मौजूदा कोरोना टीकाकरण नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बंगाल सरकार

West Bengal Oxygen Supply ;West Bengal government moves Supreme Court seeking its direction to disband the current #COVID19 vaccination policy and bring in universal coverage with uniform price. 7 May 2021: Himalayauk Bureau:

मौजूदा कोरोना टीकाकरण नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बंगाल सरकार– पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार कोविड-19 वैक्सीनेशन की मौजूदा नीति को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. ममता सरकार कोरोना वैक्सीन की एक देश एक कीमत की मांग कर रही है.

550 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन  सिलेण्‍डर मांगे ;;;; ममता बनर्जी ने

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी सत्ता में आईं ममता बनर्जी ने एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मेडिकल ऑक्सीजन की यथाशीघ्र सप्लाई करने का अनुरोध किया है. ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  को पत्र लिखकर कोरोना (Corona ) महामारी के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के लिए मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) आपूर्ति बढ़ाने की मांग की है.  

ममता बनर्जी ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामले के मद्देनजर राज्य को अगले 7-8 दिनों में 550 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है. सीएम ममता बनर्जी पत्र में कहा है कि इसके पहले भी 5 मई को मैंने पत्र दिया था. मैंने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण मेडिकल ऑक्सीजन की मांग लगातार बढ़ रही है. बंगाल में कोविड पोजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही है. पिछले 24 घंटे के दौरान 470 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत हुई है. यह अगले 7-8 दिनों में बढ़कर 570 मीट्रिक टन हो सकती है.

ममता ने अपने पत्र में कहा है कि मुख्य सचिव ने पहले ही इस बाबत केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और अधिकारियों को सूचित किया है कि राज्य को 570 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत है. पश्चिम बंगाल सरकार को अलॉटमेंट करने की जगह केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों का अलॉटमेंट बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि बंगाल में प्रतिदिन 560 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन होता है.

वही दूसरी ओर दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपना लिया है. कोर्ट ने आज कहा कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई का जो आदेश दिया गया था वह सिर्फ 1 दिन के लिए नहीं था. केंद्र हर दिन कम से कम इतनी आपूर्ति करे, नहीं तो सुप्रीम कोर्ट को कड़ा आदेश पारित करना पड़ सकता है.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई न कर पाने के लिए केंद्र के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. केंद्र की याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हाई कोर्ट के नोटिस पर रोक लगा दी थी. लेकिन यह भी कहा था कि केंद्र रात 12 बजे तक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिल्ली को पहुंचाए. अगले दिन यानी गुरुवार को हुई सुनवाई में केंद्र ने यह बताया कि दिल्ली को 730.7 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया.

आज दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच को बताया कि केंद्र ने एक बार फिर ऑक्सीजन की सप्लाई कम कर दी है. गुरुवार को दिल्ली को 527 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिला. आज भी अभी तक आ रही सप्लाई बहुत धीमी है. ऐसा नहीं लगता कि दिल्ली को पूरी आपूर्ति मिल पाएगी. इसे सुनते ही जज नाराज हो गए.

उन्होंने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “अगर हमने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आदेश दिया था, तो वह सिर्फ 1 दिन के लिए नहीं था. ऐसा नहीं चल सकता कि आप एक दिन कोर्ट को खुश करने के लिए कह दें कि आदेश का पालन कर लिया गया है.”

कोर्ट ने आगे कहा, “आपने कल टैंकर की कमी समेत तमाम बातें कहीं. लेकिन इसके चलते आप ऑक्सीजन की सप्लाई कम नहीं कर सकते. जो आदेश दिया गया है, उतना ऑक्सीजन दिल्ली को दीजिए. हमें सख्त आदेश देने के लिए विवश मत कीजिए.”

गुरुवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने यह कहा था कि दिल्ली सरकार जितना ऑक्सीजन मांग रही है, उसे उठा भी नहीं रही. दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन जो कुल जरूरत है, उसे बढ़ा चढ़ा कर रखा जा रहा है. इसलिए, दिल्ली का ऑक्सीजन ऑडिट होना चाहिए ताकि दूसरे राज्यों से कटौती कर दिल्ली को ऑक्सीजन न देना पड़े. दिल्ली की सही जरूरत का अनुमान लग सके और अगर दिल्ली में ऑक्सीजन के स्थानीय वितरण में कोई समस्या है, तो उसे भी दूर किया जा सके.

कोर्ट ने ऑक्सीजन ऑडिट कमिटी बनाने पर सैद्धांतिक सहमति जता दी थी. उन्होंने कहा था कि इस बारे में औपचारिक आदेश जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा. आज जजों ने कहा, “कमिटी जब रिपोर्ट देगी, तब उसे देखा जाएगा. फिलहाल 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन रोजाना दिल्ली को देने का जो आदेश है,केंद्र सरकार उसका पालन करती रहे. उसमें कोताही न बरती जाए.”

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