अब 2 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन & बीजेपी को बडे राजनीतिक नुक़सान का डर & Top News 12 Oct 21

High Lights# # अब 2 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन # मंत्री पद से हटा कर गिरफ्तार नहीं किया जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा — राकेश टिकैत # पार्टी को डर है कि उत्तर प्रदेश & Uttrakhand के विधानसभा चुनाव में उसे बड़ा राजनीतिक नुक़सान हो सकता है # कानपुर से ‘समाजवादी विजय यात्रा’ की शुरुआत # छठ पूजा आयोजित नहीं किए जाने के विरोध में जमकर प्रदर्शन – सांसद मनोज तिवारी घायल # # ##

12 OCT. 21# Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

अब 2 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन

बच्चों की वैक्सीन के आने इंतजार कर रहे पैरेंट्स के लिए यह राहत भरी खबर है. अब 2 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लग पाएगी. कोवैक्सीन की दो डोज बच्चों की लगाई जाएगी. CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 2 से 18 साल के बच्चों को कोवैक्सीन देने की ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से सिफारिश की है. जानकारी के मुताबिक, इस वैक्सीन से इम्यून सिस्टम डेवलप होगा और इसके कोई साइड इफैक्ट्स भी देखने को नहीं मिले हैं.

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन वही वैक्सीन है जिसे भारत में जनवरी महीने में ही वयस्कों पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी गई थी। हालाँकि, अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको मान्यता नहीं दी है और इस वजह से दुनिया के अधिकतर देशों में भी इसको मान्यता नहीं मिली है। इसका मतलब है कि जब तक उनका जवाब नहीं दिया जाता तब तक तो मंजूरी नहीं ही मिलने के आसार हैं। 

डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अधिकतर देशों में कोवैक्सीन लगाए हुए लोगों को भी बिना वैक्सीन लगाए व्यक्ति की तरह माना जा रहा है

विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके को 2 से 18 वर्ष के बच्चों को लगाने के लिए सिफारिश कर दी है। अब इसकी मंजूरी पर आख़िरी फ़ैसला डीसीजीआई यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया लेगा। इसकी मंजूरी मिलते ही बच्चों को यह टीका लगाया जा सकता है। 

2 से 18 साल के बच्चों पर भारत में दूसरे और तीसर चरण का ट्रायल शुरू हुआ था. सोमवार को हुई बैठक में कोवैक्सीन को लेकर यह फैसला किया गया है. एसईसी ने अपनी सिफारिश ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया को उसकी सिफारिश के लिए भेजी है. गौरतलब है कि बच्चे कोरोना महामारी के चलते लंबे वक्त से स्कूल नहीं जा पा रहे है. बच्चों को ऑनलाइन क्लास करना पड़ रहा है. कई मामले आए है जब बच्चों को ऑनलाइन क्लास की वजह से आंखों पर असर पड़ रहा है.

पिछले हफ्ते भारत बायोटेक ने कहा था कि उसने दो से 18 साल के बच्चों पर टीके के परीक्षण के लिए सभी ज़रूरी आँकड़े विशेषज्ञ पैनल के पास जमा कर दिए हैं। बच्चों के टीकाकरण को लेकर यह ख़बर तब आई है जब देश में वयस्कों को टीका लगाने का अभियान तेज़ गति से चल रहा है। भारत में वयस्कों को क़रीब 96 करोड़ विभिन्न टीके पहले ही लगाए जा चुके हैं और अब बच्चों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। 

डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने से कोवैक्सीन लगाए उन करोड़ों लोगों में से उन लोगों को दिक्कत हो रही है जो दूसरे देशों के दौरे कर रहे हैं या करने वाले हैं। इनमें वे छात्र भी शामिल हैं जो विदेशों में पढ़ते हैं। डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अधिकतर देशों में कोवैक्सीन लगाए हुए लोगों को भी बिना वैक्सीन लगाए व्यक्ति की तरह माना जा रहा है और उन्हें क्वारंटीन सहित दूसरी कई पाबंदियों से गुजरना पड़ रहा है। जब भारत में कोवैक्सीन को मंजूरी मिली थी तब इस पर काफ़ी विवाद हुआ था। कोवैक्सीन को तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही मंजूरी देने पर वैज्ञानिकों ने भी सवाल खड़े किए थे। बाद में सरकार की ओर से सफ़ाई दी गई थी कि कोवैक्सीन को ‘क्लिनिकल ट्रायल मोड’ में मंजूरी दी गई।

इससे पहले, अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर और बायोएनटेक ने 5 से 11 सालों के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अमेरिकी ड्रग्स रेगुलेटर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से इजाजत मांगी है. इस कदम से अमेरिका के करीब 2 करोड़ 80 लाख बच्चों को वैक्सीन से सुरक्षा मिल पाएगी. फाइजर ने कहा कि उनकी तरफ से एफडीए को इसके समर्थन में डेटा जमा करा दिए गए हैं. दवा निर्माता कंपनी के अनुरोध पर फौरन ड्रग्स रेगुलेटर की तरफ से कदम उठाते हुए 26 अक्टूबर को बैठक निर्धारित की गई है.  

यदि कोवैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी तो यह बच्चों पर इस्तेमाल के लिए स्वीकृत दूसरा टीका होगा। इससे पहले अगस्त में ज़ायडस कैडिला की तीन-खुराक वाली डीएनए वैक्सीन को वयस्कों और 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। बच्चों के लिए तीसरा संभावित टीका सीरम इंस्टीट्यूट का नोवावैक्स है, जिसके लिए पिछले महीने डीसीजीआई ने सात से 11 साल के बच्चों के लिए ट्रायल को मंजूरी दे दी है। वह ट्रायल अभी जारी है। 

अमेरिका में पैरेंट्स रेगुलेटर्स के फैसले का बड़ी ही बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनके पारिवारिक जीवन और स्कूलों के ऑपरेशन पर सकारात्मक असर पड़ सकता है. इसकी मंजूरी ना सिर्फ क्लिनिक डेटा पर निर्भर करता हैं बल्कि उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि क्या वे नियामकों को साबित कर सकते हैं कि वे एक नए बाल चिकित्सा फॉर्मूलेशन को ठीक से बनाने में सक्षम हैं.

आगामी त्योहारों को देखते हुए लोगों से लगातार कोरोना से बचने के लिए सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है. नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के सीनियर मेंबर डॉक्टर एन.के. अरोड़ा ने कहा- ये हमारे जीवन का अंतरंग हिस्सा है. जब से हम पैदा हुए हैं, ये हर साल आते हैं. लेकिन यह एक महामारी है. उन्होंने कहा कि पिछले एक-डेढ़ साल में लोगों ने संयम दिखाया. अगर आने वाले एक साल और लोगों ने संयम दिखाएं तो यह बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब खाली सामाजिक दूरी नहीं बल्कि भीड़भाड़ नहीं बढ़ाना है.

मंत्री पद से हटा कर गिरफ्तार नहीं किया जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा — राकेश टिकैत

HIGH LIGHT किसानों और विपक्षी दलों ने जितनी मजबूती के साथ इस मामले में बीजेपी पर हमला बोल दिया है, उससे पार्टी को डर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसे बड़ा राजनीतिक नुक़सान हो सकता है। इस घटना का असर निश्चित रूप से उत्तराखंड के चुनाव पर भी पड़ेगा। इसलिए पार्टी इस मामले को लेकर परेशान दिखती है। 

High Light# लखीमपुर की घटना के कारण बीजेपी परेशान है, इसका पता प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस बयान से भी चलता है कि “हम नेतागिरी में किसी को फ़ॉर्च्यूनर से कुचलने नहीं आए हैं।” 

लखीमपुर खीरी हिंसा में जान गंवाने वाले चार किसानों और पत्रकार रमन कश्यप को श्रद्धांजलि देने के लिए तिकुनिया गांव में किसान संगठनों ने अरदास कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने लखीमपुर हिंसी के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी पर तंज़ किया. उन्होंने पुलिस पर भी सवाल उठाए.

कार्यक्रम में UP के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से करीब 50 हजार किसान पहुंचे हैं। अरदास में किसानों नेताओं ने कई बड़े ऐलान किए हैं। 24 अक्टूबर को देश की सभी प्रमुख नदियों में मृतक किसानों की अस्थि का विसर्जन होगा। इसी दिन 10 से 4 बजे तक चक्का जाम होगा। यूपी के हर जिले और देश के हर राज्य में अस्थि कलश यात्रा जाएगी। तिकोनिया में घटनास्थल पर 5 किसानों की शहीदी स्मारक बनाया जाएगा।

राकेश टिकैत ने कहा, “फिलहाल रेड कार्पेट गिरफ्तारी हुई है. गुलदस्तों वाला रिमांड है. किसी पुलिस अधिकारी की हिम्मत नहीं कि पूछताछ करे.” टिकैत ने कहा कि जब तक अजय मिश्रा (गृह राज्य मंत्री) को मंत्री पद से हटा कर गिरफ्तार नहीं किया जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा. बाप-बेटे से पूछताछ होगी, तभी लखीमपुर की साजिश का खुलासा होगा.

लखीमपुर खीरी कांड में प्रशासन के साथ समझौता कराने को लेकर राकेश टिकैत पर सवाल उठे थे. उन्होंने इसको लेकर भी सफाई दी. राकेश टिकैत ने कहा, “कहा जा रहा है कि समझौता जल्दी करवा दिया. समझौता सब ने मिल कर किया. दूसरी तरफ घरों में शव रखे थे. आंदोलन को बिगाड़ने वाले लोग ऐसे आरोप लगाते हैं.”

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में मृतक किसानों की याद में स्मारक का निर्माण किया जाएगा. अरदास कार्यक्रम में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा ने एलान किया है कि गांव में जान गंवाने वाले किसानों की याद में स्मारक बनाया जाएगा.

केंद्रीय मंत्री राजेश मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “इस्तीफा (केंद्रीय मंत्री का) नहीं होगा तो यहां से आंदोलन की घोषणा करेंगे. लखनऊ में बड़ी पंचायत होगी. देश के हर ज़िले में अस्थि कलश जाएंगे, लोग श्रद्धांजलि देंगे. 24 अक्टूबर को लोग उन्हें प्रवाहित करेंगे, 26 तारीख को लोग लखनऊ आएंगे.”

अरदास में किसानों के 5 बड़े फैसले- 15 अक्टूबर प्रधानमंत्री का पूरे देश में पुतला फूंका जाएगा। 18 अक्टूबर में ट्रेनें रोकी जाएंगी। 24 अक्टूबर को अस्थि विसर्जन होगा। 5 मृतक किसानों का शहीदी स्मारक बनाया जाएगा। 26 को लखनऊ में महापंचायत होगी।

अरदास में शामिल होने के लिए कई सियासी नेता भी पहुंचने वाले हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा लखीमपुर पहुंची। हालांकि, उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। इससे पहले उन्हें सीतापुर में रोक गया था। रालोद नेता जयंत चौधरी भी पहुंचे हैं। उन्हें भी मंच पर जगह नहीं मिली। संयुक्त मोर्चा ने ऐलान किया है कि अरदास कार्यक्रम के मंच पर कोई सियासी नेता नहीं बैठेगा। जो भी नेता इस कार्यक्रम में आएगा वह पब्लिक के साथ बैठेगा।

सबसे पहले पलिया से आए रागी जत्थे ने गुरुवाणी का बखान कर संगत को निहाल किया। कार्यक्रम में मृतक किसानों के परिवार वालों और घायल किसानों को भी बुलाया गया है।

बीजेपी पर जबरदस्त राजनीतिक दबाव

लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदे जाने की घटना बीजेपी के गले की फांस बनती दिख रही है। अजय मिश्रा मोदी कैबिनेट में रहेंगे या नहीं, पार्टी इस बारे में जल्द ही कोई फ़ैसला कर सकती है क्योंकि विपक्ष और किसानों ने बीजेपी पर जबरदस्त राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। 

इस मामले में चल रहे राजनीतिक बवाल के बीच सोमवार को उत्तर प्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक हुई है। इस बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल मौजूद रहे। 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस दौरान लखीमपुर की घटना के बाद बने राजनीतिक हालातों पर चर्चा हुई है। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश बीजेपी के प्रभारी राधा मोहन सिंह और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल रहे। इससे समझा जा सकता है कि यह बैठक कितनी अहम थी। 

किसानों और विपक्षी दलों ने जितनी मजबूती के साथ इस मामले में बीजेपी पर हमला बोल दिया है, उससे पार्टी को डर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसे बड़ा राजनीतिक नुक़सान हो सकता है। इस घटना का असर निश्चित रूप से उत्तराखंड के चुनाव पर भी पड़ेगा। इसलिए पार्टी इस मामले को लेकर परेशान दिखती है। 

बीजेपी ने ब्राह्मणों को साधने के मक़सद से ही अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल में शामिल किया था। लेकिन अब पार्टी को इस बात का डर है कि मिश्रा का इस्तीफ़ा लेने से कहीं ब्राह्मण समुदाय उससे नाराज़ न हो जाए। उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी हैसियत रखने वाला यह समाज बीजेपी से नाराज़ है, इसकी ख़बरें मीडिया में आती रही हैं।  बीएसपी और एसपी योगी सरकार में ब्राह्मणों पर जुल्म होने की बात कहते रहे हैं।

लखीमपुर की घटना के कारण बीजेपी परेशान है, इसका पता प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस बयान से भी चलता है कि “हम नेतागिरी में किसी को फ़ॉर्च्यूनर से कुचलने नहीं आए हैं।” 

विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और पार्टी को अपने उम्मीदवारों का एलान करने के साथ ही नेताओं के दौरे, चुनावी रैलियां और बाक़ी चुनावी इंतजाम भी करने हैं। लेकिन लखीमपुर खीरी की घटना से इन सब कामों पर ब्रेक लग गया है। 

अगर पुलिस की जांच में यह बात साबित हो गयी कि किसानों को कुचलने वाली गाड़ियों में अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मोनू मौजूद था तो फिर पार्टी का सत्ता में लौटना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। 

कानपुर से ‘समाजवादी विजय यात्रा’ की शुरुआत

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी का सफाया करने के लिये सपा विजय यात्रा निकाल रही है और इसे जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लोगों तक पहुंचने और उनका समर्थन हासिल करने की मंशा से मंगलवार को कानपुर से ‘समाजवादी विजय यात्रा’ की शुरुआत की.

अखिलेश यादव ने कहा कि ”समाजवादी पार्टी की ओर से लगातार जनता से आशीर्वाद लेने के लिए ये विजयरथ चलेगा. भाजपा की सत्ता जाने वाली है. हम जनता के बीच में विजयरथ यात्रा के माध्यम से जा रहे हैं जिससे उत्तर प्रदेश से भाजपा का सफाया हो.” उन्होंने कहा कि ”भाजपा ने गंगा मईया को धोखा दिया, जहां साफ होनी थी गंगा आज वैसी ही गंदी हैं. कानपुर बड़ा शहर है. यहां कारोबार, रोज़गार है. कानपुर के लोगों ने अपनी बर्बादी देखी है. भाजपा की केंद्र और यूपी सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया, रोज़गार छीने हैं, मंहगाई बढ़ी है.”

यह यात्रा एक विशेष बस पर शुरू हुई, जिसका नाम पार्टी ने विजय रथ रखा है. कानपुर के गंगा पुल से शुरू हुई इस यात्रा में लाल टोपी पहने और पार्टी के झंडे लिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया. कानपुर से शुरू हुई यात्रा पहले दो दिनों में (12-13 अक्टूबर) पहले चरण में कानपुर देहात, जालौन और हमीरपुर जिलों में जाएगी.

पार्टी के प्रवक्ता के मुताबिक यात्रा के लिये विशेष रूप से विजय रथ बनाया गया. इस रथ में पार्टी नेता आजम खान, दिवंगत जनेश्वर मिश्रा, राजनीतिक प्रतीक राम मनोहर लोहिया,महात्मा गांधी, आंबेडकर और दिवंगत राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की तस्वीर भी हैं.

यात्रा शुरू होने से पहले अखिलेश ने पत्रकारों से कहा कि इस यात्रा का मकसद राज्य से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का सफाया करना है और जिस तरह से लखीमपुर खीरी में कानून को कुचला गया है, किसानों को कुचला गया है, संविधान की धज्जियां उड़ाई गई हैं उससे जनता में बीजेपी के प्रति बहुत आक्रोश है.

छठ पूजा आयोजित नहीं किए जाने के विरोध में जमकर प्रदर्शन – सांसद मनोज तिवारी घायल

नई दिल्ली: सर्वाजनिक जगहों पर छठ पूजा आयोजित नहीं किए जाने के विरोध में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को पानी की बौछार का प्रयोग करना पड़ा. इस दौरान दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद मनोज तिवारी घायल हो गए. दरअसल, मनोज तिवारी बैरिकेड पर चढ़कर विरोध कर रहे थे, तभी सिर पर पानी की बौछार से वे बैरिकेड से नीचे गिए गए. गिरने से उन्हें काफी चोट आई है. उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 

गौरतलब है कि इस साल कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली सरकार ने सर्वाजनिक जगहों पर छठ पूजा मनाए जाने पर रोक लगा दी है. मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि नदियों के किनारे या सर्वाजनिक जगहों पर छठ पूजा करने पर मनाही कोरोना माहामारी के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा के लिए लगाई गई है, इसलिए छठ पूजा को लेकर राजनीति नहीं करें. सीएम केजरीवाल के इस आदेश पर बीजेपी नेता लगातार नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना गाइडलाइन के साथ छठ पूजा मनाए जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. 

वहीं, बीजेपी नेता मनोज तिवारी एक के बाद कई ट्वीट कर सीएम केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं. मनोज तिवारी ने कहा, हम पूरी दिल्ली के छठ व्रत करने वालों की भावना को देखते हुए छठ पर्व को बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे. स्वच्छता के प्रतीक छठ पर्व को मनाने में आखिर  केजरीवाल को इतनी आपत्ति क्यों है? वहीं, एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, छठ एक आस्था का विषय है इसमें राजनीति तो आनी ही नहीं चाहिए और इसलिए हम राजनीति से हटकर सभी छठ समितियों से मिल रहे हैं, उनकी तैयारी को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन केजरीवाल सरकार द्वारा सीधा ना मनाने का फैसला काफी हैरान करने वाला है.

मनोज तिवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा, छठ की महत्ता और उस पर विश्वास को समझते हुए मैं मानता हूं कि छठ पूजा को मनाना दिल्ली में रहने वाले 80 लाख पूर्वांचलियों के लिए संजीवनी के समान है. छठ पूजा पर रोक को लेकर मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार को हिंदू विरोधी सरकार बताया है. उन्होंने लिखा, जब पूरी दिल्ली खुली हुई है, दुकानें, बाजार, सिनेमाहॉल यहां तक कि स्विंमिंग पूल भी खुल चुके हैं तो छठ मनाने पर रोक लगाने का क्या मतलब है.

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