उत्तराखण्ड -बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए 3 CM बदले; बढता सत्ता विरोधी माहौल ,’बायकॉट भाजपा’ -पुलिस के परिजनो की मुहिम- मीडिया की सुर्खियां

सत्ता में बैठे लोगों को सबसे ज़्यादा डराने वाला शब्द है- एंटी इनकम्बेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर. जो उत्तराखण्ड में प्रचण्ड चल रही है-

10 JANUARY 2022; Himalayauk Newsportal Presents : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: करो या मरो की रणनीति, जंरा सी चूक से डूब जाएगा अनेक योद्वाओं का राजनीतिक सूर्य : आचार संहिता के बाद भी सत्ता विरोधी सुनामी क्यो बढ रही है उत्तराखण्ड में- आचार सहिता में बांटी रेवडियां, बम्पर स्थानांतरण, पोस्टिंग से आम जनता बुरी तरह नाराज # उत्तराखंड; दिल के अरमा आसुओं में बह गए; उत्तराखंड पुलिस के स्वजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अपनी ही घोषणा से मुकरने का आरोप लगाया: ‘बायकॉट भाजपा’ के नाम से एक मुहिम छेड़ दी है, जिसमें पुलिसकर्मी अपने रिश्तेदारों और परिचितों से आगामी चुनाव में भाजपा को वोट ना देने की अपील कर रहे हैं। 

हिमालयायूके न्यूस्पोर्टल ब्यूरो रिपोर्ट

5 राज्यो के विधानसभा चुनाव के परिणाम देश की राजनीति बदल देगे क्योकि जुलाई में देश के राष्ट्रपति का चुनाव होना है, बीजेपी के लिये करो या मरो की स्थिति है,

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की स्थिति वर्ष 2017 वाली नही है, फिर भी सरकार बनाने के लिये साम दाम दंड भेद की रणनीति पर कार्य कर रही है, यह समय बताएगा कि रणनीति सफल हो पाती है या नही?

वही रैली बैन होने के बाद राजनीतिक पार्टियों की चुनौती ये है कि उनके पास अपने मतदाताओ तक पहुंच बनाने के लिए कम समय बचा है. 10 फरवरी से वोटिंग शुरू हो जाएगी और उससे पहले सोशल मीडिया के जरिए उन्हें मतदाताओं को बताना होगा कि वो अगले सत्ताधारी बनने के लिए सर्वश्रेष्ठ क्यों हैं. लेकिन इस मामले में क्या सारी पार्टियों की तैयारी पूरी है? वर्चुअल शक्ति के मामले में कौन सी पार्टी कितनी दमदार है?

आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड की जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. उसके बाद से आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में लगातार कुछ ना कुछ राजनीतिक गतिविधियां कर रही है. इसका नतीजा है कि अब उत्तराखंड में भी लोग आम आदमी पार्टी को जानने लगे हैं.

वही 4 दिसंबर 21 को परेड ग्राउंड देहरादून में आयोजित पीएम मोदी की रैली से किया. हालांकि, पीएम मोदी की इस रैली में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान रैलियों जितना लोगों का रुझान देखने को नहीं मिला.

16 दिसंबर 21 विजय दिवस के दिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने परेड ग्राउंड देहरादून में जनता को संबोधित किया. राहुल गांधी की इस रैली में भीड़ के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. राहुल गांधी की इस रैली के बाद माहौल बदल गया है.

उत्तराखंड में इतिहास गवाह है कि वहां किसी भी पार्टी सरकार लगातार दो बार सत्ता पर काबिज नहीं हुई है, इसलिए बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए 3 बार मुख्यमंत्री बदले, इसके बाद भी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, 5 साल सत्ता में रहने के बाद भी अपनी उपलब्धि शून्य है, वही बीजेपी को इस बात से भी संतोष है कि कांग्रेस ने हरीश रावत को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है, जिससे कांग्रेस की गुटबाजी से बीजेपी को फायदा मिलेगा, और आम आदमी पार्टी के मजबूत होने से बीजेपी बिरोधी वोटो का बंटवारा हो जाएगा और जिसका लाभ बीजेपी को मिलेगा और सत्ता में पहुचने का रास्ता साफ हो जाएगा,

उत्तराखंड की पांचवीं निर्वाचित सरकार के संभावित सीएम के रूप में फिलवक्त चार प्रमुख चेहरे सामने हैं। बीजेपी सत्ता में लौटी तो पार्टी में मुख्यमंत्री के कई दावेदार हैं, इनमें अजय भटट, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज शामिल हैं

कांग्रेस के सत्ता में आने पर चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएम हरीश रावत सर्वमान्य नेता है परन्तु दलित सीएम की बात कांग्रेस में उठी तो हरीश रावत के आशीर्वाद से यशपाल आर्य भी बन सकते है

जबकि आप ने काफी पहले ही कर्नल अजय कोठियाल (रि) को अपना सीएम प्रत्याशी घोषित कर दिया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद उत्तराखंड आकर उनके नाम का ऐलान किया।

उत्तराखंड की विडंबना देखिए कि मुख्यमंत्री पद के लिये यूकेडी के लिये दूर दूर तक कोई चांस नही है

आचार सहिता के बाद बैक डेट में नियुक्ति कर रहे धामी

देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद नियुक्तियां की जाने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए है। कांग्रेस ने भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए। आचार संहिता लगने का ऐलान होने के बाद किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग, राज्य हज कमेटी व को-ऑपरेटिव बैंकों में की गई नियुक्तियों पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किये है।

उत्तराखंड के आज की सबसे बड़ी खबर आचार संहिता से पहले सरकार ने अपने कई नेताओं को सरकारी जिम्मेदारियों से नवाज डाला ऐसे में बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष के रूप में अजेंद्र अजय को जिम्मेदारी दी गई है साफ है पार्टी ने इन तमाम नेताओं को दायित्व देकर टिकटों की भारी भीड़ में से थोड़ी भीड़ कम कर दी है अजेंद्र अजय भी टिकट मांग रहे थे लेकिन आचार संहिता के दिन पहले उन्हें देवस्थानम बोर्ड को भंग करके बनाई गई बद्री केदार मंदिर समिति में जिम्मेदारी सौंप दी गई है

पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए आचार संहिता लागू होने के बावजूद सरकार की ओर से नियुक्ति किए जाने पर सवाल उठाए हैं। हरीश रावत ने ट्वीट कर पूछा है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में अब भी नियुक्तियां जारी हैं, हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियां रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियां करने की कोशिश हो रही हैं। मुझे भरोसा है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा। सरकार ने किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग व हज कमेटी आदि में कई नियुक्तियां की हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की ओर ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं, क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह आधार उचित है? क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है? धज्जियां उड़ रही हैं, 57 हैं सब कर सकते हैं, वाह रे सत्ता के घमंड।

रीश रावत ने आबकारी कमिश्नर हटाए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा अब रहस्य समझ में आया कि क्यों आबकारी कमिश्नर को हटाया गया? आबकारी कमिश्नर यदि रहते तो सरकार एक ऐसा शासनादेश जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है, नहीं कर पाती। वह शासनादेश आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया है।आबकारी विभाग में किया गया है, जिसके जरिए जो उच्च स्पेसिफाइड मदिरा है, उसके विक्रय के लिए कई नियमों को शिथिल करते हुए लोगों को उपकृत किया गया है और सरकार भी उपकृत हुई है।

उत्तराखंड पुलिस के स्वजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अपनी ही घोषणा से मुकरने का आरोप लगाया– ‘बायकॉट भाजपा’ के नाम से एक मुहिम छेड़ दी है, जिसमें पुलिसकर्मी अपने रिश्तेदारों और परिचितों से आगामी चुनाव में भाजपा को वोट ना देने की अपील कर रहे हैं। 

उत्तराखंड में 4600 ग्रेड पे की मांग पूरी ना होने पर पुलिसकर्मियों में नाराजगी पनप रही है। हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान पर इकट्ठा हुए नाराज पुलिसकर्मियों ने दो-दो लाख रुपये वापस लौटाने का फैसला लिया। पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्हें भीख नहीं, बल्कि अपना हक चाहिए। इस बीच कुछ पुलिसकर्मियों ने चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी। वहीं, इंटरनेट मीडिया पर भी यह मामला तूल पकड़ रहा है। रविवार को 2001 बैच के पुलिसकर्मी ऋषिकुल क्षेत्र में इकट्ठा हुए और तय किया कि ग्रेड पे के बदले में सरकार ने उन्हें दो-दो लाख रुपये की जो एकमुश्त रकम दी है, उसे लौटाया जाएगा।

पुलिसकर्मियों का कहना है कि वह सरकार से भीख नहीं मांग रहे हैं, बल्कि उन्हें अपना हक चाहिए। वहीं, फेसबुक और व्हाटसएप पर भी नाराज सिपाही और उनके परिजन मोर्चा संभाले हुए हैं। उन्होंने ‘बायकॉट भाजपा’ के नाम से एक मुहिम छेड़ दी है, जिसमें पुलिसकर्मी अपने रिश्तेदारों और परिचितों से आगामी चुनाव में भाजपा को वोट ना देने की अपील कर रहे हैं। 

ग्रेड पे की मांग को लेकर पुलिसकर्मियों के स्वजन कई बार सड़कों पर उतर कर आंदोलन चुके हैं। 27 दिसंबर 21 को भी स्वजन ने सीएम आवास की तरफ कूच किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके बाद वह 31 दिसंबर तक गांधी पार्क के बाहर धरने पर बैठे रहे। उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि चुनाव आचार संहिता लगने से पहले इस संबंध में शासनादेश जारी हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। नाराज पुलिसकर्मियों ने वीआरएस के लिए किया आवेदनग्रेड पे की मांग को लेकर लंबी लड़ाई लड़ने के बाद कोई रास्ता न निकलता देख नाराज पुलिसकर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेनी शुरू कर दी है। ग्रेड पे का जीओ जारी न होने से आक्रोशित स्वजन ने प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता आयोजित की। इस दौरान पुलिसकर्मियों के स्वजन शकुंतला रावत, आशी भंडारी, नीता रावत, करीना आदि ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस पर रिजर्व पुलिस लाइन में 2001 बैच के 1500 पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी। अब इन पुलिसकर्मियों को दो लाख रुपये की धनराशि एकमुश्त देने की बात कही गई है, जिससे सभी स्वजन नाखुश हैं।

2 लाख रुपये मुख्यालय में जमा करने का चलाया संदेशग्रेड पे का शासनादेश जारी न होने से नाराज पुलिसकर्मियों ने इंटरनेट मीडिया पर भी अपनी भड़ास निकाली है। तमाम वाट्सएप ग्रुपों व इंटरनेट मीडिया में 2001 बैच के पुलिसकर्मियों ने संदेश भेजा कि सरकार की ओर से मिलने वाली दो लाख रुपये की धनराशि वह पुलिस मुख्यालय को वापस करेंगे। उनकी ओर से दी गई धनराशि से सरकार, शासन में बैठे उच्च अधिकारियों व पुलिस मुख्यालय में बैठे उच्चाधिकारियों के बच्चों में बाट दी जाए,

अन्य राज्यो में बीजेपी की रणनीति पर जल्द आलेख; 5 राज्यो के विधानसभा चुनाव में विजय के बाद ही राष्ट्रपति पद पर अपना उम्मीदवार जिता पाएगी बीजेपी, क्या है अन्य राज्यो के लिये रणनीति हिमालयायूके की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट मो0 9412932030

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