साल का पहला संयोग -मनोकामनाएं पूर्ण होगी- 24 जून भाद्रपद महीने की विनायक चतुर्थी;ऊं गणेशाय नम:

भाद्रपद महीने में आने वाली विनायक चतुर्थी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर में ही की जाती है। अगर आप व्रत रख रहे हैं तो पूजा के बाद ही कुछ ग्रहण करें। वैसे भी इस दिन आपका आहार सात्विक होना चाहिए। पूजा के समय –ऊं गणेशाय नम:मंत्र का 108 बार जाप करें। अंत में गणेश आरती गाएं। हर मास में दो गणेश चतुर्थी व्रत आते हैं। जहां शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वहीं कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी संकष्टी कहलाती है। विनायक चतुर्थी पर भक्‍त व्रत रखकर गणेश जी को प्रसन्‍न करते हैं और उनको उनका प्र‍िय भोग भी लगाते हैं। 

24 जून को विनायक चतुर्थी है। विनायक चतुर्थी का दिन गणपति महाराज को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है और 24 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पड़ रही है। खास बात ये है कि बुधवार का दिन भगवान गणेश जी का दिन होता है और इसी दिन विनायक चतुर्थी भी है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है।

संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका मतलब होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’ । पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। – 24जून 20 का दिन देश के लिए शुभ होगा, लददाख बार्डर पर तनाव खत्‍म होगा- हिमालयायूके में विस्‍तार से पढिये- प0 चन्‍द्रशेखर जोशी मुख्‍य सम्‍पादक की कलम से-

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विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि- विधान से पूजा की जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करना शुभ माना जाता है। अगर व्रत करना संभव नहीं तो इस दिन भगवान गणेश की पूजा कर सात्विक भोजन करें।  

चतुर्थी तिथि प्रारंभ – प्रातः10:12 बजे से प्रारंभ (24 जून 2020) चतुर्थी तिथि समाप्त – प्रातः 08:46 बजे तक (25 जून 2020)

  बुधवार, 24 जून को आषाढ़ महीने की विनायक चतुर्थी व्रत किया जाएगा। बुधवार होने से इस दिन व्रत और पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है। क्योंकि चतुर्थी तिथि और इस दिन के स्वामी भगवान गणेश ही हैं। इसलिए इस संयोग में व्रत और गणेश जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये साल का पहला संयोग है जब बुधवार के दिन विनायक चतुर्थी है। अब इसके बाद 18 नवंबर को ये योग बनेगा।

हिन्दू पंचांग के अनुसार बुधवार को सुबह करीब 10  बजे तक आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू होने से इसी दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी। चतुर्थी पर भगवान गणेश के व्रत करने की परंपरा इसलिए हैं क्योंकि इस तिथि के स्वामी गणेश जी ही हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस दिन व्रत करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

 हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार हर महीने में दो बार चतुर्थी व्रत किया जाता है। हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार चतुर्थी भगवान गणेश की तिथि है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। हालांकि विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन भाद्रपद महीने में आने वाली विनायक चतुर्थी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व को भारत सहित अन्य कुछ देशों में महागणेश चतुर्थी यानी गणेशजी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठकर दिनभर व्रत रखने और गणेश पूजा करने का संकल्प लिया जाता है। इस व्रत के दौरान दोपहर में भगवान गणेश की पहली पूजा की जाती है। क्योंकि गणेश पुराण के अनुसार गणेशजी का जन्म दोपहर में हुआ था। दिनभर नियम से व्रत रखते हुए शाम को गणेशजी के साथ चतुर्थी देवी की भी पूजा की जाती है। इसके बाद चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य दिया जाता है। फिर चंद्रमा की पूजा करने के बाद परिवार सहित भोजन किया जाता है।

पंचांग 24 जून 2020 के अनुसार आज विनायक चतुर्थी है. आज विशेष दिन है. आज गणेश जी की पूजा और उपासना का दिन. आज कई अभिजित मुहूर्त नहीं है. इस दिन व्याघात योग है और दिशा शूल उत्तर दिशा है. आज नक्षत्र पुष्य है. Panchang In Hindi: दिनांक: 24 जून 2020 (Panchang 24 June 2020)
विक्रमी संवत्: 2077
मास अमांत: आषाढ
मास पूर्णिमांत: आषाढ
पक्ष: शुक्ल
वार: बुधवार
व्रत और पर्व: विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi)
तिथि: तृतीया – 10:16:02 तक
नक्षत्र: पुष्य – 13:10:44 तक
करण: गर – 10:16:02 तक, वणिज – 21:35:10 तक
योग: व्याघात – 09:07:49 तक
सूर्योदय: 05:24:34 AM
सूर्यास्त: 19:22:32 PM
चन्द्रमा: कर्क
ऋतु: वर्षा
राहुकाल: 12:23:33 से 14:08:18 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)
शुभ मुहूर्त का समय – अभिजित मुहूर्त: कोई नहीं
दिशा शूल: उत्तर
अशुभ मुहूर्त का समय –
दुष्टमुहूर्त: 11:55:38 से 12:51:29 तक
कुलिक: 11:55:38 से 12:51:29 तक
कालवेला / अर्द्धयाम: 06:20:26 से 07:16:18 तक
यमघण्ट: 08:12:10 से 09:08:02 तक
कंटक: 17:30:49 से 18:26:41 तक
यमगण्ड: 07:09:19 से 08:54:04 तक
गुलिक काल: 10:38:49 से 12:23:33 तक

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