उत्तराखंड में कांग्रेस के पास हरीश रावत से बड़ा कोई चेहरा नहीं ;कांग्रेस कैसे संतुलना बनाती है? बडा सवाल

 देवेंद्र यादव इस कोशिश में जुटे हैं कि कांग्रेस का सब कुछ रावत के इर्द-गिर्द होकर ही सीमित न रह जाए. ऐसे में देखना है कि अब उत्तराखंड में कांग्रेस कैसे संतुलना बनाती है?   

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र यादव उत्तराखंड के प्रभारी हैं. सूबे में हाल के दिनों में कई ऐसे लोगों को चुनाव से लेकर संगठन में नियुक्ति कराई है जो हरीश रावत के विरोधी रहे हैं. इतना ही नहीं हरीश रावत के सीएम फेस बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा देवेंद्  यादव ही लटका रहे हैं और वो सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की बात को स्वीकर कर रहे हैं. देवेंद्र यादव उत्तराखंड में युवा लीडरशिप को आगे बढ़ा रहे है

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी- ; फ़ानूस बन के हिफाज़त जिसकी हवा करे वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे..UK- राजनीति का कददावर चेहरा — पार्टी के मुख्य चेहरे हरीश रावत जिनको अनेक विपदाओ के बाद भी मानो विधाता ने संजोकर रखा, अन्यथा दो चुनाव हारे हुए नेता आउट आफ इयर हो जाते हैं, परन्तु उत्तराखण्ड की राजनीति में आज भी दमकता चेहरा है हरीश रावत- जिन पर अनेक विपदाये आई, गर्दन टूटी, पारावारिक परेशानियां झेली, चुनाव हारे, समाज का दंश सहा, विपक्ष के मुख्य निशाने पर रहे, जेल भेजने की पूरी तैयारी हुई, परन्तु जब जब इनको मिटाने की कोशिश हुई, मजबूत बन कर उभरते रहे, गर्दन की भयंकर चोट से उभरे, यह चोट इतनी नाजुक थी कि रेयर टू रेयरीस्ट थी, फिर कांग्रेस के नेशनल महासचिव बने, इस तरह झझांवातो का दौर रहा उत्तराखण्ड के इस राजनेता की जिन्दगी में, यही कारण है कि आज वह उत्तराखण्ड में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में सर्वे में टॉप पर है, हिमालयायूके न्यूजपोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट मो 9412932030

राज्य में बीजेपी कांग्रेस के सामने बैकफ़ुट पर है, लेकिन अब राज्य में पार्टी के मुख्य चेहरे हरीश रावत ने अपनी हताशा ज़ाहिर की है. हरीश रावत पिछले एक साल से लगातार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं. उनका मानना रहा है कि उत्तराखंड चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस न बन सके इसलिए पार्टी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना चाहिए. लेकिन कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव इससे इनकार कर चुके हैं. रावत के इन ट्वीट को उनको मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग से जोड़कर देखा जा रहा है.

23 दिसम्बर 21- एक्सक्लूूूूसिव रिपोर्ट – नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे; हरीश रावत —- Execlusive Report by Chandra Shekhar Joshi- Editor  चुनाव अभियान संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने बुधवार को फेसबुक पोस्ट पर कहा था जिससे राजनीतिक जलजला आ गया # जनता और तमाम सर्वे कह चुके हैं कि हरीश रावत से बड़ा नेता उत्तराखंड में कोई नहीं है।

हरीश रावत ने   देवेंद्र यादव को निशाने पर लिया है. उन्होंने चुनावी रणनीति पर परोक्ष सवाल उठाते हुए साफ कर दिया कि चुनाव में सहयोग करने की बजाय उनके पांव खींचे जा रहे हैं. रावत हुए कहा कि सत्ता ने वहां  कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं और जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं.   हरीश रावत के मीडिया सलाहकार व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को बीजेपी का एजेंट कहकर आग में और घी डाल दिया सुरिंदर अग्रवाल ने कहा कि   देवेंद्र यादव की मौजूदगी में राहुल गांधी की रैली से हरीश रावत पोस्टर हटा दिए जाते हैं तो उनकी भूमिका संदेह में आ जाती है  

हरीश रावत खेमा सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने के रुख से संतुष्ट नहीं है हरीश रावत ने चुनावी रीति-नीति के संचालन की स्वतंत्रता देने की बजाय उनकी घेरेबंदी किए जाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं  रावत ने भावुक अंदाज में पार्टी को यह चेतावनी तक दे दी कि बहुत हो गया, विश्राम (राजनीति के दृष्टिकोण से संन्यास ही समझा जाएगा) का समय आ गया. रावत ने  श्रीमद् भगवद गीता के श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि दीन-हीन नहीं बने रहेंगे और न पलायन करेंगे. नया वर्ष ऊहापोह की इस स्थिति में शायद रास्ता  दिखा दे.    

22 Dec 2021 को हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा था कि, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है!’ ‘फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उहापोह की स्थिति में हूंं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवना केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।’

हरीश रावत भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो फ़रवरी २०१४ में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने। पाँच बार भारतीय सांसद रह चुके रावत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं। १५वीं लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जल संसाधन मंत्री केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं।

पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने हरीश रावत से बात भी की है। रावत कल(शुक्रवार को) दिल्ली में एक पूर्व निर्धारित बैठक में शामिल होंगे।

The top leadership of Congress has spoken to party leader Harish Rawat. He will attend a pre-scheduled meeting in Delhi tomorrow: Sources

राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, जागेश्वर विधायक व पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और धारचूला विधायक हरीश धामी खुलकर पूर्व सीएम के पक्ष में उतर चुके हैं। तीनों का कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोग की पसंद भी हरीश रावत है। लिहाजा, केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें चेहरा घोषित करना चाहिए। कुंजवाल ने तो स्पष्ट कह दिया कि जहां हरीश रावत जाएंगे वहां हम सब जाएंगे। वहीं, विधायक धामी बोले कि अगर हरदा को सीएम नहीं बनाया तो अलग लाइन में खड़े होने वालों में वह सबसे आगे होंगे।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने की वजह से पार्टी के सभी कार्यक्रम हरीश रावत के नेतृत्व व मार्गदर्शन में होने चाहिए थे। मगर कुछ लोगों ने अलग रैली और कार्यक्रम शुरू किए तो विवाद खड़ा होना स्वाभाविक है। मेरा मानना है कि जो लोग कांग्रेस को सत्ता में नहीं चाहते, यह कारनामे उनके हैं। जनता और तमाम सर्वे कह चुके हैं कि हरीश रावत से बड़ा नेता उत्तराखंड में कोई नहीं है। उनके भीतर प्रदेश को लेकर पीड़ा है। अगर वह दूसरे दल में जाते हैं तो हम सब साथ जाएंगे।

  विधायक धारचूला हरीश धामी ने कहा कि आपदा के वक्त राज्य की कमान मिलने के बावजूद हरीश रावत ने केदारनाथ को संवारने में पूरी ताकत लगा दी। राष्ट्रपति शासन के चक्कर में एक साल सरकार प्रभावित रही। इसलिए जनता चाहती है कि हरदा को एक मौका और मिले। जनसभा, रैली समेत अन्य कार्यक्रमों के जरिये वही कांग्रेस के लिए माहौल बना रहे हैं। पार्टी और राज्य को पूरा जीवन समर्पित करने वाले हरीश रावत अगर सीएम नहीं बने तो हरीश धामी निर्दलीय रहेगा। 

राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा का कहना है कि चार कार्यकारी अध्यक्ष के फार्मूले में एक नाम उस नेता का है जिसने स्व. एनडी तिवारी की सरकार को कमजोर किया। और दूसरे नाम उसका है जिसने हरीश रावत की सरकार को बदनाम किया। सल्ट उपचुनाव में एक नकारात्मक माहौल बनाने वाले को अहम जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई। उत्तराखंड कांग्रेस के कमांडर हरीश रावत ही है। उन्हें चेहरा घोषित करना चाहिए।

इन हंगामे के बीच हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है, क्योंकि भाजपा और आप पार्टी को मेरी ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है और इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं।

हिमालयायूके न्यूजपोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट मो 9412932030

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