल की बैठक है. सभी विधायक वहां मौजूद रहेंगे.”

त्रिवेंद्र का खुद का व्यवहार भी लोगों की नाराजगी की बड़ी वजह

त्रिवेंद्र का खुद का व्यवहार भी लोगों की नाराजगी की बड़ी वजह था। वह कम बोलते थे, लेकिन एक ही वर्ग विशेष के लोगों को महत्व देने की वजह से लोगों के निशाने पर थे। इसकी वजह से मुख्यमंत्री की किसी भी आलोचना को ये लोग व्यक्तिगत रूप से लेकर बदले की भावना से काम करते थे। उन पर भ्रष्टाचार के ज्यादा आरोप तो नहीं थे, लेकिन एक मामले में हाई कोर्ट उन पर लगे आरोपों की जांच CBI से कराने का आदेश दे चुका था। इस पर सुप्रीम कोर्ट स्टे दे चुका था। 10 मार्च को इस पर सुनवाई होनी है। हाल ही में एक चैनल के सर्वे में त्रिवेंद्र देश के सबसे अलोकप्रिय मुख्यमंत्री बताए गए थे और यह भी उनके खिलाफ गया।

बीजेपी को जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही अगले मुख्यमंत्री का चुनाव करना होगा। राज्य में दो मंडल हैं- कुमाऊं और गढ़वाल और दो प्रमुख जातियां हैं- ब्राह्मण और राजपूत। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी को इन जातियों और मंडलों के बीच संतुलन बनाना ही होगा, वरना अगले साल होने वाले चुनाव में उसे नुक़सान उठाना पड़ सकता है। 

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ब्राह्मण जाति से हैं और कुमाऊं मंडल से आते हैं तो त्रिवेंद्र सिंह रावत राजपूत हैं और गढ़वाल मंडल से आते हैं। अब तक यह संतुलन ठीक काम कर रहा था। इन समीकरणों के लिहाज से त्रिवेंद्र सिंह रावत के  हटने के बाद उनकी जगह गढ़वाल मंडल के राजपूत जाति के किसी नेता को ही बैठाना होगा। इसमें दो नाम-धन सिंह रावत और सतपाल महाराज फिट बैठते हैं। इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और नैनीताल-उधम सिंह नगर के सांसद अजय भट्ट भी दौड़ में हैं। 

धन सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विद्यार्थी परिषद की राजनीति से बीजेपी में आए हैं और उत्तराखंड बीजेपी के संगठन मंत्री रहे हैं। 2017 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने वाले रावत राज्य सरकार में (स्वतंत्र प्रभार) सहकारिता, उच्च शिक्षा महकमे के मंत्री हैं। रावत के पक्ष में संघ का समर्थन है और उनकी उम्र भी 49 वर्ष ही है। ऐसे में किसी युवा चेहरे को आगे करने के लिहाज से इस पद के लिए वह फिट बैठते हैं। 

सतपाल महाराज भी जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से दावेदार हैं। सतपाल महाराज आध्यात्मिक गुरू हैं। एनडी तिवारी के कांग्रेस से बग़ावत कर तिवारी कांग्रेस बनाने पर वह उनके साथ चले गए थे और केंद्र में रेल राज्य मंत्री रह चुके हैं। हरीश रावत को नापसंद करने वाले महाराज 2013 में उत्तराखंड कांग्रेस में हुई बग़ावत के बाद बीजेपी के साथ चले गए थे। 2017 में बीजेपी ने उन्हें टिकट भी दिया और वह जीतकर विधायक और मंत्री भी बने। 

50 साल के अनिल बलूनी उत्तराखंड से ही राज्यसभा के सांसद हैं और कहा जाता है कि उनकी सियासी ख़्वाहिश उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने की है। बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी होने के चलते बलूनी के केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ अच्छे संबंध हैं और इस दम पर उन्होंने राज्य में कई विकास कार्य कराए हैं। उनके समर्थक उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।

अजय भट्ट प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। इन दिनों नैनीताल-उधम सिंह नगर के सांसद हैं। सौम्य स्वभाव के भट्ट के साथ दो मुश्किल हैं कि वह कुमाऊं मंडल से भी हैं और ब्राह्मण भी हैं। ऐसे में उनकी संभावना थोड़ी कम हो जाती भी है। 2017 में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए वह मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे लेकिन विधानसभा चुनाव हार गए थे। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ”मैं लंबे समय से राजनीति में काम कर रहा हूं. चार साल से पार्टी ने मुझे सीएम के तौर पर सेवा करने का मौका दिया. एक छोटे से गांव में जन्म लिया और पार्टी में सीएम बना.” उन्होंने कहा कि ”कभी कल्पना भी नहीं की थी पार्टी इतना बड़ा सम्मान देगी. पार्टी ने विचार किया और संयुक्त रुप से निर्णय लिया कि अब सीएम का मौका किसी और को देना चाहिए.”

प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों ने शनिवार शाम तब जोर पकड़ लिया जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार सिंह अचानक देहरादून पहुंचे और कोर ग्रुप की बैठक हुई. कोर ग्रुप की यह बैठक पहले से प्रस्तावित नहीं थी और यह ऐसे समय बुलाई गई जब प्रदेश की नई बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण बजट सत्र चल रहा था. बैठक की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री रावत को तुरंत गैरसैंण से वापस देहरादून आना पड़ा. आनन-फानन में बजट पारित करा कर सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और भाजपा विधायकों को भी तत्काल गैरसैंण से देहरादून बुला लिया गया. दो घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कोर ग्रुप की बैठक में प्रदेश के ज्यादातर सांसद और प्रदेश संगठन से जुडे़ अहम नेता मौजूद रहे. मुख्यमंत्री रावत के गैरसैंण और देहरादून में सोमवार को भी कई कार्यक्रम प्रस्तावित थे लेकिन हाईकमान के बुलावे पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा जहां से वह आज ही लौटे. इसके बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया.

उत्तराखंड में जारी सियासी उठापठक के बीच राज्य के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधा है. हरीश रावत ने कहा कि जिस तरीके से उत्तराखंड में आज सत्ता परिवर्तन दिखाई दे रहा है, वैसे 2022 में बीजेपी जाएगी और कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी. हाल ही में हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि 2017 में बीजेपी ने जो बोया था, वो तो उसे काटना ही पड़ेगा और उत्तराखंड भी इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है. फिलहाल हरीश रावत ने सीएम पद छोड़ दिया है.

पार्टी के नाराज गुट का कहना था कि अगर अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां तक कि पार्टी सत्ता से बाहर भी हो सकती है। पार्टी पर्यवेक्षक के रूप में दुष्यंत कुमार गौतम और रमन सिंह ने देहरादून जाकर पार्टी विधायकों से बात की थी। दोनों रविवार को दिल्ली लौट आए और अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को दी थी।

रावत को आलाकमान ने सोमवार को दिल्ली बुलाया था
राजनीतिक सरगर्मी के बीच CM रावत को भी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली तलब कर लिया था। रावत राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण जाने वाले थे, लेकिन वे अपना दौरा रद्द कर दिल्ली पहुंचे। उन्होंने दोपहर में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मुलाकात की। इस बीच, देर शाम तक नड्‌डा और गृह मंत्री अमित शाह के बीच महत्वपूर्ण बैठक चली। इसमें संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी शामिल हुए।

रावत को फिर एक बार नड्‌डा ने रात 9:15 बजे अपने आवास पर बुलाया। इसके पहले खबर आई कि उत्तराखंड में पार्टी विधायक दल की एक बैठक मंगलवार को बुलाई गई है। यह बैठक देहरादून में सीएम हाउस में होने वाली है। अगले CM के लिए सतपाल महाराज, अनिल बलूनी, धन सिंह रावत और अजय भट्ट का नाम आगे चल रहा था। अब धन सिंह रावत के नाम पर मुहर लगती दिखाई दे रही है।

भगवान शिव पर इस मंत्र से चढ़ाए बेलपत्र

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌ ।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ ।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌ ।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर ।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥

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